ज्वालामुखीय भँवर वलय
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
माउंट एटना, यूरोप का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी और विश्व के सबसे बड़े ज्वालामुखियों में से एक है, जिससे राख एवं लावा के रूप में लगातार विस्फोट हो रहा है, जो एक दुर्लभ घटना है जिसे वैज्ञानिक ज्वालामुखीय भँवर वलय (volcanic vortex rings) कहते हैं।
भँवर वलय क्या हैं?
- भँवर वलय तब उत्पन्न होते हैं जब राख मुख्य रूप से जल वाष्प क्रेटर में एक वेंट के माध्यम से तेज़ी से छोड़ा जाता है।
- ज्वालामुखी के क्रेटर में जो छिद्र खुला है वह लगभग पूर्णतः गोलाकार है, इसलिये जो वलय देखे गए हैं वे भी गोलाकार हैं।
- ज्वालामुखीय भँवर वलय पहली बार 1724 ई. में एटना में देखे गए थे, तब से विश्व के विभिन्न ज्वालामुखियों में इसकी पहचान की जाती है।
- ये छल्ले 10 मिनट तक वायु में रह सकते हैं लेकिन अगर वायु और अशांत स्थिति हो तो ये शीघ्र ही विघटित हो जाते हैं।
माउंट एटना के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- माउंट एटना एक स्ट्रैटोवोलकानो है, जिसका अर्थ है कि यह लावा, राख और चट्टानों की परतों से बना है जो हज़ारों वर्षों के विस्फोटों से जमा हुए हैं।
- माउंट एटना में पाँच शिखर क्रेटर और सैकड़ों पार्श्व छिद्र हैं जो विभिन्न प्रकार के विस्फोट कर सकते हैं, जैसे कि विस्फोटक, प्रवाहकीय या मिश्रित।
- यह सिसिली के पूर्वी तट पर स्थित है, जो भूमध्य सागर में इटली का एक द्वीप है।
- माउंट एटना में 1500 ईसा पूर्व से लगभग लगातार विस्फोट हो रहा है, जिससे यह विश्व के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक बन गया है।
- एटना वर्ष 2013 से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल रहा है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? A. केवल 1 उत्तर: A मेन्स:प्रश्न. 2021 में घटित ज्वालामुखी विस्फोटों की वैश्विक घटनाओं का उल्लेख करते हुए क्षेत्रीय पर्यावरण पर उनके द्वारा पड़े प्रभावों को बताइये। (2021) |
उषा मेहता और कॉन्ग्रेस रेडियो की कहानी
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
स्वतंत्रता सेनानी उषा मेहता के जीवन पर आधारित हाल ही में रिलीज़ होने वाली एक फिल्म, भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उनके ऐतिहासिक योगदान और बलिदान के महत्त्व को पुनः रेखांकित करती है।
भारत छोड़ो आंदोलन (QIM) में उषा मेहता की क्या भूमिका थी?
- भारत छोड़ो आंदोलन का परिचय:
- यह आंदोलन 8 अगस्त, 1942 को शुरू हुआ, जो महात्मा गांधी के करो या मरो के प्रतिष्ठित नारे के साथ चिह्नित है। भारत छोड़ो आंदोलन बड़े पैमाने पर सविनय अवज्ञा, राष्ट्रव्यापी विरोध और समानांतर शासन संरचनाओं की स्थापना का प्रतीक है।
- ब्रिटिश अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियों का जवाब दिया, गांधी, नेहरू और पटेल सहित प्रमुख नेताओं को हिरासत में लिया, जिससे आंदोलन की तीव्रता काफी कम हो गई।
- उषा मेहता का परिचय:
- उषा मेहता, जो उस समय 22 वर्षीय कानून की छात्रा थीं, गांधी की विचारधारा से प्रभावित हुईं, जिससे उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़कर आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिये प्रेरित किया गया।
- सूचना के प्रचार-प्रसार की प्रभावकारिता को पहचानते हुए, मेहता ने संचार के एक गुप्त साधन के रूप में कॉन्ग्रेस रेडियो की धारणा की कल्पना की।
- कॉन्ग्रेस रेडियो की स्थापना:
- फंडिंग और तकनीकी विशेषज्ञता की चुनौतियों का सामना करते हुए, उषा मेहता ने नरीमन प्रिंटर (नरीमान अबराबाद प्रिंटर भारत के शौकिया रेडियो आपरेटर) जैसे सहयोगियों के साथ मिलकर कॉन्ग्रेस रेडियो स्थापित करने का प्रयास किया।
- ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा लगाए गए नियामक प्रतिबंधों के बावजूद, प्रिंटर की निपुणता ने एक कार्यात्मक ट्राँसमीटर के निर्माण की सुविधा प्रदान की, जिसके परिणामस्वरूप 3 सितंबर, 1942 को कॉन्ग्रेस रेडियो का उद्घाटन प्रसारण संभव हो सका।
- प्रसारण के माध्यम से स्वतंत्रता को उत्प्रेरित करना:
