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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 02 Feb, 2021
  • 9 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट: 2 फरवरी, 2021

पेरियार टाइगर रिज़र्व

(Periyar Tiger Reserve)

केरल में पेरियार टाइगर रिज़र्व (PTR) द्वारा भारत में पहली बार बाघ शावको को वन पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से शिकार करने के लिये प्रशिक्षित किये जाने हेतु एक कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। 

प्रमुख बिंदु: 

अवस्थिति: 

  • यह अभयारण्य/रिज़र्व केरल राज्य के इडुक्की और पठानमथिट्टा ज़िले (पश्चिमी घाट के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित) में स्थित है।  

निर्माण:

  • इसे वर्ष 1950 में अभयारण्य और वर्ष 1978 में एक बाघ अभयारण्य के रूप में नामित किया गया था। इस अभयारण्य का नाम पेरियार नदी से प्रेरित है, जिसका उद्गम स्थल इस अभयारण्य के भीतर ही है।    

अपवाह (Drainage):

  •  मुलयार और पेरियार इस अभयारण्य से निकलने वाली दो प्रमुख नदियाँ हैं।

वनस्पति:

  • इस अभयारण्य में उष्णकटिबंधीय सदाबहार, अर्द्ध सदाबहार, आर्द्र पर्णपाती वन और घास के मैदान शामिल हैं।
  • इस अभयारण्य में पुष्पीय पौधों की लगभग 1966 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
    • इसमें से लगभग 516 पश्चिमी घाट की स्थानिक प्रजातियाँ हैं। 
  • यह अभयारण्य लगभग 300 औषधीय पौधों का भंडार है।
    • Syzygium periyarensis (एक प्रकार का वृक्ष), Habenaria periyarensis (एक आर्किड) और Mucuna pruriense thekkadiensis (एक प्रकार की बेल या लता) आदि इस क्षेत्र की कुछ स्थानिक पादप प्रजातियाँ है।

प्राणिजगत: 

  • स्तनधारी: बाघ, हाथी, लॉयन टेल्ड मकाक (Lion-tailed macaque), नीलगिरि तहर आदि।
  • पक्षी: डार्टर, जलकाग, किंगफिशर, ग्रेट मालाबार हॉर्नबिल (Great Malabar Hornbill) और रैकेट-टेल्ड ड्रोंगो (Racket-tailed Drongo)।
  • सरीसृप: मॉनिटर लिज़र्ड, अजगर, किंग कोबरा आदि।

आदिवासी:

  • इस अभयारण्य में छह आदिवासी समुदाय बसे हुए हैं जैसे- मन्नान, पलियन, मलाइ अरायन, मलाइ पंडाराम, उरलिस और उलादन।

केरल में संरक्षित क्षेत्र:

Keral


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 02 फरवरी, 2021

विश्व आर्द्रभूमि दिवस

हमारे गृह के लिये आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने हेतु प्रतिवर्ष 02 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस का आयोजन किया जाता है। इसी दिन वर्ष 1971 में ईरान के शहर रामसर में कैस्पियन सागर के तट पर ‘कन्वेंशन ऑन वेटलैंड ऑफ इंटरनेशनल इंपोर्टेंस’ (रामसर कन्वेंशन) पर हस्ताक्षर किये गए थे। विश्व आर्द्रभूमि दिवस का आयोजन पहली बार 02 फरवरी, 1997 को रामसर सम्मेलन के 16 वर्ष पूरे होने के अवसर पर किया गया था। विश्व आर्द्रभूमि दिवस आम लोगों को प्रकृति के लिये आर्द्रभूमि के महत्त्व को पहचानने का अवसर प्रदान करता है। वर्ष 2021 के लिये इस दिवस की थीम है- ‘आर्द्रभूमि और जल।’ वर्ष 2020 के लिये इस दिवस की थीम थी- 2020- ‘आर्द्रभूमि और जैव विविधता।’ नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को आर्द्रभूमि या वेटलैंड (Wetland) कहा जाता है। दरअसल, आर्द्रभूमि वे क्षेत्र हैं जहाँ भरपूर नमी पाई जाती है और इसके कई लाभ भी हैं। आर्द्रभूमि जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है। आर्द्रभूमि वह क्षेत्र है जो वर्ष भर आंशिक रूप से या पूर्णतः जल से भरा रहता है। भारत में आर्द्रभूमि ठंडे और शुष्क इलाकों से लेकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है।

