मेदराम जात्रा
जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा मेदराम जात्रा त्योहार 2022 और जनजातीय संस्कृति उत्सव के लिये 2.26 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है।
- तेलंगाना के दूसरे सबसे बड़े जनजातीय समुदाय कोया जनजाति द्वारा चार दिनों तक मनाए जाने वाले कुंभ मेले के बाद मेदराम जात्रा भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला है।
प्रमुख बिंदु
- मेदराम जात्रा को ‘सम्मक्का सरलम्मा जात्रा’ के नाम से भी जाना जाता है।
- यह एक आदिवासी त्योहार है जो एक अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ शासकों के विरुद्ध एक माँ और बेटी, सम्मक्का और सरलम्मा की लड़ाई का प्रतीक है।
- यह तेलंगाना राज्य में मनाया जाता है। यह वारंगल ज़िले के तड़वई मंडल के मेदराम गाँव से प्रारंभ होता है।
- मेदराम एतुर्नगरम वन्यजीव अभयारण्य में एक दूरस्थ स्थान है, जो दंडकारण्य का एक हिस्सा है, यह इस क्षेत्र का सबसे बड़ा जीवित वन क्षेत्र है।
- यह दो साल में एक बार "माघ" (फरवरी) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
- लोग अपने वज़न के बराबर मात्रा में देवी-देवताओं को बंगारम/बेल्लम (गुड़) चढ़ाते हैं और गोदावरी नदी की सहायक नदी जम्पन्ना वागु में पवित्र स्नान करते हैं।
- इसे वर्ष1996 में एक राज्य महोत्सव घोषित किया गया था।
कोया जनजाति:
- परिचय:
- कोया जनजाति तेलंगाना की सबसे बड़ी आदिवासी जनजाति है और तेलंगाना में अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) के रूप में सूचीबद्ध है।
- यह समुदाय तेलुगू भाषी राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में फैला हुआ है।
- कोया स्वयं को लोकप्रिय रूप में डोराला सट्टम (लॉर्ड्स ग्रुप) और पुट्टा डोरा (ओरिजिनल लॉर्ड्स) कहते हैं। गोंड जनजाति की तरह कोया अपनी बोली में स्वयं को "कोइतूर" कहकर बुलाते हैं।
- गोदावरी और सबरी नदियाँ जो अपने मूल क्षेत्र से होकर बहती हैं कोया के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन पर गहरा प्रभाव डालती हैं।
- आवास और आजीविका:
- कोया मुख्यतः स्थायी रूप से बसे हुए किसान हैं। वे ज्वार, रागी, बाजरा और अन्य मोटे अनाज उगाते हैं।
- भाषा:
- कोया जनजाति के बहुत से लोग अपनी ‘कोया भाषा’ को भूल गए हैं और उन्होंने तेलुगू को अपनी मातृभाषा के रूप में अपना लिया है, लेकिन कुछ अन्य हिस्सों में अभी भी कोया भाषा का प्रयोग किया जाता है।
- धर्म और त्योहार:
- भगवान भीम, कोर्रा राजुलु, मामिली और पोटाराजू कोया जनजाति के महत्त्वपूर्ण देवता हैं।
- उनके मुख्य त्योहार ‘विज्जी पांडम’ (बीज आकर्षक त्योहार) और ‘कोंडाला कोलुपु’ (पहाड़ी देवताओं को खुश करने का त्योहार) हैं। कोया के कई धार्मिक पदाधिकारी हैं जो अपने धार्मिक जीवन के विभिन्न पहलुओं में भाग लेते हैं।
स्रोत: पी.आई.बी.
