प्रीलिम्स फैक्ट्स: 09 जनवरी, 2020
आपरेशन संकल्प
Operation Sankalp
हाल ही में अमेरिका द्वारा ईरान की कुद्स फोर्स के प्रमुख और ईरानी सेना के शीर्ष अधिकारी मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद खाड़ी क्षेत्र में स्थिति काफी तनावपूर्ण है।
- खाड़ी क्षेत्र की हालिया स्थिति के मद्देनज़र भारतीय नौसेना आपरेशन संकल्प (Operation Sankalp) के तहत लगातार निगरानी कर रही है।
मुख्य बिंदु:
- ओमान की खाड़ी में जून 2019 में व्यापारिक जहाज़ों पर हमले के बाद अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और समुद्री सुरक्षा से संबंधित घटनाओं को देखते हुए भारतीय नौसेना ने 19 जून, 2019 को खाड़ी क्षेत्र में ऑपरेशन संकल्प की शुरुआत की थी।
उद्देश्य
- इसका उद्देश्य हार्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) से होकर जाने वाले भारतीय जहाज़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
- उल्लेखनीय है कि आपरेशन संकल्प के तहत भारतीय नौसेना का एक युद्ध पोत अभी भी खाड़ी क्षेत्र में मौजूद है।
सी गार्डियंस-2020
Sea Guardians-2020
6 जनवरी, 2019 को चीन और पाकिस्तान का छठा संयुक्त नौसैनिक अभ्यास अरब सागर में शुरू हुआ।
- इस नौसैनिक अभ्यास को पहली बार 'सी गार्डियंस-2020' (Sea Guardians-2020) नाम दिया गया है।
उद्देश्य
- इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को लेकर सहयोग बढ़ाना है।
संभावना
- वारियर (Warrior- संयुक्त ज़मीनी अभ्यासों की शृंखला) और शाहीन या ईगल (Shaheen or Eagel- संयुक्त वायु अभ्यासों की शृंखला) की तरह 'सी गार्डियंस' (Sea Guardians) चीन और पाकिस्तान के बीच नौसैनिक अभ्यासों की शृंखला बनने की उम्मीद है।
सेके भाषा
Seke Language
सेके का अर्थ ‘गोल्डन भाषा’ (Golden Language) है जिसकी उत्पत्ति नेपाल के मस्टंग (Mustang) ज़िले में हुई थी।
- यह एक अलिखित भाषा है।
क्षेत्र
- यह नेपाल में तिब्बती सीमा से संबद्ध क्षेत्र के सिर्फ पाँच गाँवों चुक्संग (Chuksang), चैले (Chaile), ग्याकर (Gyakar), तांगबे (Tangbe) और तेतांग (Tetang) में बोली जाती है।
- विश्व में सिर्फ 700 लोग ही सेके भाषा बोलते हैं।
प्रमुख बोलियाँ
- सेके की तीन कथित बोलियाँ तांगबे (Tangbe), टेटांग (Tetang) और चुक्संग (Chuksang) हैं।
- यह दुनिया में लुप्तप्राय भाषाओं (Endangered Languages) में से एक है।
लुप्तप्राय भाषाएँ
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा अपनाए गए मानदंडों के अनुसार, एक भाषा तब विलुप्त मानी जाती है जब कोई भी उस भाषा को नहीं बोलता या याद नहीं रखता। यूनेस्को ने भाषा की लुप्तता के खतरे के आधार पर भाषाओं को निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया है:-
- संवेदनशील (Vulnerable)
- निश्चित रूप से लुप्तप्राय (Definitely Endangered)
- गंभीर रूप से लुप्तप्राय (Severely Endangered)
- अति संकटग्रस्त (Critically Endangered)
अति संकटग्रस्त भाषाएँ
यूनेस्को ने 42 भारतीय भाषाओं को अति संकटग्रस्त (Critically Endangered) माना है।
खतरे का स्तर (Degree of Endangerment) | अंतर-पीढ़ी भाषा संचरण (Intergenerational Language Transmission) |
सुरक्षित (Safe) | इस स्तर में भाषा सभी पीढ़ियों द्वारा बोली जाती है और अंतर-पीढ़ी संचरण निर्बाध रुप से होता है। |
संवेदनशील (Vulnerable) | इस स्तर में भाषा अधिकांश बच्चों द्वारा बोली जाती है किंतु यह भाषा कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित हो सकती है। |
निश्चित रुप से लुप्तप्राय (Definitely Endangered) | इस स्तर में भाषा को बच्चे घर में मातृभाषा के रूप में नहीं सीखते हैं। |
गंभीर रुप से लुप्तप्राय (Severely Endangered) | इस स्तर में भाषा दादा-दादी और पुरानी पीढ़ियों द्वारा बोली जाती है। इस भाषा को मूल पीढ़ी समझ सकती है किंतु वे इस भाषा को बच्चों से या आपस में नहीं बोलते हैं। |
अति संकटग्रस्त (Critically Endangered) | इस स्तर में भाषा दादा-दादी और बूढ़ों द्वारा आंशिक रूप से या कभी -कभी बोली जाती है। |
विलुप्त (Extinct) | इस स्तर में भाषा बोलने वाला कोई भी नहीं बचा है। |
हिम और हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान
Snow and Avalanche Study Establishment
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की एक प्रयोगशाला हिम और हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (Snow and Avalanche Study Establishment-SASE) ने लद्दाख क्षेत्र के लेह में हिमस्खलन की चेतावनी जारी की है।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य भारतीय हिमालय के बर्फीले क्षेत्रों में सैनिकों के लिये उच्च परिचालन गतिशीलता की सुविधा हेतु क्रायोस्फेरिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Cryospheric Science and Technology) आधारित उत्कृष्टता केंद्र का निर्माण करना है।
मुख्यालय
- इसका मुख्यालय मनाली (हिमाचल प्रदेश) में है।
क्रायोस्फीयर (Cryosphere) के बारे में
- ‘क्रायोस्फीयर’ (Cryosphere) शब्द ग्रीक भाषा के ‘क्रियोस’ (Krios) शब्द से आया है जिसका अर्थ ‘ठंडा’ होता है।
- पृथ्वी पर ऐसे स्थान हैं जहाँ पानी जमकर ठोस बर्फ बन गया है। इन क्षेत्रों का तापमान 32°F से नीचे होता है, इस प्रकार ये क्षेत्र क्रायोस्फीयर का निर्माण करते हैं।
- इन क्षेत्रों में समुद्री बर्फ, झील की बर्फ, नदी की बर्फ, जमी हुई बर्फ का आवरण, ग्लेशियर आदि शामिल हैं।