प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 6 नवंबर, 2019
व्हाइट गुड्स सेक्टर
White Goods Sector
हाल ही में निर्माताओं और खुदरा विक्रेताओं के अनुसार, दीपावली के अवसर पर व्हाइट गुड्स सेक्टर (White Goods Sector) तथा अन्य घरेलू उपकरणों की मांग में लगभग 20-35% की वृद्धि देखी गई है।
व्हाइट गुड्स क्या हैं?
- व्हाइट गुड्स बड़े घरेलू उपकरण जैसे- स्टोव, रेफ्रिजरेटर, फ्रीजर, वाशिंग मशीन, टम्बल ड्रिकर्स, डिशवॉशर और एयर कंडीशनर आदि होते हैं।
- ये ऐसे विद्युत उपकरण होते हैं जो सामान्यतः सफेद रंग में ही उपलब्ध होते हैं।
- एक विस्तृत श्रृंखला में विभिन्न रंगों में खरीदने के उपरांत भी इन्हें व्हाइट गुड्स ही कहा जाएगा।
- इनकी समग्र वृद्धि दर 35% है।
- प्रीमियम उत्पादों में लगभग 40% तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
मांग में वृद्धि का कारण
- उत्पादों की उच्च गुणवत्ता, उपभोक्ताओं के लिये आकर्षक ऑफर, सुविधाजनक वित्तपोषण के विकल्प आदि मांग में वृद्धि के कारक हैं।
भारत का नया मानचित्र
New Map of India
हाल ही में भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को प्रभावी तौर से समाप्त करके जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को लागू कर दिया गया है। इस अधिनियम के तहत पुरानी व्यवस्था को परिवर्तित करके दो नए संघशासित क्षेत्रों जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख का पुनर्गठन किया गया।
- वर्ष 1947 में भूतपूर्व जम्मू और कश्मीर राज्य में निम्न 14 जिले थे – कठुआ, जम्मू, ऊधमपुर, रियासी, अनंतनाग, बारामूला, पुँछ, मीरपुर, मुज़फ्फराबाद, लेह और लद्दाख, गिलगित, गिलगित वजारत, चिल्हास तथा ट्राइबल टेरिटरी।
- वर्ष 2019 में भूतपूर्व जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार द्वारा इन 14 ज़िलों के क्षेत्रों को पुनर्गठित करके 28 ज़िलों में परिवर्तित कर दिया गया है।
- नए ज़िले इस प्रकार हैं – कुपवारा, बान्दीपुर, गांदरबल, श्रीनगर, बड़गाम, पुलवामा, शोपियाँ, कुलगाम, राजौरी, रामबन, डोडा, किश्तवार, साम्बा और कारगिल।
- नए लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र में कारगिल तथा लेह दो ज़िले हैं तथा जम्मू-कश्मीर राज्य संघ क्षेत्र में भूतपूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य का शेष हिस्सा है।
- कारगिल ज़िले को लेह और लद्दाख ज़िले के क्षेत्र से अलग करके बनाया गया है।
- इस आधार पर भारत के मानचित्र में 31 अक्तूबर, 2019 को सृजित नए जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र को दर्शाते हुए सर्वेअर जनरल ऑफ इंडिया (Surveyer General Of India) द्वारा तैयार किया गया मानचित्र इस प्रकार है।
स्किल बिल्ड प्लेटफार्म
Skills Build platform
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (Ministry of Skill Development & Entrepreneurship- MSDE) के तहत कार्यरत प्रशिक्षण महानिदेशालय (Directorate General of Training- DGT) द्वारा प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनी IBM ( International Business Machines) के सहयोग से स्किल बिल्ड प्लेटफार्म कार्यक्रम (Skills Build platform) की शुरुआत की गई।
स्किल बिल्ड प्लेटफार्म
- इस प्लेटफॉर्म के तहत IBM के सहयोग से आईटी नेटवर्किंग और क्लाउड कंप्यूटिंग के लिये इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट॒यूट तथा नेशनल स्किल ट्रेनिंग इंस्टिटयूट द्वारा दो वर्ष का एडवांस डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया गया है।
- यह प्लेटफॉर्म छात्रों को MyInnerGenius (माई इनर जिनियस) के माध्यम से ज्ञान संबंधी क्षमताओं और व्यक्तित्व से संबंधित स्व-आकलन की सुविधा प्रदान करेगा।
- यह प्लेटफॉर्म उन्नति और एडुनेट फाउंडेशन जैसे प्रमुख गैर सरकारी संगठनों की सहायता से शुरू किया गया है।
उद्देश्य
- इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य छात्रों को डिजिटल प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ व्यावसायिक कौशल जैसे कि बायो-डेटा तैयार करना, समस्या समाधान और संचार संबंधी मूलभूत ज्ञान प्रदान करना है।
- यह पहल रोज़गार के लिये श्रम बल तैयार करने तथा नए कॉलर कॅरियर्स (New Collar Carriers) के लिए आवश्यक, अगली पीढ़ी के कौशलों का निर्माण करने की IBM की वैश्विक प्रतिबद्धता का अंग है।
- स्किल्स बिल्ड प्लेटफॉर्म भारत में आजीवन शिक्षण संभव बनाने और भारत सरकार की स्किल इंडिया पहल के साथ समायोजन के प्रति IBM की संकल्पबद्धता को और सुदृढ़ करेगा।
नासा का वॉयजर-2 अंतरिक्षयान
NASA’s Voyager 2 spacecraft
नासा का वॉयजर-2 अंतरिक्षयान सौरमंडल की परिधि (Heliosphere ) के बाहर इंटरस्टेलर क्षेत्र (Interstellar Space) में पहुँचने वाला दूसरा यान बन गया है।
वॉयजर-2
- वॉयजर-2 को 20 अगस्त, 1977 को लाॅन्च किया गया था तथा इसके 16 दिन बाद 5 सितंबर, 1977 को वॉयजर-1 लांच किया गया था।
- अंतरिक्षयान पर लगे प्लाज़्मा तरंग यंत्र पर प्लाज़्मा घनत्व की रीडिंग के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि वॉयजर-2 ने 5 नवंबर, 2018 को इंटरस्टेलर क्षेत्र में प्रवेश किया था।
- वैज्ञानिकों के अनुसार प्लाज़्मा का बढ़ा हुआ घनत्व इस बात की पुष्टि करता है कि अंतरिक्षयान सौर हवाओं के गर्म और कम घनत्व वाले प्लाज़्मा के घेरे से बाहर निकलते हुए ठंडे एवं अधिक प्लाज़्मा घनत्व वाले इंटरस्टेलर स्पेस में सफर कर रहा है।
- वॉयजर-2 से मिले प्लाज़्मा घनत्व के आँकड़े वॉयजर-1 के घनत्व के आँकड़ों से मिलते हैं
- वॉयजर-2 से पहले नासा का ही वॉयजर-1 इस सीमा के पार पहुँचा था।
- वायेजर-1 के बाद वॉयजर-2 इंटरस्टेलर क्षेत्र में पहुँचने वाला दूसरा मानव निर्मित अंतरिक्षयान बन गया है।
- वॉयजर-2 और वॉयजर-1 के इंटरस्टेलर क्षेत्र में पहुँचने पर यह ज्ञात हुआ है कि इस क्षेत्र में सौर हवाओं कि एक मज़बूत सीमा बनी हुई है।
- वॉयजर-1 और वॉयजर-2 ने अलग-अलग पथ से होते हुए सूर्य से लगभग बराबर दूरी पर इंटरस्टेलर क्षेत्र में प्रवेश किया।
- इससे पता चलता है कि हेलियोस्फेयर का आकार सममित (Symmetric) है।
हेलियोस्फेयर और इंटरस्टेलर
- सूर्य से बाहर की ओर बहने वाली हवाओं से सौरमंडल के चारों ओर एक बुलबुले जैसा घेरा बना हुआ है। इस घेरे को हेलियोस्फेयर और इसकी सीमा से बाहर के क्षेत्र को इंटरस्टेलर कहा जाता है।