प्रीलिम्स फैक्ट: 01 जनवरी, 2021
मेरा गाँव, मेरा गौरव योजना: ICAR
Mera Gaon, Mera Gaurav Programme: ICAR
हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की पहल ‘मेरा गाँव मेरा गौरव’ (Mera Gaon, Mera Gaurav) के तहत गोवा के कुछ गाँवों में कचरा निपटान हेतु ग्राम पंचायतों के मार्गदर्शन में अभियान चलाया गया।
- ICAR, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (Department of Agricultural Research and Education- DARE), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संगठन है।
प्रमुख बिंदु:
मेरा गाँव, मेरा गौरव योजना के संबंध में:
- इस योजना की शुरुआत वर्ष 2015 में की गई थी।
- इस योजना के तहत वैज्ञानिकों को उनकी सुविधा के अनुसार गाँवों का चयन करने और चयनित गाँवों के संपर्क में रहने तथा किसानों को निजी यात्राओं या टेलीफोन के माध्यम से तकनीकी एवं कृषि से संबंधित अन्य पहलुओं की जानकारी प्रदान करने की परिकल्पना की गई।
- वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्रों (Krishi Vigyan Kendras- KVKs) और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (Agriculture Technology Management Agency- ATMA) की सहायता से कार्य कर सकते हैं।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य किसानों के साथ वैज्ञानिकों के सीधे इंटरफेस को बढ़ावा देने के लिये "लैब टू लैंड" (lab to land) प्रक्रिया को तेज़ करना है।
कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA):
- यह एक पंजीकृत संस्था है जो ज़िला स्तर पर प्रौद्योगिकी के प्रसार के लिये उत्तरदायी है। यह अनुसंधान विस्तार और विपणन को एकीकृत करने के लिये एक केंद्र बिंदु है।
- इसकी शुरुआत वर्ष 2005-06 के दौरान की गई थी।
- फंडिंग पैटर्न: केंद्र सरकार द्वारा 90% और राज्य सरकार द्वारा 10% का योगदान ।
- उद्देश्य:.
- सार्वजनिक/निजी विस्तार सेवा प्रदाताओं से जुड़े बहु-एजेंसी विस्तार रणनीतियों को प्रोत्साहित करना।
- कमोडिटी इंटरेस्ट ग्रुप्स के रूप में किसानों की पहचान की ज़रूरतों और आवश्यकताओं के अनुरूप विस्तार के लिये समूह दृष्टिकोण को अपनाना और उन्हें किसान निर्माता संगठन के रूप में समेकित करना।
- योजना, निष्पादन और कार्यान्वयन में किसान केंद्रित कार्यक्रमों के अभिसरण की सुविधा प्रदान करना।
- कृषि कार्य में संलग्न महिलाओं को समूहों में संगठित करना और उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर लैंगिक चिंताओं को संबोधित करना।
- लाभार्थी: व्यक्तिगत, सामुदायिक, महिला, किसान/किसान महिला समूह।
एग्री इंडिया हैकथॉन 2020
Virtual Agri-Hackathon 2020
हाल ही में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा के सहयोग से आयोजित वर्चुअल एग्री-हैकथॉन 2020 का उद्घाटन किया।
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और शिक्षा के लिये देश का प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान है।
प्रमुख बिंदु
एग्री-हैकथॉन 2020
- उद्देश्य
- इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत के सबसे बेहतरीन लोगों, रचनात्मक स्टार्ट-अप्स और स्मार्ट इनोवेटर्स के साथ उद्योग एवं सरकार के सबसे महत्त्वपूर्ण हितधारकों को एक साथ एक मंच पर लाने का प्रयास किया जाएगा, जो कि कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिये नवीन और मितव्ययी समाधानों की खोज करेंगे।
- प्रतिस्पर्द्धा
