प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 10- 09- 2019
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘आँगन’
भवन निर्माण क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, ‘आंगन’ की शुरुआत 09 सितंबर, 2019 को नई दिल्ली में की गई।
- भारत-जर्मनी तकनीकी सहयोग के तहत GIZ (अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये सोसाइटी- Gesellschaft für Internationale Zusammenarbeit) की सहायता से ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency-BEE) ने इस सम्मेलन का आयोजन किया है।
- इस तीन दिवसीय सम्मेलन में 16 देशों के प्रतिनिधि, स्थानीय निकायों के प्रतिनिधि और विशेषज्ञ आदि भाग ले रहे हैं।
- भाग ले रहे विशेषज्ञ व्यावसायिक और आवासीय भवनों के डिज़ाइन तथा निर्माण के क्षेत्र में ऊर्जा दक्ष विकल्पों एवं प्रौद्योगिकियों के विषय पर विचार-विमर्श करेंगे।
- एक अनुमान के मुताबिक, भवन ऊर्जा दक्षता गतिविधियों में 2000 बिलियन रुपए के निवेश से 388 बिलियन यूनिट बिजली की बचत हो सकती है।
- यह सम्मेलन संसाधनों की दक्षता पर विचार-विमर्श करने हेतु एक मंच उपलब्ध कराएगा।
पृष्ठभूमि
- उपभोक्ताओं को उचित और किफायती दर पर ऊर्जा उपलब्ध कराने हेतु भवन निर्माण जैसे क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता आवश्यक है।
- आधुनिक तकनीक, वित्तीय सहायता, ऊर्जा दक्ष उपकरण आदि को लेकर जागरूकता की कमी के कारण इस क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता औसत रही है।
- सम्मेलन के दौरान ऊर्जा दक्ष भवन निर्माण सामग्री आपूर्तिकर्त्ताओं, प्रौद्योगिकी आपूर्तिकर्त्ताओं, अनुसंधान संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों पर आधारित एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जाएगा।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की उच्च मृत्यु दर को देखते हुए, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने केंद्र सरकार को पक्षियों के संरक्षण के लिये समयबद्ध कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है।
- NGT ने एक संयुक्त समिति का गठन भी किया है जिसमें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, विद्युत मंत्रालय, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारी शामिल हैं।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने एक रिपोर्ट में यह कहा था कि थार क्षेत्र में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और अन्य वन्यजीवों के अवैध शिकार को कम करने के लिये उचित कदम उठाए जाने चाहिये।
- उल्लेखनीय है कि ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ को भारतीय चरागाहों की प्रमुख प्रजाति (Flagship Species of Indian grassland) के रूप में जाना जाता है जो मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पाया जाता है।
- इस पक्षी का वैज्ञानिक नाम आर्डीओटिस नाइग्रीसेप्स (Ardeotis Nigriceps) है, जबकि मल्धोक, घोराड येरभूत, गोडावण, तुकदार, सोन चिरैया आदि इसके प्रचलित स्थानीय नाम हैं।
- ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ राजस्थान का राजकीय पक्षी है, जहाँ इसे गोडावण नाम से भी जाना जाता है।
- ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ की जनसंख्या में अभूतपूर्व कमी के कारण अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) ने इसे संकटग्रस्त प्रजातियों में भी ‘गंभीर संकटग्रस्त’ (Critically Endangered) प्रजाति के तहत सूचीबद्ध किया है।
- भारत में सोन चिरैया के शिकार पर पूर्णतः पाबंदी है। वर्तमान समय में यह संकट इसलिये भी गहरा गया है कि घटते मैदान तथा रेगिस्तान में बेहतर सिंचाई व्यवस्था न होने के कारण इनके प्राकृतिक निवास यानी घास के मैदान कम होते जा रहे हैं।
मेक इन इंडिया के तहत पहला मेट्रो कोच
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में देश का पहला ‘मेक इन इंडिया मेट्रो कोच’ लॉन्च किया है। उल्लेखनीय है कि यह मेट्रो कोच BEML लिमिटेड द्वारा निर्मित है।
- BEML लिमिटेड (पूर्व में भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड) एक मिनीरत्न श्रेणी -1 की कंपनी है।
- इसकी स्थापना मई 1964 में रेल कोच और स्पेयर पार्ट्स तथा खनन उपकरणों के निर्माण के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के रूप में की गई थी।
- इसका मुख्यालय कर्नाटक के बंगलूरू में स्थित है तथा इसके तत्त्वावधान में 9 विनिर्माण इकाइयाँ कार्यरत हैं।
- सार्वजनिक क्षेत्र की यह कंपनी अब तीन प्रमुख कार्यक्षेत्रों के अंतर्गत कार्य करती है-
- खनन और निर्माण
- रक्षा
- रेल और मेट्रो