महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डा: त्रिपुरा
हाल ही में प्रधानमंत्री ने महाराजा बीर बिक्रम (MBB) हवाई अड्डे के नए एकीकृत टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया और मुख्यमंत्री त्रिपुरा ग्राम समृद्धि योजना एवं विद्याज्योति विद्यालयों के प्रोजेक्ट मिशन 100 जैसी प्रमुख पहलों का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डा:
- बांग्लादेश से राज्य की निकटता और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों तक पहुंँच के कारण इस नए टर्मिनल के उद्घाटन को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में संचालन के लिये पहला कदम माना जाता है।
- उनाकोटी पहाड़ियों की स्थानीय आदिवासी पत्थर की मूर्तियांँ और स्थानीय बांँस हस्तशिल्प का भवन के अंदरूनी हिस्सों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है।
- महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डे को मूल रूप से द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के दौरान तत्कालीन रियासत के राजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य देबबर्मन के सहयोग से अमेरिकी वायु सेना द्वारा बनाया गया था।
- इसे पहले अगरतला हवाई अड्डे के नाम से जाना जाता था और वर्ष 2018 में इसका नाम परिवर्तित किया गया।
- बांग्लादेश से राज्य की निकटता और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों तक पहुंँच के कारण इस नए टर्मिनल के उद्घाटन को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में संचालन के लिये पहला कदम माना जाता है।
- बीर बिक्रम किशोर देबबर्मन:
- माणिक्य वंश के महाराजा कर्नल बीर बिक्रम किशोर माणिक्य देबबर्मन बहादुर (1908-1947) को व्यापक रूप से त्रिपुरा के अग्रणी राजा के रूप में माना जाता है।
- वह अगस्त 1923 में अपने पिता बीरेंद्र किशोर माणिक्य देबबर्मन के उत्तराधिकारी बने। उनके बेटे महाराजा किरीट बिक्रम किशोर, वर्ष 1949 में भारत में राज्य के विलय होने तक दो वर्ष के लिये राजा रहे, लेकिन उन्होंने शासन नहीं किया क्योंकि वह नाबालिग थे।
- वह वर्ष 1947 तक त्रिपुरा राज्य के राजा थे।
- उन्होंने त्रिपुरा के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें त्रिपुरा में आधुनिक वास्तुकला के पिता के रूप में जाना जाता है उनके शासन के दौरान वर्तमान त्रिपुरा की पूरी योजना शुरू की गई थी।
- वह भूमि सुधार के अग्रदूत थे। वर्ष 1939 में उन्होंने त्रिपुरा आदिवासियों के लिये भूमि आरक्षित की। बाद में इस कदम ने त्रिपुरा स्वायत्त ज़िला परिषद के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- इन्होंने त्रिपुरा (अगरतला हवाई अड्डा) में पहला हवाई अड्डा बनाया था।
- माणिक्य वंश के महाराजा कर्नल बीर बिक्रम किशोर माणिक्य देबबर्मन बहादुर (1908-1947) को व्यापक रूप से त्रिपुरा के अग्रणी राजा के रूप में माना जाता है।
- मुख्यमंत्री त्रिपुरा ग्राम समृद्धि योजना:
- यह योजना हर घर आवास, आयुष्मान कवरेज, बीमा कवर, केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड), सड़कों एवं नल के पानी को बढ़ावा देगी जिससे ग्रामीण आबादी में विश्वास बढ़ेगा।
- विद्याज्योति विद्यालयों का प्रोजेक्ट मिशन 100:
