प्रीलिम्स फैक्ट्स: 08 अगस्त, 2020
काॅर्ड ब्लड
Cord Blood
हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा प्लाज्मा उपचार के अलावा कॉर्ड ब्लड (Cord Blood) का इस्तेमाल COVID-19 रोगियों के इलाज के लिये किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु:
- कॉर्ड ब्लड (Cord Blood), नाभि रज्जु (Umbilical Cord) और गर्भनाल (Placenta) की रक्त वाहिकाओं में पाया जाता है और जन्म के बाद बच्चे की नाभि रज्जु काट कर एकत्र किया जाता है।
- इसमें रक्त बनाने वाली स्टेम कोशिकाएँ होती हैं जो कुछ रक्त और प्रतिरक्षा प्रणाली विकारों के इलाज में उपयोग की जाती हैं।
- कॉर्ड ब्लड का उपयोग उसी तरह किया जाता है जैसे हेमटोपोइएटिक स्टेम सेल प्रत्यारोपण (Hematopoietic Stem Cell Transplantation) का उपयोग विभिन्न रक्त कैंसर के लिये विकिरण उपचार के बाद अस्थिमज्ज़ा को पुनर्गठित करने के लिये किया जाता है।
- कॉर्ड ब्लड, रक्त में पाए जाने वाले सभी तत्वों से मिलकर बना होता है जिनमें लाल रक्त कोशिकाएँ, श्वेत रक्त कोशिकाएँ, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स शामिल होते हैं।
- कॉर्ड ब्लड का उपयोग उन लोगों में प्रत्यारोपण के लिये किया जा सकता है जिन्हें इन रक्त बनाने वाली कोशिकाओं के पुनर्जनन की आवश्यकता होती है।
‘कॉर्ड ब्लड बैंकिंग’ के बारे में:
- कॉर्ड ब्लड को एकत्र करने के बाद इसे जमा कर कई वर्षों तक सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जा सकता है।
- कॉर्ड ब्लड को जमाने (फ्रीजिंग) की विधि जिसे 'क्रायोप्रेज़र्वेशन' (Cryopreservation) कहा जाता है, कोशिकाओं की अखंडता को बनाए रखने के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण होती है।
- एकत्रित कॉर्ड ब्लड क्रायोप्रिज़र्व्ड होता है और फिर इसे भविष्य में प्रत्यारोपण के लिये कॉर्ड ब्लड बैंक में संग्रहित किया जाता है।
- आमतौर पर कॉर्ड ब्लड संग्रह में स्टेम सेल रिकवरी की उच्च दर सुनिश्चित करने के लिये क्रायोप्रिज़र्वेशन से पहले लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है।
फूड सिस्टम विज़न 2050 पुरस्कार
Food System Vision 2050 Prize
6 अगस्त, 2020 को रॉकफेलर फाउंडेशन (Rockefeller Foundation) ने न्यूयॉर्क (संयुक्त राज्य अमेरिका) में घोषित फूड सिस्टम विज़न 2050 पुरस्कार (Food System Vision 2050 Prize) के लिये दुनिया के टॉप 10 विज़नरीज़ में से एक के रूप में हैदराबाद स्थित गैर-लाभकारी संगठन नंदी फाउंडेशन (Naandi Foundation) को चुना है।
प्रमुख बिंदु:
- इस पुरस्कार के रूप में नंदी फाउंडेशन को 200,000 डॉलर की पुरस्कार राशि प्रदान की गई है।
- नंदी फाउंडेशन को यह पुरस्कार अराकु, वर्धा और नई दिल्ली के क्षेत्रों में ‘अराकुनोमिक्स’ (Arakunomics) मॉडल की सफलता के कारण प्रदान किया गया है। नंदी फाउंडेशन पिछले लगभग 20 वर्षों से ‘अराकुनोमिक्स’ (Arakunomics) मॉडल के आधार पर अराकु (हैदराबाद) में आदिवासी किसानों के साथ कार्य कर रहा है।
‘अराकुनोमिक्स’ (Arakunomics) मॉडल:
- यह एक नया एकीकृत आर्थिक मॉडल है जो पुनर्योजी कृषि (Regenerative Agriculture) के माध्यम से किसानों के लिये लाभ और उपभोक्ताओं के लिये गुणवत्ता सुनिश्चित करता है।
- इस आर्थिक मॉडल के आधार पर अराकु के आदिवासी किसानों ने अराकु क्षेत्र में विश्व स्तरीय काॅफी का उत्पादन किया जिसे वर्ष 2017 में पेरिस (फ्राॅन्स) में लॉन्च किया गया था।
- साथ ही अराकु के आदिवासी किसानों ने कार्बन अवशोषण के लिये 955 से अधिक गाँवों में 25 मिलियन पेड़ लगाए हैं।
- अराकु में अराकुनोमिक्स की सफलता से प्रेरित होकर वर्धा के कृषि समुदायों ने और साथ ही नई दिल्ली में एक शहरी फार्म सह कार्यक्रम में इस मॉडल को अपनाया गया है।
नंदी फाउंडेशन (Naandi Foundation):
