प्रिलिम्स फैक्ट्स (08 Jun, 2019)



प्रीलिम्स फैक्ट्स: 08 जून, 2019

राष्‍ट्रीय सांप्रदायिक सद्भाव पुरस्‍कार, 2019

सांप्रदायिक सद्भाव और राष्‍ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में उत्‍कृष्‍ट योगदान देने वाले पात्र व्‍यक्तियों एवं संगठनों से राष्‍ट्रीय सांप्रदायिक सद्भाव पुरस्‍कार, 2019 (National Communal Harmony Awards, 2019) के लिये नामांकन आमंत्रित किये गए हैं।

पात्रता

  • व्‍यक्तिगत श्रेणी में पुरस्‍कार के लिये ‘राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सद्भाव’ के क्षेत्र में कम-से-कम दस साल की अवधि तक काम कर चुके व्‍यक्तियों के नामों पर विचार किया जाएगा, जबकि संगठन श्रेणी में 5 साल से अधिक समय तक कार्य करने वाले संगठनों के नामों पर विचार किया जाएगा।

राष्‍ट्रीय सांप्रदायिक सद्भाव पुरस्‍कार

  • राष्‍ट्रीय सांप्रदायिक सद्भाव पुरस्‍कारों की स्‍थापना गृह मंत्रालय के अंतर्गत एक स्‍वायत संस्‍था, राष्‍ट्रीय सांप्रदायिक सद्भाव संस्‍थान (National Foundation for Communal Harmony-NFCH) द्वारा वर्ष 1996 में की गई थी।
  • इन पुरस्कारों की घोषणा हर साल 26 जनवरी को की जाती है।
  • राष्‍ट्रीय सांप्रदायिक सद्भाव संस्‍थान एक स्वायत्त संगठन है जो सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 और गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत पंजीकृत है।

गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय

SFIO कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) के तहत एक बहु-अनुशासनात्मक संगठन (Multi-Disciplinary Organization) है, इसमें सफेदपोश अपराधों/धोखाधड़ी का पता लगाने और उन पर मुकदमा चलाने अथवा इस संदर्भ में संस्तुति करने के लिये अकाउंटेंसी/लेखाकर्म (Accountancy), फोरेंसिक ऑडिटिंग (Forensic Auditing), कानून, सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology), जाँच (Investigation), कंपनी कानून (Company Law), पूंजी बाज़ार (Capital Market) और कराधान (Taxation) के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों को शामिल किया जाता है

  • इसका प्रधान कार्यालय नई दिल्ली में है। वर्ष 2013 में SFIO के अधिकारियों को जाँच कार्यों में सहायता और सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से कंप्यूटर फोरेंसिक एंड डेटा माइनिंग लेबोरेटरी (Computer Forensic and Data Mining Laboratory-CFDML) की स्थापना की गई।
  • भारत सरकार द्वारा 2 जुलाई, 2003 को एक प्रस्ताव के माध्यम से गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय (Serious Fraud Investigation Office- SFIO) की स्थापना की गई। उस समय SFIO को औपचारिक रूप से कानूनी दर्जा प्राप्त नहीं था।
  • कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 211 के अंतर्गत गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय (Serious Fraud Investigation Office-SFIO) को वैधानिक दर्जा दिया गया है।
    • SFIO में कंपनी कानून (Company Law) के उल्लंघन के संदर्भ में लोगों को गिरफ्तार करने की शक्तियाँ भी निहित हैं।
  • केंद्र सरकार द्वारा एक कंपनी से संबंधित धोखाधड़ी की जाँच की शुरुआत की जा सकती है और निम्नलिखित परिस्थितियों में गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय को यह कार्य सौंपा जा सकता है:
    • कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 208 के तहत रजिस्ट्रार या निरीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर।
    • एक कंपनी द्वारा पारित विशेष प्रस्ताव की सूचना पर, कि उसके मामलों की जाँच किये जाने की आवश्यकता है।
    • जनहित में।
    • केंद्र या राज्य सरकार के किसी भी विभाग के अनुरोध पर।

निर्वाचन और नियम 49MA

  • भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission Of India) एक नियम पर पुनः विचार  कर सकता है जिसके अंतर्गत यदि कोई मतदाता ईवीएम (Electronic Voting Machine- EVM) या वीवीपीएटी (Voter Verifiable Paper Audit Trail- VVPAT) मशीन की खराबी के बारे में शिकायत करता है और यह शिकायत गलत पाई जाती है तो उसके खिलाफ मुकदमा चलाने का प्रावधान है।
  • निर्वाचन संहिता के नियम 49MA के तहत यदि मतदाता यह दावा करता है कि ईवीएम या पेपर ट्रेल मशीन द्वारा उसका वोट नहीं पड़ा है तब उस स्थिति में उसे टेस्ट वोट डालने की अनुमति दी जाती है।
  • अगर मतदाता की शिकायत झूठी पाई जाती है, तो चुनाव अधिकारी शिकायतकर्त्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 177 के तहत कार्रवाई शुरू कर सकता हैं।
  • दंड संहिता के इस प्रावधान के अंतर्गत मतदाता को छह माह का कारावास या 1000 रुपए का अर्थदंड या दोनों सजा हो सकती है।

पृष्ठभूमि

  • निर्वाचन आयोग ने ऐसी समस्याओं से निपटने हेतु पहले से ही प्रावधान किये हैं।  
  • हालाँकि इन प्रावधानों का प्रयोग बहुत ही विशिष्ट परिस्थितियों में ही किया जाता है।
  • इस प्रकार के प्रावधानों का उद्देश्य ऐसी अफवाहों और शिकायतों को नियंत्रित करना है जो निर्वाचन प्रक्रिया को बाधित करती हैं।
  • इससे पहले वर्ष 2019 के अप्रैल माह में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने नियम 49MA को समाप्त  करने की मांग वाली याचिका पर निर्वाचन आयोग से प्रतिक्रिया मांगी थी।
  • इस याचिका में कहा गया कि यह प्रावधान असंवैधानिक है क्योंकि इसने ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों में खराबी की शिकायत करने वाले को अपराधी बनाने का काम किया है।