- इसका उद्देश्य राज्य में 100 मौजूदा उच्च/उच्च माध्यमिक विद्यालयों को अत्याधुनिक सुविधाओं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ विद्याज्योति विद्यालयों में परिवर्तित करके शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है।
- इस परियोजना में नर्सरी से बारहवीं कक्षा तक के लगभग 1.2 लाख छात्र शामिल होंगे और इसकी लागत अगले तीन वर्ष में लगभग 500 करोड़ रु. है।
स्रोत- पी.आई.बी
कोविड-19 का IHU वेरिएंट
कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रसार के क्रम में फ्राँस में उभरे 'IHU (इंस्टीट्यूट्स हॉस्पिटलो-यूनिवर्सिटेयर्स)' नाम के एक नए स्ट्रेन की खोज से दुनिया भर में डर पैदा हो गया है।
प्रमुख बिंदु:
- खोज:
- इसकी खोज की घोषणा फ्राँस के इंस्टीट्यूट्स हॉस्पिटलो-यूनिवर्सिटेयर्स (IHU या यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल इंस्टीट्यूट्स) के मार्सिले हिस्से में मेडिटेरैनी इंफेक्शन के शोधकर्ताओं ने की थी, इसलिये इसका यह नाम पड़ा।
- IHU संस्करण का पहला ज्ञात मामला नवंबर 2021 के मध्य में फ्राँस के एक व्यक्ति में पाया गया था जो अफ्रीका के कैमरून से लौटा था (वह महाद्वीप जहाँ ओमिक्रॉन खोजा गया था)।
- परिचय:
- यह वेरिएंट B.1.640 का एक उप-वंश है। इसे बी.1.640.2 के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- इस प्रकार के आनुवंशिक कोड में ओमिक्रॉन से अधिक 46 उत्परिवर्तन और 37 विलोपन हैं, इनमें से कई स्पाइक प्रोटीन को प्रभावित करते हैं।
- प्रसार दर:
- फ्राँस में अब तक एक दर्जन मामले ही सामने आए हैं। किसी अन्य देश में नए वेरिएंटके किसी भी नए मामले का पता नहीं लगा है। यह निश्चित रूप से उतना खतरनाक नहीं है जितना कि ओमीक्रॉन।
- जबकि इस प्रकार में बड़ी संख्या में महत्त्वपूर्ण उत्परिवर्तन ने शोधकर्ताओं की रुचि को आकर्षित किया है और जनता के बीच चिंता बढ़ा दी है, B.1.640 उस दर से नहीं फैल रहा है जो परेशान करने वाली है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अभी तक इस आईएचयू संस्करण को इंटरेस्ट, चिंता यहाँ तक कि जाँच के तहत एक प्रकार के रूप में नहीं माना है।
वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (VOI)
- यह एक विशिष्ट ‘जेनेटिक मार्कर्स’ (Genetic Markers) वाला वेरिएंट है जो ‘रिसेप्टर बाइंडिंग’ में परिवर्तन करने, पूर्व में हुए संक्रमण या टीकाकरण के दौरान उत्पन्न एंटीबॉडी द्वारा संक्रमण के प्रभाव को कम करने, नैदानिक प्रभाव तथा संभावित उपचार को कम करने या संक्रमण को प्रसारित करने या बीमारी की गंभीरता में वृद्धि करने से संबंधित है।
- वर्तमान में VOI के दो प्रकार हैं:
- Mu (B.1.621), जो वर्ष 2021 की शुरुआत में कोलंबिया में उभरा।
- Lambda (C.37), जो वर्ष 2020 के अंत में पेरू में उभरा।
वेरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC):
- वायरस के इस वेरिएंट के परिणामस्वरूप संक्रामकता में वृद्धि, अधिक गंभीर बीमारी (जैसे- अस्पताल में भर्ती या मृत्यु हो जाना), पिछले संक्रमण या टीकाकरण के दौरान उत्पन्न एंटीबॉडी में महत्त्वपूर्ण कमी, उपचार या टीके की प्रभावशीलता में कमी या नैदानिक उपचार की विफलता देखने को मिलती है।
- B.1.1.7 (यूके वेरिएंट), B.1.351 (दक्षिण अफ्रीका वेरिएंट), P.1 (ब्राज़ील वेरिएंट), B.1.427 और अमेरिका में मिलने वाले B.1.429 वेरिएंट को VOC के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
अधिक गंभीर वेरिएंट:
