पृथ्वी के निकट क्षुद्रग्रह रयुगु
जापानी अंतरिक्ष एजेंसी के क्षुद्रग्रह नमूना-वापसी मिशन हायाबुसा-2 द्वारा वर्ष 2020 में पृथ्वी पर लाए गए रयुगु नामक एक अंतरिक्ष चट्टान का नमूना पृथ्वी की उत्पत्ति के रहस्य को उद्घाटित कर सकता है।
- यह पहली बार है जब क्षुद्रग्रह के नमूने पृथ्वी पर लाए गए हैं।
क्षुद्रग्रह रयुगु:
- क्षुद्रग्रह रयुगु एक हीरे के आकार की अंतरिक्ष चट्टान है। रयुगु का जापानी में अर्थ है "ड्रैगन पैलेस" जो जापानी लोककथा में एक जादुई जल के नीचे महल को संदर्भित करता है।
- रयुगु की खोज वर्ष 1999 में लिंकन नियर-अर्थ क्षुद्रग्रह अनुसंधान (LINEAR) परियोजना द्वारा की गई थी, जो अंतरिक्ष चट्टानों को सूचीबद्ध करने और ट्रैक करने के लिये एक सहयोगी, अमेरिका-आधारित परियोजना है।
- क्षुद्रग्रह का व्यास लगभग 2,952 फीट (900 मीटर) है।
- रयुगु पृथ्वी और मंगल के बीच सूर्य की परिक्रमा कर रहा है और कभी-कभी पृथ्वी की कक्षा को पार कर जाता है, इसलिये अंतरिक्ष चट्टान को "संभावित रूप से खतरनाक" के रूप में वर्गीकृत किया गया है, हालाँकि निकाय हमारी पृथ्वी के लिये कोई आसन्न खतरा नहीं है।
मुख्य बिन्दु:
- उत्पत्ति:
- सामान्यतया 5% सामग्री, जो 4.5 अरब वर्ष पूर्व पृथ्वी के बनने में प्रयोग हुयी थी, उसी से पृथ्वी के निकट पाए गये क्षुद्रग्रह रयुगु का भी निर्माण हुआ है।
- ये क्षुद्रग्रह के नमूने सौर मंडल में बनने वाले पहले ठोस पदार्थों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसका मतलब है कि वे पृथ्वी के निर्माण खंड हो सकते हैं।
- रयुगु में उल्कापिंडों के एक बहुत ही दुर्लभ समूह के समान ताँबे और जस्ता के आइसोटोप का अनुपात हैं जो संभवतः सबसे प्राचीन (सूर्य के निकटतम रचना वाले) हैं।
- ये साक्ष्य प्राचीन हैं क्योंकि ये संभवतः बाहरी सौर मंडल में बनते हैं, जहाँ वाष्पशील तत्त्व संरक्षित हैं।
- इसके विपरीत, सूर्य के करीब निर्मित सामग्री वाष्पीकरण के कारण अपघटित हो सकती है।
- महत्त्व:
- वाष्पशील पदार्थ रयुगु जैसे क्षुद्रग्रहों की भूमिका का मूल्यांकन करने में मदद कर सकते हैं।
- माना जाता है कि पृथ्वी जैसी रहने योग्य दुनिया बनाने के लिये हाइड्रोजन, कार्बन, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन जैसे वाष्पशील तत्वों ने जटिल कार्बनिक अणुओं को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है|
- यह इस बात का मूल्यांकन करने में भी सहायक हो सकता है कि मंगल ग्रह की उत्पत्ति में रयुगु के समान पदार्थों का योगदान है या नहीं।
- वाष्पशील पदार्थ रयुगु जैसे क्षुद्रग्रहों की भूमिका का मूल्यांकन करने में मदद कर सकते हैं।
क्षुद्रग्रह:
- परिचय:
- क्षुद्रग्रहों को लघु ग्रह भी कहा जाता है।
- ये लगभग 4.6 अरब साल पहले हमारे सौर मंडल के शुरुआती गठन के पश्चात बचे हुए चट्टानी अवशेष हैं।
- अधिकांश क्षुद्रग्रह अनियमित आकार के होते हैं और कुछ गोलाकार होते हैं।
- ऐसा माना जाता है की कई क्षुद्रग्रहों के पास अपना छोटा चंद्रमा होता है (कई के पास दो चंद्रमा होते हैं)।
