प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 03 फरवरी, 2020
विश्व आर्द्रभूमि दिवस
World Wetland Day
पूरे विश्व में 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetland Day) मनाया जाता है। आर्द्रभूमि दिवस का आयोजन, आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये किया जाता है।
थीम: इस वर्ष 2020 के लिये विश्व आर्द्रभूमि दिवस की थीम ‘आर्द्रभूमि और जैव विविधता’ (Wetlands and Biodiversity) थी।
- आर्द्रभूमि/वेटलैंड्स पर रामसर अभिसमय/कन्वेंशन की स्थायी समिति द्वारा 2021 के लिये स्वीकृत की गई थीम आर्द्रभूमि और जल (Wetlands and Water) है।
क्या है आर्द्रभूमि (Wetland)?
- रामसर अभिसमय के तहत आर्द्रभूमि की परिभाषा में दलदल, बाढ़ के मैदान, नदी एवं झीलें, मैंग्रोव, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र (जो 6 मीटर से अधिक गहरे नहीं हैं) तथा मानव निर्मित आर्द्रभूमियाँ जैसे- तालाब और जलाशय शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु:
- 2 फरवरी, 1971 में कैस्पियन सागर के तट पर स्थित ईरान के शहर रामसर में आर्द्रभूमि पर एक अभिसमय (Convention on Wetlands) को अपनाया गया था।
- अभी कुछ दिन पहले ही भारत सरकार के पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forests and Climate Change) ने घोषणा की थी कि रामसर अभिसमय (Ramsar Convention) ने देश की 10 आर्द्रभूमि को अंतर्राष्ट्रीय महत्व के स्थलों के रूप में घोषित किया जिससे देश में रामसर स्थलों की कुल संख्या 37 हो गई।
- विश्व आर्द्रभूमि दिवस पहली बार 2 फरवरी, 1997 को रामसर सम्मेलन के 16 वर्ष पूरे होने पर मनाया गया था।
- जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (Biodiversity and Ecosystem Services) पर अंतर-सरकारी विज्ञान नीति प्लेटफॉर्म (The Intergovernmental Science Policy Plateform-IPBES) ने वैश्विक मूल्यांकन में आर्द्रभूमि को सबसे अधिक खतरे वाले पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में पहचान की है।
इंटरगवर्नमेंटल साइंस-पॉलिसी प्लेटफॉर्म ऑन बायोडायवर्सिटी एंड इकोसिस्टम सर्विसेज (IPBES):
- IPBES जलवायु परिवर्तन पर बेहतर जानकारी हेतु एक वैश्विक वैज्ञानिक निकाय है। यह एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है।
- IPBES, प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता के संदर्भ में कार्य करने के लिये प्रतिबद्ध है। इसके अंतर्गत वैज्ञानिकों द्वारा पृथ्वी के जलवायु में होने वाले परिवर्तन संबंधी अनुमान लगाने तथा इसकी समय-समय पर समीक्षा की जाती है।
- वर्ष 2012 में गठित IPBES द्वारा पेश की गई यह पहली वैश्विक मूल्यांकन रिपोर्ट है।
- यूनेस्को (UNESCO) के अनुसार विश्व के 40% पौधों एवं जीवों की प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं।
- भारत में वर्ष 2017 में आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिये आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन नियम) 2017 (Wetland (Conservation and Management) Rules, 2017) नामक एक नया वैधानिक ढाँचा (Legal Framework) लाया गया है।
फ्लेम-थ्रोटेड बुलबुल
Flame-Throated Bulbul
फ्लेम-थ्रोटेड बुलबुल (Flame-Throated Bulbul) जिसे रूबिगुला (Rubigula) भी कहा जाता है, को 36वें राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर के रूप में चुना गया है।
- गौरतलब है कि 36वें राष्ट्रीय खेल वर्ष 2020 में 20 अक्तूबर से 4 नवंबर के बीच आयोजित किया जाएगा।
फ्लेम-थ्रोटेड बुलबुल:
- यह गोवा का राजकीय पक्षी है। यह प्रायद्वीपीय भारत में दक्षिणी आंध्र प्रदेश, पूर्वी कर्नाटक, गोवा, ओडिशा, पूर्वी केरल और उत्तरी तमिलनाडु में पाई जाती है।
- इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की रेड लिस्ट में ‘संकट बहुत कम’ (Least Concern) श्रेणी में रखा गया है।
- इसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत अनुसूची- IV में रखा गया है।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत अनुसूचियाँ
- अनुसूची I के अंतर्गत शामिल प्रजातियों को सबसे ज़्यादा संरक्षण प्रदान किया जाता है। इनका शिकार करने वालों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत कड़ी सजा दिये जाने का प्रावधान है।
- अनुसूची II, III एवं IV में शामिल जंगली जानवरों से होने वाले मानव एवं संपत्ति के नुकसान को देखते हुए अधिकृत अधिकारी निर्दिष्ट क्षेत्र में जंगली जानवर के शिकार की अनुमति दे सकता है।
- अनुसूची V के तहत रहने वाली प्रजातियों को हिंसक की श्रेणी में शामिल किया गया है जिसके तहत कौआ और फ्रूट बैट आते हैं।
बांदीपुर टाइगर रिज़र्व
Bandipur Tiger Reserve
हाल ही में भारतीय अभिनेता अक्षय कुमार और रजनीकांत ने कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिज़र्व (Bandipur Tiger Reserve) में एक डिस्कवरी चैनल कार्यक्रम 'इन टू द वाइल्ड विद बीयर ग्रिल्स (Into the Wild with Bear Grylls)' को फिल्माया है।
बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान:
- यह राष्ट्रीय उद्यान कर्नाटक में स्थित है। इसे प्रोजेक्ट टाइगर-1973 (Project Tiger-1973) के तहत वर्ष 1974 में इसे टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था।
- बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान उत्तर में काबिनी नदी और दक्षिण में मोयार नदी से घिरा हुआ है। नुगु नदी पार्क से होकर बहती है।
- यह निकटवर्ती नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान और वायनाड वन्यजीव अभयारण्य के साथ मिलकर यह नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा है जो इसे दक्षिण भारत में सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र और दक्षिण एशिया में जंगली हाथियों का सबसे बड़ा निवास स्थान है।
- बांदीपुर टाइगर रिज़र्व देश के सबसे धनी जैव विविधता वाले क्षेत्रों में से एक है जो ‘5 बी पश्चिमी घाट पर्वत जीव विज्ञान क्षेत्र (5 B Western Ghats Mountains Biogeography Zone)’ का प्रतिनिधित्व करता है।
- पेंच टाइगर रिजर्व (मध्य प्रदेश) के बाद भारत में इस स्थान पर बाघों की सबसे अधिक आबादी पाई जाती है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजमार्ग-766 बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान से होकर गुजरता है जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2009 में वन्यजीवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रात्रि के समय यात्रा करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
34वाँ सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला
34th Surajkund International Crafts Mela
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 1 फरवरी, 2020 को हरियाणा के सूरजकुंड में 34वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले (34th Surajkund International Crafts Mela) का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु:
- प्रत्येक वर्ष 1 से 15 फरवरी तक हरियाणा के सूरजकुंड में भारत का एक पारंपरिक शिल्प उत्सव आयोजित किया जाता है। यह शिल्प मेला वर्ष 1987 में शुरू किया गया था।
- देश के सभी हिस्सों के पारंपरिक शिल्पकार (कलाकार, चित्रकार, बुनकर और मूर्तिकार) इस वार्षिक उत्सव में भाग लेते हैं जिसे ‘सूरजकुंड शिल्प मेला’ या ‘सूरजकुंड डिज़ाइनरों का गाँव’ नाम दिया गया है।
- सूरजकुंड मेला साधारण कारीगरों को उनके कौशल के लिये वास्तविक पहचान और मूल्य प्रदान करता है। यह उन्हें अपने उत्पादों को सीधे ग्राहकों के समक्ष प्रदर्शित करने और बेचने का एक उत्कृष्ट अवसर भी प्रदान करता है।
- सूरजकुंड मेले ने भारत की विभिन्न उल्लेखनीय शिल्प परंपराओं को संरक्षित किया है। कई कारीगरों और बुनकरों के लिये यह मेला उनकी वार्षिक आय का प्रमुख स्रोत है।