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एडिटोरियल

  • 30 Dec, 2021
  • 11 min read
शासन व्यवस्था

डिजिटल पब्लिक गुड्स

यह एडिटोरियल 29/12/2021 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “An opportunity for Digital India” पर आधारित है। इसमें ‘डिजिटल पब्लिक गुड्स’ की अवधारणा और देश के आर्थिक विकास के लिये इसकी उपयोगिता तथा डिजिटल कूटनीति के माध्यम से अच्छे संबंध स्थापित करने के संबंध में चर्चा की गई है।

संदर्भ

भारत ‘डिजिटल पब्लिक गुड्स’ (Digital Public Goods) की अवधारणा पर अग्रणी कदम बढ़ा रहा है जो उस सुगमता, पारदर्शिता और गति में वृद्धि करता है जिसके साथ व्यक्ति, बाज़ार और सरकार परस्पर अंतःक्रिया करते हैं। आधार (Aadhaar) और इंडिया स्टैक (India Stack) की नींव पर निर्मित बड़े और छोटे मॉड्यूलर एप्लिकेशन हमारे भुगतान करने, PF निकासी, पासपोर्ट व ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने एवं भूमि रिकॉर्ड की जाँच करने जैसी गतिविधियों को रूपांतरित कर रहे हैं।   

विभिन्न स्टेट बोर्डों और भाषाओं में बच्चों की QR-कोडेड पाठ्यपुस्तकों तक पहुँच बनी है, सार्वजनिक वितरण प्रणाली तक आर्थिक रूप से वंचितों की पहुँच में वृद्धि हो रही है और सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को सीधे उनके बैंक खातों में धन हस्तांतरित किया जा रहा है।

यहाँ भारत के लिये डिजिटल कूटनीति को आजमाने का अवसर मौजूद है जहाँ वह मेड-इन-इंडिया डिजिटल पब्लिक गुड्स को विश्व भर के सैकड़ों उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं तक ले जा सकता है। यह चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) का रणनीतिक और प्रभावी जवाब हो सकता है। लेकिन इसके लिये भारत को अपने प्रौद्योगिकीय, स्टार्टअप संबंधी और नवाचार संबंधी पारितंत्र में बदलाव लाने की ज़रूरत है। 

डिजिटल पब्लिक गुड्स के लाभ

  • सस्ता और प्रभावी उपयोग: भौतिक अवसंरचना के बदले समग्र देश के लिये एक ओपन सोर्स-आधारित हाई स्कूल ऑनलाइन शैक्षिक अवसंरचना स्थापित करने की लागत दो किलोमीटर लंबी उच्च गुणवत्तायुक्त सड़क निर्माण की लागत से भी कम है। 
    • डिजिटल पब्लिक गुड्स के परिवहन के लिये आवश्यक निवेश अपेक्षाकृत बेहद कम है और यहाँ ऋण जाल में फँसने का भी कोई खतरा नहीं है। इसके साथ ही, इसका कोड (प्लेटफ़ॉर्म) अत्यधिक पुन: प्रयोज्य (Highly Reusable) है।  
  • तत्काल दृश्यमान परिणाम: बंदरगाहों एवं सड़कों जैसे भौतिक बुनियादी ढाँचे के विपरीत डिजिटल पब्लिक गुड्स की निर्माणपूर्व अवधि (Gestation Periods) लघु व त्वरित होती है और इसके दृश्यमान प्रभाव एवं लाभ होते हैं। 
    • यहाँ प्रक्रियाएँ सुव्यवस्थित होती हैं और किसी भी सेवा के लिये प्रतीक्षा समय में नाटकीय रूप से कमी आती है। पासपोर्ट, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने जैसी सेवाएँ इसके कुछ उदाहरण हैं।
  • लीकेज पर रोक: डिजिटल अवसंरचना लीकेज पर रोक लगाती है। यह सरकारी सेवाओं के फर्जी लाभार्थियों का उन्मूलन करती है, बिचौलियों को हटाती है, ऑडिट ट्रेल का सृजन करती है, व्यक्ति-सरकार-बाज़ार इंटरफेस को पारदर्शी बनाती है और आवश्यक दक्षता प्रदान करती है जो निवेश की त्वरित गति से पुनःप्राप्ति में मदद करती है।      
    • यहाँ उत्पादकता की वृद्धि होती है और सेवाओं के स्तर को तेज़ी से बढ़ाया जा सकता है। प्राप्त लाभों को आबादी के अधिक वृहत हिस्सों को कवर करने के लिये तेज़ी से बढ़ाया जा सकता है।
  • डिजिटल पब्लिक गुड्स अवसंरचना समय के साथ और सुदृढ़ होती जाती है जबकि भौतिक अवसंरचना का समय के साथ ह्रास या क्षय होता है। यह सुदृढ़ीकरण दो कारणों से होता है-  
    • पहला कारण है स्वयं प्रौद्योगिकी का विकास। समय के साथ चिप्स (Chips) और तेज़ होते जा रहे हैं, इंजन अधिक शक्तिशाली हो रहे हैं और प्रौद्योगिकी में लगातार सुधार होता रहता है।
    • दूसरा कारण है नेटवर्क प्रभाव। अधिकाधिक लोगों द्वारा लोग एक ही प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ उस प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाले "लेन-देन" (Transactions) की संख्या—चाहे वह फेसबुक पोस्ट हो या यूपीआई लेन-देन, तेज़ी से बढ़ती जाती है।

