प्रीलिम्स फैक्ट्स: 4 अप्रैल, 2020
जियोफेंसिंग
Geofencing
हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्यों को भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 (Indian Telegraph Act, 1885) की धारा 5(2) के प्रावधानों के तहत जियो-फेंसिंग (Geofencing) के उल्लंघन के मामले में दूरसंचार विभाग से निर्दिष्ट मोबाइल फोन नंबरों की जानकारी प्राप्त करने के लिये कहा है।
मुख्य बिंदु:
- भारत सरकार देशभर में COVID-19 मामलों को ट्रैक करने के लिये भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम (Indian Telegraph Act) के तहत प्रत्येक 15 मिनट में दूरसंचार कंपनियों से सूचनाएँ प्राप्त कर रही है।
- भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत राज्य या केंद्र सरकार किसी आपात स्थिति या लोक सुरक्षा के हित में उपभोक्ता के मोबाइल फोन डेटा की जानकारी प्राप्त करने के लिये अधिकृत है।
COVID-19 क्वारंटाइन चेतावनी प्रणाली (CQAS):
- इन सूचनाओं के लिये दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications- DoT) ने COVID-19 क्वारंटाइन चेतावनी प्रणाली (COVID-19 Quarantine Alert System- CQAS) नामक एप्लिकेशन के बारे में सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ एक मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure- SOP) साझा की है।
- इस एप्लिकेशन के माध्यम से COVID-19 संक्रमित व्यक्ति के क्वारंटाइन से बाहर जाने या आइसोलेशन का उल्लंघन करने की स्थिति में उस व्यक्ति के मोबाइल फोन सेल टॉवर के आधार पर किसी अधिकृत सरकारी एजेंसी द्वारा ई-मेल व एसएमएस अलर्ट के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकेगा।
- CQAS दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और कंपनियों द्वारा प्रदान किये गए स्थानिक डेटा के आधार पर उन्हें अलग करते हुए मोबाइल नंबरों की एक सूची तैयार करेगा जिससे जियोफेंसिंग का निर्माण किया जा सके।
जियोफेंसिंग (Geofencing):
- जियोफेंसिंग किसी भौगोलिक क्षेत्र के लिये एक आभासी परिधि होती है। यह एक स्थान-आधारित सेवा है जिसमें किसी एप या अन्य सॉफ़्टवेयर जैसे- GPS, RFID, वाई-फाई या सेलुलर डेटा का उपयोग किया जाता है।
- जब एक मोबाइल डिवाइस या RFID टैग एक भौगोलिक सीमा जिसे जियोफेंस (Geofence) के रूप में जाना जाता है, के आसपास स्थापित एक आभासी सीमा में प्रवेश करता है या बाहर निकलता है तो उस डिवाइस को उसमें इंस्टाल प्रोग्राम के आधार पर ट्रैक किया जा सकता है।
- जियोफेंसिंग की 300 मीटर की परिधि तक सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- COVID-19 मामलों को ट्रैक करने हेतु जियोफेंसिंग का उपयोग करने वाले राज्यों में केरल पहला राज्य है।
सीमाएँ:
- जियोफेंसिंग तभी काम करेगी जब क्वारंटाइन व्यक्ति के पास एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया या रिलायंस जियो के नेटवर्क का उपयोग करने वाला मोबाइल फोन हो।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी
National Investigation Agency
4 अप्रैल, 2020 को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency- NIA) ने असम के बारपेटा में जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश (Jama'atul Mujahideen Bangladesh- JMB) संगठन के दो आरोपियों के खिलाफ गुवाहाटी स्थित एनआईए की विशेष अदालत में पहली अनुपूरक चार्जशीट दायर की।
- गौरतलब है कि जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश नामक संगठन पर भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये सदस्यों की भर्ती एवं प्रशिक्षण देने तथा बर्दवान ब्लास्ट केस में शामिल होने जैसे कई आरोप लगाये गए हैं।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी
(National Investigation Agency):
- राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संघीय जाँच एजेंसी है।
- इसका गठन राष्ट्रीय जाँच एजेंसी अधिनियम, 2008 के तहत किया गया था। इसका उद्देश्य भारत में आतंकवादी गतिविधियों की जाँच करना है। यह केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी (Central Counter Terrorism Law Enforcement Agency) के रूप में कार्य करती है।
- यह निम्नलिखित मामलों में अपराधों की जाँच एवं अभियोग चलाने की केंद्रीय एजेंसी है:
- भारत की संप्रभुता, सुरक्षा एवं अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध को प्रभावित करने वाले अपराध।
- परमाणु और परमाणु प्रतिष्ठानों के विरुद्ध अपराध।
- उच्च गुणवत्तायुक्त नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी।
- यह अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, अभिसमयों और संयुक्त राष्ट्र एवं इसकी एजेंसियों तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रस्तावों का कार्यान्वयन करती है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में तथा क्षेत्रीय शाखाएँ हैदराबाद, गुवाहाटी, कोच्चि, लखनऊ, मुंबई, कोलकाता, रायपुर और जम्मू में हैं।
- हाल ही में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी अधिनियम, 2008 में संशोधन करते हुए संसद द्वारा राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (संशोधन) अधिनियम, 2019 पारित किया गया। जिसमें NIA को अतिरिक्त आपराधिक मामलों जैसे- जाली मुद्रा या बैंक नोटों से संबंधित अपराध, प्रतिबंधित हथियारों का निर्माण या बिक्री, साइबर आतंकवाद, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम (Explosive Substances Act), 1908 के तहत अपराधों की भी जाँच करने की अनुमति देने का प्रावधान किया गया है।
एंटी स्मॉग गन
Anti-smog Gun
उच्चतम न्यायालय द्वारा 13 जनवरी, 2020 को दिये गए आदेश के बाद राजधानी दिल्ली में 14 बड़ी निर्माण परियोजना स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन (Anti-smog Gun) उपकरण लगाए गए हैं।
मुख्य बिंदु:
- 13 जनवरी, 2020 को उच्चतम न्यायालय ने अपने एक निर्णय में कहा था कि जिन परियोजनाओं में राज्य या केंद्र से पर्यावरणीय मंज़ूरी की आवश्यकता होती है और वे परियोजनाएँ 20,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं, उनमें एंटी-स्मॉग गन की अनिवार्यता होगी। इसके निर्णय के अनुसार, दिल्ली में 47 बड़ी परियोजनाओं में इन एंटी-स्मॉग गन को स्थापित किया जाना था।
- न्यायालय ने निर्देश दिया है कि दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रों (National Capital Regions- NCR) में बड़े निर्माण स्थल, सड़क निर्माण क्षेत्र, खनन गतिविधि वाले क्षेत्र, कच्चे क्षेत्रों में बड़े पार्किंग स्थल, बड़े सार्वजनिक समारोह, विध्वंस गतिविधि वाले क्षेत्र एवं धूल-धूसरित यातायात गलियारों पर एंटी स्मॉग गन का इस्तेमाल किया जाना चाहिये।
प्रदूषक भुगतान नीति (Polluter Pays Policy):
- वहीं न्यायालय ने इन स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन की स्थापना की लागत को संतुलित करने के लिये एक प्रदूषक भुगतान नीति (Polluter Pays Policy) तैयार करने का आदेश भी दिया था। जिसका अर्थ है कि जो लोग प्रदूषण पैदा करते हैं उन्हें मानव स्वास्थ्य या पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिये इसे प्रबंधित करने की लागत वहन करनी चाहिये।
एंटी-स्मॉग गन (Anti-smog Gun):
- एंटी-स्मॉग गन एक ऐसा उपकरण है जो वायु प्रदूषण को कम करने के लिये हवा में नेबुलाइज्ड (Nebulised) जल की बूंदों का छिड़काव करता है।
