विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 जून, 2021
‘नमस्ते योग’ मोबाइल एप
सातवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के सिलसिले में एक कार्यक्रम के दौरान ‘नमस्ते योग’ नाम से मोबाइल एप की शुरूआत की गई है। इस कार्यक्रम का आयोजन आयुष मंत्रालय ने मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के सहयोग से किया था। ‘नमस्ते योग’ एप को लोगों के लिये एक सूचना मंच के रूप में तैयार किया गया है। ‘नमस्ते योग’ का उद्देश्य योग के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इसे अधिक-से-अधिक लोगों के लिये सुलभ बनाना है। इसके अलावा सामान्य योग प्रोटोकॉल के विभिन्न पहलुओं पर आधारित 10 एपिसोड की एक शृंखला भी शुरु की गई है, जिसे डीडी इंडिया चैनल पर प्रसारित किया जाएगा। ये सभी पहलें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को देखते हुए शुरू की गई हैं। प्रतिवर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया जाता है। विश्व स्तर पर सर्वप्रथम वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया था। 11 दिसंबर 2014 को ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ के 69वें सत्र के दौरान एक प्रस्ताव पारित करके 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस/विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने को मान्यता दी गई थी। ज्ञात हो कि भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के अनुसार, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है, जिसके बाद 21 जून को वर्ष का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन 21 जून को किया जाता है।
विश्व रक्तदाता दिवस
प्रतिवर्ष विश्व स्तर पर 14 जून को ‘विश्व रक्तदाता दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य रक्तदान के महत्त्व के बारे में जागरूकता फैलाना और जीवन बचाने में स्वैच्छिक अवैतनिक रक्तदाताओं के योगदान की पहचान करना है। पहला ‘विश्व रक्तदाता दिवस’ वर्ष 2004 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मनाया गया था और वर्ष 2005 में 58वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में इसे वार्षिक वैश्विक कार्यक्रम के रूप में घोषित किया गया था। यह दिवस ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और चिकित्सक, कार्ल लैंडस्टीनर की जयंती के उपलक्ष में मनाया जाता है, उन्हें आधुनिक रक्त ट्रांसफ्यूज़न का जनक माना जाता है। उन्होंने ही मानव रक्त में उपस्थित एग्ल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्तकणों का A, B और O समूह में वर्गीकरण किया था। इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी इसी खोज के कारण वर्तमान में करोड़ों लोग रोज़ाना रक्तदान करते हैं और लाखों लोगों की जिंदगियाँ बचाई जाती हैं। इस महत्त्वपूर्ण खोज के लिये ही कार्ल लैंडस्टाईन को वर्ष 1930 में नोबल पुरस्कार भी दिया गया था।
मेघा राजगोपालन
भारतीय मूल की पत्रकार मेघा राजगोपालन ने चीन के सामूहिक डिटेंशन शिविरों में उनकी खोजी पत्रिकारिता के लिये अमेरिका का शीर्ष पत्रकारिता पुरस्कार ‘पुलित्जर पुरस्कार’ जीता है। मेघा राजगोपालन ने उपग्रह प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली नवीन रिपोर्टों के लिये यह पुरस्कार जीता है, जिसके तहत उइघुर मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यक जातियों के लिये चीन के सामूहिक डिटेंशन शिविरों की सच्चाई को उजागर किया गया था। मेघा राजगोपालन और उनके सहयोगियों ने चीन के कुल 260 डिटेंशन शिविरों की पहचान की है। पुलित्ज़र पुरस्कार को पत्रकारिता के क्षेत्र में अमेरिका का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है। इस पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1917 में की गई थी, जिसे कोलंबिया विश्वविद्यालय और ‘पुलित्ज़र पुरस्कार बोर्ड’ द्वारा प्रशासित किया जाता है। 'पुलित्ज़र पुरस्कार बोर्ड' का निर्माण कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्त न्यायाधीशों द्वारा होता है। यह पुरस्कार प्रसिद्ध समाचार पत्र प्रकाशक जोसेफ पुलित्ज़र के सम्मान में दिया जाता है। जोसेफ पुलित्ज़र ने कोलंबिया विश्वविद्यालय में पत्रकारिता स्कूल शुरू करने तथा पुरस्कार की शुरुआत करने के लिये अपनी वसीयत से पैसा दिया था। प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक प्रमाण पत्र और 15,000 डॉलर की पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है। ‘सार्वजनिक सेवा श्रेणी’ में पुरस्कार विजेता को स्वर्ण पदक भी दिया जाता है।
नफ्ताली बेनेट
पूर्व तकनीकी उद्यमी ‘नफ्ताली बेनेट’ ने हाल ही में इज़रायल के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। 49 वर्षीय नफ्ताली बेनेट के माता-पिता अमेरिकी मूल के हैं और बेनेट को धार्मिक-राष्ट्रवादी नेता माना जाता है। इज़रायल के कई विशेषज्ञ नफ्ताली बेनेट को ‘अति-राष्ट्रवादी’ के रूप में भी संबोधित करते हैं। उनकी राजनीति पर नज़र रखने वाले जानकारों का मानना है कि वर्ष 2013 में इज़रायल के राजनीतिक परिदृश्य में आने के बाद से उनका रुख व्यापक रूप से ‘अति-राष्ट्रवादी’ ही रहा है। नफ्ताली बेनेट ने वर्ष 2006 से वर्ष 2008 के बीच नेतन्याहू के लिये वरिष्ठ सहयोगी के रूप में काम किया, हालाँकि बाद में वे नेतन्याहू की पार्टी से अलग हो गए। बेनेट को यहूदी राष्ट्र राज्य के एक मज़बूत अधिवक्ता के रूप में जाना जाता है। हालाँकि उन्होंने गाजा पर इज़रायल के दावों की कभी वकालत नहीं की। नफ्ताली बेनेट का इज़रायल के प्रधानमंत्री के रूप में चुना जाना, उन फिलिस्तीनियों के लिये एक बड़ी चुनौती है, जो शांति के लिये बातचीत की वार्ता करते हैं।