प्रिलिम्स फैक्ट्स (02 Jul, 2021)



प्रिलिम्स फैक्ट्स: 02 जुलाई, 2021

कुवेम्पु पुरस्कार 2020

(Kuvempu Award 2020)

हाल ही में उड़िया कवि डॉ. राजेंद्र किशोर पांडा को ‘कुवेम्पु पुरस्कार 2020’ के लिये चुना गया है।

  • वर्ष 1944 में पैदा हुए डॉ. राजेंद्र किशोर पांडा ओडिशा के एक प्रसिद्ध कवि एवं उपन्यासकार हैं। अब तक उनके कुल 16 कविता संग्रह और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं।
  • उन्हें वर्ष 2010 में ‘गंगाधर राष्ट्रीय पुरस्कार’ और वर्ष 1985 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।

प्रमुख बिंदु

कुवेम्पु पुरस्कार

  • यह 20वीं सदी के दिवंगत कन्नड़ कवि ‘कुवेम्पु’ की स्मृति में स्थापित एक राष्ट्रीय पुरस्कार है।
  • यह पुरस्कार प्रतिवर्ष भारतीय संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त किसी भी भाषा के साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले लेखक को दिया जाता है। 
  • इस पुरस्कार के तहत विजेताओं को 5 लाख रुपए का नकद पुरस्कार तथा एक रजत पदक एवं एक प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है।

कवि ‘कुवेम्पु’

  • कुप्पली वेंकटप्पा पुट्टप्पा, जिन्हें उनके उपनाम ‘कुवेम्पु’ के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय कवि, नाटककार, उपन्यासकार और आलोचक थे।
  • उन्हें मुख्य तौर पर 20वीं सदी के सबसे महान कन्नड़ कवियों में से एक माना जाता है।
  • वह कन्नड़ भाषा के पहले लेखक थे जिन्हें रामायण के उनके स्वयं के संस्करण 'श्री रामायण दर्शनम' के लिये ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

ज्ञानपीठ पुरस्कार

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत में प्रतिवर्ष प्रदान किये जाने वाला सबसे प्रमुख साहित्यिक पुरस्कार है और यह एक वर्ष में एक ही भारतीय नागरिक को प्रदान किया जा सकता है।
  • भारतीय संविधान (8वीं अनुसूची) में उल्लिखित भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेज़ी भाषा के लेखकों  का चयन भी इस पुरस्कार के लिये किया जा सकता है।
  • इस पुरस्कार के तहत 11 लाख रुपए की धनराशि, प्रशस्ति-पत्र तथा वाग्देवी (सरस्वती) की कास्य की प्रतिमा प्रदान की जाती है।
  • यह पुरस्कार सांस्कृतिक संगठन ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ द्वारा प्रायोजित है।

साहित्य अकादमी पुरस्कार

  • वर्ष 1954 में स्थापित ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ एक साहित्यिक सम्मान है, जो कि ‘साहित्य अकादमी’ (नेशनल एकेडमी ऑफ लेटर्स) द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।
  • अकादमी द्वारा प्रत्येक वर्ष स्वयं द्वारा मान्यता प्रदत्त 24 भाषाओं में साहित्यिक कृतियों के साथ ही इन्हीं भाषाओं में परस्पर साहित्यिक अनुवाद के लिये भी पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।
  • भारतीय संविधान में शामिल 22 भाषाओं के अलावा साहित्य अकादमी ने अंग्रेज़ी तथा राजस्थानी को भी उन भाषाओं के रूप में मान्यता दी है, जिनमें अकादमी द्वारा कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।
  • ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान है।

गंगाधर राष्ट्रीय पुरस्कार

  • गंगाधर राष्ट्रीय पुरस्कार संबलपुर विश्वविद्यालय द्वारा मुख्यतः कविता हेतु साहित्य के क्षेत्र में दिया जाने वाला एक साहित्यिक पुरस्कार है। इसका नाम गंगाधर मेहर के नाम पर रखा गया है।
  • इस पुरस्कार के तहत 50,000 रुपए नकद, एक शॉल और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।

