शीतकालीन ओलंपिक
शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन के लिये रूसी राष्ट्रपति, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और मध्य एशिया से पाँच राष्ट्रपति चीन पहुँचेंगे।
यात्रा का महत्त्व क्या है?
- रूसी राष्ट्रपति यूक्रेन के साथ जारी संकट पर चीनी राष्ट्रपति के साथ चर्चा करेंगे।
- चीन के रूस के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, लेकिन रूस-यूक्रेन संकट पर वह काफी हद तक चुप है।
- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा चीन से निवेश हेतु चर्चा किये जाने के साथ ही चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) योजना को गति देने की उम्मीद है।
- चीन ने यह भी घोषणा की है कि वह पाकिस्तान के लिये संचार उपग्रहों के विकास पर चर्चा और पाकिस्तान अंतरिक्ष केंद्र के निर्माण में सहयोग करना चाहता है।
- चीन के शिनज़ियांग प्रांत में कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने खेलों के "राजनयिक बहिष्कार" की घोषणा की है।
शीतकालीन ओलंपिक क्या है?
- शीतकालीन ओलंपिक उन खेलों की प्रमुख प्रतियोगिता है जो बर्फ पर खेले जाते हैं।
- यह प्रत्येक चार वर्ष में आयोजित किया जाता है और इसमें दुनिया भर के प्रतिभागी शामिल होते हैं।
- आइस स्केटिंग, आइस हॉकी, स्कीइंग और फिगर स्केटिंग कुछ लोकप्रिय खेल हैं जो शीतकालीन खेलों में खेले जाते हैं।
- पहला शीतकालीन ओलंपिक वर्ष 1924 में फ्राँस के शैमॉनिक्स में आयोजित किया गया था।
- शीतकालीन खेलों को प्रारंभ में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के दौरान ही खेला जाता था, वर्ष 1908 के लंदन ओलंपिक में चार स्केटिंग स्पर्द्धाओं की मेज़बानी की गई और वहीं एंटवर्प में 1920 में आयोजित ओलंपिक में स्केटिंग के साथ-साथ आइस हॉकी भी शामिल थी।
- हालाँकि वर्ष 1924 में शीतकालीन खेलों के लिये एक अलग कार्यक्रम शुरू किया गया, जिसे ‘अंतर्राष्ट्रीय शीतकालीन खेल सप्ताह’ कहा जाता है।
- यह वर्ष 1924 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के मेज़बान देश - शैमॉनिक्स, फ्राँस में आयोजित किया गया था।
- दो वर्ष बाद ‘शैमॉनिक्स’ में ‘अंतर्राष्ट्रीय शीतकालीन खेल सप्ताह’ को आधिकारिक तौर पर पहले शीतकालीन ओलंपिक खेलों के रूप में मान्यता दी गई।
- शीतकालीन ओलंपिक खेलों का इस वर्ष का संस्करण 4 फरवरी से 20 फरवरी, 2022 तक बीजिंग, चीन में आयोजित किया जाएगा।
- भारत वर्ष 1964 से शीतकालीन ओलंपिक में भाग ले रहा है।
स्रोत: द हिंदू
देश का पहला ग्राफीन नवाचार केंद्र
हाल ही में केरल सरकार ने घोषणा की है कि देश का पहला ग्राफीन नवाचार केंद्र (Graphene Innovation Centre) केरल के त्रिशूर में स्थापित किया जाएगा।
- यह केरल के डिजिटल विश्वविद्यालय, इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी के लिये सामग्री केंद्र (सी-मेट) और टाटा स्टील लिमिटेड का एक संयुक्त उद्यम है।
- इससे पहले वर्ष 2020 में हॉन्गकॉन्ग की सिटी यूनिवर्सिटी के शोधकर्त्ताओं ने ग्राफीन मास्क का एक लेज़र-प्रेरित रूप तैयार किया था जो कोरोनावायरस की प्रजातियों को निष्क्रिय करता है।
प्रमुख बिंदु
ग्राफीन नवाचार केंद्र:
- यह नवाचार केंद्र एक क्रॉस-फंक्शनल योजना (Cross-Functional Plan) है जो नवीन विचारों को एक सुरक्षित मंच प्रदान करती है।
- टाइम ज़ोन और महाद्वीपों में व्यक्तिगत एवं सामूहिक सहयोग के अवसरों के साथ यह एक ऐसा स्थान है जो नीवन विचारों के निर्माण, साझाकरण और परीक्षण के माध्यम से नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देता है।
- केरल के त्रिशूर में 86.41 करोड़ रुपए की लागत से इंडिया इनोवेशन सेंटर फॉर ग्राफीन (India Innovation Centre for Graphene) का निर्माण किया जाएगा।
