प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 02 सितंबर, 2020
स्पेशल फ्रंटियर फोर्स
Special Frontier Force
हाल ही में लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) पर चीन के साथ गतिरोध के दौरान ‘स्पेशल फ्रंटियर फोर्स’ (Special Frontier Force- SFF) जिसे विकास बटालियन (Vikas Battalion) के नाम से भी जाना जाता है, ने कुछ रणनीतिक ऊँचाइयों पर कब्ज़ा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
‘स्पेशल फ्रंटियर फोर्स’ (Special Frontier Force- SFF):
- SFF का गठन वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के तुरंत बाद किया गया था।
- यह एक ‘कोवर्ट आउटफिट’ (Covert Outfit) थी जिसमें तिब्बतियों को भर्ती किया जाता था किंतु अब इसमें तिब्बतियों एवं गोरखाओं दोनों को भर्ती किया जाता है।
- शुरूआत में इसे ‘Establishment 22’ के नाम से जाना जाता था।
- इसका नाम ‘Establishment 22’ इसलिये रखा गया था क्योंकि इसे मेजर जनरल सुजान सिंह उबान (Major General Sujan Singh Uban) ने प्रस्तावित किया था
- मेजर जनरल सुजान सिंह उबान एक आर्टिलरी अधिकारी थे जिन्होंने 22 माउंटेन रेजिमेंट (22 Mountain Regiment) की कमान संभाली थी।
- इसके बाद इसे ‘स्पेशल फ्रंटियर फोर्स’ के रूप में नामित किया गया था और अब यह कैबिनेट सचिवालय के दायरे में आता है जहाँ इसका नेतृत्त्व एक महानिरीक्षक (Inspector General) करता है जो मेजर जनरल रैंक का एक सेना अधिकारी होता है।
- SFF में शामिल इकाइयाँ ‘विकास बटालियन’ (Vikas Battalion) के रूप में जानी जाती हैं।
क्या SFF इकाइयाँ भारतीय थल सेना का हिस्सा हैं?
- SFF इकाइयाँ भारतीय थल सेना का हिस्सा नहीं हैं किंतु ये सेना के संचालन नियंत्रण में कार्य करती हैं।
- इन इकाइयों की अपनी रैंक संरचनाएँ होती हैं जिनकी स्थिति आर्मी रैंक के बराबर होती है। हालाँकि ये उच्च प्रशिक्षित विशेष बल के जवान होते हैं जो विभिन्न प्रकार के कार्य कर सकते हैं जो सामान्य रूप से किसी विशेष बल इकाई द्वारा किया जाता है।
- इसलिये SFF इकाइयाँ, वस्तुतः एक अलग चार्टर एवं इतिहास होने के बावजूद परिचालन क्षेत्रों में किसी अन्य सेना इकाई के रूप में कार्य करती हैं।
- इनके पास अपना स्वयं का प्रशिक्षण प्रतिष्ठान है जहाँ SFF में भर्ती होने वाले विशेष बलों को प्रशिक्षण दिया जाता है। संयोग से महिला सैनिक भी SFF इकाइयों का हिस्सा बनती हैं और विशेष कार्य करती हैं।
SFF इकाइयों ने कौन-कौन से बड़े ऑपरेशन किये हैं?
- कई ओवर्ट एवं कोवर्ट ऑपरेशन हैं जिनमें SFF इकाइयों ने पिछले वर्षों में भाग लिया है। उन्होंने वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में, स्वर्ण मंदिर (अमृतसर) में ऑपरेशन ब्लू स्टार, करगिल युद्ध और देश में आतंकवाद विरोधी अभियानों में भाग लिया।
वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में SFF की भूमिका:
- वर्ष 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (बाद में बांग्लादेश) में चटगाँव पहाड़ी इलाकों में SFF ने पाकिस्तानी सेना की अवस्थिति को बेअसर किया और भारतीय सेना को आगे बढ़ने में मदद की। इस ऑपरेशन का कोड नाम 'ऑपरेशन ईगल' (Operation Eagle) था।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक आयोग
International Commission of Jurists
हाल ही में न्यायविदों के अंतर्राष्ट्रीय आयोग (International Commission of Jurists- ICJ) ने कहा कि नागरिक अधिकारों के वकील प्रशांत भूषण को उच्चतम न्यायालय द्वारा आपराधिक अवमानना के लिये दी गई सजा नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय नियम (International Covenant on Civil and Political Rights) द्वारा गारंटीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कानून के परिप्रेक्ष्य में असंगत प्रतीत होती है।
प्रमुख बिंदु:
- ICJ (एक अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन जिसमें न्यायाधीश एवं वकील शामिल होते हैं) ने कहा कि वह 1800 भारतीय वकीलों को सुप्रीम कोर्ट के आपराधिक अवमानना के मानकों की समीक्षा करने के लिये बुलाएगा।
- यद्यपि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के कुछ प्रतिबंधों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों द्वारा अनुमति दी जाती है, विशेष रूप से न्यायपालिका की भूमिका, न्याय तक पहुँच जैसे मामलों में बहस और चर्चा के लिये एक विस्तृत दायरा संरक्षित किया जाना चाहिये।
न्यायविदों का अंतर्राष्ट्रीय आयोग