फर्स्ट मूवेबल फ्रेशवॉटर टनल एक्वेरियम: इंडियन रेलवे

First Movable Freshwater Tunnel Aquarium: Indian Railways

हाल ही में भारतीय रेलवे (IR) ने बंगलूरू रेलवे स्टेशन पर देश के फर्स्ट मूवेबल फ्रेशवॉटर टनल एक्वेरियम (Movable Freshwater Tunnel Aquarium) की स्थापना की है।

Indian-Railways

प्रमुख बिंदु:

  • क्रांतिवीर संगोली रायन्ना रेलवे स्टेशन, जिसे बंगलूरू सिटी रेलवे स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है, भारत का पहला रेलवे स्टेशन बन गया है जिसमें मूवेबल फ्रेशवॉटर टनल एक्वेरियम है।
  • भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (IRSDC) द्वारा एचएनआई एक्वाटिक किंगडम (HNi Aquatic Kingdom) के सहयोग से यह एक्वेरियम खोला गया है।
  • यह एक्वेरियम अमेज़ॅन नदी (दक्षिण अमेरिका की) अवधारणा पर आधारित अपनी तरह का एक जलीय पार्क है।
  • यह एक 12 फीट लंबा जलीय साम्राज्य है, असंख्य वनस्पतियों और जीवों के साथ पहला पलुडेरियम (विवरियम जिसमें स्थलीय और जलीय दोनों तत्त्व शामिल हैं)।
  • यह विभिन्न जलीय जंतुओं जैसे- घड़ियाल गार रेंजिंग, स्टिंग्रे, शार्क, झींगा मछली, घोंघे और श्रिम्प आदि का निवास स्थान है। एक्वेरियम प्राकृतिक चट्टानों और ड्रिफ्टवुड, कृत्रिम प्रवाल चट्टानों के टुकड़ों से सुशोभित है।
  • इसे रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के सुखद अनुभव के उद्देश्य से 1.2 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है।
  • इसका उद्देश्य भारतीय रेल के लिये राजस्व अर्जन में सुधार करना भी है।
  • यह एक प्रकार से शिक्षाप्रद भी है, यहाँ मछलियों के जीवन, आकार, साम्राज्य का अनुभव किया जा सकता है।

ताल ज्वालामुखी: फिलीपींस

Taal Volcano: Philippines 

हाल ही में फिलीपींस ने ‘ताल ज्वालामुखी’ में ‘फ्रीएटोमैग्मैटिक विस्फोट’ (Phreatomagmatic Eruption) के बाद ज्वालामुखी के चेतावनी स्तर को ‘स्तर-3’ (पाँच-स्तर के पैमाने पर) तक बढ़ा दिया है। इस ‘फ्रीएटोमैग्मैटिक विस्फोट’ के कारण तकरीबन एक किलोमीटर ऊँचा गहरे भूरे रंग का प्लम उत्पन्न हुआ था।

  • ‘स्तर-3’ मैग्मैटिक अशांति या मैग्मा की ऐसी गति इंगित करता है, जो भविष्य में आने वाले विस्फोटों में वृद्धि कर सकती है।

Philippines

प्रमुख बिंदु

  • अवस्थिति
    • यह ज्वालामुखी फिलीपींस के मनीला से 50 किलोमीटर दूर स्थित ‘लुजोन द्वीप’ पर है।
  • संवेदनशीलता:
    • फिलीपींस दो टेक्टोनिक प्लेटों- फिलीपींस सागर प्लेट और यूरेशियन प्लेट, की सीमाओं पर स्थित है इसलिये यह भूकंप और ज्वालामुखी की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है।
    • ‘ताल ज्वालामुखी’ फिलीपींस के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है, क्योंकि यह पैसिफिक ‘रिंग ऑफ फायर’ पर स्थित है, जो कि अपनी तीव्र भूकंपीय गतिविधियों के लिये जाना जाता है।
  • फ्रीएटोमैग्मैटिक विस्फोट: नए मैग्मा या लावा के पानी के साथ संपर्क में आने से उत्पन्न होने वाला यह विस्फोट काफी खतरनाक हो सकता है। यह पानी भूजल, हाइड्रोथर्मल प्रणाली, सतही अपवाह, झील या समुद्र से आ सकता है।
  • खतरा
    • पाइरोक्लास्टिक घनत्व धाराओं (जैसे- गर्म गैस, राख और अन्य ज्वालामुखीय मलबे के बादल) से उत्पन्न खतरे एवं ज्वालामुखी जनित सुनामी के संभावित खतरे।
  • जटिल ज्वालामुखी: इस ज्वालामुखी को ‘फिलीपीन इंस्टीट्यूट ऑफ वॉल्केनोलॉजी एंड सिस्मोलॉजी’ द्वारा ‘जटिल’ ज्वालामुखी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • जटिल ज्वालामुखी को एक ऐसे ज्वालामुखी के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें केवल एक मुख्य वेंट (छिद्र) या शंकु नहीं बल्कि कई विस्फोट बिंदु होते हैं। इस प्रकार के ज्वालामुखी का एक अन्य रूप इटली के पश्चिमी तट पर स्थित ‘माउंट वेसुवियस’ है।
  • अप्रत्याशित रूप से पिछली कुछ शताब्दियों में ‘ताल ज्वालामुखी’ 30 से अधिक बार विस्फोटित हो चुका है, इससे पूर्व अंतिम विस्फोट वर्ष 2020 में हुआ था।

