प्रधानमंत्री ने प्रथम राष्ट्रीय प्रशिक्षण सम्मेलन का उद्घाटन किया
भारत के प्रधानमंत्री ने इंटरनेशनल एग्जीबिशन और कन्वेंशन सेंटर, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में पहले राष्ट्रीय प्रशिक्षण सम्मेलन का उद्घाटन किया।
- प्रधानमंत्री ने जन भागीदारी, स्वच्छ भारत मिशन और अमृत सरोवर के महत्त्व पर बल दिया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने iGOT कर्मयोगी प्लेटफॉर्म पर भी प्रकाश डाला जो सभी स्तरों पर सरकारी कर्मियों के लिये प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करता है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- यह सम्मेलन या कॉन्क्लेव सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCSCB) - 'मिशन कर्मयोगी' का हिस्सा है।
- इस सम्मेलन की मेज़बानी क्षमता निर्माण आयोग द्वारा की जा रही है।
- क्षमता निर्माण आयोग का गठन वर्ष 2021 में किया गया था जो विभागों, मंत्रालयों और एजेंसियों की वार्षिक क्षमता निर्माण योजनाओं को तैयार करने की सुविधा प्रदान करता है।
- केंद्र सरकार के विभागों, राज्य सरकारों और स्थानीय सरकारों के सिविल सेवकों के साथ-साथ निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ विचार-विमर्श में भाग लेंगे।
- उद्देश्य:
- यह सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा, साथ ही देश भर में सिविल सेवकों हेतु प्रशिक्षण के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करेगा।
- प्रमुख क्षेत्र:
- इस सम्मेलन में आठ पैनल चर्चाएँ होंगी, जिनमें से प्रत्येक सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों से संबंधित प्रमुख चिंताओं जैसे- संकाय विकास, प्रशिक्षण प्रभाव मूल्यांकन और सामग्री डिजिटलीकरण पर केंद्रित होगी।
मिशन कर्मयोगी
- NPCSCB- मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य संस्थागत और प्रक्रियात्मक सुधारों के माध्यम से नौकरशाही में क्षमता निर्माण को बढ़ाना है।
- यह भारतीय सिविल सेवकों को अधिक रचनात्मक, कल्पनाशील, अभिनव, सक्रिय, पेशेवर, प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी सक्षम बनाकर भविष्य के लिये तैयार करने की परिकल्पना करता है।
iGOT कर्मयोगी प्लेटफॉर्म:
- iGOT कर्मयोगी एक ऑनलाइन शिक्षण मंच है जिसे सभी सरकारी कर्मचारियों की क्षमता निर्माण के लिये डिजिटल इंडिया स्टैक के अभिन्न अंग के रूप में विकसित किया जा रहा है।
- यह लगभग 2.0 करोड़ उपयोगकर्त्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिये 'कभी भी-कहीं भी-किसी भी उपकरण' की शिक्षा प्रदान करेगा जो अब तक पारंपरिक उपायों के माध्यम से प्राप्त करना असंभव था।
स्रोत: पी.आई.बी.
सागर समृद्धि
हाल ही में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (Ministry of Ports, Shipping & Waterways- MoPSW) ने सरकार की 'वेस्ट टू वेल्थ' पहल में तेज़ी लाने हेतु ऑनलाइन निकर्षण/ड्रेजिंग निगरानी प्रणाली 'सागर समृद्धि' लॉन्च की है।
ड्रेजिंग:
- ड्रेजिंग झीलों, नदियों, बंदरगाहों और अन्य जल निकायों के तल से तलछट और मलबे को हटाना है।
- यह आवश्यक है क्योंकि समय के साथ तलछट का निर्माण होता है और यह गाद जलमार्ग पर नावों एवं जहाज़ों के सुरक्षित परिवहन में बाधा उत्पन्न करता है।
- ड्रेजिंग का मुख्य उद्देश्य परिवहन चैनलों, लंगरगाहों और बर्थिंग क्षेत्रों की गहराई को बनाए रखना या बढ़ाना है ताकि वस्तुओं के साथ ये बड़े जहाज़ आसानी से परिवहन कर सकें। यह अर्थव्यवस्था हेतु महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि ये जहाज़ देश के आयात के महत्त्वपूर्ण हिस्से हेतु परिवहन को सुलभ बनाते हैं।
