प्रारंभिक परीक्षा
मधुमक्खी की खोजी गई नई प्रजाति
हाल ही में पश्चिमी घाटों में 200 से अधिक वर्षों के अंतराल के बाद एपिस कारिंजोडियन नामक स्थानिक मधुमक्खी की एक नई प्रजाति की खोज की गई है।
- भारत में अंतिम मधुमक्खी (एपिस इंडिका) की खोज फेब्रिसियस द्वारा वर्ष 1798 में की गई थी।
- इस नई खोज के साथ विश्व में मधुमक्खियों की प्रजातियों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है।
इस प्रजाति की प्रमुख विशेषता:
- परिचय:
- सामान्य नाम: भारतीय काली मधुमक्खियाँ।
- एपिस करिंजोडियन का विकास एपिस सेराना मॉर्फोटाइप्ससे हुआ है जो पश्चिमी घाट के गर्म और आर्द्र वातावरण के लिये अनुकूल हो गई है।
- भारतीय काली मधुमक्खियों का शहद अधिक गाढ़ा होता है, यह शहद के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक हैं।
- आज तक केवल एक ही प्रजाति (एपिस सेराना) को भारतीय उपमहाद्वीप में मध्य और दक्षिणी भारत तथा श्रीलंका के मैदानी इलाकों में 'समान रुप से वितरित' के रूप में देखा गया था।
- इस शोध ने देश में मधुमक्खी पालन को एक नई दिशा दी है, जिसमें तीन प्रकार की कैविटी घोंसले वाली मधुमक्खियों, एपिस इंडिका, एपिस सेराना और एपिस करिंजोडियन की उपस्थिति को दिखाया गया है।
- वितरण:
- एपिस करिनजोडियन का वितरण मध्य पश्चिमी घाट और नीलगिरी से लेकर दक्षिणी पश्चिमी घाट तक है जिसमें गोवा, कर्नाटक, केरल के साथ तमिलनाडु के कुछ हिस्से शामिल हैं।
- संरक्षण:
- IUCN रेड लिस्ट: निकट संकटग्रस्त (NT)
भारत में मधुमक्खी पालन की स्थिति :
- विश्व स्तर पर मधुमक्खी पालन बाज़ार में अनुमान है कि 2020-25 की अवधि के दौरान एशिया-प्रशांत द्वारा प्रमुख उत्पादक के रूप में 3% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की जाएगी।
- भारतीय मधुमक्खी पालन बाज़ार वर्ष 2024 तक 33,128 मिलियन रुपए तक पहुंँचने की उम्मीद है, जो लगभग 12 प्रतिशत की CAGR से बढ़ रहा है।
- भारत छठा प्रमुख प्राकृतिक शहद निर्यातक देश है।
- वर्ष 2019-20 के दौरान 633.82 करोड़ रुपए के प्राकृतिक शहद का रिकॉर्ड निर्यात किया गया जो कि 59,536.75 मीट्रिक टन था। प्रमुख निर्यात गंतव्य संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, कनाडा और कतर थे।
संबंधित पहल:
- 'मीठी क्रांति':
- यह मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है, जिसे 'मधुमक्खी पालन' '(Beekeeping) के नाम से जाना जाता है।
- मीठी क्रांति को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा वर्ष 2020 में (कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत) राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन शुरू किया गया।
- राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन का लक्ष्य 5 बड़े क्षेत्रीय एवं 100 छोटे शहद व अन्य मधुमक्खी उत्पाद परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित करना है।
- इनमें में से 3 विश्व स्तरीय अत्याधुनिक प्रयोगशालाएंँ स्थापित की गई हैं, जबकि 25 छोटी प्रयोगशालाएंँ स्थापित होने की प्रक्रिया में हैं।
- प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना:
- भारत प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिये मधुमक्खी पालकों को भी सहायता प्रदान कर रहा है।
- देश में 1.25 लाख मीट्रिक टन से अधिक शहद का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें से 60 हज़ार मीट्रिक टन से अधिक प्राकृतिक शहद का निर्यात किया जाता है।
- वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाना:
- घरेलू शहद की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं वैश्विक बाज़ार को आकर्षित करने के लिये भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोग के माध्यम से मधुमक्खी पालकों के क्षमता निर्माण पर सहयोग एवं ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