- औपनिवेशिक सेंसरशिप को दरकिनार करते हुए और आंदोलन की प्रगति के संबंध में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रसारित करते हुए, कॉन्ग्रेस रेडियो तेज़ी से भारतीयों के लिये समाचार का एक प्रमुख स्रोत बनकर उभरा।
- समाचार प्रसारण से परे, स्टेशन ने राजनीतिक भाषण और वैचारिक संदेश प्रसारित किये, जिससे स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये लोगों के समर्पण को मज़बूती मिली।
- कानूनी परिणाम और मेहता की विरासत:
- कॉन्ग्रेस रेडियो के गुप्त संचालन ने अंततः ब्रिटिश अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया, जिसके कारण मेहता और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी हुई तथा बाद में उन पर मुकदमा भी चलाया गया।
- अपने अग्रणी प्रयासों के लिये "रेडियो-बेन" के रूप में प्रतिष्ठित मेहता ने स्वतंत्रता के बाद भी गांधीवादी सिद्धांतों का पालन करना जारी रखा और वर्ष 1998 में पद्म विभूषण सहित राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की।
और पढ़ें: भारत छोड़ो आंदोलन
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय इतिहास में 8 अगस्त, 1942 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2021) (a) भारत छोड़ो प्रस्ताव AICC द्वारा अपनाया गया था। उत्तर: (a) प्रश्न. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिये: (2017)
उपरोक्त घटनाओं का सही कालानुक्रमिक क्रम क्या है? (a) 1 – 2– 3 उत्तर : (c) |
61वाँ राष्ट्रीय समुद्री दिवस
स्रोत: पी. आई. बी.
हाल ही में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा 61वाँ राष्ट्रीय समुद्री दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में 5 अप्रैल, 2024 को नई दिल्ली में खेल दिवस का जश्न भी शामिल था।
- यह दिन 5 अप्रैल, 1919 को मुंबई से लंदन तक पहले भारतीय जहाज़ एस. एस. लॉयल्टी की पहली यात्रा को श्रद्धांजलि के रूप में मनाया गया था।
- इस दिन, MoPSW के तहत विभिन्न पत्तनों और समुद्री संगठनों ने समुद्री उत्कृष्टता का उदाहरण देते हुए नाविकों के साहस एवं समर्पण को याद किया।
- नाविक वे लोग होते हैं जो जहाज़ों पर काम करते हैं या वे लोग होते हैं जो नियमित रूप से समुद्र में यात्रा करते हैं।
- इसके अतिरिक्त, प्रतिष्ठित सागर सम्मान पुरस्कार समुद्री क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान को स्वीकार करने के लिये थे।
- भारत STCW अभिसमय और समुद्री श्रम सम्मेलन (MLC) दोनों का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
- STCW अभिसमय 1978: यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाविकों के लिये प्रशिक्षण, प्रमाणन और निगरानी पर बुनियादी आवश्यकताओं को स्थापित करने वाला पहला सम्मेलन था।
- समुद्री श्रम सम्मेलन 2006: यह नाविकों के काम करने तथा रहने की स्थिति से संबंधित मानक और नियम प्रदान करता है।
और पढ़ें: मैरीटाइम विज़न 2030, सुरक्षित और स्वस्थ कार्य वातावरण का आह्वान: ILO
IPEF स्वच्छ अर्थव्यवस्था निवेशक फोरम आयोजित करेगा
स्रोत: पी.आई.बी.
इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) ने 5-6 जून 2024 को सिंगापुर में एक स्वच्छ अर्थव्यवस्था निवेशक फोरम आयोजित करने का निर्णय लिया है।
- IPEF स्वच्छ अर्थव्यवस्था निवेशक फोरम IPEF के अंर्तगत की गई पहलों में से एक है, जिसे मई 2022 में लॉन्च किया गया था।
- फोरम का लक्ष्य सतत् बुनियादी ढाँचे, जलवायु प्रौद्योगिकी एवं नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश एकत्रित करना है।
- यह भारत में जलवायु तकनीक उद्यमियों एवं कंपनियों को सदस्य देशों के बीच शीर्ष जलवायु तकनीक कंपनियों तथा स्टार्ट-अप को पहचानने के साथ-साथ उन्हें वैश्विक निवेशकों के सामने प्रस्तुत करने के लिये एक मंच प्रदान करेगा।
- IPEF में सहयोग के चार स्तंभ शामिल हैं, अर्थात् व्यापार, आपूर्ति शृंखला, स्वच्छ अर्थव्यवस्था तथा निष्पक्ष अर्थव्यवस्था आदि हैं।
- इसमें ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई दारुस्सलाम, फिज़ी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूज़ीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा वियतनाम जैसे 14 देश भागीदार शामिल हैं।
और पढ़े… इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क