प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मत्स्य पालन विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) की एक उप-योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) पर चर्चा करने के लिये एक बैठक आयोजित बुलाई।
नोट:
- मत्स्य पालन और जलकृषि क्षेत्र, जिसे "सूर्योदय क्षेत्र" कहा जाता है, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, आजीविका सृजित करने और भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- क्षेत्र के विकास को समर्थन प्रदान करने के लिये मत्स्य पालन और जलकषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF) तथा नीली क्रांति जैसी कई योजनाएँ शुरू की गई हैं।
- वित्त वर्ष 2022-23 में समुद्री उत्पादों के निर्यात में 26.73% की वृद्धि के साथ भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक और मत्स्य उत्पादों का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
- रोज़गार की दृष्टि से यह क्षेत्र देश में 28 मिलियन से अधिक लोगों की आजीविका का आधार है।
प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) क्या है?
परिचय:
- सरकार द्वारा फरवरी 2024 में वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2026-27 तक चार वर्षों की अवधि के लिये केंद्रीय क्षेत्र की उप-योजना प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (PM-MKSSY) को मंजूरी प्रदान की गई।
उद्देश्य:
- बेहतर सेवा वितरण के लिये राष्ट्रीय मत्स्य पालन डिजिटल प्लेटफॉर्म (NFDF) के तहत कार्य आधारित डिजिटल पहचान के निर्माण द्वारा असंगठित मत्स्य पालन क्षेत्र का क्रमिक रूप से औपचारिकीकरण।
- मत्स्यपालकों और सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिये संस्थागत वित्त तक अधिक पहुँच की सुविधा प्रदान करना।
- वित्तीय संसाधनों तक पहुँच को सुगम बनाता है, तथा मत्स्यपालकों को वित्तपोषण एवं स्थिर विकल्पों के साथ सशक्त बनाता है।
- जलकृषि बीमा के उपयोग को प्रोत्साहित करना, जोखिमों को कम करना और आपूर्ति शृंखला गुणवत्ता नियंत्रण के लिए ट्रेसेबिलिटी को शामिल करना।
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) क्या है?
परिचय:
- मत्स्य पालन विभाग द्वारा संचालित कार्यक्रम PMMSY का उद्देश्य नीली क्रांति के लिये भारत के मत्स्य उद्योग को सतत् और ज़िम्मेदार तरीके से विकसित करना है।
- यह मछुआरों के कल्याण को सुनिश्चित करते हुए क्षेत्र के व्यापक विकास पर ध्यान केंद्रित करती है।
- PMMSY को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के लिये कार्यान्वित किया जा रहा है।
उद्देश्य:
- PMMSY मत्स्य पालन, उत्पादकता, गुणवत्ता और बुनियादी ढाँचे में अंतराल को को कम कर मछुआरों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण की गारंटी देते हुए मूल्य शृंखला का आधुनिकीकरण करता है।
PMMSY के लक्ष्य:
- मत्स्य पालन और उत्पादकता:
- वर्ष 2018-19 में 13.75 मिलियन मीट्रिक टन से वर्ष 2024-25 तक मत्स्य उत्पादन को बढ़ाकर 22 मिलियन मीट्रिक टन करना।
- जलकृषि उत्पादकता को वर्तमान राष्ट्रीय औसत 3 टन से बढ़ाकर 5 टन प्रति हेक्टेयर करना।
- घरेलू मत्स्य खपत को प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम से बढ़ाकर 12 किलोग्राम करना।
- आर्थिक मूल्य संवर्द्धन:
- कृषि सकल मूल्य संवर्द्धन (GVA) में मत्स्य पालन क्षेत्र का योगदान वर्ष 2018-19 के 7.28% से बढ़ाकर वर्ष 2024-25 तक लगभग 9% करना।
- निर्यात आय को वर्ष 2018-19 के 46,589 करोड़ रुपए से दोगुना करके वर्ष 2024-25 तक 1,00,000 करोड़ रुपए तक पहुँचाना।
- मत्स्य पालन क्षेत्र में निजी निवेश और उद्यमशीलता के विकास को सुविधाजनक बनाना।