- आवश्यकता: हैकाथॉन के तहत कृषि मशीनीकरण, परिशुद्धता कृषि, आपूर्ति शृंखला एवं खाद्य प्रौद्योगिकी और हरित ऊर्जा आदि पर नवीन विचारों को स्वीकार किया जाएगा।
- पुरस्कार: अंतिम 24 विजेताओं को इनक्यूबेशन सपोर्ट, टेक एंड बिज़नेस परामर्श और कई अन्य लाभों के साथ 1,00,000 रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
महत्त्व
- यह कार्यक्रम नई तकनीक और उसके कारण कृषि क्षेत्र में होने वाले मूल्यवर्द्धन के दृष्टिकोण से काफी महत्त्वपूर्ण है।
- यह किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा, जिसे भारत में विकास और नवाचार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
मोनपा हस्तनिर्मित कागज़
Monpa Handmade Paper
हाल ही में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा अरुणाचल प्रदेश के मोनपा हस्तनिर्मित कागज़ (Monpa Handmade Paper) के पुनरुद्धार का प्रयास किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
मोनपा कागज़ के संबंध में:
- मोनपा हस्तनिर्मित कागज़ विरासत निर्माण कला की शुरुआत 1000 वर्ष पूर्व हुई थी।
- यह उम्दा बनावट वाला हस्तनिर्मित कागज़, जिसे स्थानीय बोली में मोन शुगु कहा जाता है, तवांग में स्थानीय जनजातियों की जीवंत संस्कृति का अभिन्न अंग है।
- इस कागज़ का एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व है क्योंकि इसका उपयोग बौद्ध मठों में धर्मग्रंथों और स्तुतिगान लिखने के लिये किया जाता है।
- मोनपा हस्तनिर्मित कागज़, शुगु शेंग नामक स्थानीय पेड़ की छाल से बनाया जाएगा, जिसका अपना औषधीय गुण भी है।
मोनपा हस्तनिर्मित कागज़ उद्योग:
- यह कला धीरे-धीरे अरुणाचल प्रदेश के तवांग में स्थानीय रीति-रिवाजों और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन गई।
- एक समय इस हस्तनिर्मित कागज़ का उत्पादन तवांग के प्रत्येक घर में होता था और यह स्थानीय लोगों की आजीविका का एक प्रमुख स्रोत बन गया था।
- हालाँकि पिछले 100 वर्षों में यह हस्तनिर्मित कागज़ उद्योग लगभग लुप्त हो चुका है।
पुनरुद्धार कार्यक्रम:
- वर्ष 1994 में हस्तनिर्मित कागज उद्योग के पुनरुद्धार का प्रयास किया गया था परंतु यह प्रयास विफल रहा।
- केवीआईसी द्वारा तवांग ज़िले में मोनपा हस्तनिर्मित कागज़ बनाने की एक इकाई की शुरुआत की गई है जिसका उद्देश्य न केवल कागज़ बनाने की इस कला को पुनर्जीवित करना है बल्कि स्थानीय युवाओं को इस कला के साथ पेशेवर रूप से जोड़ना तथा कमाई के साधन उपलब्ध करना है।
- इस पुनरुद्धार कार्यक्रम को प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ (Vocal for Local) मंत्र के साथ जोड़ा गया है।
भविष्य संबंधी कार्यक्रम
- तवांग को दो अन्य स्थानीय कलाओं के लिये भी जाना जाता है-
- हस्तनिर्मित मिट्टी के बर्तन
- हस्तनिर्मित फर्नीचर
- खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने घोषणा की है कि आगामी छह माह के भीतर इन दोनों स्थानीय कलाओं के पुनरुद्धार के लिये भी योजनाओं की शुरुआत की जाएगी।
- ‘कुम्हार सशक्तीकरण योजना’ के अंतर्गत जल्द ही प्राथमिकता के आधार पर हस्तनिर्मित मिट्टी के बर्तनों की कला के पुनरुद्धार का प्रयास किया जाएगा।
- कुम्हार सशक्तीकरण योजना: वर्ष 2018 में लॉन्च की गई इस योजना का उद्देश्य देश के कुम्हार समुदाय के लोगों को आत्मनिर्भर बनाकर उनके जीवन-स्तर में सुधार लाना और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना है।