- नंदी फाउंडेशन को सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में 1 नवंबर, 1998 को स्थापित किया गया था।
- यह भारत में 19 राज्यों में कार्य करता है और अब तक 7 मिलियन लोगों को लाभान्वित कर चुका है।
किसान रेल
Kisan Rail
07 अगस्त, 2020 को भारत की पहली साप्ताहिक 'किसान रेल' (Kisan Rail) को महाराष्ट्र के देवलाली से बिहार के दानापुर के लिये रवाना किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- इस किसान रेल के माध्यम से किसानों को बिना किसी देरी के अंतर्राज्यीय बाज़ारों में अपने खराब होने वाले कृषि उत्पादों को भेजने में मदद मिल सकेगी।
- इस वर्ष के केंद्रीय बजट (वर्ष 2020-21) में सब्जियों एवं फलों की खेती करने वाले किसानों के लिये ‘किसान रेल’ की घोषणा की गई थी।
- इस रेल में 11 विशेष रूप से निर्मित पार्सल कोच हैं जो चलते-फिरते कोल्ड स्टोरेज़ के रूप में काम करते हैं।
- यह रेल नासिक रोड, मनमाड, जलगाँव, भुसावल, बुरहानपुर, खंडवा, इटारसी, जबलपुर, सतना, कटनी, मानिकपुर, प्रयागराज छेओकी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन और बक्सर स्टेशनों पर रुकेगी।
- इससे पहले इन कृषि उत्पादों को अन्य राज्यों में ट्रकों से ले जाया जाता था किंतु अब किसान अपनी ज़रूरतों के अनुसार फसलों एवं कृषि उत्पादों को नुकसान के जोखिम के अनुसार ट्रेन के माध्यम से भेज सकते हैं।
- इस रेल के माध्यम से महाराष्ट्र के प्याज़, अंगूर एवं अन्य खराब होने वाले फलों एवं सब्जियों को जबकि बिहार के मखाना, मछली और सब्जियों को देश के अन्य बाज़ारों तक पहुँचाया जाएगा।
- यह रेल जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों को निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला प्रदान करेगी जिससे किसानों को अपने उत्पादों का उचित मूल्य मिल सकेगा।
राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र
Rashtriya Swachhata Kendra
8 अगस्त, 2020 को भारतीय प्रधानमंत्री ‘राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र’ (Rashtriya Swachhata Kendra-RSK) का उद्घाटन करेंगे जो स्वच्छ भारत मिशन पर एक परस्पर संवादात्मक अनुभव केंद्र है।
प्रमुख बिंदु:
- गाँधीजी के चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी समारोह के अवसर पर महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र (RSK) की घोषणा पहली बार 10 अप्रैल, 2017 को की गई थी।
चंपारण सत्याग्रह से संबंधित प्रमुख तथ्य:
- वर्ष 1917 में बिहार में हुआ चंपारण सत्याग्रह, भारत में गाँधीजी का प्रथम सत्याग्रह था।
- यह सत्याग्रह ‘तिनकठिया पद्धति’ से संबंधित था।
- राजकुमार शुक्ल के आग्रह पर गाँधीजी ने चंपारण आने और कृषकों की समस्याओं की जाँच की थी।
- एन. जी. रंगा ने गाँधीजी के चंपारण सत्याग्रह का विरोध किया था जबकि रवींद्रनाथ टैगोर ने चंपारण सत्याग्रह के दौरान इन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी।
- RSK की स्थापना से आने वाली पीढ़ियाँ दुनिया के सबसे बड़े व्यवहार परिवर्तन अभियान ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की सफल यात्रा से सही ढंग से अवगत हो पाएंगी।
- RSK में डिजिटल एवं आउटडोर इंस्टॉलेशन के संतुलित मिश्रण से स्वच्छता एवं संबंधित पहलुओं के बारे में विभिन्न सूचनाएँ, जागरूकता और जानकारियाँ प्राप्त होंगी।
स्वच्छ भारत मिशन:
- ‘स्वच्छ भारत मिशन’ ने भारत में ग्रामीण स्वच्छता के परिदृश्य को व्यापक तौर पर बदल दिया है और 55 करोड़ से भी अधिक लोगों के व्यवहार में उल्लेखनीय बदलाव लाकर उन्हें खुले में शौच के बजाय शौचालय का उपयोग करने के लिये सफलतापूर्वक प्रेरित किया है।
