क्वासीक्रिस्टल
वैज्ञानिकों ने संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तर मध्य नेब्रास्का के सैंड हिल्स में क्वासीक्रिस्टल के तीसरे प्राकृतिक स्रोत की खोज की है।
क्वासीक्रिस्टल:
- परिचय:
- क्वासीक्रिस्टल आकर्षक पदार्थ हैं जो कि विशेषताओं का एक अनूठा संयोजन है। ये प्राकृतिक दुनिया में वैविध्य की शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक हैं।
- पारंपरिक क्रिस्टल से भिन्नता:
- पारंपरिक क्रिस्टल के परमाणु दोहराव वाले पैटर्न में व्यवस्थित होते हैं, जबकि क्वासीक्रिस्टल के परमाणु एक पैटर्न में व्यवस्थित होते हैं जिनमें परमाणुओं का दोहराव यादृच्छिक अंतराल पर होता है।
- ठोस पदार्थों में परमाणुओं की सामान्य व्यवस्था से यह विचलन अर्द्धक्रिस्टल को विषमता की शक्ति का प्रतीक बनाता है।
- सोडियम क्लोराइड (NaCl) जैसे सामान्य नमक क्रिस्टल, उनके रासायनिक और भौतिक गुणों के कारण घन (Cubic) पैटर्न अपनाते हैं।
- क्यूबिक पैटर्न सोडियम और क्लोराइड आयनों को घनत्व और थर्मल स्थिरता जैसे कारकों के अनुकूल बनाने की अनुमति देता है।
- दूसरी ओर, क्वासीक्रिस्टल एक पैटर्न में बनते हैं जो घन संरचना से विचलित होता है और कम इष्टतम होता है।
- क्योंकि परमाणु जाली संरचना में तनावपूर्ण घटना की छाप होती है, जिसे अर्द्धक्रिस्टल के गठन को तनाव के रूप में देखा जा सकता है।
- पारंपरिक क्रिस्टल के परमाणु दोहराव वाले पैटर्न में व्यवस्थित होते हैं, जबकि क्वासीक्रिस्टल के परमाणु एक पैटर्न में व्यवस्थित होते हैं जिनमें परमाणुओं का दोहराव यादृच्छिक अंतराल पर होता है।
- अनुप्रयोग:
- इनका उपयोग नॉन-स्टिक फ्राइंग पैन, एक्यूपंक्चर और सर्जरी के लिये सुई, दंत चिकित्सा उपकरणों तथा रेज़र ब्लेड के निर्माण में किया जाता है
- इनका उपयोग नॉन-स्टिक फ्राइंग पैन, एक्यूपंक्चर और सर्जरी के लिये सुई, दंत चिकित्सा उपकरणों तथा रेज़र ब्लेड के निर्माण में किया जाता है
क्वासीक्रिस्टल की खोज:
- क्वासीक्रिस्टल की खोज वर्ष 1982 में प्रयोगशाला में अमेरिकी-इज़रायली वैज्ञानिक डैन शेचमैन द्वारा की गई थी।
- डैन शेचमैन को क्वासीक्रिस्टल (अर्द्धक्रिस्टल) की खोज के लिये रसायन विज्ञान के क्षेत्र में वर्ष 2011 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
- पहला प्राकृतिक क्वासीक्रिस्टल वर्ष 2009 में रूस में खातिरका उल्कापिंड में खोजा गया था।
- माना जाता है कि खातिरका उल्कापिंड लाखों वर्षों तक अंतरिक्ष में कई टकरावों से गुज़रा है, जिस कारण इस पर तीव्र दबाव पड़ा तथा यह अत्यधिक गर्म हो गया।
- इन स्थितियों से प्रेरित होकर भौतिकविदों ने "शॉक सिंथेसिस" (Shock Synthesis) का उपयोग करके प्रयोगशाला में नए क्वासीक्रिस्टल बनाने हेतु प्रयोग किये।
- वर्ष 2021 में वैज्ञानिकों ने मैनहट्टन प्रोजेक्ट के ट्रिनिटी परीक्षण में पहली बार विस्फोट किये गए नाभिकीय हथियार के अवशेषों में क्वासीक्रिस्टल की खोज की।
- इन निष्कर्षों से पता चलता है कि खातिरका उल्कापिंड और ट्रिनिटी परीक्षण द्वारा अनुभव की जाने वाली तीव्र, उग्र स्थितियाँ प्राकृतिक क्वासीक्रिस्टल की उत्पत्ति के मूल कारण हैं।
स्रोत: द हिंदू
एयर-लॉन्च्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल
हाल ही में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एयर-लॉन्च्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल (ALUAV) के एक प्रोटोटाइप का वर्ष 2023 में उड़ान परीक्षण किये जाने की संभावना है।
- एयरो इंडिया 2023 में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने एयर शो में F-35 स्टील्थ विमान की संभावित भागीदारी का भी जिक्र किया।