- बाइनरी (डबल) क्षुद्रग्रह भी होते हैं, जिनमें लगभग समान आकार के दो चट्टानी पिंड एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं। साथ ही ट्रिपल क्षुद्रग्रह प्रणाली भी होती है।
क्षुद्रग्रहों का वर्गीकरण:
- मुख्य क्षुद्रग्रह पेटी: अधिकांश क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित क्षुद्रग्रह पेटी में पाए जाते हैं।
- ट्रोजंस (Trojans): ये क्षुद्रग्रह एक बड़े ग्रह के साथ कक्षा साझा करते हैं, लेकिन इसके साथ टकराते नहीं हैं क्योंकि वे कक्षा में लगभग दो विशेष स्थानों (L4 और L5 लैग्रैन्जियन पॉइंट्स) के आस-पास एकत्रित होते हैं, जहाँ सूर्य और ग्रहों के बीच संतुलित गुरुत्वाकर्षण खिंचाव होता है।
- लैग्रैन्जियन पॉइंट्स अंतरिक्ष में स्थित ऐसे बिंदु हैं, जहाँ सूर्य और पृथ्वी जैसे दो निकायों का गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के क्षेत्रों का निर्माण करता है। इनका उपयोग अंतरिक्षयान द्वारा समान स्थिति में बने रहने के लिये आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने हेतु किया जा सकता है।
- नियर अर्थ ऑब्जेक्ट: इन ऑब्जेक्ट्स की कक्षाएँ पृथ्वी के करीब होती हैं। क्षुद्रग्रह जो वास्तव में पृथ्वी के कक्षीय पथ को पार करते हैं, उन्हें ‘अर्थ-क्रॉसर्स’ (Earth-crossers) के रूप में जाना जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. क्षुदग्रहों तथा धूमकेतु के बीच क्या अंतर होता है? (2011)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
विश्व बंदर दिवस
प्रत्येक वर्ष 14 दिसंबर को विश्व बंदर दिवस मनाया जाता है।
विश्व बंदर दिवस:
- बंदर दिवस बंदरों और अन्य गैर-मानव प्राइमेट्स का जश्न मनाने के लिये शुरू किया गया है।
- प्राइमेट समूह में लेमूर, लोरिस, टार्सियर, बंदर, वानर और मनुष्य जैसे स्तनपायी शामिल हैं।
- विश्व में विभिन्न प्रकार के बंदरों और प्राइमेट्स तथा उनकी परेशानियों में उनकी मदद करने संबंधी जागरूकता बढ़ाने हेतु यह दिवस महत्त्वपूर्ण है।
बंदर के बारे में मुख्य तथ्य:
- परिचय:
- बंदर जिन्हें सिमियन भी कहा जाता है विश्व भर में पाए जाते हैं।
- बंदरों की 250 से अधिक प्रजातियाँ अफ्रीका, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और एशिया में पाई जाती हैं।
- बंदरों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है- पुरानी दुनिया के बंदर और नई दुनिया के बंदर।
- पुरानी दुनिया के बंदर अफ्रीका और एशिया के मूल निवासी हैं जबकि नई दुनिया के बंदर अमेरिका के मूल निवासी हैं, लेकिन उनके वर्गीकरण का आधार एकमात्र घर (निवास) ही नहीं हैं।
- शारीरिक विशेषताएँ:
- वे पिग्मी मा र्मोसेट जैसे कुछ औंस से लेकर मैनड्रिल (80 पाउंड भारी) तक के आकर होते हैं।
- बंदर दो हाथ और दो पैर पर चलते हैं।
- प्राइमेट परिवार के एक सदस्य के रूप में, उन्हें छोटा वानर माना जाता है।
- अधिकांश बंदरों की पूँछ होती है।
- आमतौर पर, नई दुनिया के बंदरों के पास प्रीहेंसाइल पूँछ होती है, जिसका अर्थ है कि वे अपनी पूँछ का प्रयोग वस्तुओं को पकड़ने के लिये करते हैं।
