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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 02 May, 2020
  • 11 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 2 मई, 2020

महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस 

Statehood day of Maharashtra and Gujarat

1 मई, 2020 को भारतीय राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री ने गुजरात और महाराष्ट्र के लोगों को उनके राज्य दिवस (1 मई) पर बधाई दी। 

Maharashtra-Gujarat

मुख्य बिंदु:

  • राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 (The States Reorganisation Act, 1956) के तहत  भाषाई आधार पर भारत संघ के भीतर राज्यों के लिये सीमाओं को परिभाषित किया गया था। परिणामस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का गठन किया गया।
    • इस अधिनियम के तहत बॉम्बे राज्य का गठन मराठी, गुजराती, कच्छी (Kutchi) एवं कोंकणी भाषी लोगों के लिये किया गया था।
  • वर्ष 1956 में व्यापक स्तर पर राज्यों के पुनर्गठन के बावजूद भाषा या सांस्कृतिक एकरूपता एवं अन्य कारणों के आधार पर दूसरे राज्यों से अन्य राज्यों के निर्माण की मांग उठी।

महागुजरात सम्मेलन (Mahagujarat Conference):   

  • वर्ष 1937 में, कराची में हुई ‘गुजरात साहित्य सभा’ की एक बैठक के दौरान लेखक एवं स्वतंत्रता सेनानी कन्हैया लाल मुंशी द्वारा ‘महागुजरात की अवधारणा’ का सुझाव दिया गया था।
  • वर्ष 1947 में आज़ादी मिलने के बाद वर्ष 1948 में एक प्रशासनिक निकाय के तहत संपूर्ण गुजराती भाषा बोलने वाली आबादी को एकीकृत करने के लिये एक ‘महागुजरात सम्मेलन’ (Mahagujarat Conference) हुआ।  

संयुक्त महाराष्ट्र समिति (Sanyukta Maharashtra Samiti):

  • संयुक्त महाराष्ट्र समिति चाहती थी कि बॉम्बे राज्य को दो राज्यों (एक राज्य गुजराती एवं कच्छी भाषी लोगों के लिये और दूसरा राज्य मराठी एवं कोंकणी भाषी लोगों के लिये) में विभाजित किया जाए।
  • वर्ष 1960 तक महाराष्ट्र और गुजरात बॉम्बे प्रांत का हिस्सा थे। वर्ष 1960 में बंबई पुनर्गठन अधिनियम,1960 द्वारा द्विभाषी राज्य बंबई को दो पृथक राज्यों (महाराष्ट्र मराठी भाषी लोगों के लिये और गुजरात, गुजराती भाषी लोगों के लिये) में विभक्त किया गया।  
  • 1 मई, 1960 को महाराष्ट्र और गुजरात राज्य दो स्वतंत्र राज्यों के रूप में अस्तित्त्व में आए। भारतीय संविधान के तहत ‘गुजरात’ भारतीय संघ का 15वाँ राज्य बना। 

किसान सभा एप

Kisan Sabha App

हाल ही में देश के दूरदराज के इलाकों में आपूर्ति श्रृंखला एवं माल परिवहन प्रबंधन प्रणाली से किसानों को जोड़ने के लिये नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर-केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CSIR-CRRI) ने किसान सभा एप (Kisan Sabha App) विकसित किया है।

CSIR

लक्ष्य:

  • इसका लक्ष्य किसानों को सबसे किफायती एवं समय पर लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करना तथा बिचौलियों के हस्तक्षेप को कम करके उनको सीधे संस्थागत खरीदारों के साथ जोड़कर उनके लाभ को बढ़ाना है।

मुख्य बिंदु:

  • यह निकटतम मंडियों में उपज मूल्यों की तुलना करके तथा सस्ती कीमत पर मालवाहक वाहन की बुकिंग करके फसलों की उचित मूल्य दर प्रदान करने में मदद करेगा जिससे किसानों को अधिकतम लाभ मिल सकेगा।
  • यह पोर्टल किसानों, ट्रांसपोर्टरों, सेवा प्रदाताओं (जैसे- कीटनाशकों/उर्वरक/डीलरों, कोल्ड स्टोरेज़ और गोदाम मालिक), मंडी डीलरों, ग्राहकों (जैसे- बड़े खुदरा दुकानों, ऑनलाइन स्टोर, संस्थागत खरीदारों) और अन्य संबंधित संस्थाओं को समय पर प्रभावी समाधान के लिये आपस में जोड़ता है।
  • किसान सभा में किसानों/मंडी डीलरों/ट्रांसपोर्टरों/मंडी बोर्ड के सदस्यों/सेवा प्रदाताओं/उपभोक्ताओं के लिये 6 प्रमुख मॉड्यूल हैं।

अन्य सुविधाएँ:

