प्रिलिम्स फैक्ट्स (16 Jul, 2021)



Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 जुलाई, 2021

‘महँगाई भत्ते’ और ‘महँगाई राहत’ में बढ़ोतरी

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिये 1 जुलाई से प्रभावी ‘महँगाई भत्ते’ (DA) और ‘महँगाई राहत’ (DR) में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंज़ूरी दी है। ‘महँगाई भत्ते’ और ‘महँगाई राहत’ दरों को मौजूदा 17 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी कर दिया गया है। इस निर्णय के कारण केंद्र सरकार को अतिरिक्त 34,400 करोड़ रुपए का खर्च वह करना होगा। गौरतलब है कि बीते दिनों कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के ‘महँगाई भत्ते’ और पेंशनभोगियों के ‘महँगाई राहत’ की तीन इनस्टॉलमेंट्स को रोक दिया गया था। यह निर्णय केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है, जो काफी समय से सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के तहत ‘महँगाई भत्ते’ और ‘महँगाई राहत’ में बढ़ोतरी का इंतज़ार कर रहे थे। इस निर्णय के परिणामस्वरूप सरकारी कर्मचारियों की भविष्य निधि और ग्रेच्युटी योगदान में भी बढ़ोतरी होगी। ‘महँगाई भत्ता’ मूल रूप से एक समायोजन भत्ता है, जो सरकार द्वारा कर्मचारियों को मुद्रास्फीति की भरपाई के लिये प्रदान किया जाता है। इसे वर्ष में दो बार (जनवरी और जुलाई में) संशोधित किया जाता है। ‘महँगाई राहत’ भी ‘महँगाई भत्ते’ के समान ही होती है, किंतु यह केंद्र सरकार के पेंशनभोगी कर्मचारियों को दी जाती है।

जगन्‍नाथ राव जोशी 

गृहमंत्री अमित शाह ने कर्नाटक केसरी जगन्‍नाथ राव जोशी को उनकी पुण्‍यतिथि पर श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए उन्हें देशभक्‍त कर्मयोगी और गोवा मुक्ति संग्राम के मुख्‍य स्‍तंभ के रूप में संबोधित किया। केसरी जगन्‍नाथ राव जोशी का जन्म 23 जून, 1920 को वर्तमान गडग ज़िले (तत्कालीन अविभाजित धारवाड़ ज़िले) के नरगुंड में हुआ था। स्थानीय प्राथमिक विद्यालय से शिक्षा पूरी करने के बाद जगन्‍नाथ राव नरगुंड छोड़कर उच्च अध्ययन के लिये पुणे चले गए। इसके पश्चात् वह क्लर्क के रूप में सैन्य लेखा विभाग में शामिल हो गए। वर्ष 1945 में जगन्‍नाथ राव ने सैन्य लेखा विभाग से इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में बतौर प्रचारक के रूप में शामिल हो गए। वर्ष 1948 में जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर प्रतिबंध लगाया गया तब जगन्‍नाथ राव जोशी ने इस प्रतिबंध का विरोध किया और उन्हें गिरफ्तार कर बेलगाम की हिंदडाल्गा जेल में बंद कर दिया गया। 23 जून, 1955 को जगन्‍नाथ राव जोशी ने तटीय शहर गोवा को पुर्तगालियों से मुक्त कराने के लिये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और जनसंघ के हज़ारों कार्यकर्त्ताओं का नेतृत्त्व किया। उन्हें बिना परमिट गोवा में प्रवेश करने के लिये गिरफ्तार कर लिया गया तथा जून 1955 से फरवरी 1957 तक एकांत कारावास में रखा गया। 

वास्तविक-समय निगरानी हेतु दिल्ली सरकार और गूगल के बीच सहयोग 

दिल्ली सरकार ने यात्रियों को अपने स्मार्टफोन पर वास्तविक समय के आधार पर बस के आगमन और प्रस्थान के समय एवं मार्ग को ट्रैक करने में सक्षम बनाने के लिये एक प्रणाली विकसित करने हेतु ‘गूगल’ के साथ सहयोग किया है। इस सहयोग के माध्यम से 3,000 बसों की वास्तविक समय पर निगरानी की जा सकेगी। इससे यात्रियों को गूगल मैप्स के माध्यम से बसों को ट्रैक करने में मदद मिलेगी। गूगल मैप्स के ज़रिये उपयोगकर्त्ताओं को यह भी पता चल जाएगा कि उनकी यात्रा में कितना समय लगने वाला है। गूगल मैप्स के साथ इस वर्तमान साझेदारी के पश्चात् दिल्ली वैश्विक शहरों की उस सूची में शामिल हो गई है, जो सार्वजनिक परिवहन के वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करते हैं ताकि लोग बिना देरी के यात्रा कर सकें। यह सहयोग कई अन्य ट्रांज़िट एप्स को परिवहन विभाग के ओपन डेटा पोर्टल का उपयोग कर दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को सभी के लिये सुगम विकल्प बनाने हेतु अभिनव समाधान तैयार करने में मदद करेगा। 

कुमारस्वामी कामराज

15 जुलाई, 2021 को तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी कामराज की जयंती मनाई गई। गौरतलब है कि कुमारस्वामी कामराज ने वर्ष 1964 में जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद भारत की राजनीति को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाई थी। उनका जन्म 15 जुलाई, 1903 को तमिलनाडु के एक गरीब परिवार में हुआ था। जब वह अठारह वर्ष के थे, तब गांधीजी के आह्वान पर अंग्रेज़ों के खिलाफ असहयोग के लिये वे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। अप्रैल 1930 में कामराज, वेदारण्यम में नमक सत्याग्रह आंदोलन में शामिल हुए और उन्हें दो वर्ष की जेल की सज़ा सुनाई गई। वर्ष 1937 में के. कामराज मद्रास विधानसभा में निर्विरोध निर्वाचित हुए। वर्ष 1946 में वह भारत की संविधान सभा और बाद में वर्ष 1952 में संसद के लिये भी चुने गए। वर्ष 1954 में वह मद्रास के मुख्यमंत्री बने। वर्ष 1963 में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सुझाव दिया कि काॅन्ग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को संगठनात्मक कार्य करने के लिये मंत्री पद छोड़ देना चाहिये, इस सुझाव को 'कामराज योजना' के नाम से जाना जाता है। 9 अक्तूबर, 1963 को कामराज को भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। 2 अक्तूबर, 1975 को के.कामराज की मृत्यु हो गई और वर्ष 1976 में उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।