- ‘कुम्हार सशक्तीकरण योजना’ के अंतर्गत जल्द ही प्राथमिकता के आधार पर हस्तनिर्मित मिट्टी के बर्तनों की कला के पुनरुद्धार का प्रयास किया जाएगा।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग
(Khadi and Village Industries Commission):
- खादी और ग्रामोद्योग आयोग 'खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम-1956' के तहत एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है।
- यह भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry of MSME) के अंतर्गत आने वाली एक मुख्य संस्था है।
- इसका मुख्य उद्देश्य उन ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ भी आवश्यक हो अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर खादी एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना तथा विकास के लिये योजनाएँ बनाना, उनका प्रचार-प्रसार करना तथा सुविधाएँ एवं सहायता प्रदान करना है।
GAVI बोर्ड में भारत
India in GAVI Board
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन को ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन्स एंड इम्यूनाइज़ेशन (Global Alliance for Vaccines and Immunisation- GAVI) द्वारा GAVI बोर्ड के सदस्य के रूप में नामित किया गया है।
- इससे पहले मई 2020 में, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री को विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भी चुना गया था।
प्रमुख बिंदु:
- डॉ हर्षवर्धन, GAVI बोर्ड में दक्षिण पूर्व क्षेत्र क्षेत्रीय कार्यालय (South East Area Regional Office- SEARO)/पश्चिमी प्रशांत क्षेत्रीय कार्यालय (Western Pacific Regional Office- WPRO) निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्त्व करेंगे।
- वर्तमान में यह सदस्यता म्यांमार के पास है और 1 जनवरी, 2021 से 31 दिसंबर 2023 तक भारत के पास रहेगी।
- ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन्स एंड इम्यूनाइजेशन (GAVI):
- GAVI एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 2000 में की गई थी, यह एक वैश्विक वैक्सीन गठबंधन है।
- यह विश्व के गरीब देशों में रहने वाले बच्चों के लिये नए और अप्रयुक्त टीकों (Underused Vaccines) की समान पहुँच सुनिश्चित करने हेतु साझा लक्ष्य के साथ सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को एक साथ लाता है।
- इसके मुख्य भागीदारों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children’s Fund- UNICEF), विश्व बैंक (World Bank) और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन शामिल हैं।
- महामारी के खतरे से जीवन को बचाने, गरीबी को कम करने और विश्व की रक्षा करने के अपने मिशन के हिस्से के रूप में GAVI ने विश्व के सबसे गरीब देशों में 822 मिलियन से अधिक बच्चों के टीकाकरण में मदद की है, ताकि भविष्य में 14 मिलियन से अधिकबच्चों का जीवन बचाया जा सके।
GAVI बोर्ड:
- यह रणनीतिक दिशा और नीति-निर्माण के लिये ज़िम्मेदार है, साथ ही वैक्सीन एलायंस के संचालन तथा कार्यक्रम कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
- यह बोर्ड कई साझेदार संगठनों के साथ ही निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई सदस्यता के साथ, संतुलित रणनीतिक निर्णय लेने, नवाचार और साझेदारी सहयोग के लिये एक मंच प्रदान करता है।
- आमतौर पर इसकी बैठक वर्ष में दो बार जून और नवंबर/दिसंबर में होती है तथा मार्च या अप्रैल में एक वार्षिक रिट्रीट का आयोजन किया जाता है।
