प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट: 09 जून, 2021
CEO वाटर मैंडेट
(CEO Water Mandate)
हाल ही में NTPC लिमिटेड, प्रतिष्ठित संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पेक्ट (United Nations’ Global Compact) के CEO वाटर मैंडेट (CEO Water Mandate) का हस्ताक्षरकर्त्ता बन गया है।
- NTPC लिमिटेड विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत भारत की सबसे बड़ी विद्युत कंपनी है।
प्रमुख बिंदु
CEO वाटर मैंडेट
- यह संयुक्त राष्ट्र महासचिव (UN Secretary-General) और संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट (UN Global Compact) की एक विशेष पहल है, जिसे पैसिफिक इंस्टिट्यूट के साथ साझेदारी में क्रियान्वित किया जाता है। इसकी स्थापना वर्ष 2007 में की गई थी।
- यह पहल जल, स्वच्छता और सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDGs) पर बिज़नेस लीडर्स को एकजुट करती है तथा जल एवं स्वच्छता के एजेंडे को बेहतर बनाने के लिये कंपनियों की प्रतिबद्धता व प्रयासों को प्रदर्शित करती है।
- CEO वाटर मैंडेट को जल संबंधी व्यापक रणनीतियों और नीतियों के विकास, कार्यान्वयन एवं प्रस्तुतीकरण में कंपनियों की सहायता हेतु अभिकल्पित किया गया है।
- यह कंपनियों को समान विचारधारा वाले व्यवसायों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, सार्वजनिक प्राधिकरणों, नागरिक समाज संगठनों और अन्य प्रमुख हितधारकों के साथ साझेदारी करने के लिये एक प्लेटफाॅर्म भी प्रदान करता है।
- इसके तहत प्रतिबद्धता के छह क्षेत्र हैं:
- प्रत्यक्ष संचालन (यानी जल के उपयोग को मापना और कम करना)।
- आपूर्ति शृंखला और जल-विभाजन प्रबंधन।
- सामूहिक कार्य।
- सार्वजनिक नीति।
- सामुदायिक सहभागिता।
- पारदर्शिता।
संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट:
- संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट विश्व भर के व्यवसायों को स्थायी और सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार नीतियों को अपनाने तथा उनके कार्यान्वयन पर रिपोर्ट करने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु एक गैर-बाध्यकारी संयुक्त राष्ट्र संधि है।
- यह मानव अधिकारों, श्रम, पर्यावरण और भ्रष्टाचार विरोधी क्षेत्रों में दस सिद्धांतों को बताते हुए व्यवसायों के लिये एक सिद्धांत-आधारित ढाँचा है।
- ग्लोबल कॉम्पैक्ट के तहत, कंपनियों को संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, श्रम समूहों और नागरिक समाज के साथ लाया जाता है। सिटीज़ प्रोग्राम के माध्यम से शहर भी ग्लोबल कॉम्पैक्ट में शामिल हो सकते हैं।
- भारत भी संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पेक्ट का हिस्सा है।
अन्य पहलें जो कंपनियों को पर्यावरण संरक्षण का हिस्सा बनाती हैं:
- इंडस्ट्रियल डीप डीकार्बोनाइज़ेशन इनिशिएटिव (IDDI):
- यह सार्वजनिक और निजी संगठनों का एक वैश्विक गठबंधन है जो न्यून कार्बन औद्योगिक सामग्री की मांग को प्रोत्साहित करने के लिये काम कर रहा है।
- राष्ट्रीय सरकारों के सहयोग से IDDI कार्बन आकलन को मानकीकृत करने, महत्त्वाकांक्षी सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के खरीद लक्ष्यों को स्थापित करने, न्यून कार्बन उत्पाद विकास में निवेश को प्रोत्साहित करने और उद्योग के दिशा-निर्देशों को डिज़ाइन करने के लिये काम करता है।
- UNIDO (संयुक्त राष्ट्र विकास औद्योगिक संगठन) द्वारा समन्वित, IDDI का नेतृत्त्व यूनाइटेड किंगडम और भारत द्वारा किया जाता है।
- रेस टू ज़ीरो अभियान:
- रेस टू ज़ीरो संयुक्त राष्ट्र समर्थित वैश्विक अभियान है जिसमें गैर-राज्यीय संस्थाओं (कंपनियाँ, विभिन्न शहर, वित्तीय और शैक्षणिक संस्थान) को शामिल किया गया है। यह वर्ष 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन को आधा करने और एक स्वस्थ, स्वच्छ, ज़ीरो-कार्बन वाले विश्व के निर्माण हेतु कठोर और तत्काल कार्रवाई को प्रोत्साहित करता है।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 09 जून, 2021
‘एम के-III’ हेलीकॉप्टर