  • यह पोर्टल कृषि से संबंधित प्रत्येक इकाई के लिये एकल स्टॉप के रूप में कार्य करता है क्योंकि वे किसान जिन्हें फसलों की बेहतर कीमत की आवश्यकता है या मंडी डीलर जो अधिक किसानों एवं ट्रक ड्राइवरों से जुड़ना चाहते हैं, उन सबके लिये मददगार साबित होगा।
  • यह उन लोगों के लिये भी एक मंच प्रदान करता है जो सीधे किसानों से उनकी उपज खरीदना चाहते हैं।
  • यह एप कोल्ड स्टोरज़ या गोदाम कारोबार से जुड़े लोगों के लिये भी उपयोगी साबित होगा।

सीएसआईआर-केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CSIR-CRRI):

  • सीएसआईआर-केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) वर्ष 1952 में स्थापित एक प्रमुख राष्ट्रीय प्रयोगशाला है।
  • यह वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) के एक घटक के रूप में सड़कों एवं रनवे के डिज़ाइन, निर्माण तथा रखरखाव, मेगा एवं मध्यम शहरों के यातायात और परिवहन की योजनाओं आदि पर अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को पूरा करता है। 

डेमो-2 मिशन

Demo-2 Mission

हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) और स्पेस एक्स कंपनी (SpaceX) ने कहा है कि COVID-19 जैसी स्थिति के बावजूद 27 मई, 2020 को डेमो-2 मिशन (Demo-2 Mission) के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष मे भेजने हेतु लॉन्च किया जाएगा। 

मुख्य बिंदु: 

  • इस मिशन में फाल्कन-9 (Falcon-9) रॉकेट का उपयोग किया जायेगा। इसके माध्यम से अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर विस्तारित प्रवास के लिये भेजा जाएगा।
  • इस मिशन को स्पेस एक्स (SpaceX) द्वारा लॉन्च किया जायेगा। यह एलन मस्क स्पेस कंपनी (Elon Musk Space Company) का पहला क्रू लॉन्च है।
  • बेहनकेन (Behnken) और हर्ले (Hurley) जिन्हें ‘डेमो -2’ मिशन के लिये प्रशिक्षित किया जा रहा है, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) पर पहुँचकर एक से चार महीने तक वहाँ रहेंगे।
  • अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भेजने वाले नासा के इस मिशन को ‘वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम’ (Commercial Crew Programme) नाम दिया गया है।

डेमो-1 मिशन (Demo-1 Mission):

  • नासा के डेमो-1 मिशन को स्पेस एक्स ने लॉन्च किया था। डेमो-1 अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में लॉन्च की जाने वाली पहली नान-क्रू (मानवरहित) परीक्षण उड़ान थी।
  • वर्तमान में स्पेस एक्स (SpaceX) और बोईंग (Boeing) कंपनी नासा के अंतरिक्ष टैक्सी प्रदाता हैं।

वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम’

(Commercial Crew Programme):

  • ‘वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम’ को संयुक्त राज्य अमेरिकी सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया था। और इसका प्रशासनिक कार्यान्वयन नासा की देखरेख में हुआ था। इस कार्यक्रम के तहत निजी विक्रेता अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक ले जाने के लिये क्रू वाहनों का संचालन करेंगे।

हिज़्बुल्लाह

Hezbollah

हाल ही में जर्मनी ने ईरान समर्थित हिज़्बुल्लाह (Hezbollah) गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाते हुए उसे एक आतंकवादी संगठन घोषित किया है।

मुख्य बिंदु: 

  • हिज़्बुल्लाह लेबनान का एक उग्रवादी राजनीतिक शिया मुस्लिम समूह है।
  • हिज़्बुल्लाह जिसका अरबी भाषा में नाम ‘पार्टी ऑफ गॉड’ (Party of God) है, की स्थापना वर्ष 1982 में प्रथम इज़राइल-लेबनान युद्ध के बाद की गई थी।
  • वर्तमान में इस समूह के सीरिया एवं ईरान के साथ राजनीतिक तथा सैन्य संबंध है और इसे संयुक्त राज्य अमेरिका एवं अन्य पश्चिमी देशों द्वारा आतंकवादी समूह के रूप में नामित किया गया है।
  • हिज़्बुल्लाह की राजनीतिक शाखा लेबनान की राजनीति में प्रगाढ़ रूप से शामिल है। हिज़्बुल्लाह पश्चिम देशों एवं इज़रायल का विरोध करता है और लेबनान में एक इस्लामिक राज्य स्थापित करने के लिये प्रयासरत है जो ईरानी मॉडल पर आधारित है।
  • यह मुख्य रूप से दक्षिणी बेरूत, दक्षिणी लेबनान और बेका घाटी (Bekaa Valley) के शिया बहुल क्षेत्रों में विस्तृत है।
  • इस समूह की स्थापना में वर्ष 1979 में हुई ईरानी इस्लामिक क्रांति ने अहम भूमिका निभाई थी और वर्ष 1982 में लेबनान पर इज़रायल द्वारा आक्रमण के दौरान इसे ईरान से सैन्य सहायता मिली थी।
  • वर्तमान में हिज़्बुल्लाह लेबनान की संसद में कई प्रतिनिधियों के साथ एक राजनीतिक शक्ति बना हुआ है और इसे अभी भी लेबनान की शिया आबादी के साथ-साथ सीरिया एवं ईरान का समर्थन प्राप्त है।

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