एयरो इंडिया 2023:
- 13 फरवरी को भारत के प्रधानमंत्री ने एयरो इंडिया 2023 का उद्घाटन किया, जो भारत के बंगलूरू में भारत वायु सेना स्टेशन में पाँच दिवसीय कार्यक्रम है।
- इस वर्ष की थीम 'द रनवे टू ए बिलियन अपॉर्चुनिटी' है और इसका फोकस एयरोस्पेस एवं रक्षा क्षमताओं में भारत की वृद्धि को प्रदर्शित करने पर है।
- एयरो इंडिया 2023 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' विज़न के अनुरूप स्वदेशी उपकरणों/प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन और विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी करेगा।
- एयरो इंडिया के प्रमुख प्रदर्शकों में एयरबस, बोइंग, डसॉल्ट एविएशन, लॉकहीड मार्टिन, इज़रायल एयरोस्पेस इंडस्ट्री, ब्रह्मोस एयरोस्पेस, SAAB, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) आदि शामिल हैं।
ALUAV परियोजना:
- वर्ष 2021 में भारतीय रक्षा मंत्रालय और अमेरिकी रक्षा विभाग ने रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DTTI) में संयुक्त कार्य समूह वायु प्रणाली के तहत ALUAV के लिये एक परियोजना समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- ALUAV को एक विमान, विशेष रूप से C130J विमान से लॉन्च करने के लिये विकसित किया जा रहा है।
- बंगलूरू स्थित वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE) और अमेरिकी वायु सेना अनुसंधान प्रयोगशाला में स्थापित एयरोस्पेस सिस्टम निदेशालय परियोजना में शामिल प्रमुख संगठन हैं।
- परियोजना समझौते में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी शामिल है, जिसे भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
- भारत और अमेरिका एक मुक्त एवं खुले, समृद्ध, कनेक्टिंग तथा लचीले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ काम कर रहे हैं जिससे लोकतंत्र संवर्द्धित होगा।
एयर-लॉन्च्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल (ALUAV):
- ALUAV एक प्रकार का ड्रोन या मानव रहित हवाई वाहन (Unmanned Aerial Vehicle- UAV) है जो आमतौर पर एक सैन्य परिवहन विमान है और इसे विमान से लॉन्च किया जाता है।
- ALUAV को सेना को हवाई टोही, निगरानी और खुफिया जानकारी एकत्र करने की क्षमता प्रदान करने हेतु डिज़ाइन किया गया है।
- ALUAV सामान्यतः उन्नत संवेदक और संचार उपकरणों से लैस है एवं उच्च ऊँचाई के साथ विस्तारित अवधि हेतु काम कर सकता है।
रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी पहल (Defence Trade and Technology Initiative- DTTI):
- परिचय:
- DTTI भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य सैन्य प्रौद्योगिकी विकास एवं व्यापार में सहयोग के माध्यम से अपने रक्षा संबंधों को मज़बूत करना है।
- यह पहल वर्ष 2012 में शुरू की गई थी तथा इसे रक्षा निर्माण, अनुसंधान और विकास एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में सहयोग की सुविधा हेतु डिज़ाइन किया गया है।
- इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच मज़बूत रक्षा साझेदारी स्थापित कर सैन्य बलों की अंतर-क्षमता और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना है।
- परियोजनाएँ: DTTI के तहत परियोजनाओं की पहचान निकट, मध्यम और दीर्घकालिक परियोजनाओं के रूप में की गई है।
- अब तक शामिल निकट अवधि की परियोजनाओं में एयर-लॉन्च स्मॉल अनमैन्ड सिस्टम्स, लाइटवेट स्मॉल आर्म्स टेक्नोलॉजी और इंटेलिजेंस-सर्विलांस-टारगेटिंग एंड रिकोनिसेंस (ISTAR) प्रणाली शामिल हैं।
