कैसर-ए-हिंद
हाल ही में अरुणाचल प्रदेश ने बड़ी और चमकीली रंग की तितली ‘कैसर-ए-हिंद’ को राज्य तितली के रूप में मंज़ूरी दी है।
- ‘कैसर-ए-हिंद’ का शाब्दिक अर्थ है ‘भारत का सम्राट’।
प्रमुख बिंदु
- वैज्ञानिक नाम: टीनोपालपस इम्पीरियलिस
- पर्यावास:
- यह दुर्लभ और स्वेलोटेल तितलियों में से एक है जो मध्यम और उच्च ऊँचाई वाले स्थानों पर पाई जाती है।
- स्वॉलोटेल, तितली परिवार- ‘पैपिलियोनिडे’ (‘लेपिडोप्टेरा’ ऑर्डर) में तितलियों का एक समूह है।
- यह चौड़ी पत्ती वाले समशीतोष्ण सदाबहार वनों में ऊँचाई पर पाई जाती है।
- समशीतोष्ण सदाबहार वन पूर्वी और पश्चिमी हिमालय में पाए जाते हैं।
- 90-120 मिलीमीटर के पंखों वाली यह तितली पूर्वी हिमालय के साथ (पश्चिम बंगाल, मेघालय, असम, सिक्किम और मणिपुर) में भी पाई जाती है।
- इसकी उपस्थिति एक बेहतर वन पारिस्थितिकी तंत्र एवं संरक्षण के अस्तित्व को इंगित करती है।
- यह तितली नेपाल, भूटान, म्याँमार, लाओस, वियतनाम और दक्षिणी चीन में भी पाई जाती है।
- यह दुर्लभ और स्वेलोटेल तितलियों में से एक है जो मध्यम और उच्च ऊँचाई वाले स्थानों पर पाई जाती है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN: निकट संकटग्रस्त
- CITES: परिशिष्ट- II
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची- II
तितली
- परिचय:
- तितलियाँ, आर्थ्रोपोडा फाइलम के लेपिडोप्टेरा ऑर्डर से संबद्ध कीड़े हैं, जिसमें पतंगें भी शामिल हैं।
- वयस्क तितलियों में बड़े और प्रायः चमकीले रंग के पंख मौजूद होते हैं।
- हाल ही में ‘गोल्डन बर्डविंग’ (ट्रोइड्स ऐकस) के रूप में प्रसिद्ध एक हिमालयी तितली को 88 वर्षों के बाद भारत की सबसे बड़ी तितली के रूप में खोजा गया है।
- महत्त्व:
- समृद्ध जैव विविधता: किसी भी क्षेत्र में तितलियों की प्रचुरता समृद्ध जैव विविधता का प्रतिनिधित्व करती है।
- संकेतक प्रजाति: तितली एक संकेतक प्रजाति के रूप में कार्य करती है।
- एक संकेतक प्रजाति पारिस्थितिकी तंत्र की समग्र स्थिति और उस पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य प्रजातियों की जानकारी प्रदान करती है। यह पर्यावरणीय परिस्थितियों के साथ-साथ सामुदायिक संरचना के पहलुओं में गुणवत्ता और परिवर्तनों को भी दर्शाती है।
- परागणक: यह परागण में मदद करके और पौधों की कई प्रजातियों के संरक्षण में परागकण के रूप में कार्य करती है।
नोरोवायरस
हाल ही में केरल में नोरोवायरस नामक एक अत्यधिक संक्रामक वायरस का पता चला है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- यह वायरस का एक समूह है जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारी का कारण बनता है।
- यह गंभीर उल्टी और दस्त के अलावा पेट व आँतों की सूजन का कारण बनता है।
- नोरोवायरस कई कीटाणुनाशकों के लिये प्रतिरोधी है और 60 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी जीवित रह सकता है। इसलिये केवल भोजन को अधिक ताप पर पकाने या पानी को क्लोरीनेट करने से वायरस नहीं मरता है। यह वायरस आमतौर पर कई हैंड सैनिटाइज़र से भी बच सकता है।
- संक्रमण:
- एक व्यक्ति अपने जीवन में कई बार विभिन्न प्रकार के नोरोवायरस से संक्रमित हो सकता है, लेकिन एक ही प्रकार की प्रतिरक्षा विकसित होने से उसे वायरस के अन्य वैरिएंट से सुरक्षा नहीं मिलती है।