- यह मिशन अब अपने दूसरे चरण में है, जिसका लक्ष्य भारत के गाँवों को ‘ओडीएफ’ (खुले में शौच मुक्त) से भी आगे ले जाकर ‘ओडीएफ प्लस’ के स्तर पर पहुँचाना है जिसके तहत ओडीएफ के दर्जे को बनाए रखने के साथ-साथ सभी के लिये ठोस एवं तरल अपशिष्ट का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित करने पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 08 अगस्त, 2020
दिल्ली हवाई अड्डे पर अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिये विशेष पोर्टल
नई दिल्ली स्थित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे द्वारा अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिये एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है। यह पोर्टल देश में आने वाले यात्रियों को अनिवार्य रूप से स्व-घोषणापत्र भरने और पात्र यात्रियों को आवश्यक प्रशासनिक आइसोलेशन से छूट हेतु ऑनलाइन आवेदन की सुविधा प्रदान करेगा। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाईअड्डे का प्रबंध संभालने वाली कंपनी दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) के अनुसार, यह मंच अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की यात्रा को संपर्करहित बनाएगा। इस मंच के माध्यम से भारत में आने पर स्वघोषणा पत्र (Self Declaration Forms) या आइसोलेशन से छूट हेतु आवेदन करने के लिये कागजी दस्तावेज के रूप में फॉर्म नहीं भरना होगा और सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध होगा। दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, कुल पाँच श्रेणियों के यात्रियों को अनिवार्य रूप से सात-दिवसीय आइसोलेशन से छूट मिल सकती है। इसमें गर्भवती महिलाएँ, वे लोग जिनके परिवार में किसी की मृत्यु हो हुई है, गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग, 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के साथ यात्रा कर रहे अभिभावक, यात्रा से 96 घंटे पहले COVID-19 जाँच की नकारात्मक रिपोर्ट वाले यात्री शामिल हैं। हालाँकि प्रशासनिक आइसोलेशन से छूट वाले यात्रियों को 14 दिन अपने घर पर आइसोलेशन में रहना होगा। शेष अन्य सभी अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों को अनिवार्य रूप से 7 दिन के लिये प्रशासनिक आइसोलेशन और उसके बाद सात दिन तक अपने घर पर आइसोलेशन में रहना होगा।
सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अगस्त, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर को जोड़ने वाली सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल (Submarine Optical Fibre Cable) का उद्घाटन करेंगे। इस संबंध में जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, यह सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल पोर्ट ब्लेयर को स्वराज द्वीप (हैवलॉक), लिटल अंडमान, कार निकोबार, कामोर्टा, ग्रेट निकोबार, लॉन्ग आईलैंड और रंगट से भी जोड़ेगा। इस नेटवर्क के माध्यम से देश के अन्य हिस्सों की तरह अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह को भी तेज़ तथा विश्वसनीय मोबाइल एवं लैंडलाइन टेलीकॉम सेवाएँ प्राप्त हो सकेंगी। गौरतलब है कि इस परियोजना की आधारशिला स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 30 दिसंबर, 2018 को पोर्ट ब्लेयर में रखी गई थी। यह सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क चेन्नई तथा पोर्ट ब्लेयर के बीच 2 x 200 गीगाबिट प्रति सेकंड (Gbps) और पोर्ट ब्लेयर और अन्य द्वीपों के बीच 2 x 100 Gbps की गति से डेटा हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करेगा। ध्यातव्य है कि दूरसंचार और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी में सुधार होने से द्वीपों में पर्यटन और रोज़गार सृजन को भी बढ़ावा मिलेगा, इससे क्षेत्र की स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिल सकेगी और जीवन स्तर में सुधार होगा।