- वाहन पर स्थापित एंटी-स्मॉग गन एक पानी की टंकी से जुड़ा हुआ होता है जो धूल एवं अन्य कणों को जमीन पर लाने के लिये हवा में 50 मीटर की ऊँचाई तक पानी का छिड़काव करता है। इस उपकरण को शहर में कहीं भी ले जाया जा सकता है।
- यह एक प्रकार की कृत्रिम वर्षा होती है जिससे छोटे धूलकणों (मुख्य प्रदूषक पीएम 2.5) को नीचे भूमि पर लाने में मदद मिलती है।
गौरतलब है कि अक्टूबर महीने के अंतिम सप्ताह से दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति खतरनाक स्तर पर पहुँच जाती है जिसके कुछ समय के लिये हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी के अंतर्गत दर्ज की जाती है। दिल्ली में वायु प्रदूषण एवं स्मॉग तीन इनपुटों (स्थानीय स्तर पर प्रदूषकों का उत्सर्जन, अन्य राज्यों एवं क्षेत्रों से उत्सर्जित प्रदूषकों का परिवहन, मौसम संबंधी कारक जैसे- हवा की गति एवं तापमान) का परिणाम है।
राष्ट्रीय कैडेट कोर
National Cadet Corps
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने 2 अप्रैल, 2020 को बताया कि राष्ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Corps- NCC) ने एक्सरसाइज एनसीसी योगदान (Exercise NCC Yogdan) के तहत COVID-19 से निपटने में शामिल विभिन्न एजेंसियों के राहत प्रयासों को बढ़ाने हेतु अपने कैडेट्स के अस्थायी रोज़गार के लिये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
मुख्य बिंदु:
- दिशा-निर्देशों के अनुसार, कैडेट को कानून एवं व्यवस्था की स्थिति से निपटने या सक्रिय सैन्य कर्तव्यों के लिये या कोरोना संवेदनशील क्षेत्रों में नियोजित नहीं किया जाना चाहिये।
- रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 18 वर्ष से अधिक आयु के केवल वरिष्ठ डिविज़न स्वयंसेवी कैडेटों को ही नियुक्त किया जाएगा और उन्हें भी स्थायी प्रशिक्षक स्टाफ या एक सहयोगी एनसीसी अधिकारी की देखरेख में 8-20 के छोटे समूहों में नियुक्त किया जाना चाहिये।
- रक्षा मंत्रालय के अनुसार एनसीसी कैडेटों के परिकल्पित कार्यों में हेल्पलाइन प्रबंधन, कॉल सेंटर, राहत सामग्री, दवाएँ, भोजन जैसी आवश्यक वस्तुओं का वितरण, सामुदायिक सहायता, डेटा प्रबंधन एवं सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के लिये कतार में खड़े होने की व्यवस्था करना तथा यातायात प्रबंधन शामिल हैं।
- स्वैच्छिक सेवा देने के इच्छुक ऐसे कैडेटों की नियुक्ति के लिये राज्य सरकारों, ज़िला प्रशासन को राज्य एनसीसी निदेशालयों के माध्यम से अपनी आवश्यकताएँ प्रेषित करनी होंगी। इसका विवरण एनसीसी निदेशालय, समूह मुख्यालय, इकाई स्तर पर राज्य सरकार, स्थानीय नागरिक प्राधिकरण के साथ समन्वित किया जाएगा। कैडेटों को ड्यूटी पर तैनात करने से पहले ज़मीनी हालात एवं निर्धारित आवश्यकताओं को सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है।
राष्ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Corps- NCC):
- भारत में NCC की स्थापना 15 जुलाई, 1948 को राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम, 1948 (The National Cadet Corps Act 1948) के तहत हुई थी।
- NCC का आदर्श वाक्य- एकता और अनुशासन (Unity and Discipline) है, जिसे 12 अक्टूबर, 1980 को आयोजित केंद्रीय सलाहकार समिति में अपनाया गया था।
- NCC तीन साल की होती है- पहले साल 'A', दूसरे साल 'B' और तीसरे साल 'C' ग्रेड का प्रमाण पत्र दिया जाता है। NCC समूह का नेतृत्व 'लेफ्टिनेंट जनरल' रैंक का अधिकारी करता है और पूरे देश में ऐसे कुल 17 अधिकारी हैं।
- देश में इसकी कुल 788 टुकड़ियाँ हैं, इनमें से 667 सेना की, 60 नौसेना और 61 वायु सेना की हैं।
- NCC का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यरत एनसीसी देश का सबसे बड़ा वर्दीवाला युवा संगठन है जो विभिन्न स्तर की सामाजिक सेवा एवं सामुदायिक विकास की गतिविधियाँ संचालित करता है।