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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 02 Apr, 2021
  • 7 min read
विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 02 अप्रैल, 2021

सैन्य फार्म

हाल ही में भारतीय सेना की सैन्य फार्म सेवा को औपचारिक रूप से बंद कर दिया गया। ज्ञात हो कि देश में पहला सैन्य फार्म वर्ष 1889 में इलाहाबाद में ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। बाद में देश के तमाम हिस्सों में कई अन्य सैन्य फार्म स्थापित किये गए, जिनका प्राथमिक उद्देश्य भारतीय सैनिकों के लिये पोषक दूध की आपूर्ति सुनिश्चित करना था। दूध और मक्खन की आपूर्ति के अलावा सैन्य फार्म्स द्वारा भारतीय सेना की पशु परिवहन इकाइयों को घास की आपूर्ति भी की जाती थी। धीरे-धीरे, सैन्य फार्म्स की भूमिका दूध उत्पादन से बढ़कर गायों के कृत्रिम गर्भाधान तक विस्तृत हो गई और इस संबंध में पहला अग्रणी कदम वर्ष 1925 में उठाया गया था। सैन्य फार्म्स में कार्यरत सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को रक्षा मंत्रालय के विभिन्न विभागों में नियुक्त कर दिया गया है। आँकड़ों की मानें तो स्वतंत्रता प्राप्ति के समय संपूर्ण भारत में 130 सैन्य फार्म्स में 30,000 से अधिक मवेशी मौजूद थे और पिछली एक सदी से अधिक समय से ये सैन्य फार्म अपनी समग्र प्रतिबद्धता के साथ प्रतिवर्ष 3.5 करोड़ लीटर दूध और 25,000 मीट्रिक टन चारे की आपूर्ति कर रहे थे। 

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

जाने-माने फिल्म अभिनेता रजनीकांत को वर्ष 2019 के प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें आगामी माह की तीन तारीख को दिया जाएगा। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिये प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार भारत सरकार द्वारा ‘भारतीय सिनेमा के पितामह’ कहे जाने वाले दादा साहेब फाल्के की स्मृति में वर्ष 1969 में शुरू किया गया। यह पुरस्कार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रदान किया जाता है। वर्ष 1969 में पहली बार देविका रानी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दादा साहब फाल्के पुरस्कार में एक स्वर्ण कमल (गोल्डन लोटस), एक शॉल और 10 लाख रुपए की नकद धनराशि दी जाती है। सत्यजीत रे, नागी रेड्डी, राज कपूर, लता मंगेशकर, अक्किनेनी नागेश्वर राव, दिलीप कुमार, शिवाजी गणेशन, आशा भोसले जैसे दिग्गज लोगों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। अमिताभ बच्चन को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिये वर्ष 2018 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

महेंद्रगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व का प्रस्ताव

ओडिशा सरकार ने महेंद्रगिरि, जो कि राज्य के दक्षिणी हिस्से में स्थित है, को राज्य के दूसरे बायोस्फीयर रिज़र्व के रूप में प्रस्तावित किया है। महेंद्रगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व का क्षेत्र लगभग 470,955 हेक्टेयर है और यह पूर्वी घाट में गजपति एवं गंजम ज़िलों तक फैला हुआ है। इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक, पौधों की लगभग 1,358 प्रजातियों के साथ महेंद्रगिरि में मौजूद समृद्ध वनस्पति ओडिशा की 40 प्रतिशत वनस्पतियों का प्रतिनिधित्त्व करती है। इसके अलावा इस क्षेत्र में जानवरों की 388 प्रजातियाँ मौजूद हैं, जिनमें स्तनधारियों की 27 प्रजातियाँ, पक्षियों की 165 प्रजातियाँ, साँपों की 23 प्रजातियाँ, उभयचरों की 15 प्रजातियाँ, कछुओं की तीन प्रजातियाँ और छिपकलियों की 19 प्रजातियाँ शामिल हैं। 5,569 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत सिमलीपाल बायोस्फीयर रिज़र्व ओडिशा का पहला बायोस्फीयर रिज़र्व है, जिसे 20 मई, 1996 को अधिसूचित किया गया था। 

विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस

विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 2 अप्रैल को ‘विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य ऑटिज़्म के बारे में जागरूकता फैलाने और आम लोगों को इस विकार से जुड़ी चुनौतियों को समझने में मदद करना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2 अप्रैल, 2007 को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस की घोषणा की थी। ऑटिज़्म (Autism) या आत्मविमोह/स्वलीनता, एक मानसिक रोग या मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला एक गंभीर विकार है। नीले रंग को ऑटिज़्म का प्रतीक माना गया है। इस विकार के लक्षण जन्म या बाल्यावस्था (पहले तीन वर्षों) में ही नज़र आने लगते है। यह विकार व्यक्ति की सामाजिक कुशलता और संप्रेषण क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालता है। यह जीवनपर्यंत बना रहने वाला विकार है। इस विकार से पीड़ित बच्चों का विकास अन्य बच्चों से अलग होता है। इससे प्रभावित व्यक्ति सीमित और दोहरावयुक्त व्यवहार करता है, जैसे- एक ही काम को बार-बार करना। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में 19 वर्ष से कम आयु वर्ग के दिव्यांग बच्चों की कुल संख्या 78,62,921 है, जिनमें से 5,95,089 बच्चे बौद्धिक दिव्यांगता से पीड़ित हैं।


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