- मध्यम अवधि की परियोजनाओं की पहचान समुद्री डोमेन जागरूकता समाधान और विमान रखरखाव या VAMRAM के लिये आभासी संवर्द्धित मिश्रित वास्तविकता (Virtual Augmented Mixed Reality) है।
- भारतीय सेना के लिये दो दीर्घकालिक परियोजनाएँ- टेरेन शेपिंग ऑब्सटेकल (घातक युद्ध सामग्री) तथा काउंटर-यूएएस, रॉकेट, आर्टिलरी और मोर्टार (CURAM) प्रणाली नामक ड्रोन-रोधी तकनीक हैं।
स्रोत: द हिंदू
उत्तराखंड का नकल विरोधी कानून
देहरादून में सरकारी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और घोटालों को लेकर 11 फरवरी, 2023 को विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया।
- अगले दिन उत्तराखंड के राज्यपाल ने परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को रोकने हेतु उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों के नियंत्रण और रोकथाम उपाय) अध्यादेश, 2023 को अपनी सहमति दे दी।
उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून संबंधी प्रावधान:
- इस अध्यादेश में दोषियों हेतु 10 करोड़ रुपए तक का ज़ुर्माना और आजीवन कारावास का प्रावधान है।
- इस विनियमन का उद्देश्य परीक्षा की अखंडता को बाधित करने, अनुचित तरीकों का उपयोग करने, प्रश्नपत्रों का खुलासा करने और अन्य अनियमितताओं से जुड़े अपराधों को रोकना है।
- इसमें राज्य सरकार, सरकार द्वारा संचालित स्वायत्त निकायों और राज्य सरकार के अनुदान से संचालित प्राधिकरणों, निगमों तथा संस्थानों के तहत विभिन्न पदों पर भर्ती के लिये सार्वजनिक परीक्षाएँ शामिल हैं।
- ये अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनीय हैं। इस कानून से भर्ती परीक्षाओं में अनियमितताओं को रोकने के साथ ही यह सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है कि परीक्षाएँ पारदर्शी और निष्पक्ष रूप से आयोजित हों।
परीक्षा में अनुचित तरीकों के उपयोग से संबंधित अन्य बढ़ती चिंताएँ:
- नकल के लिये प्रौद्योगिकी का बढ़ता उपयोग भी चिंता का एक विषय है, जिसमें प्रतिरूपण, हैकिंग और परीक्षा के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग के मामले आते हैं।
- इस संदर्भ में जेनरेटिव AI (कृत्रिम बुद्धि) के उपयोग ने नकली पहचान पत्र, चित्र और यहाँ तक कि लिखित सामग्री के निर्माण की इसकी क्षमता के बारे में भी चिंताओं को उठाया है जिसका उपयोग धोखाधड़ी हेतु किया जा सकता है।
- जनरेटिव AI एक ऐसी तकनीक है, यह नई सामग्री बनाने के लिये एल्गोरिदम का उपयोग करती है, जो मानव-जनित सामग्री, जैसे कि छवियों, पाठ और यहाँ तक कि ध्वनि की नकल करती है।
- जबकि इस तकनीक के कई वैध उपयोग भी हैं, इसका दुरुपयोग नकली पहचान सामग्री बनाने के लिये भी किया जा सकता है जिसका उपयोग धोखाधड़ी हेतु किया जाता है।
- इसलिये प्रौद्योगिकी प्रगति के रूप में अधिकारियों और सरकारों हेतु यह महत्त्वपूर्ण है कि वे नवीनतम विकास के साथ चलें तथा इसके दुरुपयोग को रोकने के उपायों को लागू करें।
- इसमें परीक्षा एवं अन्य संदर्भों में अनुचित साधनों के उपयोग का पता लगाने तथा रोकने के लिये नई प्रौद्योगिकियों एवं प्रशिक्षित कर्मियों में निवेश करना शामिल है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 फरवरी, 2023
mपॉक्स
