प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 08 जुलाई, 2019
सी प्रिंस
‘Sea Prince’
हाल ही में दक्षिणी थाई समुद्र तट पर फँसे डुगोंग के एक अनाथ बच्चे (Baby Dugong) को ‘जमील’ नाम दिया गया।
- यह नाम राजकुमारी सिरिवनवरी (Princess Sirivannavari) द्वारा दिया गया।
- जमील यवी भाषा (Yawi Language) से लिया गया है जिसका अर्थ है ‘समुद्र का सुंदर राजकुमार’ (Handsome Sea Prince)।
- डुगोंग को समुद्री गाय के नाम से भी जाना जाता है।
- दक्षिणी थाईलैंड का जल लगभग 250 स्तनधारियों के लिये असुरक्षित (Vulnerable) है।
- पिछले महीने एक अन्य बेबी डुगोंग ‘मरियम’ इसी बीच/तट पर पाया गया था।
- जमील को अब फुकेत समुद्री जैविक केंद्र (Phuket Marine Biological Centre) में एक पूल में रखा गया है।
- थाईलैंड की राजकुमारी ने थाइलैंड के समुद्र, कोरल एवं समुद्री जानवरों के संरक्षण के लिये काम करने वाली टीमों की स्थापना की है।
गौ अभयारण्य का निजीकरण
India’s first cow sanctuary in Madhya Pradesh to be privatised
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित भारत के पहले गौ अभयारण्य (Cow Sanctuary) का निजीकरण किया जाएगा।
- आगर मालवा ज़िले (मध्य प्रदेश) में स्थित इस कामधेनु गौ अभ्यारण्य (Kamdhenu Gau Abhyaranya) की स्थापना वर्ष 2017 में 32 करोड़ रुपए की लागत से की गई थी
- यह अभयारण्य 472 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है जिसमें वर्तमान में लगभग 4,000 गायें रह रही हैं।
- इसमें मुख्य रूप से ऐसी गायें हैं जो बूढ़ी और बीमार हैं या जिन्होंने दूध देना बंद कर दिया है।
- पिछले एक साल में मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण 600 से अधिक गायों की मौत हो गई। सरकार को इस समस्या से निपटना मुश्किल हो रहा है।
- निजीकरण का यह निर्णय वित्तीय संकट के कारण भी लिया गया है।
- सरकार अभयारण्य के प्रबंधन और गायों की सेवा के लिये एक सामाजिक या धार्मिक संगठन की तलाश कर रही है।
यूगव सर्वेक्षण
YouGov survey
हाल ही में इंग्लैंड की एक फर्म यूगोव (YouGov) ने वेब उपयोकर्त्ताओं की भाषायी पसंद को लेकर सर्वेक्षण किया।
- 1000 लोगों पर किये गए सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 72% लोग उसी भाषा के प्रकरण को देखना पसंद करते हैं जिसे वे बोलते या समझते हैं।
- हिंदी भले ही व्यापक स्तर पर बोली जाने वाली भाषा है लेकिन केवल 26% हिंदी भाषी लोग ही हिंदी भाषा की वेब सामग्री पसंद करते है।
- यूट्यूब पर तीन-चौथाई लोग अंतर्राष्ट्रीय सामग्री देखते हैं, वहीं नेटफ्लिक्स और अमेज़न अंतर्राष्ट्रीय सामग्री देखने के दूसरे सबसे पड़े प्लेटफॉर्म हैं।
- टेलीविज़न पर 73% और यूट्यूब पर 72% स्थानीय सामग्री देखी जाती है।
- दक्षिण भारत में 82% लोग उपशीर्षक (Subtitled or Dubbed) सामग्री देखते हैं।
- अंग्रेज़ी सामग्री का सबसे अधिक प्रयोग कन्नड़ और तेलुगू बोलने वाले लोग करते हैं।
हाथी पुनर्वास केंद्र
Elephant Rehabilitation Centre
भारत का पहला हाथी पुनर्वास केंद्र एक इकोटूरिज़्म गाँव कोट्टूर, केरल में स्थापित किया जा रहा है।
- श्रीलंका में उपस्थित पिनावाला हाथी अनाथालय (Pinnawala Elephant Orphanage) की तर्ज़ पर यह योजना बनाई जा रही है।
- इस पुनर्वास केंद्र का मुख्य उद्देश्य परित्यक्त, अनाथ, घायल और बूढ़े हाथियों को सुरक्षा प्रदान करना है।
- इससे लोगों को हाथियों के बारे में अधिक जानने का अवसर प्राप्त होगा।
- यह वन्यजीव शोधकर्त्ताओं और पशुचिकित्सा संबंधी छात्रों के लिये भी अत्यंत सहायक होगा।
- संभवतः इस पुनर्वास केंद्र में एक हाथी संग्रहालय, महावत प्रशिक्षण केंद्र, सुपर-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जानवरों के लिये एक सेवानिवृत्ति घर और श्मशान गृह बनाया जाएगा।
- हाल ही में भारत ने यूपी के मथुरा के एक वन्यजीव SOS हाथी अस्पताल में गठिया, जोड़ों के दर्द और पैर की बीमारियों से पीड़ित हाथियों के लिये अपना पहला वाटर क्लिनिक (Water Clinic) खोला है।
जयपुर विश्व धरोहर स्थल में शामिल
हाल ही में जयपुर, जो अपनी प्रतिष्ठित स्थापत्य विरासत और जीवंत संस्कृति के लिये जाना जाता है, को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया।
- 30 जून से 10 जुलाई तक बाकू (अज़रबैजान) में चल रहे यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 43वें सत्र में इसकी घोषणा की गई।
- जयपुर के अलावा यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति ने ईराक के विशाल क्षेत्र में फैले प्राचीन मेसोपोटामियाई शहर बेबीलोन को भी विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया है।
- स्मारक एवं स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद (The International Council on Monuments and Sites- ICOMOS) ने वर्ष 2018 में जयपुर शहर का निरीक्षण किया था।
- अहमदाबाद के बाद जयपुर शहर देश का दूसरा शहर बन गया है जिसे सांस्कृतिक स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है।
- जयपुर को एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में शामिल करने के साथ ही अब यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों में भारत के विरासत स्थलों की कुल संख्या 38 हो गई है। इसमें 30 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक तथा 1 मिश्रित स्थल हैं।
- जयपुर को वर्ष 1727 में सवाई जय सिंह द्वितीय के संरक्षण में स्थापित किया गया था। वर्तमान में यह राजस्थान राज्य की राजधानी है।