(International Commission of Jurists- ICJ):
- ICJ, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों के लिये कार्य करने वाला एक गैर-सरकारी संगठन है।
- यह 60 प्रख्यात न्यायविदों का एक समूह है जिसमें वरिष्ठ न्यायाधीश, वकील एवं शिक्षाविद् शामिल हैं जो कानून के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों को विकसित करने के लिये कार्य करते हैं।
- इस आयोग के गठन का उद्देश्य दुनिया की भौगोलिक विविधता एवं इसकी कई कानूनी प्रणालियों को प्रतिबिंबित करना है।
- इसका गठन वर्ष 1952 में किया गया था।
- इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विटज़रलैंड) में है।
स्पॉट
Spot
हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने लोगों के शरीर का तापमान और सांस लेने की दर जैसे महत्त्वपूर्ण संकेतों की पहचान करने वाला एक रोबोट ‘स्पॉट’ (Spot) विकसित किया है जो COVID-19 लक्षणों वाले रोगियों की पहचान कर सकता है।
प्रमुख बिंदु:
- ‘स्पॉट’ नामक इस रोबोट को ‘मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Massachusetts Institute of Technology- MIT) के बोस्टन डायनेमिक्स (Boston Dynamics) द्वारा विकसित किया गया है।
- इसे हाथ से पकड़ने वाले डिवाइस द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है, यह एक कुत्ते के समान चार पैरों पर चल सकता है।
- इस रोबोट में चार कैमरे (एक इंफ्रारेड और तीन मोनोक्रोम) लगे हैं। यह 2 मीटर दूर से लोगों का तापमान, श्वसन दर, नाड़ी दर और रक्त ऑक्सीजन संतृप्ति (Blood Oxygen Saturation) को माप सकता है।
- इंफ्रारेड कैमरा (Infrared Camera) त्वचा के तापमान एवं श्वसन दर को मापता है। जबकि मोनोक्रोम कैमरा (Monochrome Camera) नाड़ी दर एवं रक्त ऑक्सीजन संतृप्ति (Blood Oxygen Saturation) को मापता है।
आयरन-60
Iron-60
हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने बताया कि पृथ्वी पिछले 33,000 वर्षों से धुँधली रेडियोधर्मी धूल (Faintly Radioactive Dust) से निर्मित एक बादल के साथ चक्कर लगा रही है। ये बादल पिछले सुपरनोवा विस्फोटों के अवशेष हो सकते हैं।
प्रमुख बिंदु:
- इस रेडियोधर्मी धूल के अवशेषों का पता शोधकर्त्ताओं ने एक अत्यधिक संवेदनशील मास स्पेक्ट्रोमीटर (Mass Spectrometer) का उपयोग करके लगाया है।
- जिसमें शोधकर्त्ताओं को आइसोटोप आयरन-60 (Iron-60) के स्पष्ट निशान मिले हैं, जिनका (आयरन-60) निर्माण तब होता है जब सुपरनोवा विस्फोटों में तारे नष्ट हो जाते हैं।
- आयरन-60 एक रेडियोधर्मी तत्त्व है और 15 मिलियन वर्षों में यह पूरी तरह से विघटित हो जाता है, जिसका मतलब है कि पृथ्वी पर पाया गया कोई भी आयरन-60, 4.6-बिलियन वर्ष पुरानी पृथ्वी की तुलना में बहुत बाद में निर्मित हुआ होगा और समुद्र के तल पर पहुँचने से पहले यहाँ (स्थल पर) पहुँचा होगा।
स्थानीय अंतरतारकीय बादल
(Local Interstellar Cloud- LIC):
- पिछले कुछ हज़ार वर्षों से सौर प्रणाली गैस एवं धूल के एक सघन बादल के माध्यम से आगे बढ़ रही है जिसे ‘स्थानीय अंतरतारकीय बादल’ (Local Interstellar Cloud) के रूप में जाना जाता है जिसकी उत्पत्ति अभी तक स्पष्ट नहीं है।
- यदि यह बादल सुपरनोवा से पिछले कुछ मिलियन वर्षों के दौरान उत्पन्न हुआ था तो इसमें आयरन-60 शामिल होगा। इसलिये शोधकर्त्ताओं ने यह पता लगाने के लिये हाल ही में गहरे समुद्री तलछट (Deep-Sea Sediment) की खोज करने का निर्णय किया था।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 02 सितंबर, 2020
AUDFs01 नक्षत्र आकाशगंगा
भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, भारतीय खगोलविदों ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए ब्रह्मांड की सबसे दूर की नक्षत्र आकाशगंगाओं में से एक की खोज की है, जो कि अनुमानतः पृथ्वी से 9.3 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। इस संबंध में सूचना देते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘यह देश के लिये गर्व की बात है कि भारत की पहली मल्टी-वेवलेंथ स्पेस ऑब्ज़र्वेटरी ‘एस्ट्रोसैट’ (AstroSat) ने पृथ्वी से 9.3 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित AUDFs01 नाम से एक आकाशगंगा का पता लगाया है। इस आकाशगंगा की खोज पुणे स्थित इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिज़िक्स के डॉ. कनक साहा के नेतृत्त्व में खगोलविदों की टीम ने की है। भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा की गई यह महत्त्वपूर्ण खोज यह जानने में मदद करेगी कि ब्रह्मांड का डार्क युग किस प्रकार समाप्त हुआ और किस प्रकार वहाँ प्रकाश उत्पन्न हुआ। एस्ट्रोसैट (AstroSat) भारत का पहला बहु तरंग दैर्ध्य वाला उपग्रह है जिसमें पाँच अद्वितीय एक्स-रे एवं पराबैंगनी दूरबीन कार्य कर रही हैं। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा 28 सितंबर, 2015 को लॉन्च किया गया था।