लस्सा बुखार
हाल ही में ब्रिटेन में लस्सा बुखार (Lassa Fever) से पीड़ित तीन व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। इन मामलों को पश्चिम अफ्रीकी देशों की यात्रा से जोड़ा गया है।
प्रमुख बिंदु
लस्सा बुखार:
- लस्सा बुखार के बारे में:
- लस्सा बुखार पैदा करने वाला वायरस पश्चिम अफ्रीका में पाया जाता है और पहली बार इसे वर्ष 1969 में नाइजीरिया के लासा में खोजा गया था।
- यह बुखार चूहों द्वारा फैलता है तथा मुख्य रूप से सिएरा लियोन, लाइबेरिया, गिनी और नाइजीरिया सहित पश्चिम अफ्रीका के देशों में पाया जाता है जहाँ यह (लस्सा बुखार) स्थानिक है।
- मेटोमिस (Matomys) चूहों में घातक लस्सा वायरस फैलाने की क्षमता होती है।
- प्रसार:
- इससे व्यक्ति तब संक्रमित हो सकता है जब वह किसी संक्रमित चूहे (जूनोटिक रोग) के मूत्र या मल से दूषित भोजन या घरेलू सामान के संपर्क में आता है।
- यह कभी-कभी किसी बीमार व्यक्ति के संक्रमित शारीरिक तरल पदार्थ या आँख, नाक या मुँह जैसे श्लेष्म झिल्ली के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
- स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य में व्यक्ति-से-व्यक्ति संचरण काफी अधिक होता है।
- लक्षण:
- इसके सामान्य लक्षणों में हल्का बुखार, थकान, कमज़ोरी और सिरदर्द शामिल हैं।
- गंभीर लक्षणों में रक्तस्राव, साँस लेने में कठिनाई, उल्टी, चेहरे की सूजन और छाती, पीठ एवं पेट में दर्द आदि शामिल हैं।
- लक्षणों की शुरुआत के दो सप्ताह में रोगी की मृत्यु हो सकती है, आमतौर पर बहु-अंग विफलता के परिणामस्वरूप।
- उपचार:
- एंटीवायरल दवा ‘रिबाविरिन’ (Ribavirin) लस्सा बुखार के लिये एक प्रभावी उपचार प्रतीत होता है, लेकिन बीमारी होने पर इसे तुरंत दिया जाना चाहिये।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 फरवरी, 2022
हिप्पोक्रेटिक शपथ
हाल ही में इडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association-IMA) ने दीक्षांत समारोह के दौरान हिप्पोक्रेटिक शपथ को चरक शपथ (Charak Oath) से प्रतिस्थापित करने के संदर्भ में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission-NMC) द्वारा दिये गए सुझाव का विरोध किया है। IMA के अनुसार, चरक शपथ आधुनिक चिकित्सा की दृष्टि से नहीं बनाई गई थी। IMA का विचार है प्रस्तावित शपथ आधुनिक चिकित्सा को वैश्विक समुदाय से दूर करेगी जो चिकित्सा क्षेत्र के विकास में बाधक होगी। हिप्पोक्रेटिक शपथ नए मेडिकल स्नातकों हेतु एक नैतिक संहिता है। इसे प्राचीन यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स द्वारा लिखा गया था। इस शपथ को वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन (WMA) द्वारा संशोधित किया गया था और वर्ष 1948 में जिनेवा घोषणा के रूप में प्रचारित किया गया। यह चिकित्सकों के पेशेवर कर्तव्यों की रूपरेखा तैयार करती है और वैश्विक चिकित्सा पेशे के नैतिक सिद्धांतों की पुष्टि करती है। इडियन मेडिकल एसोसिएशन भारत में चिकित्सकों का एक राष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठन है। यह डॉक्टरों के हित या समुदाय की भलाई को देखता है। वर्ष 1928 में इसे ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के रूप में स्थापित किया गया तथा वर्ष1930 में इसका नाम बदलकर “इंडियन मेडिकल एसोसिएशन” कर दिया गया। यह “भारत के समाज अधिनियम” के तहत पंजीकृत एक सोसायटी है।
फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर
फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर को हाल ही में जर्मनी के राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल हेतु चुना गया है। ज्ञात हो कि जर्मन राष्ट्रपति के पास काफी कम कार्यकारी शक्तियाँ होती हैं और ये दैनिक राजनीति से इतर नैतिक अधिकार होते हैं। जर्मनी में राष्ट्रपति पद पर नियुक्त व्यक्ति का प्रथमिक कानूनी दायित्त्व विधेयक पर हस्ताक्षर करना और देश के अंदर या बाहर विभिन्न समारोहों में जर्मनी का प्रतिनिधित्व करना होता है। जर्मनी या संघीय गणराज्य जर्मनी, यूरोप महाद्वीप में स्थित एक देश है। भारत और जर्मनी के बीच के द्विपक्षीय संबंध साझा लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित हैं। भारत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी संघीय गणराज्य के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था। ज्ञातव्य है कि भारत और जर्मनी G-4 (भारत, जर्मनी, जापान, ब्राज़ील) देशों के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर रहे हैं।
राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस
भारत ने 12 फरवरी, 2022 को राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस (National Productivity Day) मनाया जो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये नियोजन समय, कौशल, ऊर्जा, बुद्धिमत्ता, संसाधन और अवसर प्रदान करता है तथा इसका उद्देश्य भारत के सभी क्षेत्रों में उत्पादकता और गुणवत्ता के प्रति जागरूकता को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उन्हें बढ़ावा देना है। राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस का आयोजन राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) द्वारा किया जाता है, जिसके द्वारा “उत्पादकता के माध्यम से आत्मनिर्भरता” (Self-Reliance Through Productivity) थीम के तहत 12 से 18 फरवरी, 2022 तक “राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह” मनाया जा रहा है। राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस का उद्देश्य उत्पादकता, नवाचार और दक्षता पर जागरूकता बढ़ाने के साथ ही इष्टतम संसाधनों के उपयोग से उत्पादन को अधिकतम करना है। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद 1958 में स्थापित एक स्वायत्त संगठन है। यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत काम करती है। यह भारत की उत्पादकता संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु समर्पित राष्ट्रीय संस्था है। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद को वर्ष 1860 के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम- XXI के तहत पंजीकृत किया गया है।
