इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर: ISRO
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation-ISRO) ने इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर (Inflatable Aerodynamic Decelerator-IAD) तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है जो स्पेंट स्टेज रिकवरी में आने वाली लागत को प्रभावी रूप से कम कर सकता है और अन्य ग्रहों पर सुरक्षित रूप से पेलोड लैंडिग में सहायता कर सकता है।
इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर (IAD):
- IAD का ISRO के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (Vikram Sarabhai Space Centre- VSSC) द्वारा डिज़ाइन, विकसित और सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।
- IAD का थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन से रोहिणी-300 (RH300 Mk II) साउंडिंग रॉकेट में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था।
- रोहिणी साउंडिंग राकेटों का उपयोग ISRO द्वारा विकसित की जा रही नई प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ भारत और विदेशों के वैज्ञानिकों द्वारा उड़ान प्रदर्शन के लिये नियमित रूप से किया जाता है।
- IAD वातावरण के माध्यम से नीचे गिरने वाली वस्तु की गति को धीमा करने का कार्य करता है।
- IAD को शुरू में मोड़कर रॉकेट के ‘पेलोड बे’ के अंदर रखा गया। लगभग 84 किमी. की ऊंँचाई पर IAD में गैस भरी गई और यह एक साउंडिंग रॉकेट के पेलोड भाग के साथ वायुमंडल के माध्यम से नीचे उतरा।
- IAD ने वायुगतिकीय ड्रैग के माध्यम से पेलोड के वेग को व्यवस्थित रूप से कम कर दिया है और अनुमानित प्रक्षेपवक्र का पालन किया है।
- किसी वस्तु पर लगने वाला बल जो द्रव के माध्यम से अपनी गति का विरोध करता है, ड्रैग कहलाता है। जब द्रव वायु के समान गैस होता है, तो इसे वायुगतिकीय ड्रैग या वायु प्रतिरोध कहा जाता है।
- महत्त्व:
- IAD में विभिन्न प्रकार के अंतरिक्ष अनुप्रयोगों, जैसे- रॉकेट के समाप्त चरणों की रिकवरी, मंगल या शुक्र पर पेलोड लैंडिंग के लिये और मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिये अंतरिक्ष आवास बनाने में भारी संभावनाएँ है।
ISRO के बारे में:
- ISRO भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के तहत अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसका मुख्यालय कर्नाटक के बेंगलुरु शहर में स्थित है।
- इसका उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान अनुसंधान और ग्रहों की खोज को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय विकास के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है।
- एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Antrix Corporation Limited- ACL) ISRO द्वारा विकसित अंतरिक्ष उत्पादों, तकनीकी परामर्श सेवाओं और प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के प्रचार तथा वाणिज्यिक अनुप्रयोग के लिये, ISRO की एक विपणन शाखा है।
- ISRO के वर्तमान अध्यक्ष एस. सोमनाथ है।
हैदराबाद मुक्ति दिवस
तेलंगाना सरकार और केंद्र सरकार 17 सितंबर, 2022 को हैदराबाद की मुक्ति के 75 वर्ष पूर्ण होने का आयोजन मनाएँगे, जो निज़ाम शासन के तहत भारतीय संघ के साथ तत्कालीन हैदराबाद राज्य के विलय को दर्शाता है।
हैदराबाद रियासत के भारत में एकीकरण का इतिहास:
- हैदराबाद भारत के सबसे बड़े मूल निवासी/रियासतों में से एक था। यह निजाम द्वारा शासित था जिन्होंने ब्रिटिश संप्रभु की सर्वोच्चता को स्वीकार किया था।
- जूनागढ़ के नवाब और कश्मीर के शासक की तरह हैदराबाद के निज़ाम भारत को आज़ादी यानी 15 अगस्त, 1947 से पूर्व भारत में शामिल नहीं हुए थे।
- उन्हें पाकिस्तान और मुस्लिम मूल के नेताओं द्वारा एक स्वतंत्र शक्ति के रूप में अपना अस्तित्त्व बनाये रखने और एकीकरण का विरोध करने के लिये अपने सशस्त्र बलों में सुधार करने के लिये प्रोत्साहित किया गया था।
- इस सैन्य सुधार के दौरान, हैदराबाद राज्य में आंतरिक अराजकता का उदय हुआ, जिसके कारण 13 सितंबर, 1948 को भारतीय सेना को ‘ऑपरेशन पोलो’ (हैदराबाद को भारत संघ में मिलाने के लिये सैन्य अभियान) के तहत हैदराबाद भेजा गया था, क्योंकि हैदराबाद में कानून-व्यवस्था की स्थिति ने दक्षिण भारत की शांति के लिये खतरा पैदा कर दिया।
- सैनिकों को रज़ाकारों (एकीकरण का विरोध करने वाले निजी मिलिशिया) के हल्के-फुल्के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा और 13-18 सितंबर के मध्य सेना ने राज्य पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया।
