प्रिलिम्स फैक्ट्स (07 Apr, 2023)



स्टैंड-अप इंडिया योजना

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों को सशक्त बनाने और महिला सशक्तीकरण सुनिश्चित करने में स्टैंड-अप इंडिया पहल की भूमिका की सराहना की है।

प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:  
    • आर्थिक सशक्तीकरण और रोज़गार सृजन को केंद्र में रखते हुए ज़मीनी स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये 5 अप्रैल 2016 को वित्त मंत्रालय द्वारा स्टैंड अप इंडिया योजना शुरू की गई थी।
    • इस योजना को वर्ष 2025 तक के लिये बढ़ा दिया गया है।
  • उद्देश्य: 
    • महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणी में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना
    • विनिर्माण, सेवाओं या व्यापार क्षेत्र एवं कृषि से संबद्ध गतिविधियों में ग्रीनफील्ड उद्यमों हेतु ऋण प्रदान करना।
    • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की प्रति बैंक शाखा में कम-से-कम एक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उधारकर्त्ता एवं कम-से-कम एक महिला उधारकर्त्ता को रु. 10 लाख से रु. 100 लाख के बीच बैंक ऋण की सुविधा प्रदान करना। 
  • बैंक ऋण की सुविधा:
    • इस योजना का उद्देश्य सभी बैंक शाखाओं को ऋण प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित करना है। इच्छुक आवेदक योजना के तहत निम्नलिखित माध्यम से आवेदन कर सकते हैं:
      • सीधे शाखा में या,
      • स्टैंड अप इंडिया पोर्टल (www.standupmitra.in) के माध्यम से या,
      • अग्रणी ज़िला प्रबंधक (LDM) के माध्यम से।
  • ऋण के लिये पात्रता:
    • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और/या महिला उद्यमी, जिनकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है।
    • योजना के तहत ऋण केवल ग्रीन फील्ड परियोजनाओं के लिये उपलब्ध हैं। इस संदर्भ में ग्रीन फील्ड,  निर्माण, सेवाओं या व्यापार क्षेत्र और कृषि संबंधी गतिविधियों के लाभार्थियों का उपक्रम है।
    • गैर-व्यक्तिगत उद्यमों के मामले में 51% शेयरधारिता और नियंत्रण हिस्सेदारी या तो अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और/या महिला उद्यमी के पास होनी चाहिये। 
    • ऋणकर्त्ता किसी भी बैंक/वित्तीय संस्थान का डिफाल्टर नहीं होना चाहिये। 
    • इस योजना में '15% तक' सीमा राशि की परिकल्पना की गई है जो केंद्रीय/राज्य योजनाओं के साथ अभिसरण में प्रदान की जा सकती है।  
      • किसी भी स्थिति में, ऋणकर्त्ता को परियोजना लागत का कम-से-कम 10% अपने योगदान के रूप में भुगतान करना होगा। 
  • उपलब्धियाँ: 
    • स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत पिछले 7 वर्षों में 180,636 खातों में 40,710 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए हैं।
    • इस योजना के तहत 80% से अधिक ऋण महिलाओं को प्रदान किये गए हैं।

Stand-up

स्रोत: पी.आई.बी.


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 07 अप्रैल, 2023

ओलिव क्राउन अवार्ड्स  

ओलिव क्राउन अवॉर्ड्स का 13वाँ संस्करण मुंबई, भारत में आयोजित किया गया था, ताकि स्थिरता या 'हरित विज्ञापन' को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों और कॉरपोरेट्स की सराहना की जा सके। यह पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय विज्ञापन संघ द्वारा प्रदान किया जाता है। पुरस्कारों में 17 श्रेणियाँ शामिल हैं, जिनमें 'ग्रीन एजेंसी ऑफ द ईयर' और 'ग्रीन कैंपेन ऑफ द ईयर' भी शामिल हैं। उल्लेखनीय विजेताओं में पी. एन. मोहन शामिल हैं, जिन्होंने चेन्नई के पास सात झीलों की पुनर्बहाली करने की अपनी प्रतिबद्धता के लिये प्रतिष्ठित 'ग्रीन क्रूसेडर ऑफ द ईयर' पुरस्कार जीता। किर्लोस्कर लिमिटलेस को 'ए मिनट फॉर नेचर' पर उनके कार्य हेतु 'कॉर्पोरेट क्रूसेडर ऑफ द ईयर' श्रेणी में स्वर्ण पुरस्कार मिला। फेमस इनोवेशंस ने सभी श्रेणियों में 10 पुरस्कार जीते, जबकि चिराग रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन और पीपुल फॉर एनिमल्स वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड कंजर्वेशन सेंटर को 'ग्रीन एनजीओ ऑफ द ईयर' श्रेणी में स्वर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

