प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 12 मई, 2020
गोपाल कृष्ण गोखले की 154वीं जयंती
154th Birth Anniversary of Gopal Krishna Gokhale
09 मई, 2020 को देशभर में स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले (Gopal Krishna Gokhale) की 154वीं जयंती मनाई गई।
प्रमुख बिंदु:
- गोपाल कृष्ण गोखले भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक भारतीय उदारवादी राजनीतिक नेता एवं समाज सुधारक थे।
- गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई, 1866 को महाराष्ट्र (तब बंबई प्रेसीडेंसी का हिस्सा) के रत्नागिरी ज़िले में हुआ था।
- गोखले ने वर्ष 1884 में मुंबई के एल्फिंस्टन कॉलेज से स्नातक किया। अंग्रेजी शिक्षा ने उन्हें पश्चिमी राजनीतिक विचारों से अवगत कराया परिणामतः वे ‘जॉन स्टुअर्ट मिल’ और एडमंड बर्क जैसे सिद्धांतकारों के महान प्रशंसक बन गए।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका:
- गोखले वर्ष 1889 में भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस के सदस्य बने और एक प्रमुख समाज सुधारक महादेव गोविंद रानाडे के प्रभाव में आए।
- वर्ष 1905 में भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस के बनारस अधिवेशन के लिये गोखले को अध्यक्ष पद के लिये चुना गया था यह वह समय था जब लाला लाजपत राय और बाल गंगाधर तिलक के नेतृत्व में ‘नरमपंथियों’ और ‘अतिवादियों’ के समूह के बीच मतभेद पैदा हो गए। और वर्ष 1907 में काॅन्ग्रेस सूरत अधिवेशन में दोनों गुट अलग हो गए।
- वर्ष 1899-1902 के दौरान वह बॉम्बे विधान परिषद के सदस्य थे और वर्ष 1902-1915 तक ‘इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल’ में कार्य किया।
- गोखले ने वर्ष 1909 के ‘मार्ले-मिंटो सुधार’ को तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- एक उदार राष्ट्रवादी के रूप में वे महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु थे। महात्मा गांधी ने गोपाल कृष्ण गोखले पर गुजराती भाषा में एक पुस्तक 'धर्मात्मा गोखले' लिखी।
शिक्षा एवं समाज सुधारक के रूप में:
- उन्होंने भारतीय शिक्षा के विस्तार के लिये वर्ष 1905 में ‘सर्वेंट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना की।
- वह महादेव गोविंद रानाडे द्वारा शुरू की गई ‘सार्वजनिक सभा पत्रिका’ से भी जुड़े थे।
- वर्ष 1908 में गोखले ने ‘रानाडे इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स’ की स्थापना की।
- उन्होंने अंग्रेजी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘द हितवाद’ शुरू किया।
- गोखले की विचारधारा सामाजिक सशक्तीकरण, शिक्षा के विस्तार, भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के लिये प्रतिक्रियावादी या क्रांतिकारी तरीकों के इस्तेमाल को खारिज़ करने पर आधारित थी।
29वाँ राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस
29th National Technology Day
भारत ने 11 मई, 2020 को अपना 29वाँ राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस (National Technology Day) मनाया।
- इस दिवस को पहली बार 11 मई, 1999 को मनाया गया था।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की वैज्ञानिक एवं तकनीकी उपलब्धियों का स्मरण करना है।
प्रमुख बिंदु:
- इस दिवस को शुरु कराने में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अहम भूमिका थी।
- प्रत्येक वर्ष इस दिन को ‘टेक्नोलॉजी डवलपमेंट बोर्ड ऑफ इंडिया’ (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय) भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योगदान के लिये व्यक्तियों को राष्ट्रीय पुरस्कार देकर सम्मानित करने के रूप में मनाता है।
- इस वर्ष का मुख्य फोकस ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से अर्थव्यवस्था को रिबूट करना’ है।
महत्त्व:
- यह वह दिन है जब भारत ने 11 मई, 1998 को पोखरण में परमाणु बमों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था।
- भारत ने पोखरण-2 जिसे ‘ऑपरेशन शक्ति’ (Operation Shakti) भी कहा जाता है, नामक ऑपरेशन में ‘शक्ति-1 परमाणु मिसाइल’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था।
- यह मई 1974 में पोखरण-I के ‘ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा’ के बाद दूसरा परीक्षण था।
अटल पेंशन योजना
Atal Pension Yojana
भारत सरकार की प्रमुख सामाजिक सुरक्षा योजना ‘अटल पेंशन योजना’ (Atal Pension Yojana) ने सफल कार्यान्वयन के पाँच वर्ष पूरे कर लिये हैं।
प्रमुख बिंदु:
- इस योजना की शुरुआत 9 मई, 2015 को की गई थी। यह योजना विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों पर केंद्रित है।
- अटल पेंशन योजना में शामिल होने के लिये न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम आयु 40 वर्ष निर्धारित की गई है।
- इस योजना के तहत अब तक 2.23 करोड़ श्रमिकों को पेंशन के दायरे में लाया जा चुका है, यह योजना भारत की तेज़ी से बढ़ती हुई जनसंख्या चुनौतियों के समाधान के लिये अभी भी प्रासंगिक है।
- इस योजना को पूरे देश में बड़े पैमाने पर लागू किया गया है जिसमें सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में इस योजना से जुड़ने वालों में पुरुषों एवं महिलाओं का अनुपात 57:43 का है।
- इस योजना को ‘पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण’ (Pension Fund Regulatory and Development Authority- PFRDA) द्वारा प्रशासित या संचालित किया जाता है।
स्वस्थ वायु
SwasthVayu
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) की ‘नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरी’ ने महज 36 दिन के रिकार्ड समय में COVID-19 से संक्रमित रोगियों का इलाज करने के लिये एक ‘नान-इनवेसिव बीपैप (बाई लेवल पॉज़िटिव एयर वे प्रेशर-BiPAP) वेंटिलेटर’ ‘स्वस्थ वायु’ (SwasthVayu) विकसित किया है।
प्रमुख बिंदु:
- यह एक वेंटिलेटर मशीन है जो गंभीर रूप से असमर्थ रोगी द्वारा सांस लेने वाली हवा को फेफड़ों के अंदर एवं बाहर ले जाने के लिये ‘यांत्रिक वेंटिलेशन’ प्रदान करती है।
- ‘नान-इनवेसिव बीपैप (बाई लेवल पॉजिटिव एयर वे प्रेशर- BiPAP) वेंटिलेटर’ एक माइक्रोकंट्रोलर आधारित सटीक ‘क्लोज-लूप एडेप्टिव कंट्रोल सिस्टम’ (Closed-Loop Adaptive Control System) है।
- इसमें ‘अत्यधिक कुशल पार्टिकुलेट एयर फिल्टर’ (HEPA) तथा ‘3D प्रिंटेड मैनीफोल्ड एंड कपलर’ का उपयोग किया गया है।
महत्त्व:
- इस वेंटीलेटर मशीन का सबसे अधिक लाभ यह है कि इसके इस्तेमाल के लिये किसी स्पेशल नर्सिंग की आवश्यकता नहीं है और इसे किसी वार्ड, अस्थायी अस्पताल या डिस्पेंसरी में भी इस्तेमाल किया जा सकता है साथ ही नर्सिंग स्टाफ को इसके लिये प्रशिक्षित करने की भी ज़रूरत नहीं है।
- इसे स्वदेशी उपकरण एवं तकनीक से तैयार किया गया है। इसे ‘राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड’ (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories-NABL) की मान्यता प्राप्त एजेंसियों ने प्रमाणित किया है।