मोरिंगा पाउडर
(Moringa Powder)
भारत में मोरिंगा/सहजन उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये ‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण’ (APEDA) द्वारा निजी संस्थानों को सहायता प्रदान की जा रही है।
प्रमुख बिंदु:
- वैश्विक स्तर पर मोरिंगा की पत्तियों के पाउडर, तेल और फूड फोर्टिफिकेशन (Food Fortification) में प्रयोग तथा पोषण अनुपूरक के रूप में सहजन के उत्पादों की मांग में वृद्धि देखी गई है।
- सहजन के पोषण, औषधीय गुणों के कारण भोजन में प्रयोग किये जाने हेतु वैश्विक उपभोक्ताओं द्वारा इसे व्यापक स्तर पर स्वीकृति प्रदान की गई है।
सहजन या मोरिंगा:
- वैज्ञानिक नाम: मोरिंगा ओलीफेरा (Moringa Oleifera)।
- यह भारतीय उपमहाद्वीप के मूल का एक तेज़ी से विकसित होने वाला और सूखा प्रतिरोधी पेड़ है।
- सामान्यतः इसे मोरिंगा, ड्रमस्टिक ट्री, सहजन आदि नामों से जाना जाता है।
- मोरिंगा के फली की बीज और पत्तियों के लिये बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जाती है, इसका उपयोग सब्जियों तथा पारंपरिक हर्बल दवा के रूप में करने के साथ-साथ जल शोधन के लिये भी किया जाता है।
- इसमें विभिन्न स्वास्थ्यवर्द्धक यौगिक जैसे- विटामिन, अन्य महत्त्वपूर्ण तत्व- लोहा, मैग्नीशियम आदि होते हैं, साथ ही इसमें वसा की मात्रा बहुत ही कम होती है और कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA):
- भारत सरकार द्वारा APEDA की स्थापना ‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1985’ के तहत दिसंबर 1985 में की गई थी।
- यह केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
- APEDA का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- APEDA को कई अनुसूचित उत्पादों जैसे- फलों, सब्जियों और उनके उत्पादों, मांस तथा मांस उत्पादों आदि की गुणवत्ता में सुधार, मानक तय करने व उनके निर्यात संवर्द्धन की ज़िम्मेदारी दी गई है।
- इसके अतिरिक्त APEDA को चीनी आयात की निगरानी करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 जनवरी, 2021
‘ग्लोबल प्रवासी रिश्ता’ पोर्टल और एप
विदेश मंत्रालय ने हाल ही में दुनिया भर में लगभग 3.12 करोड़ भारतीय प्रवासियों के साथ जुड़ने के लिये ‘ग्लोबल प्रवासी रिश्ता’ पोर्टल और एप लॉन्च किया है। इस पोर्टल और एप का उद्देश्य विदेश मंत्रालय, विदेशों में स्थित भारतीय मिशनों और प्रवासी भारतीयों के बीच तीन-तरफा कम्युनिकेशन स्थापित करना है। इस मोबाइल एप का उपयोग प्रवासी भारतीयों और भारतीय नागरिकों द्वारा किया जाएगा, जबकि पोर्टल वेब इंटरफेस का उपयोग विदेश में स्थित मिशन द्वारा किया जाएगा। इस एप के माध्यम से प्रवासी भारतीयों को भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं से जुड़ने और उनसे लाभान्वित होने का अवसर प्राप्त होगा। यह पोर्टल और एप संकट के दौरान भी काफी सहायक होगा तथा भारतीय प्रवासियों को भारत सरकार एवं संबंधित देश के मिशन से संपर्क करने में मदद करेगा। आँकड़ों की मानें तो वर्तमान में विश्व भर में तकरीबन 3.12 करोड़ प्रवासी भारतीय हैं, जिनमें से लगभग 1.34 करोड़ भारतीय मूल के व्यक्ति (PIOs) हैं और 1.78 करोड़ अनिवासी भारतीय (NRIs) हैं। पोर्टल में न केवल प्रवासी भारतीयों के लिये उपयोगी जानकारी जैसे- वीज़ा और पासपोर्ट आदि उपलब्ध होगी, बल्कि इस पर संबंधित मिशन द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में भी सूचना दी जाएगी, साथ ही अधिक-से-अधिक भागीदारी के लिये प्रवासी सदस्यों को आमंत्रण भी भेजा जाएगा।