राष्ट्रीय महिला दिवस
भारत में प्रतिवर्ष 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यातव्य है कि भारत में (आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत) पहली महिला राज्यपाल सरोजनी नायडू के जन्मदिवस को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। देश की आज़ादी और महिलाओं के अधिकारों के लिये संघर्ष किया। आज़ादी के बाद सरोजिनी नायडू को पहली महिला राज्यपाल बनने का अवसर मिला। भारत में महिलाओं के विकास के लिये सरोजनी नायडू के योगदान को मान्यता देने के लिये उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव भारतीय महिला संघ और अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के सदस्यों द्वारा किया गया था। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय महिला दिवस 13 फरवरी को, जबकि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है।
हिप्पोक्रेटिक शपथ
हाल ही में इडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association-IMA) ने दीक्षांत समारोह के दौरान हिप्पोक्रेटिक शपथ को चरक शपथ (Charak Oath) से प्रतिस्थापित करने के संदर्भ में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission-NMC) द्वारा दिये गए सुझाव का विरोध किया है। IMA के अनुसार, चरक शपथ आधुनिक चिकित्सा की दृष्टि से नहीं बनाई गई थी। IMA का विचार है प्रस्तावित शपथ आधुनिक चिकित्सा को वैश्विक समुदाय से दूर करेगी जो चिकित्सा क्षेत्र के विकास में बाधक होगी। हिप्पोक्रेटिक शपथ नए मेडिकल स्नातकों हेतु एक नैतिक संहिता है। इसे प्राचीन यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स द्वारा लिखा गया था। इस शपथ को वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन (WMA) द्वारा संशोधित किया गया था और वर्ष 1948 में जिनेवा घोषणा के रूप में प्रचारित किया गया। यह चिकित्सकों के पेशेवर कर्तव्यों की रूपरेखा तैयार करती है और वैश्विक चिकित्सा पेशे के नैतिक सिद्धांतों की पुष्टि करती है। इडियन मेडिकल एसोसिएशन भारत में चिकित्सकों का एक राष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठन है। यह डॉक्टरों के हित या समुदाय की भलाई को देखता है। वर्ष 1928 में इसे ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के रूप में स्थापित किया गया तथा वर्ष1930 में इसका नाम बदलकर “इंडियन मेडिकल एसोसिएशन” कर दिया गया। यह “भारत के समाज अधिनियम” के तहत पंजीकृत एक सोसायटी है।
फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर
फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर को हाल ही में जर्मनी के राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल हेतु चुना गया है। ज्ञात हो कि जर्मन राष्ट्रपति के पास काफी कम कार्यकारी शक्तियाँ होती हैं और ये दैनिक राजनीति से इतर नैतिक अधिकार होते हैं। जर्मनी में राष्ट्रपति पद पर नियुक्त व्यक्ति का प्रथमिक कानूनी दायित्त्व विधेयक पर हस्ताक्षर करना और देश के अंदर या बाहर विभिन्न समारोहों में जर्मनी का प्रतिनिधित्व करना होता है। जर्मनी या संघीय गणराज्य जर्मनी, यूरोप महाद्वीप में स्थित एक देश है। भारत और जर्मनी के बीच के द्विपक्षीय संबंध साझा लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित हैं। भारत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी संघीय गणराज्य के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था। ज्ञातव्य है कि भारत और जर्मनी G-4 (भारत, जर्मनी, जापान, ब्राज़ील) देशों के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर रहे हैं।
राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस
भारत ने 12 फरवरी, 2022 को राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस (National Productivity Day) मनाया जो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये नियोजन समय, कौशल, ऊर्जा, बुद्धिमत्ता, संसाधन और अवसर प्रदान करता है तथा इसका उद्देश्य भारत के सभी क्षेत्रों में उत्पादकता और गुणवत्ता के प्रति जागरूकता को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उन्हें बढ़ावा देना है। राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस का आयोजन राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) द्वारा किया जाता है, जिसके द्वारा “उत्पादकता के माध्यम से आत्मनिर्भरता” (Self-Reliance Through Productivity) थीम के तहत 12 से 18 फरवरी, 2022 तक “राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह” मनाया जा रहा है। राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस का उद्देश्य उत्पादकता, नवाचार और दक्षता पर जागरूकता बढ़ाने के साथ ही इष्टतम संसाधनों के उपयोग से उत्पादन को अधिकतम करना है। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद 1958 में स्थापित एक स्वायत्त संगठन है। यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत काम करती है। यह भारत की उत्पादकता संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु समर्पित राष्ट्रीय संस्था है। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद को वर्ष 1860 के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम- XXI के तहत पंजीकृत किया गया है।
राष्ट्रीय महिला दिवस
भारत में प्रतिवर्ष 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यातव्य है कि भारत में (आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत) पहली महिला राज्यपाल सरोजनी नायडू के जन्मदिवस को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। देश की आज़ादी और महिलाओं के अधिकारों के लिये संघर्ष किया। आज़ादी के बाद सरोजिनी नायडू को पहली महिला राज्यपाल बनने का अवसर मिला। भारत में महिलाओं के विकास के लिये सरोजनी नायडू के योगदान को मान्यता देने के लिये उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव भारतीय महिला संघ और अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के सदस्यों द्वारा किया गया था। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय महिला दिवस 13 फरवरी को, जबकि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है।