प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 16 अगस्त 2019
महर्षि बादरायण व्यास सम्मान
2019 Maharshi Badrayan Vyas Samman 2019
राष्ट्रपति ने वर्ष 2019 के लिये चयनित विद्वानों को महर्षि बादरायण व्यास सम्मान से सम्मानित किया है।
- इस सम्मान की स्थापना भारत सरकार द्वारा की गई थी।
- इस सम्मान का उद्देश्य 30-45 वर्ष की आयु वर्ग के विद्वानों को फारसी, अरबी, पाली, प्राकृत और शास्त्रीय भारतीय भाषाओं के क्षेत्र में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान हेतु सम्मानित करना है।
- वर्तमान में छह भाषाओं यानी तमिल, संस्कृत, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम और ओडिया को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा दिया जा चुका है।
- किसी भाषा को शास्त्रीय भाषाका दर्जा दिये जाने के संबंध में सरकार द्वारा निर्धारित मानदंड निम्नानुसार है:
- उस भाषा का प्रारंभिक साहित्य अति-प्राचीन हो।
- उस भाषा का अभिलिखित इतिहास 1500-2000 साल पुराना हो।
- उस भाषा को बोलने वाली कई पीढ़ियाँ उसके प्राचीन साहित्य को मूल्यवान विरासत मानती हों।
- उस भाषा की साहित्यिक परंपरा स्वयं उसी भाषा की हो, न कि किसी अन्य भाषा से उधार ली गई हो।
- किसी शास्त्रीय भाषा और साहित्य का रूप उस भाषा के आधुनिक रूप से अलग होते हैं, इसलिये शास्त्रीय भाषा और उसके परवर्ती रूप एवं प्रशाखाओं के बीच में अंतराल हो सकता है।
कोंडापल्ली खिलौने
Kondapalli toys
कोंडापल्ली खिलौने जो कि आंध्र प्रदेश के सांस्कृतिक प्रतीक हैं, भारत तथा विदेशों में ऑनलाइन, थोक एवं खुदरा प्लेटफार्मों में सबसे अधिक बिकने वाले हस्तशिल्प उत्पादों में से एक हैं।
- कोंडापल्ली खिलौने को केंद्र सरकार से भौगोलिक संकेतक (GI) का टैग भी मिल चुका है।
- लेपाक्षी हस्तशिल्प एम्पोरियम (Lepakshi Handicraft Emporium) के अनुसार, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर इन खिलौनों की गुणवत्ता से संबंधित ग्राहकों की प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक है।
- उल्लेखनीय है कि लेपाक्षी, अमेज़ॅन और मायस्टेटबज़ार जैसे प्लेटफॉर्म इस शिल्प को बढ़ावा देने वाले उत्पादों का समर्थन करते हैं।
चुनौतियाँ
- चीन के मशीन से बने खिलौनों से होने वाली प्रतिस्पर्द्धा कोंडापल्ली खिलौनों के लिये एक बड़ी बाधा है, क्योंकि मशीन की तुलना में इन हस्तशिल्प खिलौनों का उत्पादन बहुत कम हो पाता है।
- इतनी कड़ी प्रतिस्पर्द्धा में इन खिलौनों को बाज़ार में अपना स्थान बनाने के लिये काफी अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- सबसे बड़ी चुनौती टेल्ला पोनिकी (Tella Poniki) लकड़ी की निरंतर हो रही कमी है जिससे इन खिलौनों को बनाया जाता है, साथ ही यह लकड़ी अपने प्रारंभिक वर्षों में मीठी और अपेक्षाकृत नरम होती है, इसलिये यह विभिन्न कीटों का शिकार भी हो जाती है।
कोलम (रंगोली)
Kolams help women map business potential
पिछले कुछ वर्षों से दक्षिण भारत के केरल एवं तमिलनाडु राज्यों में कोलम/रंगोली (Kolam) छोटे उद्यम चलाने वाली गरीब महिलाओं के लिये एक सहायक उपकरण की भूमिका निभा रही है।
- कोलम एक ज्यामितीय रेखा है, जो घुमावदार छोरों से बनी होती है तथा डॉट्स के ग्रिड पैटर्न के चारों ओर खींची जाती है।
- विगत वर्षों के दौरान कोलम की सहायता से क्षेत्रों के नक़्शे बनाए जा रहे हैं जिसमें दुकानों, चाय के स्टालों, पानी के स्पॉटों, मंदिरों एवं अन्य स्थानों की स्थिति प्रदर्शित की जा रही है।
- कोलम से प्रेरित नक्शे हज़ारों महिलाओं के लिये नए व्यवसाय शुरू करने में सहायक हो रहे हैं क्योंकि इन नक्शों से प्राप्त जानकारी के आधार पर महिलाएँ यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि किस उद्यम को कहाँ शुरू किया जा सकता है या कहाँ दुकान स्थापित करनी है।
- इन नक्शों ने अब तक तमिलनाडु के छह ज़िलों में 5,000 से अधिक महिलाओं को स्थायी आय का स्रोत प्रदान कर लाभ पहुँचाया है।
कोलम (रंगोली)
- दक्षिण भारत के केरल तथा तमिलनाडु राज्यों में रंगोली को कोलम कहते हैं।
- कोलम को घरों में समृद्धि लाने का प्रतीक माना जाता है। तमिलनाडु में प्रत्येक सुबह लाखों महिलाएँ सफेद चावल के आटे से जमीन पर कोलम बनाती हैं।
- कोलम (रंगोली) शुभ अवसरों पर घर के फ़र्श को सजाने के लिये बनाई जाती है।
- कोलम बनाने के लिये सूखे चावल के आटे को अँगूठे व तर्जनी के बीच रखकर एक निश्चित आकार में गिराया जाता है। इस प्रकार धरती पर सुंदर नमूना बन जाता है।
- कभी कभी इस सजावट में फूलों का प्रयोग किया जाता है।
- फूलों की रंगोली को पुकोलम कहते हैं।