सागर समृद्धि:
- परिचय:
- इस प्रणाली को MoPSW की तकनीकी शाखा, बंदरगाहों, जलमार्गों और तटों के लिये राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र (NTCPWC) द्वारा विकसित किया गया है।
- प्रणाली पुराने ड्राफ्ट एंड लोडिंग मॉनीटर (DLM) सिस्टम में सुधार करती है।
- प्रणाली का उद्देश्य उत्पादकता, अनुबंध प्रबंधन को बढ़ाना है और ड्रेज्ड सामग्री के प्रभावी पुन: उपयोग को बढ़ावा देना है।
- यह देश की तकनीकी क्षमताओं को मज़बूत करते हुए आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के विज़न के साथ संरेखित है।
- क्षमता:
- वास्तविक समय निकर्षण प्रगति रिपोर्ट
- दैनिक और मासिक प्रगति विज़ुलाइज़ेशन
- ड्रेजर प्रदर्शन और डाउनटाइम निगरानी
- लोडिंग, अनलोडिंग और निष्क्रिय समय के स्नैपशॉट के साथ आसान स्थान ट्रैक डेटा
- महत्त्व:
- प्रौद्योगिकी के माध्यम से मानव त्रुटि को कम करके प्रणाली परियोजना कार्यान्वयन में सुधार करती है, ड्रेजिंग लागत कम करती है, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देती है और पारदर्शिता एवं दक्षता को बढ़ाती है।
- प्रमुख बंदरगाहों और जलमार्गों पर वार्षिक रखरखाव ड्रेजिंग लगभग 100 मिलियन क्यूबिक मीटर है, जिसके लिये भारतीय बंदरगाह तथा अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 1000 करोड़ रुपए खर्च किये जाते हैं।
- परिशिष्ट को लागू करने और 'सागर समृद्धि' प्रणाली का उपयोग करने से ड्रेजिंग लागत में काफी कमी आएगी, जिससे पारदर्शिता व दक्षता सुनिश्चित की जा सकेगी।
- यह प्रणाली बेहतर परियोजना नियोजन में सहायता करती है, परिचालन लागत को कम करती है और डीप ड्राफ्ट बंदरगाहों के विकास की सुविधा प्रदान करती है।
- प्रौद्योगिकी के माध्यम से मानव त्रुटि को कम करके प्रणाली परियोजना कार्यान्वयन में सुधार करती है, ड्रेजिंग लागत कम करती है, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देती है और पारदर्शिता एवं दक्षता को बढ़ाती है।
भारत में ड्रेजिंग से संबंधित अन्य दिशा-निर्देश:
- MoPSW ने वर्ष 2021 में 'प्रमुख बंदरगाहों के लिये ड्रेजिंग दिशा-निर्देश' जारी किये, जिसमें नियोजन और तैयारी, तकनीकी जाँच, ड्रेजिंग सामग्री प्रबंधन, ड्रेजिंग की लागत का अनुमान लगाने आदि की प्रक्रिया को रेखांकित किया गया, ताकि प्रमुख बंदरगाह अपनी ड्रेजिंग परियोजनाओं की योजना बना सकें तथा उन्हें समय पर पूरा कर सकें।
- मार्च 2023 में मंत्रालय ने प्रमुख बंदरगाहों के लिये ड्रेजिंग दिशा-निर्देशों को अद्यतित किया, जिसमें बिडिंग दस्तावेज़ों में एक प्रावधान शामिल है, जो 'वेस्ट टू वेल्थ' की अवधारणा के माध्यम से ड्रेजिंग लागत को कम करने में मदद करता है।
- यह ड्रेज्ड सामग्री के लिये कई लाभप्रद उपयोगों की सिफारिश करता है, जिसमें निर्माण परियोजनाएँ और समुद्र तट को बेहतर बनाने जैसे पर्यावरणीय संवर्द्धन कार्य शामिल हैं।
राष्ट्रीय बंदरगाह, जलमार्ग एवं तट प्रौद्योगिकी केंद्र (NTCPWC):
- NTCPWC की स्थापना अप्रैल 2023 में IIT मद्रास में 77 करोड़ रुपए के कुल निवेश के साथ MoPSW के सागरमाला कार्यक्रम के तहत की गई थी।
- इस केंद्र का उद्देश्य देश में एक मज़बूत समुद्री उद्योग के निर्माण के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में समाधान सुनिश्चित करते हुए समुद्री क्षेत्र के लिये अनुसंधान एवं विकास को सक्षम बनाना है।
- इस अत्याधुनिक केंद्र में बंदरगाह, तटीय और जलमार्ग क्षेत्र के सभी विषयों के लिये अनुसंधान तथा परामर्श प्रकृति की 2D एवं 3D जाँच की विश्व स्तरीय क्षमताएँ उपलब्ध हैं।
स्रोत: पी.आई.बी.