भारत ने 100% चावल फोर्टिफिकेशन लक्ष्य प्राप्त किया 

चावल फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम के तहत भारत के 27 राज्यों के कुल 269 ज़िलों ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत पोषणयुक्त चावल (फोर्टीफाइड चावल) का वितरण शुरू कर दिया है और इस प्रकार चावल की फोर्टिफिकेशन योजना के अंतर्गत दूसरे चरण के लिये मार्च 2023 तक के निर्धारित शत- प्रतिशत लक्ष्य को हासिल कर लिया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत सरकार की प्रत्येक सामाजिक सुरक्षा दायरा योजना में वर्ष 2024 तक चरणबद्ध तरीके से फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति करना है। राइस फोर्टिफिकेशन प्रोग्राम के दूसरे चरण के दौरान TPDS के तहत 105 लाख मीट्रिक टन फोर्टीफाइड चावल उठाया गया और 27 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को वितरित किया गया, जबकि एकीकृत बाल विकास सेवाओं और पीएम पोषण के तहत आने वाले राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा लगभग 29 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल उठाया गया। इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान कुल लगभग 134 LMT फोर्टिफाइड चावल उठाया गया। अब चरण III के तहत, विभाग मार्च 2024 की लक्षित तिथि से पहले गेहूँ की खपत वाले ज़िलों को छोड़कर शेष सभी ज़िलों के कवरेज को पूरा करने के लिये पूरी तरह तैयार है। फोर्टिफिकेशन आयरन, आयोडीन, ज़िंक, विटामिन A और D सहित महत्त्वपूर्ण विटामिन और खनिजों को शामिल करके चावल जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों के पोषण मूल्य को बढ़ाने की प्रक्रिया है। प्रसंस्करण से पहले ये पोषक तत्व भोजन में मौजूद हो भी सकते हैं और नहीं भी।

और पढ़ें: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS)

कोंडा रेड्डी जनजाति 

पोलावरम सिंचाई परियोजना के कारण होने वाले पुनर्स्थापन और पुनर्वास (R&R) के हिस्से के रूप में पोचावरम गाँव का पुनर्वास किया जाना निर्धारित है जिससे पोलावरम-कोंडा रेड्डी जनजाति अनिश्चितता का सामना कर रही है। आंध्र प्रदेश में कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में वर्गीकृत कोंडा रेड्डी समुदाय खम्मम (तेलंगाना) और श्रीकाकुलम (आंध्र प्रदेश) के पहाड़ी वन क्षेत्र में गोदावरी नदी (पूर्व और पश्चिम गोदावरी ज़िले) के दोनों किनारों पर रहते हैं। ये आंतरिक वन क्षेत्रों में रहते हैं जिसके कारण ये मुख्य धारा से कटे हुए हैं। परंपरागत रूप से यह झूम कृषि करते थे लेकिन हाल ही में इनमें से कुछ ने स्थिर कृषि और बागवानी को अपनाया है। गैर-इमारती वन उत्पादों का संग्रह करना और टोकरी बनाना इनकी आजीविका के स्रोत हैं।

और पढ़ें: कोंडा रेड्डी जनजाति 

थिरा नृत्य (Thira Dance) 

थिर्रा, जिसे तेय्यम थिरा के नाम से भी जाना जाता है, भारत के केरल में मालाबार क्षेत्र के उपवनों और मंदिरों में किया जाने वाला एक आनुष्ठानिक नृत्य है। यह कला रूप मलाया समुदाय के कलाकारों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, जिन्हें "पेरुमलायंस (Perumalayans)" के रूप में जाना जाता है। यह आमतौर पर उत्सवम के नाम से पहचाने जाने वाले वार्षिक मंदिर उत्सव के दौरान किया जाता है। इन रूपों में भगवती और शिव जैसे कुल देवताओं की पूजा की जाती है।

थिरा, तेय्यम का एक उप-विभाजन है और तेय्यम नृत्य के समान है, सिवाय इसके कि थिरा में कलाकार को भगवान का प्रतिनिधित्व करने के बजाय भगवान के पास माना जाता है।

थिरा का उद्देश्य, देवताओं को अपने जीवन में लाने के एक तरीके के रूप में देखा जाता हैताड़ी, मादक पेय, देवताओं को एक भेंट के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और लगभग सभी कलाकार इसके प्रभाव में नृत्य करते हैं, जो "आविष्ट" होने की भावना पैदा करने में मदद करता है। कलाकार पेरुवन्नन जाति के हैं, जिन्हें थिरा में प्रमुख महत्त्व दिया जाता है। उच्च जाति के ब्राह्मणों और निम्न जाति के आदिवासियों दोनों का केरल में पूजा में महत्त्वपूर्ण स्थान है।