- अधिक गंभीर वेरिएंट से इस बात की पुष्टि होती है कि रोकथाम के उपाय या मेडिकल प्रतिउपायों ने पहले से प्रचलित वेरिएंट की सापेक्ष प्रभावशीलता को काफी कम कर दिया है।
वेरिएंट अंडर इन्वेस्टिगेशन (VUI):
- पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) का कहना है कि अगर SARS-CoV-2 के वेरिएंट में महामारी, प्रतिरक्षा या रोगजनक गुण पाए जाते हैं तो इसकी औपचारिक जाँच (Formal Investigation) की जा सकती है।
- इस कार्य के लिये B.1.617 वेरिएंट को VUI के रूप में नामित किया गया है।
उत्परिवर्तन, वेरिएंट और स्ट्रेन
- जब कोई वायरस स्वयं की प्रतिकृति बनाता है तो वह सदैव अपनी एक सटीक प्रतिलिपि बनाने में सक्षम नहीं होता है।
- इसका अर्थ यह है कि समय के साथ वायरस अपने आनुवंशिक अनुक्रम के संदर्भ में थोड़ा भिन्न होना शुरू कर सकता है।
- इस प्रक्रिया के दौरान वायरल आनुवंशिक अनुक्रम में कोई भी परिवर्तन उत्परिवर्तन के रूप में जाना जाता है।
- नए उत्परिवर्तन वाले वायरस को कभी-कभी वेरिएंट कहा जाता है। वेरिएंटएक या कई म्यूटेशन से भिन्न हो सकते हैं।
- जब एक नए वेरिएंट में मूल वायरस से अलग कार्यात्मक गुण मौजूद होते हैं, तो इसे वायरस के नए स्ट्रेन के रूप में जाना जाता है।
- इस प्रकार सभी स्ट्रेन वेरिएंट होते हैं, लेकिन सभी वेरिएंट स्ट्रेन नहीं होते।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 जनवरी, 2022
नेशनल एजुकेशनल एलायंस फॉर टेक्नोलॉजी
हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने ‘नेशनल एजुकेशनल एलायंस फॉर टेक्नोलॉजी’ (NEAT) के तीसरे चरण की शुरुआत की है। यह देश के विद्यार्थियों को सर्वोत्तम एड-टेक समाधान और पाठ्यक्रम प्रदान करने के उद्देश्य से एक मंच के तौर पर कार्य करेगा। ‘नेशनल एजुकेशनल एलायंस फॉर टेक्नोलॉजी’ शिक्षा क्षेत्र में सर्वोत्तम तकनीकी समाधानों का उपयोग कर युवाओं की रोज़गार प्राप्त करने की क्षमता को बढ़ाने संबंधी एक पहल है। ये समाधान बेहतर शिक्षण परिणामों और विशिष्ट क्षेत्रों में कौशल विकास हेतु व्यक्तिगत एवं अनुकूलित सीखने के अनुभव के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हैं। इस संबंध में जारी सूचना के मुताबिक, 58 वैश्विक और भारतीय स्टार्ट-अप्स एड-टेक कंपनियाँ इस पहल में शामिल हैं, जो सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने व रोज़गार योग्य कौशल विकसित करने हेतु 100 पाठ्यक्रम और ई-संसाधनों की पेशकश कर रही हैं। गौरतलब है कि ‘नेशनल एजुकेशनल एलायंस फॉर टेक्नोलॉजी’ कोरोना महामारी के दौरान उत्पन्न ‘लर्निंग-लॉस’ को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
5G माइक्रोवेव अवशोषक
हाल ही में केरल में एक वैज्ञानिक समूह ने ‘5G माइक्रोवेव अवशोषक’ विकसित किये हैं, जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरण के विरुद्ध एक प्रभावी सुरक्षा कवच के रूप में काम कर सकते हैं। ध्यातव्य है कि स्मार्ट और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बढ़ती खोज ने दुनिया को ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रदूषण’ के अपरिहार्य खतरे में डाल दिया है। हाई-एंड उपकरणों को प्रभावित करने के अलावा ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक हस्तक्षेप’ (EMI) जीवित जीवों के स्वास्थ्य के लिये भी हानिकारक माना जाता है। 