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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 09 Feb, 2021
  • 7 min read
विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 09 फरवरी, 2021

थंडरस्टॉर्म रिसर्च टेस्टबेड 

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा ओडिशा के बालासोर में देश का पहला थंडरस्टॉर्म रिसर्च टेस्टबेड स्थापित किया जाएगा। इस थंडरस्टॉर्म रिसर्च टेस्टबेड के गठन का प्राथमिक उद्देश्य बिजली गिरने के कारण मानव की मृत्यु और संपत्ति के नुकसान को कम करना है। इस अनुसंधान केंद्र को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सहयोग से स्थापित किया जाएगा। इस केंद्र में आस-पास के क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये वेधशालाएँ स्थापित की जाएंगी, साथ ही यहाँ थंडरस्टॉर्म पर अध्ययन भी किया जाएगा। ज्ञात हो कि प्रत्येक वर्ष अप्रैल से जून माह के बीच बिजली गिरने के कारण ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड राज्यों को जान-माल के नुकसान का सामना करना पड़ता है। इस लिहाज से यह केंद्र काफी महत्त्वपूर्ण है।

विश्‍व सतत् विकास शिखर सम्‍मेलन-2021

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 फरवरी, 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन-2021 का उद्घाटन करेंगे। इस सम्मेलन का मुख्य विषय है - सबके लिये सुरक्षित और संरक्षित पर्यावरण तथा हमारा साझा भविष्य। नई दिल्‍ली स्थित ‘द एनर्जी एंड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट’ द्वारा आयोजित यह 20वाँ शिखर सम्मेलन है, जिसमें विश्व में सतत् विकास को बढ़ावा देने को लेकर चर्चा की जाएगी। विश्व के अनेक देशों के प्रतिनिधियों के अलावा अलग-अलग देशों के विद्वान, जलवायु वैज्ञानिक, युवा और सिविल सोसाइटी के लोग भी इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में हिस्सा लेंगे। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किये जा रहे इस सम्मेलन में गुयाना के राष्ट्रपति डॉक्टर मोहम्मद इरफान अली, पापुआ न्‍यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्‍स मारापे, मालदीव की पीपुल्‍स मजलिस के अध्यक्ष मोहम्मद नशीद, संयुक्त राष्ट्र की उप-महासचिव अमिना जे मोहम्मद भी हिस्सा लेंगे। 

डॉ. ज़ाकिर हुसैन

08 फरवरी, 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में पूर्व राष्ट्रपति डॉ.जाकिर हुसैन की जयंती पर उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित की। भारत के तीसरे राष्ट्रपति जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के सह-संस्थापक डॉ. ज़ाकिर हुसैन एक उत्साही शिक्षक और कुशल राजनीतिज्ञ थे। 8 फरवरी, 1897 को हैदराबाद में जन्मे डॉ. जाकिर हुसैन देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति भी थे। ज़ाकिर हुसैन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इटावा के इस्लामिया हाईस्कूल से पूरी की, जिसके बाद वे आगे की पढाई के लिये अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय चले गए। वर्ष 1918 में उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की, जिसके बाद उन्होंने मास्टर कोर्स में दाखिला लिया, हालाँकि इसे उन्होंने बीच में छोड़ दिया। उन्होंने प्लेटो की पुस्तक ‘रिपब्लिक’ और एडविन कैनन द्वारा रचित ‘एलिमेंट्री पोलिटिकल इकॉनमी’ का उर्दू में अनुवाद भी किया। वर्ष 1920 में 23 वर्ष की आयु में ज़ाकिर हुसैन ने अलीगढ़ में राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की, इस राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय को वर्ष 1925 में नई दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया और वर्ष 1935 में इसका नाम बदलकर जामिया मिलिया इस्लामिया कर दिया गया। उन्होंने तकरीबन 21 वर्ष तक जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रमुख के रूप में कार्य किया। वर्ष 1962 में उन्होंने भारत के दूसरे उप-राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और वर्ष 1967 में भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति बने। देश के लिये उनकी सेवाओं के मद्देनज़र उन्हें वर्ष 1954 में पद्म विभूषण और वर्ष 1963 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 

भारत की पहली भू-तापीय बिजली परियोजना

पूर्वी लद्दाख के पूगा गाँव में भारत की पहली भू-तापीय बिजली परियोजना शुरू की जाएगी। वैज्ञानिकों ने पूगा की पहचान देश में भू-तापीय ऊर्जा के हॉटस्पॉट के रूप में की है। इस परियोजना के पहले चरण में तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ONGC) द्वारा एक मेगावाट की क्षमता वाले बिजली संयंत्र चलाने के लिये 500 मीटर तक की खुदाई की जाएगी। चीन की सीमा के करीब और लेह से पूर्व में 170 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस परियोजना के दूसरे चरण में भू-तापीय जलाशय की क्षमता का पता लगाने के लिये और अधिक गहरी खुदाई की जाएगी। वहीं इस परियोजना के तीसरे चरण में एक वाणिज्यिक पावर प्लांट भी स्थापित किया जाएगा। अनुमान के मुताबिक, इस क्षेत्र से तकरीबन 250 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। शुरुआती चरणों में इस प्लांट की मदद से पास के ही तिब्बती शरणार्थी बस्तियों में बिजली पहुँचाने की योजना बनाई गई है। लद्दाख के पूगा और चुमाथांग को भारत में सबसे महत्त्वपूर्ण भू-तापीय क्षेत्रों में से एक माना जाता है। इन क्षेत्रों की पहचान सर्वप्रथम 1970 के दशक में की गई थी।


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