- कुल 86.41 करोड़ रुपए में से केंद्र सरकार द्वारा 49.18 करोड़ रुपए और निजी व्यावसायिक घरानों द्वारा 11.48 करोड़ रुपए का योगदान दिया जाएगा।
- राज्य सरकार परियोजना हेतु बुनियादी ढांँचा मुहैया कराएगी। केंद्र सरकार ग्राफीन उत्पादों को विकसित करने के लिये निवेशकों को आकर्षित करने में मदद करेगी।
महत्त्व:
- यह परियोजना वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ-साथ राज्य के औद्योगिक क्षेत्र को भी बढ़ावा देगी।
- प्रस्तावित केंद्र द्वारा केरल की मानव संसाधन पूंजी का प्रभावी ढंग से दोहन किया जा सकता है, जिससे केरल को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने में मदद मिलेगी।
ग्राफीन:
- ग्राफीन एक हेक्सागोनल जालिका में व्यवस्थित कार्बन के एक रूप ग्रेफाइट से बने ग्राफीन अणु की मोटाई वाली सामान्य कार्बन की एक पतली परत होती है। कई आश्चर्यजनक गुणों के साथ ग्राफीन अपने आप में एक उल्लेखनीय पदार्थ है।
- यह लचीला, पारदर्शी और अविश्वसनीय रूप से मज़बूत होने के साथ-साथ दुनिया में सबसे पतला, सबसे अधिक विद्युत और ताप प्रवाहकीय सामग्री है।
- इसे प्रायः अपने असाधारण विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक्स गुणों के लिये एक अद्भुत सामग्री के रूप में जाना जाता है, ग्राफीन इंडियम की जगह ले सकता है और इस तरह स्मार्टफोन में OLED (ऑर्गेनिक लाइट-एमिटिंग डायोड) स्क्रीन की लागत को कम कर सकता है।
- ग्राफीन में अतिरिक्त अनुप्रयोगों के लिये बहुत अधिक विकल्प हैं: एंटी-जंग कोटिंग्स और पेंट्स, कुशल एवं सटीक सेंसर, तेज़ और कुशल इलेक्ट्रॉनिक्स, लचीला डिस्प्ले, कुशल सौर पैनल, तेज़ डीएनए अनुक्रमण, दवा वितरण आदि।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 फरवरी, 2022
RAMP कार्यक्रम
केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा 6,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत के साथ RAMP कार्यक्रम को शुरू करने की घोषणा की गई है। RAMP कार्यक्रम को 5 साल की अवधि के लिये लागू किया जाएगा। RAMP जिसका पूरा नाम Raising and Accelerating MSME Performance है, एक रिकवरी कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य भारत में MSMEs की स्थिति में सुधार करना है। COVID महामारी के कारण लगे लॉक डाउन से MSME क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यह MSMEs को वित्त की बेहतर पहुंँच प्रदान कर इसकी उत्पादकता में वृद्धि करेगा। साथ ही यह MSMEs क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाकर इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करेगा। भारत में 40% MSMEs की वित्त तक पहुंँच नहीं है। MSMEs भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इनका देश के निर्यात में 40% और सकल घरेलू उत्पाद का 30% योगदान है। यह तरलता की समस्या का समाधान प्रस्तुत करेगा। वर्तमान में ऋणदाता उधारकर्त्ताओं द्वारा ऋण के भुगतान को लेकर चिंतित हैं जो कि MSME क्षेत्र में ऋण के प्रवाह को सीमित और कम कर रहा है। यह कार्यक्रम गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों एवं बैंकों द्वारा दिये जाने वाले ऋण के जोखिम कम करेगा। इससे छोटे वित्त बैंकों को मज़बूती मिलेगी। यह बाज़ार उन्मुख चैनलों की वित्तपोषण क्षमता में वृद्धि करेगा। साथ ही भारत सरकार की पुनर्वित्त सुविधाओं को बढ़ावा देगा। वर्तमान में केवल 8% MSMEs को ऋण प्रदान किया जाता है।
पीएम ई-विद्या योजना