1971 के संग्राम में शहीद भारतीय सैनिकों की स्मृति में स्मारक
बांग्लादेश में वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की स्मृति में वहाँ एक स्मारक का निर्माण किया जाएगा। यह स्मारक बांग्लादेश की स्वतंत्रता की पचासवीं वर्षगांठ के मौके पर बनाया जाएगा। इस संबंध में सूचना देते हुए बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध मामलों के मंत्री मुज़म्मिल हक ने वर्ष 1971 में पाकिस्तान के विरुद्ध हुए बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग के लिये भारत सरकार और भारतीय सेना का आभार व्यक्त किया है। जो क्षेत्र अब बांग्लादेश कहलाता है, वह कई वर्षों पूर्व भारत के बंगाल का हिस्सा था। वर्ष 1947 में जब भारत और पाकिस्तान ने आज़ादी प्राप्त की तो बंगाल का मुस्लिम बहुल क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा बन गया और उसे ‘पूर्वी पाकिस्तान’ कहा जाने लगा। 1958 से 1962 के बीच तथा 1969 से 1971 के बीच पूर्वी पाकिस्तान मार्शल लॉ के अधीन रहा। इसी बीच पाकिस्तान में सैनिक तानाशाह याहया खान ने स्वतंत्र चुनाव कराए। इस चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान के आवामी लीग के नेता मुजीबुर्रहमान को बहुमत प्राप्त हुआ। परंतु याहया खान द्वारा मुजीब को प्रधानमंत्री नियुक्त करने से मना करने के प्रतिक्रियास्वरूप पाकिस्तान में गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गयी। शेख मुजीब को गिरफ्तार करने के बाद पाकिस्तान की सेनाओं द्वारा विद्रोह को दबाने के नाम पर पूर्वी पाकिस्तान में अमानवीय अत्याचार और नरसंहार प्रारंभ हो गया। पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के मध्य वार्ता की विफलता के पश्चात् 26 मार्च, 1971 को शेख मुजीबुर रहमान ने पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी।
भारत छोड़ो आंदोलन
08 अगस्त, 2020 को देश भर में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किये गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) की 78वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ के रूप में सामने आया। माना जाता है कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का आखिरी सबसे बड़ा आंदोलन था, जिसमें सभी भारतवासियों ने एक साथ बड़े स्तर पर भाग लिया था। इस आंदोलन के तहत गांधी जी के नेतृत्त्व में पूरा भारत ब्रिटिश साम्राज्यवाद को उखाड़ने के लिये एक साथ आ गया था। क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद 'भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस समिति' की बैठक 8 अगस्त, 1942 को बंबई में हुई। इसमें यह निर्णय लिया गया कि भारत अपनी सुरक्षा स्वयं करेगा और साम्राज्यवाद तथा फासीवाद का विरोध करता रहेगा। बंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में अपने एक भाषण में गांधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया और धीरे-धीरे पूरा देश एकजुट होने लगा। इस आंदोलन के दौरान जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, अबुल कलाम आज़ाद और महात्मा गांधी समेत कई बड़े काॅॅन्ग्रेसी नेताओं को देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया गया था। महात्मा गांधी ने भारतीयों से एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में कार्य करने और अंग्रेजों के आदेशों का पालन न करने का आग्रह किया। शुरुआत में अंग्रेजों ने भारत को संपूर्ण स्वतंत्रता देने से इनकार कर दिया, किंतु बाद में वे द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के पश्चात् स्वतंत्रता देने के लिये सहमत हो गए। वर्ष 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ और भारत को वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हो गई।