- दूसरी ओर, पुरानी दुनिया के सभी बंदरों की पूँछ होती थी और उसमें वस्तुओं को पकड़ने की क्षमता नहीं होती थी।
IUCN स्थिति:
- इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के अनुसार, लगभग 70% एशियाई प्रजातियाँ, 50% अफ्रीकी प्रजातियाँ और 40% नव-उष्णकटिबंधीय प्रजातियाँ लुप्तप्राय हैं। उनमें से कुछ हैं:
- वेस्टर्न चिंपैंजी: गंभीर रूप से संकटग्रस्त।
- रोलोवे बंदर: गंभीर रूप से संकटग्रस्त।
- लॉयन टेल्ड मकाॅक: लुप्तप्राय।
- डायना बंदर: लुप्तप्राय।
- लंबी पूँछ वाला मकॉक: लुप्तप्राय।
- जी का गोल्डन लंगूर: लुप्तप्राय।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से जानवरों का कौन-सा समूह लुप्तप्राय प्रजातियों की श्रेणी में आता है? ( 2012) (A) ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, कस्तूरी मृग, लाल पांडा और एशियाई जंगली गधा उत्तर: (A) |
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 दिसंबर, 2022
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस प्रतिवर्ष पूरे भारत में '14 दिसम्बर' को मनाया जाता है। भारत में 'ऊर्जा संरक्षण अधिनियम' वर्ष 2001 में 'ऊर्जा दक्षता ब्यूरो' द्वारा स्थापित किया गया था। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो एक संवैधानिक निकाय है, जो भारत सरकार के अंतर्गत आता है और ऊर्जा उपयोग कम करने के लिये नीतियों और रणनीतियों के विकास में मदद करता है। भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं को लागू करने और ऊर्जा, परियोजनाओं, नीति विश्लेषण, वित्त प्रबंधन में विशेषज्ञ पेशेवर, योग्य प्रबंधकों के साथ ही लेखा परीक्षकों की नियुक्ति करना है। भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस का लक्ष्य लोगों में ऊर्जा के महत्त्व के साथ ही साथ बचत और ऊर्जा की बचत के माध्यम से संरक्षण बारे में जागरुक करना है। ऊर्जा संरक्षण का सही अर्थ है- "ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग को कम करके कम ऊर्जा का उपयोग कर ऊर्जा की बचत करना।"
स्वामी महाराज शताब्दी महोत्सव
प्रधानमंत्री ने 14 दिसंबर, 2022 को गुजरात के अहमदाबाद में प्रमुख स्वामी महाराज शताब्दी महोत्सव का उद्घाटन किया। प्रमुख स्वामी महाराज ने असंख्य लोगों के पथ-प्रदर्शक और आध्यात्मिक गुरू के रूप में भारत एवं विश्व को प्रभावित किया। प्रमुख स्वामी महाराज के जन्म शताब्दी वर्ष में दुनियाभर में लोग उनके जीवन और कार्यों का जश्न मानते हैं। वर्ष भर चलने वाले इस समारोह का समापन प्रमुख स्वामी महाराज शताब्दी महोत्सव में होगा, जिसकी मेज़बानी BAPS स्वामीनारायण मंदिर, शाहीबाग द्वारा की जाएगी। 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक अहमदाबाद में शताब्दी महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसमें दैनिक कार्यक्रम, विषयगत प्रदर्शनियाँ और विचार-विमर्श से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। महीने भर का यह कार्यक्रम 14 दिसंबर से शुरू होगा जो 15 जनवरी, 2023 को अहमदाबाद में सम्पन्न होगा।