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 1 जनवरी, 2022 से 110 देशों में मंकीपॉक्स के कम-से-कम 85,765 मामलों की पुष्टि के साथ ही 1,382 संभावित मामले दर्ज किये गए। इस रोग से सबसे अधिक प्रभावित देश संयुक्त राज्य अमेरिका था, जहाँ 29,948 मामलों की पुष्टि के गई। WHO ने इसके वैश्विक जोखिम का मूल्यांकन 'मध्यम' के रूप में किया और यह भी घोषणा की कि वह इस बीमारी को मंकीपॉक्स के बजाय mपॉक्स (mPox) के रूप में संदर्भित करना चाहता है। मंकीपॉक्स एक ज़ूनोटिक वायरल बीमारी है जिसके लक्षण चेचक के समान होते हैं लेकिन यह कम संक्रामक होता है। कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के अफ्रीकी देश में यह पहली बार वर्ष 1970 में मनुष्यों में पाया गया था। चेचक के उन्मूलन के लिये उपयोग किये जाने वाले टीके mपॉक्स से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इस रोग के इलाज के लिये नए टीके भी विकसित और स्वीकृत किये गए हैं।
और पढ़ें…मंकीपॉक्स, चेचक, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
मारबर्ग वायरस
मध्य अफ्रीका के भूमध्यरेखीय गिनी में मारबर्ग वायरस रोग के प्रकोप की पुष्टि की गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मारबर्ग वायरस रोग अत्यधिक संक्रामक है और इसके कारण रक्तस्रावी बुखार होता है। यह तेज़ बुखार, गंभीर सिरदर्द और चिंताजनक अस्वस्थता के साथ आकस्मिक रूप से शुरू होता है। इस वायरस से संक्रमित होने वाले प्रत्येक 100 लोगों में से 88 के मरने की संभावना है। यह वायरस फ्रूट चमगादड़ से लोगों में फैलता है और संक्रमित लोगों के शारीरिक तरल पदार्थों, सतहों और सामग्रियों के सीधे संपर्क के माध्यम से अन्य मनुष्यों में फैलता है। मारबर्ग की पहली बार पहचान वर्ष 1967 में जर्मनी और बेलग्रेड, सर्बिया में प्रयोगशालाओं में एक साथ बीमारी फैलने के बाद दुर्लभ वायरस के रूप में की गई थी।
और पढ़ें… मारबर्ग वायरस
न्यायिक समीक्षा
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि संवैधानिक न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिये कॉलेजियम द्वारा अनुमोदित उम्मीदवार की "उपयुक्तता" न्यायिक समीक्षा का विषय नहीं हो सकती है। न्यायिक समीक्षा एक प्रकार की न्यायालयी कार्यवाही है जिसमें न्यायाधीश एक सार्वजनिक निकाय द्वारा लिये गए निर्णय या कार्रवाई की वैधता की समीक्षा करता है। यह किसी देश के न्यायालयों द्वारा विधायिकाओं, सरकार के कार्यकारी और प्रशासनिक अंगों के कार्यों की जाँच करने तथा यह सुनिश्चित करने की शक्ति है कि ऐसी कार्रवाइयाँ राष्ट्र के संविधान के प्रावधानों के अनुरूप हैं या नहीं। न्यायिक समीक्षा को संविधान का मूल ढाँचा माना जाता है (इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण मामला 1975)। न्यायिक समीक्षा का समर्थन करने वाले कुछ प्रावधान: अनुच्छेद 372 (1), अनुच्छेद 13, अनुच्छेद 32 और 226, अनुच्छेद 251 और 254, अनुच्छेद 246 (3), अनुच्छेद 245, अनुच्छेद 131-136, अनुच्छेद 137।
और पढ़ें… न्यायिक समीक्षा, सर्वोच्च न्यायालय, संविधान की मूल संरचना, कॉलेजियम प्रणाली
मैमटस क्लाउड
हाल ही में बादलों का एक समूह जो नीचे से बुलबुले की तरह दिखाई देता है, संयुक्त राज्य अमेरिका के नेब्रास्का पर मंडराते हुए देखा गया क्योंकि नम गर्म हवा जो ऊपर उठती है और ठंडी होने पर एक विशिष्ट तापमान पर पानी की बूँदों के रूप में संघनित हो जाती है। आमतौर पर विशिष्ट ऊँचाई पर ऐसा होता है तथा बादल की तलहटी बुलबुले की तरह दिखाई देती है। पानी की बूँदों के कारण अपारदर्शी बादल बनता है। हालाँकि कुछ शर्तों के तहत क्लाउड पॉकेट्स बन सकते हैं, जिसमें पानी की बड़ी बूँदें या बर्फ होती है जो कि स्वच्छ हवा में वाष्पित हो जाती है। ये पॉकेट, मेघ गर्जन के निकट अशांत हवा में बन सकते हैं। इस कारण मैमटस क्लाउड दिखाई देते हैं।