हाल ही में भारतीय नौसेना ने स्वदेशी रूप से निर्मित तीन उन्नत हल्के ‘एम के-III’ हेलीकॉप्टरों को बेड़े में शामिल किया है। इनका उपयोग समुद्र में निगरानी और तटीय सुरक्षा के लिये किया जाएगा। इन हेलीकॉप्टरों का निर्माण ‘हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड’ (HAL) ने किया है। ये हेलीकॉप्टर आधुनिक निगरानी रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल उपकरणों से युक्त हैं, जिनके माध्यम से दिन और रात दोनों समय समुद्री सीमा में निगरानी गतिविधियों के साथ-साथ लंबी दूरी की तलाशी एवं बचाव अभियान कुशलतापूर्वक संचालित करने में सक्षम हैं। ज्ञात हो कि ‘एम के-III’ हेलीकॉप्टर भारी मशीन गन से भी लैस हैं। ‘एम के-III’ हेलीकॉप्टरों में ऐसी कई प्रणालियाँ मौजूद हैं, जो पहले केवल भारतीय नौसेना के भारी एवं मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों में ही देखी जाती थीं। गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों को एयरलिफ्ट करने और किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य आपदा से बचने के लिये ‘एम के-III’ हेलीकॉप्टरों में एक पोर्टेबल चिकित्सा गहन देखभाल इकाई (ICU) भी लगाई गई है। हेलीकॉप्टरों में कई उन्नत एवियोनिक्स भी शामिल हैं, जो इसे सही मायने में प्रत्येक मौसम में इस्तेमाल के लिये उपयुक्त बनाता है।
विश्व प्रत्यायन दिवस
प्रतिवर्ष 09 जून को वैश्विक स्तर पर व्यापार एवं अर्थव्यवस्था में प्रत्यायन की भूमिका को रेखांकित करने एवं बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘विश्व प्रत्यायन दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष ‘विश्व प्रत्यायन दिवस’ का विषय संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के कार्यान्वयन के समर्थन में प्रत्यायन के उपयोग पर केंद्रित है। यह ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यायन सहयोग’ (ILAC) और ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रत्यायन फोरम’ (IAF) द्वारा स्थापित एक वैश्विक पहल है। भारत में प्रत्यापन संबंधी गतिविधियों की निगरानी ‘भारतीय गुणवत्ता परिषद’ (QCI) द्वारा की जाती है। भारत सरकार ने ‘भारतीय गुणवत्ता परिषद’ की स्थापना वर्ष 1997 में उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक स्वायत्त निकाय के तौर पर की थी। इस संगठन की स्थापना प्रत्यायन निकायों के लिये राष्ट्रीय प्रत्यायन ढाँचे की स्थापना करने एवं उनके प्रचालन करने के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य तथा गुणवत्ता संवर्द्धन के क्षेत्र में प्रत्यायन उपलब्ध कराने के लिये की गई थी।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद
हाल ही में भारत को वर्ष 2022-24 के कार्यकाल के लिये संयुक्त राष्ट्र के छः प्रमुख अंगों में से एक- संयुक्त राष्ट्र ‘आर्थिक और सामाजिक परिषद’ (ECOSOC) के लिये चुना गया है। संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के केंद्र में मौजूद 54 सदस्यीय ‘आर्थिक और सामाजिक परिषद’ का प्राथमिक कार्य सतत् विकास के तीन आयामों- आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण को आगे बढ़ाना है। यह परिषद वार्ता एवं नवाचार को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहमत लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों के समन्वय हेतु एक केंद्रीय मंच है। ‘आर्थिक और सामाजिक परिषद’ (ECOSOC) को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के माध्यम से वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र के छह मुख्य अंगों में से एक के रूप में स्थापित किया गया था। परिषद में सीटों का आवंटन भौगोलिक प्रतिनिधित्व के आधार पर किया जाता है, जिसमें 14 अफ्रीकी राज्यों, 11 एशियाई राज्यों, छह पूर्वी यूरोपीय राज्यों, 10 लैटिन अमेरिकी एवं कैरेबियाई राज्यों और 13 पश्चिमी यूरोपीय एवं अन्य राज्यों को आवंटित की गई हैं। ज्ञात हो कि भारत वर्तमान में शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक अस्थायी सदस्य के रूप में कार्यरत है और अगस्त माह में इस 15 सदस्यीय निकाय की अध्यक्षता ग्रहण करेगा।
असम रत्न पुरस्कार
असम कैबिनेट ने समाज में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले एक नागरिक को प्रतिवर्ष सम्मानित करने हेतु 'असम रत्न' पुरस्कार की स्थापना करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा कैबिनेट ने प्रतिवर्ष तीन लोगों को 'असम विभूषण', पाँच लोगों को 'असम भूषण' और 10 लोगों को 'असम श्री' देने का भी निर्णय लिया है। पुरस्कारों के साथ क्रमशः 5 लाख रुपए, 3 लाख रुपए, 2 लाख रुपए और 1 लाख रुपए का नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा, साथ ही गंभीर बीमारी के मुफ्त चिकित्सा उपचार, असम भवनों में मुफ्त प्रवास, एएसटीसी बसों में मुफ्त यात्रा जैसे अन्य लाभ भी प्रदान किये जाएंगे। ज्ञात हो कि वर्तमान में असम में ‘असम रत्न’ पुरस्कार पहले से ही स्थापित है और इसे प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार दिया जाता है, लेकिन अब यह वर्ष 2021 से प्रतिवर्ष प्रदान किया जाएगा।