प्रिलिम्स फैक्ट्स (15 Feb, 2021)



प्रिलिम्स फैक्ट: 15 फरवरी, 2021

थोलपावाकुथु: केरल

Tholpavakkoothu: Kerala

हाल ही में एक रोबोट द्वारा केरल की प्रसिद्ध मंदिर कला थोलपावाकुथु में एक चमड़े की छाया कठपुतली तैयार की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह केरल की एक पारंपरिक मंदिर कला है जो पलक्कड़ और इसके पड़ोसी क्षेत्रों से संबंधित है।
    • यह कला काफी हद तक पलक्कड़ ज़िले के शोरानूर क्षेत्र के पुलवार परिवारों तक ही सीमित है।
  • केरल की प्राचीन कलाकृतियों में थोलपावाकुथु या छाया कठपुतली नाटक का प्रमुख स्थान है। यह आर्य और द्रविड़ संस्कृतियों के एकीकरण का एक अच्छा उदाहरण है।
  • यह पलक्कड़ ज़िले के काली मंदिरों में वार्षिक उत्सवों के दौरान निभाई जाने वाली एक रस्म है।
    • इसे निज़लकुथु (Nizhalkkoothu) और ओलाकुथू (Olakkoothu) के रूप में भी जाना जाता है।
  • नाटक का विषय ‘कंब रामायण’ (महाकाव्य का तमिल संस्करण) पर आधारित है।

उदय:

  • मलयालम में ‘थोल’ का अर्थ है चमड़ा, पावा का अर्थ है गुड़िया और कुथु का नाटक। हालाँकि इस पारंपरिक कला की उत्पत्ति की सही जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन कुछ लोग इसे 1200 वर्ष पुराना मानते हैं।
  • इसका प्रदर्शन पलक्कड़ के भद्रकाली मंदिरों में रामायण की कहानियों को सुनाते हुए किया जाता था।

प्रदर्शन:

  • इस मनोरंजक कला को एक विशेष मंच पर प्रदर्शित किया जाता है जिसे मंदिर प्रांगण में ‘कुथूमदम’ (koothumadam) कहा जाता है।
  • इस कला को लैंप के प्रकाश और अग्नि के साथ-साथ पौराणिक आकृतियों का उपयोग करके प्रदर्शित किया जाता है।
  • मुख्य कठपुतली को 'पुलावन' के रूप में जाना जाता है।

प्रयुक्त संगीत वाद्ययंत्र:

  • एज़ुपारा, चेंदा और मैडलम आदि।

भारत में छाया कठपुतली के क्षेत्रीय नाम

राज्य नाम
आंध्र प्रदेश थोलू बोम्मलता
कर्नाटक तोगलु गोमेयाता
महाराष्ट्र चर्मा बहुली नाट्य
ओडिशा रावनछाया
केरल थोलपावाकुथु
तमिलनाडु थोल बोम्मलता

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 फरवरी, 2021

मांडू महोत्सव-2021

मध्य प्रदेश में धार ज़िले के ऐतिहासिक शहर मांडू में तीन दिवसीय मांडू महोत्सव की शुरुआत हो गई है। महोत्सव में ‘वोकल फॉर लोकल’ के विचार को साकार करने के लिये स्थानीय हस्तनिर्मित उत्पादों को प्रदर्शित किया जा रहा है। इस उत्सव का आयोजन मध्य प्रदेश सरकार और राज्य पर्यटन बोर्ड द्वारा संयुक्त तौर पर किया जा रहा है। मांडू उत्सव के दौरान योग सत्र, साइकिल यात्रा, हेरिटेज वॉक और ग्रामीण भ्रमण आदि शामिल हैं, जिसके पश्चात् स्थानीय कलाकारों द्वारा संगीत समारोह का भी आयोजन किया जाएगा। महोत्सव में मध्य प्रदेश की प्राचीन कला और शिल्प का प्रदर्शन होगा। मांडू, मध्य प्रदेश स्थित एक प्राचीन शहर है। मांडू, पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के धार ज़िले में स्थित है। इस ऐतिहासिक शहर को परमार राजवंश के राजा भोज द्वारा स्थापित किया गया था, जिसके बाद 1304 ईस्वी में दिल्ली के मुस्लिम शासकों द्वारा इस पर कब्ज़ा कर लिया गया।