राजीव कुमार
पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव और सेवानिवृत्त आईएएस (IAS) अधिकारी राजीव कुमार ने देश के नए चुनाव आयुक्त के रूप में पदभार संभाल लिया है। 1984 बैच के झारखंड कैडर के IAS अधिकारी राजीव कुमार पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का स्थान लेंगे। ध्यातव्य है कि आयुक्त अशोक लवासा को एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank-ADB) का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने से पूर्व राजीव कुमार लोक उद्यम चयन बोर्ड (PESB के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। राजीव कुमार के पास सार्वजनिक नीति और प्रशासन के क्षेत्र में 30 से भी अधिक वर्षों का अनुभव है। यदि राजीव कुमार अपना कार्यकाल पूरा करते हैं तो वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों का आयोजन उन्ही के नेतृत्त्व में किया जाएगा। भारत निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है जो भारत में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पद की चुनाव प्रक्रियाओं का संचालन करता है। प्रारंभ में, आयोग में केवल एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त थे। वर्तमान में इसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त हैं।
ग्रीन टर्म अहेड मार्केट
हाल ही में केंद्रीय मंत्री आर. के. सिंह ने विद्युत सेक्टर में ‘ग्रीन टर्म अहेड मार्केट’ (Green Term Ahead Market-GTAM) की शुरुआत की है, जो कि नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भागीदारी को बढ़ावा देगा। सरकार द्वारा शुरू की गई यह पहल देश के नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) में क्षमता वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेगी। इस प्लेटफॉर्म की शुरुआत करते हुए केंद्रीय मंत्री आर. के. सिंह ने कहा कि ‘इसकी शुरूआत से नवीकरणीय ऊर्जा से समृद्ध राज्यों पर बोझ कम होगा और राज्यों को अपने स्वयं के नवीकरणीय खरीद दायित्त्व (RPO) से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित करने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा। ध्यातव्य है कि भारत सरकार ने वर्ष 2022 तक देश में 175 GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य निधारित किया है, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा का पूरे देश में विस्तार हो रहा है। ‘ग्रीन टर्म अहेड मार्केट’ (GTAM) प्लेटफॉर्म से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादकों को नवीकरणीय ऊर्जा बेचने के लिये अतिरिक्त अवसर प्राप्त होंगे। यह हरित बिजली खरीदने के लिये पर्यावरण के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं और संस्थाओं को एक मंच प्रदान करेगा।
मिशन कर्मयोगी
सरकार ने जनता को बेहतर सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से एक नए व्यापक सिविल सेवा सुधार कार्यक्रम की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी अधिकारियों के लिये ‘मिशन कर्मयोगी’ (Mission Karmayogi) को मंज़ूरी दी है, इस मिशन का उद्देश्य भारत सरकार में व्यक्तिगत, संस्थागत और प्रक्रियागत स्तरों पर क्षमता निर्माण तंत्र में बदलाव करना है। ‘मिशन कर्मयोगी’ का लक्ष्य भारतीय सिविल सेवकों को और भी अधिक रचनात्मक, सृजनात्मक, विचारशील, नवाचारी, अधिक क्रियाशील, प्रोफेशनल, प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी-समर्थ बनाते हुए भविष्य के लिये तैयार करना है। विशिष्ट भूमिका-दक्षताओं से युक्त सिविल सेवक उच्चतम गुणवत्ता मानकों वाली प्रभावकारी सेवा प्रदायगी सुनिश्चित करने में समर्थ होंगे। इस कार्यक्रम को एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण-आईगॉट कर्मयोगी प्लेटफॉर्म (iGOT Karmayogi Platform) की स्थापना करके कार्यान्वित किया जाएगा। आईगॉट- कर्मयोगी प्लेटफॉर्म भारत में दो करोड़ से भी अधिक कार्मिकों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिये व्यापक और अत्याधुनिक संरचना सुलभ कराएगा।