- घरेलू शहद की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं वैश्विक बाज़ार को आकर्षित करने के लिये भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोग के माध्यम से मधुमक्खी पालकों के क्षमता निर्माण पर सहयोग एवं ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. जीवों के निम्नलिखित प्रकारों पर विचार कीजिये: (2012)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से परागणकारी है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) व्याख्या:
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स्रोत: द हिंदू
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 07 नवंबर, 2022
राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस
देश में प्रत्येक वर्ष 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस (National Cancer Awareness Day) मनाया जाता है ताकि जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिये शुरुआती कैंसर का पता लगाने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। मैरी क्यूरी की जयंती के अवसर पर 7 नवंबर का दिन राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस के रुप में चुना गया था। कैंसर की स्थिति में शरीर की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं। कैंसर भारत सहित दुनिया भर में जीर्ण एवं गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases- NCD) की वजह से होने वाली मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority- NPPA) ने कैंसर की दवाओं को अधिक किफायती बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
शिशु सुरक्षा दिवस
शिशु सुरक्षा दिवस प्रतिवर्ष 7 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में शिशुओं की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। भारत में शिशु मृत्यु दर कई देशों की तुलना में अधिक है, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल की कमी के कारण यह समस्या और भी गंभीर होती जा रही है। विश्व भर में नवजात शिशुओं की उचित सुरक्षा एवं बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण बहुत सारे बच्चों की मृत्यु हो जाती है। विभिन्न देशों की सरकारों ने इस समस्या से निपटने के लिये अनेक योजनाएँ लागू की हैं। भारत में इसी संदर्भ में शिशु के साथ-साथ माँ के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा जननी सुरक्षा योजना शुरू की गई है। साथ ही इससे संबंधित अन्य योजनाएँ भी कार्यान्वित की जा रही हैं, जैसे- सुकन्या समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन आदि। इन सभी योजनाओं का मूल उद्देश्य शिशु-मातृ मृत्यु दर में कमी लाना, उनके स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार करना, शिशुओं के लिये नियमित टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराना आदि हैं।
वर्ल्ड ट्रेवल मार्केट प्रदर्शनी
भारत 07 नवंबर, 2022 से लंदन में शुरू हो रहे वर्ल्ड ट्रेवल मार्केट प्रदर्शनी में भाग लेगा। यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बडी प्रदर्शनियों में से एक है। इस वर्ष प्रदर्शनी की थीम है- यात्रा का भविष्य अब शुरू होता है। पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, प्रदर्शनी में भारत स्वयं को पर्यटन के लिये पसंदीदा देश के रूप में प्रस्तुत करेगा। तीन दिवसीय इस प्रदर्शनी में भारतीय मंडप में विभिन्न राज्य सरकारें, कई केंद्रीय मंत्रालय, टूर ऑपरेटर सहित कुल 16 हितधारक भाग ले रहे हैं। इसका उद्देश्य चिकित्सा यात्रा, सभी सुविधाओं से सुसज्जित्त रेलगाड़ियों सहित पर्यटन से जुड़ी सेवाओं को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष प्रस्तुत करना है। वर्ष 2019 के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद में यात्रा और पर्यटन क्षेत्र का योगदान 5.19 प्रतिशत रहा। भारतीय पर्यटन क्षेत्र लगभग आठ करोड लोगों को रोज़गार के अवसर देता है। केंद्र एवं राज्य सरकारों के निरंतर प्रयास से पर्यटन उद्योग को कोविड महामारी के असर से उबरने में मदद मिली है और यह धीरे-धीरे कोविड पूर्व स्थिति में लौट रहा है।