- फसल-उपरांत होने वाली हानि को 20-25% से घटाकर लगभग 10% करना।
- आय और रोज़गार सृजन में वृद्धि:
- मूल्य शृंखला में 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर सृजित होंगे।
- मछुआरों एवं मत्स्यपालकों की आय दोगुनी करना।
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महत्त्वपूर्ण सरकारी योजनाएँ - प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना
RNA एडिटिंग
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका की जैव प्रौद्योगिकी कंपनी वेव लाइफ साइंसेज़, नैदानिक स्तर पर RNA एडिटिंग द्वारा आनुवंशिक समस्या का इलाज करने वाली पहली कंपनी बन गई है।
RNA एडिटिंग के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- RNA एडिटिंग, मैसेंजर RNA (mRNA) न्यूक्लियोटाइड को एडिट करने (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) द्वारा mRNA निर्मित करने के बाद लेकिन प्रोटीन संश्लेषण शुरू होने से पहले) की प्रक्रिया है।
- mRNA एक्सॉन और इंट्रॉन नामक भागों से बना होता है। एक्सॉन अंततः प्रोटीन के लिये कोड करते हैं जबकि इंट्रॉन गैर-कोडिंग भाग होते हैं और प्रोटीन बनाने के लिये उपयोग किये जाने से पहले यह RNA से अलग हो जाते हैं।
- प्रकार: RNA मोडिफिकेशन तीन प्रकार से होता है अर्थात् युग्मन, विलोपन और प्रतिस्थापन।
- युग्मन का आशय न्यूक्लियोटाइड का शामिल होना है। विलोपन का आशय किसी न्यूक्लियोटाइड को हटाना जबकि प्रतिस्थापन का आशय एक न्यूक्लियोटाइड को दूसरे से बदलना है।
- क्रियाविधि: इस तकनीक में एडेनोसिन डीएमीनेज नामक एंज़ाइम्स का एक समूह शामिल होता है जो RNA (ADAR) पर कार्य करता है।
- वैज्ञानिक ADAR के प्रभावों को गाइड्स RNA (या gRNA) के साथ जोड़ते हैं, जो ADAR को mRNA के विशिष्ट भाग तक ले जाता है, जहाँ ADAR निर्दिष्ट कार्य करता है।
- नैदानिक उपयोग: वेव लाइफ साइंसेज़ ने WVE-006 नामक थेरेपी के माध्यम से α-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी (AATD) नामक एक वंशानुगत विकार के उपचार के लिये RNA संपादन का उपयोग किया।
- हंटिंगटन डिसीज़, ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, मोटापा, पार्किंसंस रोग, तंत्रिका संबंधी विकार, हृदय रोग और अन्य स्थितियों का उपचार RNA एडिटिंग द्वारा किया जा सकता है।
नोट:
- इसकी अस्थायी प्रकृति के कारण बार-बार उपचार की आवश्यकता, वर्तमान वितरण प्रणालियाँ (जैसे लिपिड नैनोकण और एडेनो-संबंधित वायरस (AAV) वेक्टर), बड़े अणुओं को समायोजित करने, जैसी चुनौतियाँ का सामना करना पड़ता हैं।
राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA)
- परिभाषा एवं संरचना: RNA एक न्यूक्लिक अम्ल है जो सभी जीवित कोशिकाओं में मौजूद रहता है।
- यह संरचनात्मक रूप से DNA के समान है, लेकिन आमतौर पर सिंगलˈस्ट्रैन्डिड् वाला होता है।
- इसका आधार अल्टरनेटिव रूप से बेस (एडेनिन (A), साइटोसिन (C), गुआनिन (G) और यूरैसिल (U)), राइबोज शुगर और फॉस्फेट से बना होता है।
- RNA के प्रकार:
- मैसेंजर RNA (mRNA): प्रोटीन संश्लेषण के लिये DNA से राइबोसोम तक आनुवंशिक जानकारी पहुँचाता है।
- राइबोसोमल RNA (rRNA): राइबोसोम संरचना का आधार है और प्रोटीन संश्लेषण को उत्प्रेरित करता है।
- ट्रांसफर RNA (tRNA): प्रोटीन संश्लेषण के दौरान अमीनो एसिड को राइबोसोम में स्थानांतरित करता है।
- रेगुलेटरी RNA: जीन अभिव्यक्ति विनियमन में भूमिका निभाते हैं।
- कार्यात्मक महत्त्व: RNA कोशिकीय प्रक्रियाओं जैसे कोशिकाओं का निर्माण, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और अमीनो एसिड के परिवहन में आवश्यक भूमिका निभाता है।
- वायरस में भूमिका: कुछ वायरस में RNA, आनुवंशिक पदार्थ होता है।
RNA और DNA एडिटिंग में क्या अंतर है?