भारत के डिजिटल पारितंत्र के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ

  • डिजिटल पब्लिक गुड्स के साथ निजता की समस्या: निजता का संभावित उल्लंघन और डेटा का संभावित शस्त्रीकरण (Weaponization of Data) इस तरह की डिजिटल पहलों से संबद्ध एक प्राथमिक समस्या है। 
  • असमानताओं में वृद्धि: सेवाओं के डिजिटल प्रावधान में सफलता कई अंतर्निहित कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें डिजिटल साक्षरता, शिक्षा और स्थिर एवं द्रुत दूरसंचार सेवाओं तक पहुँच शामिल हैं। 
    • इस परिदृश्य में इन डिजिटल विभाजनों को पाटे बिना सेवाओं के बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण से मौजूदा असमानताओं में वृद्धि हो सकती है।
  • सुरक्षा संबंधी समस्याएँ: समग्र पारिस्थितिकी तंत्र में डेटा की एंड-टू-एंड सुरक्षा सुनिश्चित करने के विषय में साइबर सुरक्षा की चुनौती मौजूद है। 
    • जबकि ट्रांसमिशन एवं स्टोरेज के लिये सरकार द्वारा उपयोग किये जाने वाले चैनल एवं डेटाबेस आमतौर पर सुरक्षित होते हैं, पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद अन्य खिलाड़ियों के पास ऐसे उल्लंघनों को रोकने और प्रतिक्रिया दे सकने की अपेक्षित विशेषज्ञता या सुरक्षा का अभाव हो सकता है।
    • उदाहरण के लिये आधार डेटाबेस के कथित उल्लंघन को देखा जा सकता है।
  • सेवारहित दूरस्थ क्षेत्र: डिजिटल सेवाओं के सार्वभौमिक वितरण के अभाव के कारण दूरदराज़ के क्षेत्रों में समुदायों को प्रायः डिजिटल उपकरणों की तैनाती और पूरकता के लिये ऑन-ग्राउंड कर्मियों की आवश्यकता होती है। 

आगे की राह

  • निजता की समस्याओं को संबोधित करना: निजता-सुरक्षा और सुरक्षित डेटाबेस सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है। इसलिये यह बेहद आवश्यक है कि किसी डिजिटल पहल को नियंत्रित करने वाले विनियम व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 (Personal Data Protection Bill, 2019) के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।  
  • समावेशिता सुनिश्चित करना: डिजिटल पारिस्थितिक तंत्र उपलब्धता, अभिगम्यता, वहनीयता, मूल्य और भरोसे जैसे कारकों द्वारा निर्देशित होना चाहिये। 
  • पारदर्शिता सुनिश्चित करना: ‘टेक’ में कोडित अदृश्य नियमों को विवेकपूर्ण डिज़ाइन सिद्धांतों, अधिनियमों, शासन ढाँचे और सार्वजनिक संलग्नता के माध्यम से पारदर्शी बनाये जाने की आवश्यकता है।
  • डिजिटल पब्लिक गुड्स का नागरिक-केंद्रित डिज़ाइन: यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इसका डिज़ाइन नागरिक-केंद्रित हो, जबकि सेवाओं तक समावेशी पहुँच को अंतिम दूरी तक सुनिश्चित करने से इन पारिस्थितिक तंत्रों को अपनाने और बनाए रखने में मदद मिलेगी। 

निष्कर्ष

  • उभरती अर्थव्यवस्थाएँ सरकारी सेवाओं के वितरण की अक्षमता और इसके परिणामस्वरूप भरोसे की कमी से चिह्नित की जा रही हैं। डिजिटल पब्लिक गुड्स व्यक्ति-सरकार-बाज़ार पारिस्थितिकी तंत्र में गति, पारदर्शिता, सुगमता और उत्पादकता का प्रसार करते हैं और बड़े पैमाने पर समावेशिता, निष्पक्षता और विकास को बढ़ावा देते हैं।  
  • भारत की डिजिटल कूटनीति पेरू से पोलिनेशिया, उरुग्वे से युगांडा और केन्या से कज़ाकिस्तान तक सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये फायदेमंद और स्वागतयोग्य साबित हो सकती है। यह मेड-इन-इंडिया डिजिटल पब्लिक गुड्स का विश्व भर में प्रसार कर सकता है और डिजिटल युग में एक अग्रणी प्रौद्योगिकी खिलाड़ी के रूप में भारत की ब्रांड छवि को बढ़ावा दे सकता है।  
  • यह भारत के भागीदार देशों के लिये त्वरित, दृश्यमान और चक्रवृद्धि लाभों को भी सक्षम करेगा और भारत के लिये अपार सद्भावना अर्जित करेगा। इसके साथ ही, यह चीन की अत्यधिक महँगी और भौतिक अवसंरचनाओं वाली ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल का मुकाबला कर सकने के लिये वैश्विक स्तर पर भारत की मजबूत उपस्थिति में भी मदद करेगा।

अभ्यास प्रश्न: ‘डिजिटल पब्लिक गुड्स की अवधारणा उस सुगमता, पारदर्शिता और गति में वृद्धि कर सकती हैं जिसके साथ व्यक्ति, बाज़ार और सरकार परस्पर अंतःक्रिया करते हैं।’ डिजिटल पब्लिक गुड्स के सृजन और उपयोग से संबद्ध लाभों एवं चुनौतियों की चर्चा कीजिये।


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