प्रीलिम्स फैक्ट्स: 11 नवंबर, 2019
इन्फोसिस पुरस्कार-2019
Infosys Prize-2019
हाल ही में इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन (Infosys Science Foundation- ISF) ने 11वें इन्फोसिस पुरस्कारों की घोषणा की है।
पुरस्कार के बारे में:
- यह पुरस्कार समकालीन शोधकर्त्ताओं और वैज्ञानिकों की उत्कृष्ट उपलब्धियों का सम्मान करने के लिये छह श्रेणियों में प्रतिवर्ष दिया जाता है।
- इस पुरस्कार के अंतर्गत प्रत्येक श्रेणी के लिये एक स्वर्ण पदक, एक प्रशस्ति पत्र और 100,000 डॉलर (USD) की राशि प्रदान की जाती है।
पुरस्कार की छह श्रेणियाँ और वर्ष 2019 के लिये घोषित नाम:
- इंजीनियरिंग और कंप्यूटर विज्ञान- सुनीता सरावगी
- ह्यूमैनिटीज- मनु वी. देवदेवन
- लाइफ साइंस- मंजुला रेड्डी
- गणितीय विज्ञान- सिद्धार्थ मिश्रा
- भौतिक विज्ञान- जी. मुगेश
- सामाजिक विज्ञान- आनंद पांडियन
इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन
इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन की स्थापना एक गैर-लाभकारी ट्रस्ट के रूप में वर्ष 2009 में हुई थी।
बिलासुर्गम गुफा
Billasurgam caves
आंध्र प्रदेश के कुन्नूर ज़िले में अवस्थित बिलासुर्गम गुफा (Billasurgam Caves) के जीर्णोद्धार की योजना बनाई जा रही है।
बिलासुर्गम गुफा का इतिहास:
- भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, ये गुफाएँ लगभग 5,000 वर्ष से अधिक पुरानी हैं।
- इन गुफाओं की खोज सर्वप्रथम प्रसिद्ध ब्रिटिश भू-वैज्ञानिक रॉबर्ट ब्रूस फूट (Robert Bruce Foote) ने वर्ष 1884 में की थी।
- चेन्नई के पल्लावरम में पेलियोलिथिक काल के पत्थर के औजारों की खोज भी रॉबर्ट ब्रूस फूट द्वारा की गई थी।
- बिलासुर्गम गुफा की खुदाई के दौरान पाए गए विभिन्न प्रकार के पत्थर के औजार, जानवरों के अवशेष और मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े प्रागैतिहासिक काल में मानव गतिविधि के अस्तित्व को दर्शाते हैं।
ऑपरेशन माँ
Operation 'Maa'
जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन माँ (Operation 'Maa') के माध्यम से इस वर्ष लगभग 50 युवक, आतंकी संगठनों को छोड़कर समाज की मुख्य धारा में शामिल हुए हैं।
ऑपरेशन माँ के बारे में:
- यह ऑपरेशन सेना के चिनार कोर द्वारा चलाया गया।
- यह एक प्रकार का मानवीय ऑपरेशन है जिसके अंतर्गत घरों से लापता हुए युवाओं का पता लगाकर और उनके परिजनों से संपर्क कर उन्हें वापस घर लाना था।
वैश्विक जलवायु आपातकाल
Global Climate Emergency
हाल ही में दुनिया भर के 153 देशों के लगभग 11,000 से अधिक वैज्ञानिकों ने वैश्विक जलवायु आपातकाल की घोषणा की है।
वैश्विक जलवायु आपातकाल के आधार:
- बायोसाइंस ज़र्नल में भारत के 69 वैज्ञानिकों सहित विश्व के 11,258 हस्ताक्षरकर्त्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के रुझान को प्रस्तुत किया तथा इससे निपटने के तरीकों को भी शामिल किया है।
- जलवायु आपातकाल की घोषणा 40 वर्षों से अधिक समय तक किये गए वैज्ञानिक विश्लेषण के डेटा पर आधारित है।
- इस डेटा में ऊर्जा उपयोग, पृथ्वी का तापमान, जनसंख्या वृद्धि, भूमि क्षरण, वृक्षों की कटाई, ध्रुवीय बर्फ का द्रव्यमान, प्रजनन दर, सकल घरेलू उत्पाद और कार्बन उत्सर्जन सहित एक व्यापक क्षेत्र को कवर करने वाले सार्वजनिक कारक शामिल है।
- वैज्ञानिकों ने उन छह क्षेत्रों को चिंहित किया है जिनमें मानव को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिये तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
- इनमें ऊर्जा, अल्पकालिक प्रदूषक, प्रकृति, भोजन, अर्थव्यवस्था और जनसंख्या शामिल हैं।
सुझाव:
वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये निम्नलिखित सुझाव दिये हैं-
- जीवाश्म ईंधन की जगह अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल
- मीथेन गैस जैसे प्रदूषकों का उत्सर्जन रोकना
- पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा
- वनस्पति जन्य भोजन का इस्तेमाल और मांसाहार भोजन न करना
- कार्बन मुक्त अर्थव्यवस्था का विकास
- जनसंख्या को कम करना
शंघाई सहयोग संगठन संयुक्त अभ्यास
SCOJtEx-2019
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा शहरी भूकंप खोज और बचाव पर शंघाई सहयोग संगठन संयुक्त अभ्यास (SCOJtEx-2019) का आयोजन किया गया।
अभ्यास के बारे में:
- इस चार दिवसीय अभ्यास का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय खोज एवं बचाव सलाहकार समूह (International Search & Rescue Advisory Group- INSARAG) की कार्यप्रणाली और दिशा निर्देशों के तहत किया गया है।
- भारत की ओर से SCOJtEx-2019 के नवीनतम संस्करण की मेज़बानी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (National Disaster Management Force- NDRF) द्वारा की गई।
भागीदार
- इस अभ्यास में शंघाई सहयोग संगठन के सभी 08 सदस्य देश- भारत, चीन, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान प्रतिभागी के रुप में शामिल थे।
उद्देश्य
- SCOJtEx का उद्देश्य भूकंप के संदर्भ में बहु-एजेंसी अभियानों (Multi-Agency Operations) को शामिल करते हुए समन्वय और सहयोग को बढ़ाने का अवसर प्रदान करना है।
- इसके अलावा प्रतिभागी देशों के आपसी समन्वय के लिये आपदा प्रतिक्रिया तंत्र का पूर्वाभ्यास, ज्ञान का आदान-प्रदान, अनुभव और तकनीक आदि साझा करना इसका उद्देश्य है।