5जी प्रौद्योगिकी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के मौजूदा युग में जब इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और इंटरनेट की मदद के बिना नियमित काम करना मुश्किल हो गया है तथा अधिकतर कार्य इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के आसपास ही हो रहा है, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रदूषण के कारण उत्पन्न समस्याओं को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण हो जाता है। केरल के शोधकर्त्ताओं द्वारा विकसित यह ‘5G माइक्रोवेव अवशोषक’, एक 'मेयनाइट इलेक्ट्राइड' है, जो कि रासायनिक रूप से स्थिर है। इसने उच्च आवृत्ति क्षेत्र में विशेष रूप से 5G बैंड में असाधारण माइक्रोवेव अवशोषण क्षमता का प्रदर्शन किया है। आयनिक (रासायनिक पदार्थ जिनमें नकारात्मक रूप से आवेशित आयन होते हैं) इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति उच्च चालकता प्रदान करती है, जो उच्च इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग क्षीणन के इसके गुण हेतु उत्तरदायी है।
लोक प्रशासन में उत्कृष्टता हेतु प्रधानमंत्री पुरस्कार
हाल ही में केंद्र सरकार ने ‘लोक प्रशासन में उत्कृष्टता हेतु प्रधानमंत्री पुरस्कार’ के पंजीकरण के लिये एक वेब पोर्टल लॉन्च किया है। गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2006 में केंद्र एवं राज्य सरकारों के ज़िलों/संगठनों द्वारा किये गए असाधारण एवं अभिनव कार्यों को स्वीकार करने, उन्हें पहचानने और उन्हें पुरस्कृत करने के उद्देश्य से ‘लोक प्रशासन में उत्कृष्टता हेतु प्रधानमंत्री पुरस्कार’ का गठन किया गया था। प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों, नवाचार एवं महत्त्वाकांक्षी ज़िलों में ज़िला कलेक्टरों के कार्य को पहचानने के लिये वर्ष 2014 में इस योजना का पुनर्गठन किया गया था। इसके पश्चात रचनात्मक प्रतिस्पर्द्धा, नवाचार, प्रतिकृति और सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से वर्ष 2021 में एक नए दृष्टिकोण के साथ पुरस्कार को नया रूप दिया गया है। हाल ही में वर्ष 2022 के पुरस्कारों के लिये भी कुछ नए बदलाव किये गए हैं, नए दृष्टिकोण के मुताबिक, मूल्यांकन के दौरान पुरस्कारों के लिये ज़िला कलेक्टरों के काम की अपेक्षा संपूर्ण ज़िले पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
कल्पना चावला सेंटर फॉर रिसर्च इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में ‘कल्पना चावला सेंटर फॉर रिसर्च इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ का उद्घाटन किया है। अंतरिक्ष विज्ञान, उपग्रह विकास और अंतरिक्ष अनुसंधान में भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिये छात्रों को प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से नया अंतरिक्ष विज्ञान अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया है। यह केंद्र चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा निर्मित उपग्रह (CUSat) के लिये ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन के रूप में कार्य करेगा, जो एक इन-हाउस नैनो-उपग्रह है जिसे विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा डिज़ाइन किया जा रहा है, साथ ही यह अनुसंधान के लिये भू-स्थानिक केंद्र भी होगा। यह उपग्रह उन 75 छात्र-निर्मित उपग्रहों में से एक होगा, जिन्हें वर्ष 2022 में 75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा।