गोल्डन लंगूर
असम के ग्रामीण लोग एक ‘गोल्डन लंगूर आवास’ के लिये अभयारण्य के टैग का विरोध कर रहे हैं।
विवाद:
- असम वन विभाग ने 19.85 वर्ग किलोमीटर के जंगल को ‘ककोइजना बामुनी हिल वन्यजीव अभयारण्य’ में परिवर्तित करने हेतु एक प्रारंभिक अधिसूचना जारी की थी।
- काकोइजना रिज़र्व फॉरेस्ट’ गोल्डन लंगूर के लिये काफी प्रसिद्ध है।
- ग्रामीणों ने मांग की है कि ‘वन्यजीव अभयारण्य के पारंपरिक विचार’ को छोड़ दिया जाए और वन अधिकार अधिनियम, 2006 का उपयोग कर आरक्षित वन को एक सामुदायिक वन संसाधन में परिवर्तित कर दिया जाए, ताकि स्थायी संरक्षण के लिये भागीदारी की सामुदायिक सह-प्रबंधित प्रणाली सुनिश्चित की जा सके।
- ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय लोगों के संरक्षण प्रयासों ने संबंधित अधिकारियों को लगभग तीन दशकों में वन की कैनोपी को 5% से 70% तक ले जाने और ‘गोल्डन स्वर्ण लंगूर’ की आबादी को 100 से 600 तक बढ़ाने में मदद की है।
वन्यजीव अभयारण्य, आरक्षित वन और सामुदायिक वन संसाधन में अंतर:
- वन्यजीव अभयारण्य: यह वह स्थान है जो विशेष रूप से वन्यजीवों के उपयोग के लिये आरक्षित होता है, जिसमें जानवर, सरीसृप, कीड़े, पक्षी आदि मौजूद होते हैं। इसका उद्देश्य वन्यजीवों को एक ऐसा स्थान प्रदान करना है, जहाँ वे जीवन भर अपनी आबादी को व्यवहार्य बनाए रखें।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 केंद्र और राज्य सरकारों को किसी भी क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने का अधिकार देता है।
- आरक्षित वन: आरक्षित वन सबसे अधिक प्रतिबंधित वन हैं और किसी भी वन भूमि या बंजर भूमि पर जो कि सरकार की संपत्ति है, राज्य सरकार द्वारा गठित किये जाते हैं। आरक्षित वनों में किसी वन अधिकारी की विशेष अनुमति के बिना स्थानीय लोगों की आवाजाही निषिद्ध होती है।
- सामुदायिक वन संसाधन: वन अधिकार अधिनियम की धारा 2 (a) के अनुसार, यह गाँव की पारंपरिक या प्रथागत सीमाओं के भीतर प्रचलित सामान्य वन भूमि में मौजूद संसाधन हैं जहाँ वन और संरक्षित क्षेत्र जैसे- अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान तक समुदायों की पारंपरिक पहुँच थी।
गोल्डन लंगूर के बारे में:
- वैज्ञानिक नाम: ट्रेचीपिथेकस गी (Trachypithecus geei)
- गोल्डन लंगूरों को उनके फर के रंग के आधार पर पहचाना जा सकता है, जिसके बाद उनका नाम रखा जाता है।
- यह देखा गया है कि उनके फर मौसम के साथ-साथ भूगोलिक स्थिति (वे जिस क्षेत्र में रहते हैं) के अनुसार रंग बदलते हैं।
- युवास्था में उनका रंग भी वयस्कों से भिन्न होता है क्योंकि वे लगभग शुद्ध सफेद होते हैं।
- वे जंगलों में अपर कैनोपी (upper canopy) वाले पेड़ों पर अत्यधिक निर्भर होते हैं। इन्हें लीफ मंकी के नाम से भी जाना जाता है।
- पर्यावास: यह पश्चिमी असम और भारत-भूटान की सीमा से सटे इलाकों में पाया जाता है।
- उनका आवास चार भौगोलिक स्थलों से घिरे क्षेत्र तक ही सीमित है: भूटान (उत्तर), मानस नदी (पूर्व), संकोश नदी (पश्चिम), और ब्रह्मपुत्र नदी (दक्षिण) की तलहटी।
- खतरा:
- प्रतिबंधित आवास: जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, उनके आवास प्राकृतिक सीमाओं द्वारा प्रतिबंधित हैं और वे विलुप्त होने के खतरे की ओर बढ़ रहे हैं।
- पर्यावास विखंडन: विशेष रूप से ग्रामीण विद्युतीकरण और बड़े पैमाने पर वनों की कटाई पर के बाद असम में उनका आवास काफी हद तक खंडित हो गया है।
- इनब्रीडिंग: पेड़ों की कटाई के कारण घने जंगलों की कमी जैसे अवरोधों ने गोल्डन लंगूरों में इनब्रीडिंग के खतरे को बढ़ा दिया है।
- संरक्षण के प्रयास:
- केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, नई दिल्ली ने 2011 में असम में स्वर्ण लंगूर के संरक्षण, प्रजनन के लिये राज्य के चिड़ियाघर को एक परियोजना सौंपी।
- वर्ष 2009 में असम में इनकी अनुमानित संख्या 5,140 थी। कोविड-19 लॉकडाउन के कारण 2020 में जनगणना पूरी नहीं हो सकी।
- संरक्षण स्थिति:
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972) के अंतर्गत अनुसूची I की प्रजाति।
- वन्यजीवों तथा वनस्पतियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) के परिशिष्ट I में सूचीबद्ध।
- IUCN की रेड लिस्ट में इस प्रजाति को संकटापन्न (Endangered) की श्रेणी में रखा गया है।
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 फरवरी, 2022
अंतर्राष्ट्रीय मानव बंधुत्व दिवस
सांस्कृतिक एवं धार्मिक सहिष्णुता और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने हेतु प्रतिवर्ष 04 फरवरी को ‘अंतर्राष्ट्रीय मानव बंधुत्व दिवस’ का आयोजन किया जाता है। यह दिवस पहली बार वर्ष 2021 में संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा आयोजित किया गया था। यह दिन विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच संवाद के साथ-साथ सभी मनुष्यों के बीच साझा मूल्यों को बढ़ावा देता है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, यह विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक समूहों के बीच सहिष्णुता एवं सम्मान, शांति और स्थिरता का पारितंत्र विकसित करने में मदद कर सकता है। गौरतलब है कि 4 फरवरी, 2019 को पोप फ्राँसिस और अल-अज़हर के ग्रैंड इमाम अहमद अल-तैयब के बीच बैठक के परिणामस्वरूप ‘विश्व शांति एवं एकजुटता हेतु मानव बंधुत्व दस्तावेज़’ पर हस्ताक्षर किये गए थे। इस महत्त्वपूर्ण अवसर को चिह्नित करने और दस्तावेज़ में प्रतिपादित शांति संबंधी मूल्यों को बढ़ावा देने के लिये संयुक्त राष्ट्र ने ‘अंतर्राष्ट्रीय मानव बंधुत्व दिवस’ को आयोजित करने की घोषणा की थी। इस दिवस को पहली बार 4 फरवरी, 2021 को ‘संयुक्त राष्ट्र सभ्यताओं के गठबंधन’ (UNAOC) द्वारा मानव बंधुत्व की उच्च समिति और संयुक्त अरब अमीरात एवं मिस्र के स्थायी मिशनों के साथ संयुक्त राष्ट्र में आयोजित एक कार्यक्रम के साथ चिह्नित किया गया था।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के उप-कुलपति जगदीश कुमार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। जगदीश कुमार को पदभार ग्रहण करने की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि या 65 वर्ष की आयु तक के लिये नियुक्त किया गया है। गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के उप-कुलपति के रूप में जगदीश कुमार का पाँच वर्षीय कार्यकाल पिछले वर्ष जनवरी माह में समाप्त हो गया था, लेकिन उन्हें उत्तराधिकारी चुने जाने तक पद पर बने रहने के लिये कहा गया था। जगदीश कुमार की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में परिकल्पित ‘उच्च शिक्षा आयोग’ को लॉन्च करने हेतु संघर्ष कर रही है। इस ‘उच्च शिक्षा आयोग’ में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) जैसे मौजूदा नियामक निकायों को शामिल किया जाना है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया था, जिसके पश्चात् शिक्षा मंत्रालय के तहत यूजीसी अधिनियम, 1956 द्वारा यह भारत सरकार का एक वैधानिक संगठन बन गया। UGC के जनादेश में विश्वविद्यालय शिक्षा को बढ़ावा देना एवं समन्वय स्थापित करना; विश्वविद्यालयों में शिक्षण, परीक्षा एवं अनुसंधान के मानकों का निर्धारण करना और शिक्षा के न्यूनतम मानकों पर नियम बनाना शामिल हैं।
शीतकालीन ओलंपिक का राजनीतिक बहिष्कार
गलवान घटना में शामिल एक चीनी सैनिक को ओलंपिक मशाल वाहक के रूप में चुनने के बीजिंग के कदम की निंदा करते हुए भारत ने शीतकालीन ओलंपिक के राजनीतिक बहिष्कार की घोषणा की है। इसका अर्थ है कि भारत राजनयिक स्तर पर ओलंपिक का बहिष्कार करेगा, हालाँकि इस आयोजन में भारतीय एथलीट शामिल होंगे। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष सितंबर माह में भारत ने ब्रिक्स के संयुक्त बयान का समर्थन किया था, जिसके मुताबिक ‘सभी देश बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेज़बानी हेतु चीन को अपना समर्थन प्रदान करते हैं।’ विदित हो कि शीतकालीन ओलंपिक उन खेलों की प्रमुख प्रतियोगिता है जो बर्फ पर खेले जाते हैं। यह प्रत्येक चार वर्ष में आयोजित किया जाता है और इसमें दुनिया भर के प्रतिभागी शामिल होते हैं। आइस स्केटिंग, आइस हॉकी, स्कीइंग तथा फिगर स्केटिंग कुछ लोकप्रिय खेल हैं, जो शीतकालीन खेलों में खेले जाते हैं। पहला शीतकालीन ओलंपिक वर्ष 1924 में फ्राँस के शैमॉनिक्स में आयोजित किया गया था। भारत वर्ष 1964 से इन खेलों में हिस्सा ले रहा है।
शिलांग टेक्नोलॉजी पार्क
मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा ने हाल ही में शिलांग में ‘शिलांग टेक्नोलॉजी पार्क’ का उद्घाटन किया है। यह टेक्नोलॉजी पार्क मेघालय के आईटी पेशेवरों को अपने गृह राज्य में कार्य करने का सुनहरा अवसर प्रदान करेगा। साथ ही इसका उद्देश्य दुनिया भर में काम कर रहे मेघालय के युवाओं को अपने गृह राज्य की ओर आकर्षित करना है। ‘शिलांग टेक्नोलॉजी पार्क’ प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं का एक मंच पर अभिसरण करेगा। यह टेक पार्क उद्योग, शिक्षाविदों और सरकारी हितधारकों के सहयोग से ‘इन्क्यूबेशन केंद्रों’ का भी समर्थन करेगा। टेक पार्क को प्लग-एंड-प्ले मॉडल के आधार पर डिज़ाइन किया गया है। इस परियोजना का पहला चरण पूरा कर लिया गया है, जो कि राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित है। वहीं बाद के चरणों के लिये ‘शिलांग प्रौद्योगिकी पार्क’ को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर संचालित किया जाएगा।