प्रीलिम्स फैक्ट्स: 14 दिसंबर, 2019
राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण
National Financial Reporting Authority
राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) ने वर्ष 2017-18 के लिये IL & FS वित्तीय सेवा लिमिटेड की लेखापरीक्षा गुणवत्ता समीक्षा (AQR) रिपोर्ट जारी की।
मुख्य बिंदु:
- वर्ष 2018 में अपने गठन के बाद से NFRA की यह पहली लेखापरीक्षा गुणवत्ता समीक्षा (AQR) रिपोर्ट है।
- यह ऑडिट कंपनी अधिनियम 2013 और NFRA नियम- 2018 की धारा 132 (2) (b) के अनुसार आयोजित किया गया था।
IL&FS
- IL&FS एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है जिसे 30 साल पहले भारत में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिये धन एकत्र करने हेतु स्थापित किया गया था।
- यह कंपनी वर्ष 2018 में कर्ज चुकाने में डिफॉल्टर साबित हुई थी जिस कारण इससे जुड़ी अन्य कंपनियों और देश के वित्तीय सेक्टर पर बड़ा खतरा मंडराने लगा था।
राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA):
- इसकी स्थापना कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत वर्ष 2018 में की गई थी।
- NFRA की स्थापना के कारण भारत अब ‘अंतर्राष्ट्रीय फोरम ऑफ इंडिपेंडेंट ऑडिट रेगुलेटर’ की सदस्यता के लिये पात्र है।
अंतर्राष्ट्रीय फोरम ऑफ इंडिपेंडेंट ऑडिट रेगुलेटर:
- इसकी स्थापना 2006 में पेरिस में हुई थी।
- यह एक वैश्विक सदस्य संगठन है जिसमें 53 न्यायालयों के नियामक शामिल हैं।
- यह विश्व स्तर पर ऑडिटिंग में सुधार करके निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाने का काम करता है।
अटल भूजल योजना
Atal Bhujal Yojana
अटल भूजल योजना (ABHY) सामुदायिक भागीदारी के साथ भूजल के सतत प्रबंधन के लिये 6,000 करोड़ रुपए की एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
मुख्य बिंदु:
- यह योजना जल उपयोगकर्त्ता संघों, जल बजट, ग्राम-पंचायत स्तर पर जल सुरक्षा योजनाओं की तैयारी और कार्यान्वयन आदि के माध्यम से लोगों की भागीदारी की परिकल्पना करती है।
- इसका कार्यान्वयन जल शक्ति मंत्रालय (पहले इसे जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के रूप में जाना जाता था ) के द्वारा किया जा रहा है।
- इस योजना को भारत और विश्व बैंक द्वारा 50:50 के आधार पर वित्तपोषित किया जा रहा है।
- इस योजना के कार्यान्वयन के लिये चिंन्हित ‘अति जलदोहन एवं जल-तनाव (Water Stress) वाले क्षेत्र’ गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश हैं।
- राज्यों का चयन भूजल दोहन और क्षरण, स्थापित कानूनी एवं नियामकीय उपकरणों, संस्थागत तैयारी और भूजल प्रबंधन से संबंधित पहलों को लागू करने में अनुभव के अनुसार किया गया है।
मुल्लापेरियार बांध
Mullaperiyar Dam
हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने केरल और तमिलनाडु के बीच मुल्लापेरियार बांध से संबंधित मुद्दे के समाधान के लिये तीन सदस्यीय पर्यवेक्षी समिति का गठन किया है।
- इस मुद्दे को लेकर दोनों राज्यों के बीच तनाव 1960 के बाद से बना हुआ है।
- जिसमें केरल ने बांध की सुरक्षा और बांध के जल स्तर में कमी के बारे में चिंताओं का हवाला दिया।
- तो वहीं इस बांध से तमिलनाडु के पाँच ज़िलों में जलापूर्ति, सिंचाई और बिजली उत्पादन के महत्त्व को देखते हुए तमिलनाडु ने लगातार इसका विरोध किया है।
मुल्लापेरियार बांध:
- मुल्लापेरियार बांध केरल के इडुक्की ज़िले में मुल्लायार और पेरियार नदियों के संगम पर स्थित है।
- इसके द्वारा तमिलनाडु राज्य अपने पाँच दक्षिणी ज़िलों के लिये पीने के पानी और सिंचाई की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- ब्रिटिश शासन के दौरान 999 साल के लिये किये गए एक समझौते के अनुसार, इसके परिचालन का अधिकार तमिलनाडु को सौंपा गया था।
- इस बांध का उद्देश्य पश्चिम की ओर बहने वाली पेरियार नदी के पानी को तमिलनाडु में वृष्टि छाया क्षेत्रों में पूर्व की ओर मोड़ना है।
पेरियार नदी:
- पेरियार नदी 244 किलोमीटर की लंबाई के साथ केरल राज्य की सबसे लंबी नदी है।
- इसे ‘केरल की जीवनरेखा’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह केरल राज्य की बारहमासी नदियों में से एक है।
- पेरियार नदी पश्चिमी घाट की शिवगिरी पहाड़ियों से निकलती है और ‘पेरियार राष्ट्रीय उद्यान’ से होकर बहती है।
- मुख्य सहायक नदियाँ- मुथिरपूझा, मुल्लायार, चेरुथोनी, पेरिनजंकुट्टी
अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कॉन्ग्रेस
International Geological Congress-IGC
भारत, मार्च 2020 में 36वें अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कॉन्ग्रेस (International Geological Congress-IGC) की मेज़बानी करेगा। ध्यातव्य है कि 35वें अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कॉन्ग्रेस का आयोजन केपटाउन, दक्षिण अफ्रीका में वर्ष 2016 में किया गया था।
थीम/विषयवस्तु:
नई दिल्ली में आयोजित होने वाली इस कॉन्ग्रेस की थीम है- “भू-विज्ञान: समावेशी विकास के लिये मूलभूत विज्ञान” (Geosciences: The Basic Science for a Sustainable Future)।
IGC के बारे में:
- अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कॉन्ग्रेस (IGC) पृथ्वी विज्ञान की उन्नति का प्रतिष्ठित वैश्विक मंच है। IGC के प्रथम सत्र का आयोजन वर्ष 1878 में फ्राँस में किया गया था। इसका उद्देश्य वैश्विक भूवैज्ञानिक समुदाय को नियमित अंतराल पर बैठक के लिये एक संगठनात्मक ढाँचा तैयार करने का अवसर प्रदान करना था।
- IGC को भू-वैज्ञानिकों का ओलम्पिक के नाम से भी जाना जाता है।
- इस प्रतिष्ठित वैश्विक भूवैज्ञानिक सम्मेलन का आयोजन चार वर्षों में एक बार किया जाता है। इस सम्मेलन में विश्व के लगभग 5000-6000 भूवैज्ञानिक भाग लेते हैं।
36वाँ IGC
- 36वाँ IGC व्यापक विज्ञान कार्यक्रम है। इस सम्मेलन के लिये खान मंत्रालय (Ministry of Mines) और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) धनराशि उपलब्ध कराएंगे।
- सम्मेलन के आयोजन में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (Indian National Science Academy-INSA) तथा बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका की राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी सहयोग प्रदान करेंगे।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) इस आयोजन की नोडल एजेंसी है।
भारत दूसरी बार करेगा IGC की मेज़बानी
- भारत एकमात्र एशियाई देश है जो दूसरी बार इस सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। भारत ने पहली बार वर्ष 1964 में 22वें IGC (एशिया में पहला) का आयोजन किया था।
- इसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था।