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 जून, 2023
"हमारी भाषा, हमारी विरासत" एवं 75वाँ अंतर्राष्ट्रीय अभिलेखागार दिवस
संस्कृति राज्य मंत्रालय ने नई दिल्ली में भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में आज़ादी के अमृत महोत्सव (AKAM) के तहत "हमारी भाषा, हमारी विरासत' प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जो 75वें अंतर्राष्ट्रीय अभिलेखागार दिवस के उपलक्ष्य में है। भारत यहाँ बोली जाने वाली 788 से अधिक भाषाओं के साथ दुनिया में भाषायी रूप से विविध राष्ट्रों में से एक है और यह प्रदर्शनी इस विविधता को प्रोत्साहित करने का प्रयास करती है। इस प्रकार भारत पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया एवं नाइजीरिया के साथ विश्व के चार सबसे भाषायी रूप से विविध देशों में से एक है। इस प्रदर्शनी में शामिल प्राचीन गिलगित पांडुलिपियाँ (5वीं-6वीं शताब्दी CE के बीच लिखी गईं, जो भारत में सबसे पुराना जीवित पांडुलिपि संग्रह है), तत्त्वार्थ सूत्र (प्राचीन जैन पाठ), रामायण तथा श्रीमद भगवद् गीता आदि सहित कई मूल पांडुलिपियाँ हैं। इसके अलावा भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार ने 72,000 से अधिक पाण्डुलिपियों को भौतिक रूप से और डिजिटलीकरण के माध्यम से उपलब्ध कराया है, जिससे विश्व भर के लोगों तक उनकी पहुँच सुनिश्चित हो गई है। अंतर्राष्ट्रीय अभिलेखागार दिवस, अभिलेखागार व पुरालेखपालों के महत्त्व एवं मूल्यों के उत्सव और जागरूकता का दिवस है। यह वर्ष 2008 से प्रत्येक वर्ष 9 जून को मनाया जाता है, जब 1948 में यूनेस्को के तत्त्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय अभिलेखागार परिषद (International Council on Archives- ICA) को स्थापिय किया गया था।
और पढ़ें…भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार, यूनेस्को
बिरसा मुंडा
भारतीय प्रधानमंत्री ने 9 जून को प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी नेता भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को हुआ था, वे मुंडा जनजाति से संबंधित थे। उन्होंने बिरसैत नामक एक धर्म का प्रसार किया जिसने कई आदिवासी अनुयायियों को आकर्षित किया। उन्होंने आदिवासियों की ज़मीनों पर कब्ज़ा कर रहे और उन्हें अमानवीय कार्य परिस्थितियों में कार्य करने के लिये बाध्य कर रहे ब्रिटिश अधिकारियों और ज़मींदारों के खिलाफ "उलगुलान" या "मुंडा विद्रोह" (1899-1900) का आयोजन एवं नेतृत्व किया। उन्होंने शोषण मुक्त समाज की कल्पना की और जनजातीय समुदायों के अधिकारों और सम्मान की मांग की। व्यापक रूप से उन्हें लोक नायक तथा जनजातीय प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में सम्मानित किया जाता है। "झारखंड" का अर्थ है "वनों की भूमि", जिसे पौराणिक भगवान बिरसा मुंडा की जयंती अर्थात् 15 नवंबर, 2000 को बिहार पुनर्गठन अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया।
शक्ति योजना
कर्नाटक सरकार ने 'शक्ति' योजना आरंभ की है। यह योजना राज्य द्वारा संचालित सड़क परिवहन निगमों (RTC) द्वारा प्रदान की जाने वाली गैर-प्रीमियम बस सेवाओं में महिलाओं को मुफ्त यात्रा प्रदान करती है। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को कार्यबल में शामिल करने तथा राज्य एवं देश के विकास में योगदान देने के लिये सशक्त बनाना है। सरकार आवेदन प्राप्त करने के बाद महिलाओं को 'शक्ति स्मार्ट कार्ड' जारी करेगी और इस बीच वे मुफ्त यात्रा हेतु पात्रता के प्रमाण के रूप में केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी किसी भी पहचान पत्र का उपयोग कर सकती हैं। यह योजना उन महिलाओं तक सीमित है जो कर्नाटक की अधिवासी हैं तथा कुछ अपवादों के साथ RTC द्वारा संचालित सामान्य एवं एक्सप्रेस सेवाओं पर लागू होती है। इसके अतिरिक्त पात्र सेवाओं में 50% सीटें पुरुषों के लिये आरक्षित हैं।
पीएम स्वनिधि
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के आँकड़ों के मुताबिक, दक्षिणी राज्यों में महिलाएँ उत्तर में अपने समकक्षों की तुलना में उच्च दर पर स्ट्रीट वेंडर्स, पीएम-स्वनिधि के लिये ऋण योजना का लाभ उठा रही हैं। देश में योजना के कुल लाभार्थियों में से 41% महिलाएँ हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे दक्षिणी राज्यों में अधिकांश महिला लाभार्थी हैं, जिनका प्रतिशत 50% से 70% के बीच है। हालाँकि पूर्वोत्तर राज्यों में लाभार्थियों की कुल संख्या कम है, महिलाओं का एक उच्च प्रतिशत इस योजना से लाभान्वित हो रहा है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार तथा राजस्थान जैसे उत्तरी राज्यों में महिला लाभार्थियों का प्रतिशत कम है, लेकिन पूर्ण संख्या अभी भी महत्त्वपूर्ण है। पीएम स्वनिधि एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जो पूरी तरह से आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित है। इसका उद्देश्य कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा देना, नियमित पुनर्भुगतान को प्रोत्साहित करना एवं डिजिटल लेन-देन को पुरस्कृत करना है।