ज्वालामुखी

  • ज्वालामुखी भू-पर्पटी पर एक ऐसा खुला छिद्र होता है जिससे पिघले हुए पदार्थ अचानक बाहर निकलते हैं।

Jwalamukhi 


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 02 जुलाई, 2021

नेशनल चार्टर्ड एकाउंटेंट्स दिवस

भारत में प्रतिवर्ष 01 जुलाई को ‘नेशनल चार्टर्ड एकाउंटेंट्स दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्रमुख उद्देश्य एक पारदर्शी अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स (CA) की भूमिका को रेखांकित करना है। इस दिवस का आयोजन ‘इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया’ (ICAI) की स्थापना के उपलक्ष्य में किया जाता है। ICAI भारत का राष्ट्रीय पेशेवर लेखा निकाय है और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा लेखा संगठन है। वर्तमान में ICAI के लगभग 2.5 लाख सदस्य और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स हैं, जिन्हें सम्मानित करने के लिये इस दिवस का आयोजन किया जाता है। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) की स्थापना 01 जुलाई, 1949 को संसद में पारित एक अधिनियम के माध्यम से की गई थी। ध्यातव्य है कि ICAI भारत में वित्तीय ऑडिट और लेखा पेशे के लिये एकमात्र लाइसेंसिंग और नियामक निकाय है। एक पेशे के रूप में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स (CA) के इतिहास को ब्रिटिश काल से खोजा जा सकता है। ब्रिटिश सरकार ने सर्वप्रथम वर्ष 1913 में कंपनी अधिनियम पारित किया था, इसमें उन पुस्तकों की एक निर्धारित सूची थी, जिन्हें अधिनियम के तहत पंजीकृत प्रत्येक कंपनी को बनाए रखना अनिवार्य था। इसके अलावा अधिनियम में एक ऑडिटर की नियुक्ति का भी प्रावधान किया गया था, जिसके पास सभी पुस्तकों के निरीक्षण की शक्तियाँ थीं। 

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 

देश के सबसे पुराने वाणिज्यिक बैंक ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ (SBI) ने 01 जुलाई, 2021 को अपनी 66वीं वर्षगाँठ मनाई। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) वर्तमान में भारत के सबसे बड़े बैंकों में से एक है। भारतीय स्टेट बैंक बहुराष्ट्रीय, सार्वजनिक क्षेत्र बैंकिंग और वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने वाला सांविधिक निकाय है, जिसका मुख्यालय मुंबई में है। भारतीय स्टेट बैंक का इतिहास 18वीं शताब्दी के पहले दशक से शुरू होता है, जब बैंक ऑफ कलकत्ता, जिसे बाद में बैंक ऑफ बंगाल का नाम दिया गया, को 2 जून, 1806 को स्थापित किया गया था। बैंक ऑफ बंगाल तीन प्रेसीडेंसी बैंकों में से एक था, अन्य दो थे- बैंक ऑफ बॉम्बे (15 अप्रैल, 1840 को स्थापित) और बैंक ऑफ मद्रास (1 जुलाई, 1843 को स्थापित)। तीनों प्रेसीडेंसी बैंकों को शाही चार्टर के माध्यम से संयुक्त स्टॉक कंपनियों के रूप में निगमित किया गया था। इन तीनों बैंकों को कागज़ी मुद्रा जारी करने का विशेष अधिकार भी प्राप्त था, हालाँकि वर्ष 1861 में कागज़ी मुद्रा अधिनियम के माध्यम से भारत सरकार द्वारा यह अधिकार ले लिया गया। 27 जनवरी, 1921 को प्रेसीडेंसी बैंकों का विलय कर दिया गया और पुनर्गठित बैंकिंग इकाई को ‘इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना गया। ‘इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया’ एक संयुक्त स्टॉक कंपनी बना रहा, लेकिन इसमें सरकार की भागीदारी नहीं थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955 के प्रावधानों के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक, जो कि भारत का केंद्रीय बैंक है, ने ‘इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया’ का नियंत्रण हासिल कर लिया। 1 जुलाई, 1955 को ‘इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया’ का नाम बदलकर ‘भारतीय स्टेट बैंक’ कर दिया गया। 