राज्य-संचालित मदरसों को नियमित स्कूलों में बदलना
विपक्षी दलों के विरोध के बीच 126 सदस्यीय असम विधानसभा ने राज्य द्वारा संचालित मदरसों को नियमित स्कूलों में परिवर्तित करने के लिये विधेयक पारित कर दिया है। असम निरसन विधेयक, 2020 का उद्देश्य दो मौजूदा अधिनियमों- असम मदरसा शिक्षा (प्रांतीयकरण) अधिनियम, 1995 और असम मदरसा शिक्षा (कर्मचारियों की सेवाओं का प्रांतीयकरण एवं मदरसा शिक्षा संस्थानों का पुनर्गठन) अधिनियम, 2018 को समाप्त करना है। साथ ही सरकार ने राज्य के संस्कृत शिक्षा केंद्रों को भी नियमित स्कूलों में बदलने की योजना बनाई है। असम में तकरीबन 600 से अधिक राज्य संचालित मदरसे और 97 राज्य द्वारा संचालित संस्कृत शिक्षा केंद्र हैं, जिन्हें 1915 में शुरू किया गया था। राज्य सरकार द्वारा इन मदरसों और संस्कृत शिक्षा केंद्रों पर प्रतिवर्ष 260 करोड़ रुपए खर्च किये जाते हैं। विधेयक के मुताबिक, राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी मदरसा संस्थानों को उच्च प्राथमिक, उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में परिवर्तित किया जाएगा, जिनमें शिक्षण एवं गैर-शिक्षण कर्मचारियों की स्थिति, वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं होगा।
राजकोट में एम्स
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 दिसंबर, 2020 को गुजरात के राजकोट में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की आधारशिला रखी। इस परियोजना के लिये राज्य में लगभग 201 एकड़ भूमि आवंटित की गई है। राजकोट के इस एम्स को तकरीबन 1,195 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाएगा, और अनुमान के अनुसार, यह वर्ष 2022 के मध्य तक पूरा हो जाएगा। 750 बेड के इस अत्याधुनिक अस्पताल में 30 बेड का एक आयुष ब्लॉक भी होगा। इस मेडिकल कॉलेज में 125 MBBS सीटें और 60 नर्सिंग सीटें भी होंगी। वर्तमान में पूरे भारत में कुल 15 एम्स अस्पताल हैं। इस तरह राजकोट एम्स अपने निर्माण के बाद भारत का 16वाँ सार्वजनिक मेडिकल संस्थान होगा। वर्ष 2025 तक आठ और मेडिकल संस्थानों के शुरू होने की उम्मीद की जा रही है, जिससे देश में मेडिकल अवसंरचना और चिकित्सकों की कमी की समस्या से निपटा जा सकेगा।
‘आकाश’ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वदेशी ‘आकाश’ वायु रक्षा मिसाइल के निर्यात को मंज़ूरी दे दी है। ‘आकाश’ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जो लंबी दूरी पर दुश्मन के विमानों का पता लगा सकती है और लगभग 25 किलोमीटर के दायरे में हमला कर सकती है। इसे वर्ष 2014 में भारतीय वायु सेना (IAF) में और वर्ष 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। भारतीय सेना के पास ‘आकाश’ वायु रक्षा प्रणाली की चार इकाइयाँ और भारतीय वायुसेना के पास इस प्रणाली की सात इकाइयाँ मौजूद हैं। ऐसी हथियार प्रणालियों की निर्यात प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिये रक्षा मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय समिति बनाने की घोषणा की, जिसमें रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शामिल होंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा दी गई यह मंज़ूरी रक्षा निर्यात में 5 बिलियन डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।