पहलू |
DNA एडिटिंग |
RNA एडिटिंग |
स्थायित्व बनाम अस्थायित्व |
स्थायी: इससे किसी व्यक्ति के जीनोम में स्थायी परिवर्तन होता है, जिससे समस्या होने पर अपरिवर्तनीय त्रुटियाँ हो सकती हैं। |
अस्थायी: इससे RNA में अस्थायी परिवर्तन होता है जो समय के साथ कम प्रभावी हो जाते हैं, जिससे समस्या उत्पन्न होने पर चिकित्सा बंद करने की सुविधा रहने के साथ दीर्घकालिक जोखिम कम हो जाते हैं। |
रोग प्रतिरोधक क्षमता का पता लगना |
इसमें प्रायः CRISPR-Cas9 या बैक्टीरिया से प्राप्त अन्य उपकरणों का उपयोग किया जाता है जो बाह्य प्रोटीन के कारण प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर कर सकते हैं। |
इसमें मानव कोशिकाओं में स्वाभाविक रूप से मौजूद ADAR एंजाइम का उपयोग होता है, जिससे प्रतिरक्षा या एलर्जी प्रतिक्रियाओं का जोखिम कम होता है। यह बार-बार उपचार और प्रतिरक्षा संवेदनशीलता वाले लोगों के लिये उपयुक्त है। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. मानव प्रजनन प्रौद्योगिकी में अभिनव प्रगति के संदर्भ में "प्राक्केन्द्रिक स्थानांतरण ”(Pronuclear Transfer) का प्रयोग किस लिये होता है। (2020) (a) इन विट्रो अंड के निषेचन के लिये दाता शुक्राणु का उपयोग उत्तर: (d) प्रश्न: प्राय: समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है? (2019) (a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची उत्तर: (a) प्रश्न. विज्ञान में हुए अभिनव विकासों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही नहीं है? (2019) (a) विभिन्न जातियों की कोशिकाओं से लिये गए DNA के खंडों को जोड़कर प्रकार्यात्मक गुणसूत्र रचे जा सकते है। उत्तर: (a) |
डिजिटल जनसंख्या घड़ी
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
बेंगलुरु में पहली डिजिटल जनसंख्या घड़ी (डिजिटल पाॅपुलेशन क्लॉक) का उद्घाटन सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन संस्थान (ISEC) में ISEC और केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
- केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा पूरे भारत में 18 जनसंख्या अनुसंधान केंद्रों में इसी प्रकार की डिजिटल जनसंख्या घड़ियाँ स्थापित की जा रही हैं ।
- यह घड़ी वास्तविक समय में जनसंख्या अपडेट (Real-Time Population Updates) प्रदान करती है, यह प्रत्येक 1.10 मिनट (एक मिनट 10 सेकंड) पर राज्य की जनसंख्या और प्रत्येक 2 सेकंड पर देश की जनसंख्या के आँकड़े अपडेट करेगी।
- इसकी परिशुद्धता उपग्रह संचार के माध्यम से बनाए रखी जाती है, जो सटीक, वास्तविक समय आँकड़े अपडेट करती है।
- ISEC की स्थापना वर्ष 1972 में सामाजिक विज्ञान में अंतःविषय अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिये एक अखिल भारतीय संस्थान के रूप में की गई थी।
और पढ़ें: भारत की जनसांख्यिकी क्षमता
G20 महामारी कोष
स्रोत: द हिंदू
भारत सरकार ने महामारी की तैयारी और बचाव और भारत में पशु स्वास्थ्य सुरक्षा सुदृढ़ीकरण” पर महामारी निधि परियोजना शुरू की। यह महामारी निधि परियोजना 25 मिलियन डॉलर की है, जी G20 महामारी निधि द्वारा वित्तपोषित किया गया है।
- इस पहल की शुरुआत कोविड-19 जैसी महामारियों के बचाव में की गई है, जो जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों के जोखिम को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