स्थायी उत्पादन प्रणाली को लेकर समझौता

भारत सरकार, छत्तीसगढ़ सरकार और विश्व बैंक ने छत्तीसगढ़ में स्थायी उत्पादन प्रणाली विकसित करने के लिये 10 करोड़ डॉलर की ऋण परियोजना पर हस्ताक्षर किये हैं, यह राज्य के दूरदराज़ के क्षेत्रों में आदिवासी परिवारों को पूरे वर्ष विविध एवं पौष्टिक खाद्य का उत्पादन करने की अनुमति देगा। इस समझौते के तहत ‘छत्तीसगढ़ समावेशी ग्रामीण और त्वरित कृषि विकास’ परियोजना यानी ‘चिराग’ को राज्य के दक्षिणी आदिवासी बहुल उस क्षेत्र में जल्द-से-जल्द लागू किया जाएगा, जहाँ एक बड़ी आबादी कुपोषण और गरीबी से प्रभावित है। इस परियोजना से छत्तीसगढ़ के आठ ज़िलों के लगभग एक लाख 80 हज़ार से अधिक परिवारों को लाभ मिलेगा। ज्ञात हो कि कृषि भारत में आजीविका का एक प्रमुख साधन है और यह समझौता केंद्र सरकार के वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को भी पूरा करेगा। छत्तीसगढ़ की ‘चिराग’ परियोजना विविध और पौष्टिक भोजन तथा सतत् कृषि प्रणाली की नींव रखेगी। यह छोटे किसानों को किसान उत्पादक संगठनों से जोड़ेगा और लाभदायक बाज़ारों तक उनकी पहुँच में सुधार कर आमदनी बढ़ाएगा।

मध्य प्रदेश में डाकुओं पर आधारित संग्रहालय

जल्द ही मध्य प्रदेश के भिंड में स्थित पुलिस मुख्यालय में डाकुओं पर एक अनूठा संग्रहालय स्थापित किया जाएगा। मध्य प्रदेश के इस संग्रहालय में कई अनोखी वस्तुओं का प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें फूलन देवी और निर्भय गुज्जर आदि से संबंधित वस्तुएँ शामिल हैं। इस संग्रहालय का उद्देश्य डाकुओं का सम्मान करना अथवा उनकी प्रशंसा करना नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य डाकुओं के अपराधों को प्रमुखता से प्रदर्शित करना और अपराधों को रोकने के लिये पुलिस द्वारा किये गए बलिदानों को उजागर करना है। इस संग्रहालय में कुख्यात डाकुओं द्वारा की गई हत्याओं, लूट और अपहरण के मामलों में पिछले पाँच दशकों में पुलिस द्वारा एकत्र किये गए कम-से-कम 2,000 डिजिटल रिकॉर्ड और सामग्री को संकलित किया जाएगा।

विज्ञान ज्योति कार्यक्रम

हाल ही में ‘विज्ञान ज्योति कार्यक्रम’ के दूसरे चरण की शुरुआत करते हुए इस कार्यक्रम का विस्तार देश के 50 और ज़िलों तक कर दिया गया है। लड़कियों की विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाने और उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा ‘विज्ञान ज्योति कार्यक्रम’ की शुरुआत की गई थी। दिसंबर 2019 से यह कार्यक्रम 50 जवाहर नवोदय विद्यालयों में सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है और अब इसे वर्ष 2021-22 के लिये 50 और विद्यालयों में शुरु कर दिया गया है। यह कार्यक्रम स्टेम (STEM- Science, Technology, Engineering and Mathematics) क्षेत्रों में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व की समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है। इस योजना का उद्देश्य स्टेम शिक्षा में महिलाओं का प्रतिशत बढ़ाना है। इस योजना के अंतर्गत छात्राओं के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में विज्ञान शिविर का आयोजन किया जाएगा, साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, कॉर्पोरेट, विश्वविद्यालयों तथा डीआरडीओ जैसे शीर्ष संस्थानों में कार्यरत सफल महिलाओं से शिविर के माध्यम से संपर्क स्थापित कराया जाएगा।