प्रिलिम्स फैक्ट्स: 11 सितंबर, 2021
ATL Space Challenge 2021
एटीएल स्पेस चैलेंज 2021
हाल ही में ‘नीति आयोग’ के ‘अटल इनोवेशन मिशन’ ने ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (इसरो) और ‘केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड’ के सहयोग से 'एटीएल स्पेस चैलेंज 2021' लॉन्च किया है।
- इससे पहले जून 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिये अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने का फैसला किया था और साथ ही निजी कंपनियों को भारत की अंतरिक्ष अवसंरचना का उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये एक नई इकाई- ‘भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र’ (IN-SPACe) के निर्माण को मंज़ूरी दी थी।
प्रमुख बिंदु
- एटीएल स्पेस चैलेंज 2021
- इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों को एक स्वतंत्र मंच प्रदान किया जा सके, जहाँ वे डिजिटल युग से संबंधित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी समस्याओं को हल करने हेतु स्वयं को नवाचार के लिये सक्षम कर सकें।
- एटीएल (अटल टिंकरिंग लैब्स) और गैर-एटीएल दोनों स्कूलों के छात्र अपनी प्रविष्टियाँ जमा कर सकते हैं। इसके तहत स्कूल के शिक्षक, एटीएल प्रभारी और संरक्षक, छात्र टीमों का समर्थन करेंगे।
- ‘अटल टिंकरिंग लैब्स’ पहल के तहत छात्रों को अपने विचारों को आकार देने और प्रयोगशालाओं में अभिनव प्रयोग करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये विशिष्ट प्रयोगशालाओं की स्थापना हेतु स्कूलों को अनुदान दिया जाता है।
- यह विश्व अंतरिक्ष सप्ताह 2021 के साथ संरेखित है, जो अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के योगदान के महत्त्व को रेखांकित करने हेतु प्रतिवर्ष 4-10 अक्तूबर तक मनाया जाता है।
- यह ऐसे समय में शुरू किया गया है जब ‘ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स’ (विश्व बौद्धिक संपदा संगठन द्वारा जारी) रैंकिंग में भारत के स्थान में बढ़ोतरी हेतु सरकार द्वारा कई प्रयास किये जा रहे हैं।
- अटल इनोवेशन मिशन:
- ‘अटल इनोवेशन मिशन’ देश में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की प्रमुख पहल है।
- इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये नए कार्यक्रमों और नीतियों को विकसित करना, विभिन्न हितधारकों हेतु एक मंच और सहयोग के अवसर प्रदान करना, जागरूकता पैदा करना तथा देश के नवाचार
- पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी के लिये एक अम्ब्रेला संरचना का निर्माण करना है।
- प्रमुख पहलें:
- अटल टिंकरिंग लैब्स: भारतीय स्कूलों में समस्या समाधान मानसिकता विकसित करना।
- अटल इनक्यूबेशन सेंटर: विश्व स्तर पर स्टार्टअप को बढ़ावा देना और इनक्यूबेटर मॉडल में एक नया आयाम जोड़ना।
- अटल न्यू इंडिया चैलेंज: उत्पाद नवाचारों को बढ़ावा देना और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों/मंत्रालयों की ज़रूरतों के अनुरूप बनाना।
- मेंटर इंडिया कैंपेन: मिशन की सभी पहलों का समर्थन करने हेतु यह सार्वजनिक क्षेत्र, कॉरपोरेट्स और संस्थानों के सहयोग से एक राष्ट्रीय मेंटर नेटवर्क है।
- अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर: टियर-2 और टियर-3 शहरों सहित देश के असेवित क्षेत्रों में समुदाय केंद्रित नवाचार एवं विचारों को प्रोत्साहित करना।
- लघु उद्यमों हेतु अटल अनुसंधान और नवाचार (ARISE): सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों में नवाचार एवं अनुसंधान को प्रोत्साहित करना।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 सितंबर, 2021
यूनिवर्सल ब्रदरहुड डे
वर्ष 1893 में शिकागो में भारतीय विचारक और अध्यात्मवादी स्वामी विवेकानंद द्वारा दिये गए ऐतिहासिक भाषण की याद में प्रतिवर्ष 11 सितंबर को ‘यूनिवर्सल ब्रदरहुड डे’ मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद द्वारा यह प्रतिष्ठित भाषण 11 सितंबर से 27 सितंबर, 1893 तक आयोजित पहली विश्व धर्म संसद में दुनिया भर के प्रतिनिधियों के बीच दिया गया था। यह भाषण अपने शुरुआती शब्दों- ‘अमेरिकी बहनों और भाइयों’ के लिये काफी लोकप्रिय है, जिसके लिये उन्हें दो मिनट का लंबा स्टैंडिंग ओवेशन मिला था। अपने भाषण में उन्होंने धार्मिक सर्वोच्चता के विचार का विरोध किया और न केवल पारस्परिक सहिष्णुता एवं धार्मिक स्वीकृति के संदेश का प्रचार किया, बल्कि दोनों को परिभाषित करने तथा दोनों के बीच अंतर को स्पष्ट करने का भी प्रयास किया। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को हुआ और उनके बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। वह रामकृष्ण परमहंस के मुख्य शिष्य एवं भिक्षु थे। उन्होंने वेदांत और योग के भारतीय दर्शन का परिचय पश्चिमी दुनिया को कराया। विवेकानंद का विचार है कि सभी धर्म एक ही लक्ष्य की ओर ले जाते हैं, जो उनके गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस के आध्यात्मिक प्रयोगों पर आधारित है। विवेकानंद एक मानवतावादी चिंतक थे, उनके अनुसार मनुष्य का जीवन ही एक धर्म है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग
पंजाब कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी सरदार इकबाल सिंह लालपुरा ने हाल ही में ‘राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग’ के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला है। अल्पसंख्यक आयोग एक सांविधिक निकाय है, जिसकी स्थापना राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत की गई थी। यह निकाय भारत के अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों और हितों की रक्षा हेतु अपील के लिये एक मंच के रूप में कार्य करता है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के मुताबिक, आयोग में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष समेत कुल सात सदस्य का होना अनिवार्य है, जिसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन समुदायों के सदस्य शामिल हैं। प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल पद धारण करने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि तक होता है। एक महत्त्वपूर्ण निकाय के रूप में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) भारत के अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्त्व प्रदान करता है, जिससे उन्हें लोकतंत्र में अपने आप को प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है। आयोग ने अतीत में कई महत्त्वपूर्ण सांप्रदायिक दंगों और संघर्षों की जाँच की है, उदाहरण के लिये वर्ष 2011 के भरतपुर सांप्रदायिक दंगों की जाँच आयोग ने की थी तथा वर्ष 2012 में बोडो-मुस्लिम संघर्ष की जाँच के लिये भी आयोग ने एक दल असम भेजा था।
भारतीय वायु सेना के लिये ‘MRSAM’ प्रणाली
भारतीय वायु सेना को हाल ही में ‘मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल’ (MRSAM) प्रणाली प्राप्त हुई है। यह मिसाइल प्रणाली 110 किलोमीटर की दूरी से विमान को नष्ट कर सकती है और एक साथ 16 लक्ष्यों पर 24 मिसाइलों को लॉन्च करने में सक्षम है। इस प्रणाली को ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (DRDO) द्वारा ‘इज़रायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़’ के साथ 'मेक इन इंडिया' पहल के अनुरूप विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य रक्षा उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। इज़रायल की ‘बराक मिसाइल’ से लैस यह एक सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली है, जिसका अर्थ है कि यह ध्वनि की गति से भी अधिक गति से यात्रा कर सकती है। इस मिसाइल प्रणाली को कम समय में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाया जा सकता है। टर्मिनल चरण के दौरान उच्च गतिशीलता प्राप्त करने के लिये यह मिसाइल स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट मोटर और नियंत्रण प्रणाली का उपयोग करती है। इससे पूर्व भारतीय नौसेना को भी MRSAM का एक अन्य संस्करण प्रदान किया गया था और जल्द ही थलसेना को यह मिसाइल प्रणाली प्रदान की जाएगी।
पृथ्वी का सबसे उत्तरी द्वीप
शोधकर्त्ताओं ने ग्रीनलैंड के पास एक छोटे, निर्जन एवं अब तक अज्ञात द्वीप की खोज की है, जो कि अनुमान के मुताबिक, पृथ्वी का सबसे उत्तरी द्वीप है। 60×30 मीटर का यह द्वीप समुद्र तल से तीन मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इससे पहले ‘ओडाक्यू’ (Oodaaq) द्वीप को पृथ्वी के सबसे उत्तरी इलाके के रूप में चिह्नित किया गया था। यह नया द्वीप समुद्र तल की मिट्टी और मोराइन यानी मिट्टी, चट्टान एवं अन्य सामग्री जो ग्लेशियरों में गति के कारण पीछे छूट जाती है, से मिलकर बना है और इस द्वीप पर किसी भी प्रकार की वनस्पति नहीं है। शोधकर्त्ताओं के समूह ने सुझाव दिया है कि इस द्वीप को 'क्यूकर्टाक अवन्नारलेक' (Qeqertaq Avannarleq) नाम दिया जाए, ग्रीनलैंडिक भाषा में इसका अर्थ है ‘सबसे उत्तरी द्वीप’।