- फंड/निधि के बारे में:
- इसे एशियाई विकास बैंक (ADB), खाद्य और कृषि संगठन (FOA) और विश्व बैंक के सहयोग से लागू किया जाएगा तथा इसका उपयोग अगस्त, 2026 तक किया जा सकता है।
- इस निधि का उद्देश्य ज़ूनोटिक रोगों (वे रोग जो पशुओं से उत्पन्न होते हैं और मनुष्यों में फैल जाते हैं) की निगरानी और प्रबंधन के लिये एक मज़बूत ढाँचा तैयार करना है।
- मुख्य उद्देश्य:
- पशु स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं का उन्नयन एवं विस्तार तथा प्रयोगशाला नेटवर्क का विकास करना।
- प्रारंभिक चेतावनी के लिये जीनोमिक और पर्यावरण निगरानी सहित रोग निगरानी को बढ़ाना ।
- बेहतर रोग प्रबंधन के लिये सीमा पार सहयोग को मज़बूत करना ।
- पशुधन क्षेत्र के लिये आपदा प्रबंधन ढाँचा तैयार करना।
- भारत की स्वास्थ्य संबंधी कमज़ोरियाँ:
- मानव रोग उत्पन्न करने वाले 60% रोगाणु घरेलू पशुओं या वन्यजीवों से उत्पन्न होते हैं।
- उभरते हुए मानव रोगाणुओं में से 75% पशुजन्य हैं।
- वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा सूचकांक में भारत का स्कोर 42.8 रहा है, जो महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय जोखिमों और सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों को दर्शाता है।
अधिक पढ़ें: नई दिल्ली में 18वाँ G20 शिखर सम्मेलन
नमो ड्रोन दीदी
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (DoA&FW) ने कृषि सेवाओं के लिये ड्रोन प्रौद्योगिकी के माध्यम से दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) पहल के तहत 14,500 महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को सशक्त बनाने के उद्देश्य से नमो ड्रोन दीदी योजना शुरू की।
उद्देश्य:
- महिला स्वयं सहायता समूहों का सशक्तीकरण: उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग के लिये किराये पर ड्रोन सेवाएँ प्रदान करने हेतु स्वयं सहायता समूहों को सुविधा प्रदान करना, फसल की पैदावार बढ़ाने और परिचालन लागत को कम करने के लिये प्रौद्योगिकी अपनाने को बढ़ावा देना।
योजना की मुख्य विशेषताएँ:
- केंद्रीय वित्तीय सहायता ड्रोन की लागत का 80% (8 लाख रुपए तक) शामिल करती है।
- कृषि अवसंरचना वित्तपोषण सुविधा (AIF) के माध्यम से अतिरिक्त वित्तपोषण विकल्प उपलब्ध हैं।
- व्यापक पैकेज में आवश्यक सामान (बैटरी, स्प्रे उपकरण, औज़ार) के साथ एक ड्रोन और एक वर्ष की वारंटी शामिल है।
- महिला स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों में से एक को ड्रोन पायलट के रूप में 15 दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान करना अनिवार्य है तथा कृषि प्रयोजन के लिये पोषक तत्त्वों और कीटनाशकों के प्रयोग हेतु अतिरिक्त प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा।
शासी एजेंसियाँ
- केंद्रीय स्तर पर: सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति:
- कृषि एवं किसान कल्याण विभाग
- ग्रामीण विकास विभाग
- उर्वरक विभाग
- नागरिक उड्डयन मंत्रालय
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय।
- राज्य-स्तरीय कार्यान्वयन: प्रमुख उर्वरक कंपनियाँ (LFC) प्रभावी ड्रोन वितरण एवं उपयोग के लिये राज्य विभागों और स्वयं सहायता समूहों के साथ समन्वय करती हैं।
और पढ़ें: संगठन से समृद्धि: DAY-NRLM