सतलुज जलविद्युत निगम

नेपाल सरकार ने भारत के सतलुज जलविद्युत निगम लिमिटेड को 679 मेगावाट के अरुण हाइड्रो प्रोजेक्ट निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट देने का निर्णय लिया है। भारतीय कंपनी को यह कॉन्ट्रैक्ट BOOT मॉडल (बिल्ड, ऑन, ऑपरेट एंड ट्रांसफर) के तहत प्रदान किया गया है। प्रस्तावित परियोजना में 679 मेगावाट बिजली उत्पादन की अनुमानित क्षमता है और यह नेपाल के प्रांत 1 के संखुवासभा और भोजपुर ज़िलों में शुरू होगी। इससे पूर्व, चीन की एक राज्य स्वामित्व वाली कंपनी, पावर चाइना ने जलविद्युत परियोजना के निर्माण में रुचि व्यक्त की थी। चीन की कंपनी ने परियोजना को विकसित करने के लिये ‘नेपाल निवेश बोर्ड’ (IBN) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किये थे। यह एक निजी-सार्वजनिक भागीदारी (P3) परियोजना मॉडल है, जहाँ संगठन अथवा कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र के भागीदारों जैसे- सरकारी एजेंसियों के अनुबंध के तहत बड़ी विकास परियोजनाओं का संचालन करती है। 

स्टारडस्ट 1.0

अमेरिका आधारित रॉकेट स्टार्टअप कंपनी ‘ब्लूशिफ्ट एयरोस्पेस’ ने जैव ईंधन द्वारा संचालित विश्व का पहला वाणिज्यिक बूस्टर लॉन्च किया है। ‘स्टारडस्ट 1.0’ नाम का यह बूस्टर (रॉकेट) तकरीबन 20 फीट लंबा है और इसका द्रव्यमान लगभग 250 किलोग्राम है। यह रॉकेट अधिकतम 8 किलोग्राम पेलोड ले जा सकता है। कंपनी के मुताबिक, इस रॉकेट के संचालन में प्रयोग किया गया जैव-ईंधन गैर-विषैला और पूरी तरह से कार्बन-तटस्थ है, जिससे यह प्रकृति को प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं करेगा। ये रॉकेट अंतरिक्ष में क्यूबेट्स नामक छोटे उपग्रहों को लॉन्च करने में मदद करेंगे, जो कि पारंपरिक रॉकेट की तुलना में अपेक्षाकृत सस्ता है और पर्यावरण के प्रति कम विषाक्त है। 

इंडो-फ्रेंच ईयर ऑफ एन्वायरनमेंट

हाल ही में भारत और फ्रांँस ने सतत् विकास के क्षेत्र में मज़बूत सहयोग और वैश्विक पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने के लिये ‘इंडो-फ्रेंच ईयर ऑफ एन्वायरनमेंट’ नाम से एक संयुक्त पहल की शुरुआत की है। वर्ष 2021-2022 में आयोजित होने वाली यह ‘इंडो-फ्रेंच ईयर ऑफ एन्वायरनमेंट’ पहल मुख्य रूप से पाँच विषयों पर केंद्रित होगी: (1) पर्यावरण संरक्षण, (2) जलवायु परिवर्तन, (3) जैव विविधता संरक्षण, (4) सतत् शहरी विकास और (5) नवीकरणीय ऊर्जा एवं ऊर्जा दक्षता का विकास। यह पहल पर्यावरण और संबद्ध क्षेत्रों में सहभागिता से जुड़े महत्त्वपूर्ण विषयों के बारे में चर्चा करने के एक मंच के रूप में भी कार्य करेगा। ज्ञात हो कि भारत ने जलवायु परिवर्तन कार्रवाई की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है और उत्सर्जन तीव्रता में पहले ही 26 प्रतिशत कमी का लक्ष्य हासिल कर लिया है।


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