प्रीलिम्स फैक्ट्स: 05 जुलाई, 2019
सिज़ोफ्रेनिया
(Schizophrenia)
हाल ही में भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने सिज़ोफ्रेनिया से संबंधित एक नए जीन (NAPRT1) की पहचान की है।
- यह जीन सिज़ोफ्रेनिया रोगियों के एक बड़े जीनोमिक डेटासेट में विटामिन बी3 चयापचय में शामिल एक एंजाइम का कूटलेखन (Encode) करता है।
- इस अध्ययन को मुख्य रूप से यूरोपीय वंश के निवासियों में किया गया जहाँ सिज़ोफ्रेनिया से ग्रस्त रोगियों की एक बड़ी संख्या रहती है।
- सिज़ोफ्रेनिया एक मानसिक विकार है जो रोगी की सोच, भाषा, धारणा तथा स्वयं की भावना को बहुत अधिक प्रभावित करता है।
- सिज़ोफ्रेनिया के मरीज वास्तविक दुनिया से कट जाते हैं। इस बीमारी से ग्रसित दो मरीजों के लक्षण हर बार एक जैसे नहीं होते। ऐसे में इस बीमारी का पता लगाना कठिन हो जाता है।
सिज़ोफ्रेनिया के कारण
- आनुवंशिक
- वायरल संक्रमण
- भ्रूण कुपोषण
- प्रारंभिक जीवन के दौरान तनाव
- जन्म के समय माता-पिता की आयु
प्रभाव
- मतिभ्रम
- भ्रम
- कम बोलना
- सूचना और निर्णय लेने की क्षमता को कम करना
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी या ध्यान देना आदि
सिज़ोफ्रेनिया का इलाज
- सिजोफ्रेनिया एक ऐसी स्थिति है जो सारी जिंदगी रहती है,
- सभी प्रकार के सिजोफ्रेनिया का इलाज एक ही तरीके से किया जाता है।
- बीमारी के तथ्यों, गंभीरता और लक्षणों के आधार पर इसके इलाज के तरीकों में अंतर हो सकता है।
विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव
(Privilege motion)
हाल ही में एक भारतीय सांसद ने एक टीवी चैनल और उसके एंकर के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पारित किया है।
- यह प्रस्ताव संसद में दिये गए भाषण को गलत तरीके से पेश करने के कारण लाया गया है।
- जब कोई व्यक्ति या प्राधिकारी व्यक्तिगत रूप में संसद के सदस्यों अथवा सामूहिक रूप से सभा के किसी विशेषधिकार, अधिकार और उन्मुक्ति की अवहेलना करता है या उन्हें चोट पहुँचाता है, तो इसे विशेषाधिकार का उल्लंघन कहा जाता है।
- यह कृत्य सदन द्वारा दंडनीय होता है।
- इसके अतिरिक्त सदन के आदेशों की अवज्ञा करना अथवा सदन, इसकी समितियों, सदस्यों और पदाधिकारियों के विरुद्ध अपमानित लेख लिखना भी विशेषाधिकारों का उल्लंघन माना जाता है।
- संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 में क्रमशः संसद एवं राज्य विधानमंडल के सदनों, सदस्यों तथा समितियों को प्राप्त विशेषाधिकार उन्मुक्तियों का उल्लेख किया गया है।
- संविधान के उपबंधों के तहत संसद की प्रक्रिया का विनियमन करने वाले नियमों और स्थाई आदेशों के अधीन रहते हुए संसद में बोलने की स्वतंत्रता होगी।
- संसद में या उसकी किसी समिति में संसद के किसी सदस्य द्वारा कही गई किसी बात या दिये गए किसी मत के संबंध में उसके विरुद्ध न्यायालय में कोई कार्रवाई नही की जाएगी।