प्रीलिम्स फैक्ट्स: 14 मई, 2019
ABHYAS का सफल परीक्षण
हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation-DRDO) ने ओडिशा के चांदीपुर में हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टार्गेट (High-speed Expendable Aerial Target- HEAT) 'ABHYAS' का सफल परीक्षण किया।
- यह एक मानव रहित हवाई वाहन है जो माइक्रोइलेक्ट्रोमैकेनिकल सिस्टम (Microelectromechanical Systems- MEMS) नेविगेशन प्रणाली पर आधारित है।
- यह नेविगेशन और मार्गदर्शन के लिये स्वदेशी रूप से विकसित MEMS-आधारित नेविगेशन प्रणाली का उपयोग करता है।
- MEMS- आधारित INS (जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली) का इस्तेमाल छोटे मानव रहित हवाई वाहनों (Unmanned Aerial Vehicles) में किया जाता है।
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अनुसार, ABHYAS ड्रोन के परीक्षण को विभिन्न राडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिक सिस्टम द्वारा ट्रैक किया गया और सही तरीके से नेविगेशन मोड में रखा गया था।
- 'ABHYAS' ड्रोन को ऑटोपायलट मोड में स्वतंत्र उड़ान हेतु डिज़ाइन किया गया है।
भारतीय गैंडों हेतु डीएनए डेटाबेस
पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश में पाए जाने वाले सभी गैंडों का डीएनए प्रोफाइल बनाने हेतु एक परियोजना की शुरुआत की है।
- डेटाबेस तैयार हो जाने के बाद मारे गए या शिकार किये गए गैंडों की पहचान करने में आसानी होगी।
- यह परियोजना वर्तमान में चल रहे ‘राइनो कंज़र्वेशन प्रोग्राम’ का ही एक हिस्सा है। इस परियोजना की समय-सीमा वर्ष 2021 है।
- गैंडों की तीन प्रजातियाँ हैं, जिनमें से केवल एक (भारतीय गैंडा) देश में पाई जाती है।
- भारत में गैंडों की संख्या लगभग 2,600 है, इनमें से 90% से ज़्यादा गैंडे असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाते हैं।
- भारत में गैंडों की अच्छी खासी आबादी थी जो लगभग पूरे देश में पाई जाती थी। किंतु अवैध शिकार की वज़ह से 20वीं सदी के अंत तक इनकी आबादी महज 200 की संख्या पर सिमट गई थी।
भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनाव प्रबंधन संस्थान
- निर्वाचन आयोग ने जून 2011 में ‘भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनाव प्रबंधन संस्थान’ (India International Institute of Democracy and Election Management-IIDEM) की स्थापना की थी।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनाव प्रबंधन संस्थान (IIDEM) सहभागी लोकतंत्र और चुनाव प्रबंधन हेतु अनुसंधान और प्रशिक्षण का एक उन्नत संसाधन केंद्र है।
- यह संस्थान भारत सरकार, संयुक्त राष्ट्र, स्वीडन के ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस’ (International Institute of Democracy and Electoral Assistance- IDEA) जैसे राष्ट्रमंडल और अंतर-सरकारी संगठनों के सहयोग से विकसित किया गया है।
- ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस’ के चार घटक इस प्रकार हैं-
- प्रशिक्षण और क्षमता विकास
- मतदाता शिक्षा और नागरिक भागीदारी
- अनुसंधान, नवाचार और प्रलेखन
- अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाएँ और तकनीकी सहयोग।
जलकुंभी
जलकुंभी (Water Hyacinth)/(Eichhornia crassipes) एक अत्यधिक आक्रामक खरपतवार है जिसे कई जलीय पारिस्थितिक तंत्रों के लिये खतरा पैदा करने वाला माना जाता है।
- जलकुंभी की समस्या उन जल निकायों या जलाशयों में ज़्यादा होती है जिनमें बहाव धीमे हो।
- जल सतह पर जलकुंभी का घनत्व ज़्यादा होने से अन्य देशी जलीय पौधों पर दुस्प्रभाव पड़ता है। घनत्व ज़्यादा होने से सूर्य का प्रकाश अवरुद्ध होता है और इस प्रकार जलमग्न वनस्पति प्रकाश संश्लेषण में असमर्थ होने के कारण नष्ट होने लगती हैं।
- इसके साथ ही पानी में ऑक्सीजन की भी कमी होने लगती है और इस जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में मछली तथा अन्य जीवों की मृत्यु होने लगती है।
- हालाँकि ऑक्सीकृत जल की उपलब्धता की स्थिति में इसके कई सकारात्मक पर्यावरणीय लाभ भी होते हैं, जैसे- रिफ्यूजिया की उपलब्धता, मछलियों के लिये फीडिंग सेंटर्स।