- ऑपरेशन के कारण बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई, जिसमें 27,000-40,000 लोगों की मौत का अनुमान लगाया गया था, जिसमें 200,000 या उससे अधिक के विद्वान थे।
- एकीकरण के बाद निज़ाम को वही दर्जा प्रदान किया गया था, जो भारत के साथ विलय करने वाले अन्य राजाओं को प्राप्त था ।
- पकिस्तान द्वारा इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र में की गई शिकायतों को भी अस्वीकार कर दिया गया और पाकिस्तान के ज़ोरदार विरोध तथा अन्य देशों की कड़ी आलोचना के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस मामले में आगे हस्तक्षेप नहीं किया, अंततः हैदराबाद का भारत में विलय हो गया।
Q. भारतीय इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) व्याख्या:
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स्रोत: द हिंदू
लद्दाख में डार्क स्काई रिज़र्व
हाल ही में अपनी तरह की विशिष्ट एवं भारत के पहले डार्क स्काई रिज़र्व की विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा हानले, लद्दाख में स्थापना की घोषणा की है।
डार्क स्काई रिज़र्व
- डार्क स्काई रिज़र्व एक ऐसे स्थान को दिया गया नाम है जिसमें यह सुनिश्चित करने के लिये नीतियाँ हैं कि किसी भूमि या क्षेत्र के एक पथ में न्यूनतम कृत्रिम प्रकाश बाधाएँ होती है।
- इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन अमेरिका आधारित गैर-लाभकारी संस्था है जो स्थानों को अंतर्राष्ट्रीय डार्क स्काई प्लेस पार्क, रिज़र्व और संरक्षित क्षेत्र के रूप में नामित करती है, जो उनके द्वारा दिये गए मानदंडों पर निर्भर करती है।
लद्दाख में डार्क रिज़र्व की प्रमुख विशेषताएँ:
- डार्क रिज़र्व की स्थापना हेतु समझौता ज्ञापन: केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (Ladakh Autonomous Hill Development Council-LAHDC), लेह और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA), बेंगलुरु के बीच तीन-तरफा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए, जो दूरबीनों का उपयोग और रखरखाव करता है।
- इसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के हस्तक्षेप के माध्यम से स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करने के लिये गतिविधियाँ होंगी।
- पर्यटन को बढ़ावा: एस्ट्रो-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये हानले के आसपास के गाँवों को टेलिस्कोप से लैस होमस्टे को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसका उपयोग आगंतुक रात के आकाश को देखने के लिये कर सकते हैं।
- ग्रामीणों और निवासियों को खगोलीय अवलोकन के साथ आगंतुकों की मदद करने के लिये भी प्रशिक्षित किया जाएगा।
- सड़कों पर चित्रांकनकर्त्ता होंगे जैसे बाहरी वेधशालाओं में होता है। पर्यटक आ सकते हैं, पार्क कर सकते हैं, आकाश को देख सकते हैं और होमस्टे में रह सकते हैं।
- ग्रामीणों और निवासियों को खगोलीय अवलोकन के साथ आगंतुकों की मदद करने के लिये भी प्रशिक्षित किया जाएगा।
- वन्यजीव जागरूकता: लोगों को न केवल खगोल विज्ञान के बारे में बल्कि आसपास के चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य में वन्यजीवों और पौधों के जीवन के बारे में सूचित करने के लिये सुचना केंद्र भी स्थापित किया जाएगा।
डार्क रिज़र्व की स्थापना हेतु लद्दाख का चयन करने के प्रमुख कारण :
- विरल जनसंख्या वाला शीत मरुस्थल: भारतीय खगोलीय वेधशाला, IIA का उच्च-ऊँचाई वाला स्टेशन, पश्चिमी हिमालय के उत्तर में समुद्र तल से 4,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
- चांगथांग की हानले घाटी में नीलमखुल मैदान में सरस्वती पर्वत के ऊपर स्थित, यह एक शुष्क एवं शीत रेगिस्तान (Cold Desert है, जहाँ विरल मानव आबादी है और इसके सबसे निकट हानले मठ है।
- स्वच्छ आकाश: बादल रहित आकाश और निम्न वायुमंडलीय जल वाष्प इसे ऑप्टिकल, इन्फ्रारेड, सब-मिलीमीटर और मिलीमीटर तरंग दैर्ध्य के लिये यह विश्व के सबसे अनुकूल स्थानों में से एक है।
- हानले वेधशाला में स्थित अन्य टेलीस्कोप: हिमालय चंद्र टेलीस्कोप (Himalayan Chandra Telescope-HCT), हाई एनर्जी गामा रे टेलीस्कोप (High Energy Gamma Ray telescope-HAGAR), मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट टेलीस्कोप (Major Atmospheric Cherenkov Experiment Telescope-MACE) और ग्रोथ (GROWTH)-इंडिया हानले वेधशाला में स्थित प्रमुख टेलीस्कोप हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रिलिम्स: निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से एल्बर्ट आइन्सटाइन के आपेक्षिकता के सामान्य सिद्धांत का/के भविष्यकथन कौन सा/से हैं, जिसकी/जिनकी प्रायः समाचार माध्यमों में विवेचना होती है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) व्याख्या:
