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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 16 Apr, 2021
  • 7 min read
प्रारंभिक परीक्षा

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 अप्रैल, 2021

सोने की अनिवार्य हॉलमार्किंग

1 जून, 2021 से सोने के आभूषण और कलाकृतियों की अनिवार्य हॉलमार्किंग से संबंधित नियम लागू हो जाएंगे। नवंबर 2019 में, केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि 15 जनवरी, 2021 से देश भर में सोने के आभूषण और कलाकृतियों की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी जाएगी। हालाँकि, कोरोना वायरस महामारी के मद्देनज़र इन नियमों के क्रियान्वयन को चार माह के लिये आगे बढ़ा दिया गया था। सोने की हॉलमार्किंग का आशय उसकी शुद्धता के प्रमाण से है और वर्तमान में सोने की हॉलमार्किंग पूर्णतः स्वैच्छिक है। सरकार का तर्क है कि सोने और चांदी के आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग का उद्देश्य सोने या चांदी की अनियमित गुणवत्ता के कारण उपभोक्ताओं को होने वाले नुकसान से बचाना है। 1 जून, 2021 से नए नियम लागू होने के बाद सोने के विक्रेताओं को केवल 14, 18 और 22 कैरेट सोने के आभूषण बेचने की ही अनुमति होगी। आँकड़ों की माने तो वर्तमान में केवल 40 फीसदी सोने के आभूषणों की ही हॉलमार्किंग होती है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में घरों और मंदिरों में लगभग 25,000 टन सोना मौजूद है, जिसकी कीमत लगभग 110 लाख करोड़ रुपए है, किंतु इसके बावजूद भारत सोने के सबसे बड़े आयातकों में से एक है और वित्तीय वर्ष 2020 में भारत ने कुल 1.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य से अधिक सोने का आयात किया था। 

कृषि मंत्रालय और माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के बीच समझौता

कृषि प्रबंधन और वितरण प्रणाली में सुधार करने के लिये कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इस समझौते के तहत फसलोपरांत प्रबंधन एवं वितरण सहित स्‍मार्ट एवं सुव्‍यवस्‍थित कृषि के लिये किसान इंटरफेस विकसित करने हेतु 6 राज्यों (उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान व आंध्रप्रदेश) के 10 ज़िलों में चयनित 100 गाँवों में पायलेट प्रोजेक्ट शुरू किये जाएंगे। इस परियोजना की अवधि तकरीबन एक वर्ष है। इस प्रोजेक्ट में चयनित 100 गाँवों में किसानों की बेहतरी के लिये विविध कार्य शामिल हैं, जो किसानों की आय में बढ़ोतरी करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। यह प्रोजेक्ट किसानों की आदान लागत को कम करेगा व खेती में सुगमता सुनिश्चित करेगा। गौरतलब है कि सरकार का प्राथमिक लक्ष्य असंगत सूचना की समस्या को दूर कर किसानों की आय में वृद्धि करना है। इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से कई नई पहलें शुरू की गई हैं। इस संबंध में एक प्रमुख पहल ‘राष्‍ट्रीय कृषक डेटाबेस पर आधारित कृषि-कोष’ बनाना है। सरकार देशभर से किसानों के भू-रिकार्डों को जोड़कर किसान डेटाबेस तैयार कर रही है।

विश्व कला दिवस

आम जनमानस के बीच ललित कला को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 15 अप्रैल को विश्व कला दिवस का आयोजन किया जाता है। यह दिवस सर्वप्रथम 15 अप्रैल, 2012 को आयोजित किया गया था और यह इटली के महान चित्रकार, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पकार और संगीतज्ञ लियोनार्डो दा विंची के जन्मदिवस को चिह्नित करता है। विश्व शांति, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सहिष्णुता और भाईचारे के प्रतीक के रूप में, लियोनार्डो दा विंची अन्य विभिन्न क्षेत्रों पर ललित कला के प्रभाव का एक प्रमाण हैं। विदित हो कि कला विश्व भर के सभी लोगों में रचनात्मकता, नवाचार और सांस्कृतिक विविधता का पोषण करती है और ज्ञान साझा करने तथा जिज्ञासा एवं संवाद को प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विश्व कला दिवस आम लोगों को आपस में जोड़ने में मदद करता है और लोगों को अपने आस-पास की विविधता के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये प्रोत्साहित करता है। 

न्यूज़ीलैंड का जलवायु परिवर्तन कानून

न्यूज़ीलैंड ने हाल ही में एक कानून के माध्यम से बैंकों, बीमा कंपनियों और निवेश प्रबंधकों के लिये उनके द्वारा किये गए निवेश के कारण जलवायु परिवर्तन पर पड़ने वाले प्रभावों की रिपोर्ट करना अनिवार्य बना दिया है, इस तरह न्यूज़ीलैंड जलवायु परिवर्तन के संबंध में कानून बनाने वाला विश्व का पहला देश बन गया है। 1 बिलियन न्यूज़ीलैंड डॉलर (तकरीबन 703 मिलियन डॉलर) से अधिक की कुल संपत्ति वाले सभी बैंकों, 1 बिलियन न्यूज़ीलैंड डॉलर से अधिक की कुल संपत्ति वाले सभी बीमाकर्त्ताओं और स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध सभी इक्विटी तथा ऋण जारीकर्त्ताओं को इस संबंध में खुलासा करना होगा। ज्ञात हो कि न्यूज़ीलैंड ने वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य/नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है, किंतु इस लक्ष्य को तब तक प्राप्त नहीं किया जा सकता जब तक कि वित्तीय क्षेत्र को यह ज्ञात न हो कि उनके द्वारा किये जा रहे निवेश का जलवायु परिवर्तन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। इस कानून का प्राथमिक उद्देश्य जलवायु जोखिम को वित्तीय और व्यावसायिक निर्णय लेने के आधार के रूप में स्थापित करना है।


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