कोविड-19 के प्रकोप के कारण प्रभावित हो रहे शैक्षिक वर्ष को नियोजित ढंग से संचालित करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा पीएम ई-विद्या योजना कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। प्रधानमंत्री ई-विद्या योजना कार्यक्रम के माध्यम से देश में डिजिटल शिक्षा प्रणाली (Digital Learning Education Program) को बढ़ावा दिया जाएगा जिसके तहत सामुदायिक रेडियो, एजुकेशनल चैनल, ई-कोर्सेज़ शुरू करने का प्रावधान किया गया है। योजना के माध्यम से स्कूली शिक्षा को ऑनलाइन और डिजिटल माध्यम से जोड़ने हेतु 12 नए चैनल लाॅन्च किये जाएंगे। जो कक्षा 1 से लेकर 12वीं कक्षा तक के लिये होंगे। केंद्र सरकार द्वारा इस योजना की शुरुआत अपने विशेष आर्थिक पैकेज के तहत की गई है। योजना का मुख्य उद्देश्य देश में विद्यार्थियों के लिये ई लर्निंग और डिजिटल लर्निंग शिक्षा कार्यक्रम को बढ़ावा देना है।
मिताली राज
मिताली राज एक दिवसीय महिला क्रिकेट में बल्लेबाज़ों की रैंकिंग में दूसरे स्थान पर पहुंँच गई हैं। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद- आई.सी.सी. ने महिला क्रिकेट विश्व कप 2022 से पहले यह रैंकिंग जारी की है। मिताली राज के कुल 738 अंक हैं। ऑस्ट्रेलिया की एलिसा हेली 750 अंकों के साथ पहले स्थान पर हैं। मिताली के अलावा भारतीय टीम की सलामी बल्लेबाज़ स्मृति मंधाना रैंकिंग में शीर्ष 10 खिलाडियों में शामिल हैं। मंधाना को हाल ही में सभी प्रारूपों में शानदार प्रदर्शन के लिये आई.सी.सी. महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर 2021 पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 03 दिसंबर, 1982 को राजस्थान के जोधपुर में जन्मी मिताली राज ने अपने अंतर्राष्ट्रीय कॅरियर की शुरुआत वर्ष 1999 में मात्र 16 वर्ष की आयु में की थी। मिताली राज टेस्ट क्रिकेट मैच में दोहरा शतक बनाने वाली पहली महिला खिलाड़ी भी हैं। मिताली राज भारत की पहली ऐसी महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने टी-20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 2 हज़ार या इससे ज़्यादा रन बनाए हैं।
ताहिती में प्राचीन कोरल रीफ की खोज
हाल ही वैज्ञानिकों द्वारा ताहिती (Tahiti) के तट के साथ एक प्रवाल भित्ति (coral reef) की खोज की गई है। यह रीफ दो मील लंबी है और मानवजनित गतिविधियों तथा जलवायु परिवर्तन से अप्रभावित है। इस कोरल रीफ की खोज एक गोता अभियान के दौरान की गई है। यह अभियान यूनेस्को द्वारा समर्थित था। ताहिती फ्रेंच पोलिनेशिया का सबसे बड़ा द्वीप है। यह मध्य प्रशांत महासागर में स्थित है। ताहिती का निर्माण ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण हुआ था। कोरल रीफ की खोज 100 फीट से 210 फीट की गहराई पर की गई थी। यह कोरल रीफ मेसोफोटिक क्षेत्र (Mesophotic Zone) में है जो सबसे गहरा क्षेत्र है जहांँ तक सूर्य का प्रकाश प्रवेश कर सकता है। इस गहराई तक कोरल मानवीय गतिविधियों से सुरक्षित रहते हैं। प्रवाल भित्तियाँ या मूंगे की चट्टानें (Coral Reefs) समुद्र के भीतर स्थित प्रवाल जीवों द्वारा छोड़े गए कैल्शियम कार्बोनेट से बनी होती हैं। प्रवाल कठोर संरचना वाले चूना प्रधान जीव (सिलेन्ट्रेटा पोलिप्स) होते हैं। इन प्रवालों की कठोर सतह के अंदर सहजीवी संबंध से रंगीन शैवाल जूजैंथिली (Zooxanthellae) पाए जाते हैं। प्रवाल भित्तियों को विश्व के सागरीय जैव विविधता का उष्ण स्थल (Hotspot) माना जाता है तथा इन्हें समुद्रीय वर्षावन भी कहा जाता है। विश्व के सर्वाधिक प्रवाल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पाए जाते हैं जो कि भूमध्य रेखा के 30 डिग्री तक के क्षेत्र में पाए जाते हैं। विश्व में पाए जाने वाले कुल प्रवाल का लगभग 30% हिस्सा दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र में पाया जाता है। यहाँ प्रवाल दक्षिणी फिलिपींस से पूर्वी इंडोनेशिया और पश्चिमी न्यू गिनी तक पाए जाते हैं।