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स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05-सितंबर, 2022
अनुकूलचंद्र ठाकुर
3 सितंबर, 2022 को बांग्लादेश के हेमायेतपुर (पाबना) में आध्यात्मिक गुरु अनुकूलचंद्र ठाकुर की 135वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर पाबना के हेमायेतपुर में उनके जन्म स्थान पर तीन दिवसीय कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ। आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक श्री अनुकूलचंद्र ठाकुर का जन्म वर्ष 1888 में हेमायेतपुर, पाबना में हुआ था। उन्होंने एक आध्यात्मिक आंदोलन की शुरूआत की जिसमें सभी धर्मों की एकता पर ज़ोर दिया गया। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये संस्थानों की स्थापना की। स्वतंत्रता आंदोलन के कुछ महान नेताओं जैसे देशबंधु चित्तरंजन दास ने उन्हें अपना गुरु माना। पाबना के यात्रा के दौरान महात्मा गांधी ने भी उनसे मुलाकात की थी। इस अवसर पर आध्यात्मिक आंदोलन के सदस्यों ने मांग की है कि अनुकूलचंद्र ठाकुर आश्रम की भूमि उनके संगठन को सौंप दी जाए। श्री अनुकूलचंद्र ठाकुर वर्ष 1946 में पाबना छोड़कर भारत आ गए थे और बाद में विभाजन के बाद 'सत्संग आश्रम' की भूमि को पाकिस्तान सरकार ने अपने कब्ज़े में ले लिया और एक मानसिक चिकित्सालय में बदल दिया, जो वर्तमान में भी मौजूद है।
शिक्षक दिवस
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 05 सितंबर, 2022 को नई दिल्ली में 46 शिक्षकों को वर्ष 2022 के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित करेंगी। शिक्षा मंत्रालय का स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम आयोजित करता है। शिक्षकों का चयन तीन चरणों में पारदर्शी और ऑनलाइन माध्यम से किया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का उद्देश्य देश के आदर्श शिक्षकों को सम्मानित करना है। ज्ञात है कि राष्ट्र के योगदान में शिक्षकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में शिक्षक दिवस भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति, दूसरे राष्ट्रपति और शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुट्टनी में हुआ था और वे वर्ष 1962 में भारत के राष्ट्रपति बने थे और वे वर्ष 1967 तक इस पद पर रहे थे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को एक शिक्षक के साथ-साथ एक प्रसिद्ध दार्शनिक और राजनेता के रूप में भी जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को साहित्य में नोबेल पुरस्कार के लिये कुल 16 बार और नोबेल शांति पुरस्कार के लिये कुल 11 बार नामांकित किया गया था। 16 अप्रैल, 1975 को चेन्नई में उनकी मृत्यु हो गई। इस अवसर पर विद्यार्थी अपने-अपने तरीके से शिक्षकों के प्रति आदर और सम्मान प्रकट करते हैं। ध्यातव्य है कि विश्व शिक्षक दिवस प्रत्येक वर्ष 5 अक्तूबर को मनाया जाता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 20वीं सदी के महानतम विचारकों में से एक होने के साथ-साथ भारतीय समाज में पश्चिमी दर्शन को प्रस्तुत करने के लिये भी याद किया जाता है।
नेहरू ट्रॉफी
केरल में 68वीं नेहरू ट्रॉफी नौका दौड़ 04 सितंबर, 2022 को अलाप्पुझा ज़िले के पुन्नमदा झील में आयोजित की जा रही हैं। प्रतियोगिताएँ नौ श्रेणियों में आयोजित की जाती हैं। प्रतिस्पर्द्धा में 20 स्नेक नौकाओं/सर्प नौकाओं सहित 77 नौकाएँ भाग लेंगी। श्रीनगर की डल झील के 24 शिकारा पैडलर्स भी इस बार नौका दौड़ में हिस्सा ले रहे हैं। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस प्रतिष्ठित ट्रॉफी पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के हस्ताक्षर हैं। केरल के पश्चजल/बैकवाटर और नदियाँ प्राचीन काल से वल्लम कली (वल्लम यानी नौका और कली यानी नाटक या खेल) का प्रदर्शन स्थल रहे हैं। केरल में फसल कटाई के त्योहार ओणम के दिनों में इसका आकर्षण चरम पर होता है। केरल की नौका दौड़ नेहरू ट्रॉफी बोट रेस सर्वाधिक प्रसिद्ध है। तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जो वर्ष 1952 में प्रथम प्रतिस्पर्द्धा नौका दौड़ के मुख्य अतिथि बने थे। इसके बाद से विजेता की ट्रॉफी जवाहर लाल नेहरू ट्रॉफी कहलाने लगी। इस दौड़ का आयोजन प्रत्येक वर्ष अगस्त महीने के दूसरे शनिवार के दिन होता है। इन नौका दौड़ों में शानदार सर्प नौकाओं या चुण्डन शामिल होते हैं। इन विशाल सर्प नौकाओं में एक-साथ लयबद्ध ताल में चप्पुओं का खेना दर्शकों के लिये अविस्मरणीय अनुभव होता है प्रत्येक वर्ष अगस्त महीने के दूसरे शनिवार को आयोजित होने वाली यह नौका दौड़ दुनिया की सभी नौका दौड़ों में सबसे लोकप्रिय है।