प्रारंभिक परीक्षा
'रामसे हंट सिंड्रोम'
हाल ही में पॉप सिंगर जस्टिन बीबर ‘रामसे हंट सिंड्रोम’ से प्रभावित हो गए हैं।
रामसे हंट सिंड्रोम:
- परिचय:
- रामसे हंट सिंड्रोम, जिसे ‘हरपीज ज़ोस्टर ओटिकस’ के नाम से भी जाना जाता है, चेहरे की तंत्रिका के ‘जीनिकुलेट गैंग्लियन’ (7वीं कपाल तंत्रिका) पर एक वायरस का संक्रमण है, ये तब होता है जब संक्रमण चेहरे की तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है।
- इससे नसों में सूजन हो जाती है, तो वे कार्य करने की क्षमता खो देती हैं, जिससे अस्थायी रूप से चेहरे पर पक्षाघात हो जाता है।
- शरीर में 12 कपाल तंत्रिकाएँ होती हैं। ‘रामसे हंट सिंड्रोम’ एक वायरल संक्रमण है जो चेहरे की गतिविधियों में शामिल 7वीं कपाल तंत्रिका को प्रभावित करता है।
- हर 1,00,000 लोगों में से केवल पाँच से 10 लोग ही हर साल ‘रामसे हंट सिंड्रोम’ से ही प्रभावित होते हैैं, जिससे यह एक अत्यंत दुर्लभ विकार बन जाता है।
- कारण:
- रामसे हंट सिंड्रोम वैरीसेला ज़ोस्टर वायरस (Varicella Zoster Virus) के पुनर्सक्रियन (Reactivation) होने के कारण होता है जो पहले रोगी में चिकनपॉक्स (Chickenpox) और दाद (Shingles) का कारण बना है।
- यह वायरस हर्पीसवायरस समूह से संबंधित है जो शरीर में एक गुप्त या अप्रत्यक्ष संक्रमण (Latent Infection) के रूप में पाया जा सकता है।
- वैरीसेला ज़ोस्टर वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) के कमज़ोर होने के कारण पुनः सक्रिय हो सकता है।
- हालाँकि यह एक संक्रामक रोग नहीं है, लेकिन उन लोगों में यह चिकनपॉक्स का कारण हो सकता है जिन्हें इस बीमारी का टीका नहीं लगाया गया है।
- लक्षण:
- यह रोग लाल रंग के पैच के रूप में शुरू होता है जो लगातार पैच के दानों में सूजन का कारण बन है। कभी-कभी दाने प्रभावित तंत्रिका के साथ ईयरड्रम, ईयर कैनाल, ईयर लोब, जीभ और मुंँह तक को प्रभावित कर सकते हैं।
- उपचार:
- आमतौर पर इस स्थिति का इलाज करने हेतु एंटीवायरल थेरेपी (Antiviral Therapies) और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग) का उपयोग किया जाता है।
विगत वर्षों के प्रश्नप्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। |
स्रोत-इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 13 जून, 2022
अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़्म जागरूकता दिवस
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रतिवर्ष 13 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़्म जागरूकता दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य ऐल्बिनिज़्म अथवा रंगहीनता के बारे में लोगों को जागरूक करना तथा रंगहीनता से पीड़ित लोगों के मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाना है। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 18 दिसंबर, 2014 को ऐल्बिनिज़्म से पीड़ित लोगों के साथ विश्व में होने वाले भेदभाव के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 13 जून को अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़्म जागरूकता दिवस के रूप मे मनाने की घोषणा की थी। ऐल्बिनिज़्म जन्म के समय से ही मौजूद एक दुर्लभ और आनुवंशिक रूप से विकसित रोग होता है। यह एक प्रकार का गैर-संक्रामक रोग भी है। यह मानव शरीर में मेलेनिन (Melanin) के उत्पादन में शामिल एंजाइम के अभाव में त्वचा, बाल एवं आँखों में रंजक या रंग के संपूर्ण या आंशिक अभाव द्वारा चिह्नित किया जाने वाला एक जन्मजात विकार है। ऐल्बिनिज़्म से पीड़ित लगभग सभी लोग दृष्टिबाधित होते हैं और उनमें त्वचा कैंसर होने का अधिक खतरा होता है। भारत में वर्तमान में ऐल्बिनिज़्म से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 1,00,000 है।
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन-2021 रिपोर्ट
हाल ही में केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन-2021 रिपोर्ट का दूसरा संस्करण जारी किया। यह रिपोर्ट राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का आकलन करके तैयार की गई है। रिपोर्ट में नागरिकों को ऑनलाइन सेवाएंँ देने में केंद्रीय मंत्रालयों की प्रभावकारिता पर विशेष बल दिया गया है। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अनुसार रिपोर्ट में सरकारों को अपनी ई-गवर्नेंस सेवा वितरण प्रणाली में सुधार के लिये सुझाव भी दिये गए हैं। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन-2021 में सात क्षेत्रों से जुड़ी सेवाएंँ शामिल हैं। इनमें वित्त, श्रम और रोज़गार, शिक्षा, स्थानीय शासन तथा उपयोगिता सेवाएंँ, समाज कल्याण, पर्यावरण एवं पर्यटन क्षेत्र शामिल हैं। ई-गवर्नेंस को सरकार द्वारा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के उपयोग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिससे सरकारी सेवाओं, सूचनाओ का आदान-प्रदान और विभिन्न स्टैंडअलोन सिस्टम तथा सेवाओं का एकीकरण किया जा सके। ई-गवर्नेंस के माध्यम से नागरिकों और व्यवसायों को सुविधाजनक, कुशल और पारदर्शी तरीके से सरकारी सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
रूस दिवस
वर्ष 1991 में 12 जून को ही रूसी संघ की संप्रभुता की घोषणा को स्वीकार किया गया था। इस दिन को रूस दिवस के रूप में भी जाना जाता है। 12 जून, 1990 को सोवियत संघ के नेताओं ने रूस संघ की संप्रभुता की घोषणा पर हस्ताक्षर किये थे। 12 जून के इस अवकाश को अधिक देशभक्तिपूर्ण भावनाओं को बढ़ावा देने के लिये, रूस के पहले राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने वर्ष 1997 में इसका नाम बदलकर रूस दिवस करने का सुझाव दिया (अवकाश का मूल नाम राज्य संप्रभुता की घोषणा पर हस्ताक्षर करने का दिन था)। यह नामकरण वर्ष 2002 में हुआ जब रूसी संसद ने रूस के श्रम संहिता के एक नए संस्करण को अपनाया, यह रूस में लोकतांत्रिक सुधारों की शुरुआत का प्रतीक तथा सोवियत संघ के आधिकारिक विघटन की दिशा में पहला कदम था। इस दिन रूसी लोग देश भर के कई शहरों में होने वाले संगीत समारोहों और आतिशबाजी में शामिल होते हैं। प्रमुख रूसी लेखकों, वैज्ञानिकों और मानवीय कार्यकर्त्ताओं को इस दिन रूस के राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार प्रदान किया जाता हैं। 12 जून को अधिकांश सार्वजनिक कार्यालय और स्कूल बंद रहते हैं।