वित्तीय साक्षरता पाठ्यक्रम

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने छठी कक्षा के छात्रों के लिये वित्तीय साक्षरता पाठ्यक्रम शुरू करने हेतु सहयोग किया है। वित्तीय साक्षरता पाठ्यक्रम को नए वैकल्पिक 'वित्तीय साक्षरता' विषय के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया है जो छात्रों को उनकी शिक्षा के प्रारंभिक चरण में बुनियादी वित्तीय अवधारणाओं की समझ रखने में सक्षम बनाएगा। इस पाठ्यक्रम में मुद्रा, बैंकिंग, बचत और निवेश जैसी बुनियादी अवधारणाओं से लेकर IMPS, UPI, USSD, NACH, पॉइंट ऑफ सेल, mPoS, क्यूआर कोड और ATM जैसी उन्नत अवधारणाओं तक को शामिल किया गया है। इसमें बैंकिंग की उत्पत्ति, सिक्कों से कागज़ी मुद्रा में परिवर्तन, बैंकों के प्रकार और बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रमुख संचालन सेवाओं को भी शामिल किया हैं। यह पाठ्यक्रम डिजिटल भुगतान को गति प्रदान करने में भारतीय रिज़र्व बैंक और भारत सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका को भी स्पष्ट करता है। इस पाठ्यक्रम को ‘केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड’ की वेबसाइट पर ऑनलाइन प्राप्त किया जा सकता है। यह सहयोग सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई नई शिक्षा नीति के अनुरूप है, जिसमें देश भर के छात्रों के बीच डिजिटल मानसिकता को पोषित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है। 

कार्मिक प्रशासन और शासन सुधार संबंधी समझौता

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग तथा गाम्बिया गणराज्य के लोक सेवा आयोग के बीच कार्मिक प्रशासन एवं शासन में सुधारों के नवीनीकरण को लेकर समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने को मंज़ूरी दे दी है। यह समझौता ज्ञापन दोनों देशों को एक-दूसरे के कार्मिक प्रशासन को समझने में मदद करेगा और कुछ सर्वोत्तम प्रथाओं तथा प्रक्रियाओं को अपनाने, अनुकूल बनाने और नवाचार के माध्यम से शासन प्रणाली में सुधार करने में सक्षम बनाएगा। इस समझौता ज्ञापन के तहत मुख्य तौर पर सरकार में प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली में सुधार, अंशदायी पेंशन योजना के कार्यान्वयन तथा सरकारी भर्ती हेतु ऑनलाइन प्रक्रिया (ई-भर्ती) आदि क्षेत्रों में सहयोग किया जाएगा, हालाँकि यह सहयोग केवल इन्हीं क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहेगा। समझौता ज्ञापन का मुख्य उद्देश्य कार्मिक प्रशासन एवं शासन सुधार के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूत करना और बढ़ावा देना है। यह सहयोग एक कानूनी ढाँचा प्रदान करेगा, ताकि कार्मिक प्रशासन तथा शासन सुधार के क्षेत्र में प्रशासनिक अनुभवों को सीखने, साझा करने एवं आदान-प्रदान कर शासन की मौजूदा प्रणाली में सुधार किया जा सके और जवाबदेही व पारदर्शिता की भावना को भी मज़बूत किया जा सके।