- दूषित सतहों या भोजन के माध्यम से वायरस संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में स्थानांतरित हो सकता है।
- वायरस मुख्य रूप से ‘ओरल फैकल’ द्वारा फैल सकता है।
- रोग का प्रकोप आमतौर पर क्रूज़ जहाज़ों, नर्सिंग होम, डॉर्मिटरी और अन्य बंद स्थानों में होता है।
- संवेदनशील:
- वायरस सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है लेकिन बच्चों, बुजुर्गों और सह-विकृतियों से ग्रस्त लोगों में गंभीर लक्षण पैदा करने के लिये जाना जाता है।
- लक्षण:
- दस्त, उल्टी, पेट दर्द, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएँ आदि इसके लक्षण हैं।
- उपचार:
- इस वायरस हेतु कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है, डायरिया और उल्टी के लिये जेनेरिक दवाएँ इस बीमारी को ठीक करने में मदद कर सकती हैं।
- स्थिति:
- इसके वार्षिक रूप से 685 मिलियन मामले आते हैं, जिनमें से 200 मिलियन मामले पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में पाए जाते हैं।
- इस वायरस के कारण होने वाले डायरिया से हर साल लगभग 50,000 बच्चों की मौत हो जाती है।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 नवंबर, 2021
पंडित जवाहर लाल नेहरू
देश भर में प्रतिवर्ष 14 नवंबर को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती को चिह्नित करने के उद्देश्य से ‘बाल दिवस’ मनाया जाता है। पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। भारत से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे इंग्लैंड चले गए और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद वर्ष 1912 में वे भारत लौटे और राजनीति से जुड़ गए। वर्ष 1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर सम्मेलन में भाग लिया एवं वर्ष 1919 में इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने। पंडित जवाहर लाल नेहरू सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस कमेटी के महासचिव बने। वर्ष 1929 में पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन के लाहौर सत्र के अध्यक्ष चुने गए जिसका मुख्य लक्ष्य देश के लिये पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था। उन्हें वर्ष 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। नेहरू जी सर्वप्रथम वर्ष 1916 के लखनऊ अधिवेशन में महात्मा गांधी के संपर्क में आए और गांधी जी से काफी अधिक प्रभावित हुए। चीन से युद्ध के बाद नेहरू जी के स्वास्थ्य में गिरावट आने लगी और 27 मई, 1964 को उनकी मृत्यु हो गई।
बिरसा मुंडा
15 नवंबर, 2021 को बिरसा मुंडा जयंती मनाई गई। बिरसा मुंडा का जन्म वर्ष 1875 में हुआ था। वे मुंडा जनजाति के थे। बिरसा का मानना था कि उन्हें भगवान ने लोगों की भलाई और उनके दुःख दूर करने के लिये भेजा है, इसलिये वे स्वयं को भगवान मानते थे। उन्हें अक्सर 'धरती अब्बा' (Dharti Abba) या ‘जगत पिता’ के रूप में जाना जाता है। वर्ष 1899-1900 में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुआ मुंडा विद्रोह छोटा नागपुर (झारखंड) के क्षेत्र में सर्वाधिक चर्चित विद्रोह था। इसे ‘मुंडा उलगुलान’ (विद्रोह) भी कहा जाता है। इस विद्रोह की शुरुआत मुंडा जनजाति की पारंपरिक व्यवस्था खूंटकटी की ज़मींदारी व्यवस्था में परिवर्तन के कारण हुई। इस विद्रोह में महिलाओं की भूमिका भी उल्लेखनीय रही। बिरसा मुंडा ने जनता को जागृत किया और ज़मींदारों एवं अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह किया। उन्होंने अंग्रेज़ों को करों और साहूकारों को ऋण/ब्याज का भुगतान न करने के लिये जनता को संगठित किया। इस प्रकार उन्होंने ब्रिटिश शासन के अंत और झारखंड में मुंडा शासन (तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी क्षेत्र) की स्थापना के लिये विद्रोह का नेतृत्त्व किया। उन्होंने धर्म को राजनीति से जोड़ दिया और एक राजनीतिक-सैन्य संगठन बनाने के उद्देश्य से प्रचार करते हुए गाँवों की यात्रा की। फरवरी 1900 में बिरसा मुंडा को सिंहभूम में गिरफ्तार कर राँची ज़ेल में डाल दिया गया जहाँ जून 1900 में उनकी मृत्यु हो गई।
‘टेम्स’ नदी
एक हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक, लंदन की मशहूर नदी- ‘टेम्स’ में सीहॉर्स, ईल, सील और शार्क की उपस्थिति पाई गई है। यह सर्वेक्षण इस नदी के बेहतर स्वास्थ्य को प्रदर्शित करता है, गौरतलब है कि वर्ष 1975 में इस नदी को ‘जैविक रूप से मृत’ घोषित कर दिया गया था। सर्वेक्षण के दौरान 115 प्रजातियों की मछलियों और वन्यजीवों के अलावा इस 346 किलोमीटर लंबी नदी में तीन प्रकार की शार्क पाई गईं। ‘टेम्स’ नदी अपने आसपास रहने वाले समुदायों के लिये एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है और यह उन्हें पीने हेतु पानी तथा भोजन उपलब्ध कराने के साथ-साथ तटीय बाढ़ से उनकी सुरक्षा भी करती है। ‘टेम्स’ नदी को ‘आइसिस’ नदी के रूप में भी जाना जाता है। यह इंग्लैंड की सबसे लंबी नदी है, जो लंदन सहित दक्षिणी इंग्लैंड से होकर बहती है। यह ‘सेवर्न नदी’ के बाद ब्रिटेन की दूसरी सबसे लंबी नदी भी है।
विश्व मधुमेह दिवस
वर्ष 1922 में ‘इंसुलिन’ की खोज करने वाले सर फ्रेडरिक बैंटिंग के जन्मदिवस को चिह्नित करने हेतु प्रतिवर्ष 14 नवंबर को ‘विश्व मधुमेह दिवस’ का आयोजन किया जाता है। ‘विश्व मधुमेह दिवस’ 2021-23 का विषय 'मधुमेह देखभाल तक पहुँच' है। जब मानव शरीर में अग्न्याशय (पैंक्रियाज) द्वारा इंसुलिन नामक हॉर्मोन स्रावित करना कम हो जाता है अथवा इंसुलिन की कार्यक्षमता में कमी आ जाती है तो मधुमेह (Diabetes) रोग हो जाता है। इंसुलिन रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है। इसमें मानव रक्त में ग्लूकोज़ (रक्त शर्करा) का स्तर बढ़ने लगता है। ग्लूकोज़ का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुँचाता है। टाइप-2 और टाइप-1 मधुमेह के सामान्य रूप हैं। मधुमेह के कुल मामलों में 90 से 95% टाइप-2 मधुमेह से संबंधित होते हैं। टाइप-2 मधुमेह आमतौर पर वयस्कों को प्रभावित करता है। इस स्थिति में ज़्यादा गंभीर स्थिति के अलावा हाइपर ग्लाइसीमिया (रक्त में ग्लूकोज़ का उच्च स्तर) के नियंत्रण के लिये इंसुलिन की आवश्यकता नहीं होती है। मधुमेह का एक आनुवंशिक रूप भी है जो जीन में दोष के कारण होता है। इसलिये इसे 'मोनोजीनिक मधुमेह' कहा जाता है।