एडिटोरियल (30 Nov, 2024)



खेलों के माध्यम से भारत का सशक्तीकरण

यह संपादकीय 28/11/2024 को हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित “Make sports integral to school education” पर आधारित है। यह लेख खेलों की परिवर्तनकारी भूमिका को रेखांकित करता है जो एक महत्त्वाकांक्षी भारत के निर्माण में सहायक है और शिक्षा में इनके एकीकरण पर ज़ोर देता है ताकि महत्त्वपूर्ण जीवन कौशल को विकसित किया जा सके। समावेशी कार्यक्रमों और स्कूल-आधारित बुनियादी ढाँचे के माध्यम से प्रतिभा को बढ़ावा देकर, यह एक अधिक प्रतिस्पर्द्धी तथा एकजुट राष्ट्र की कल्पना करता है।

प्रिलिम्स के लिये:

खेल, फिट इंडिया मूवमेंट, लैंगिक वेतन समानता, एसडीजी-13 (जलवायु कार्रवाई), राष्ट्रीय खेल नीति 2024 का मसौदा, भारतीय ओलंपिक संघ, यूनेस्को 

मेन्स के लिये:

आकांक्षी भारत में खेलों की भूमिका, भारत में खेल संस्कृति के विकास में बाधा उत्पन्न करने वाले प्रमुख मुद्दे। 

एक महत्त्वाकांक्षी भारत में, खेल को केवल पाठ्येतर गतिविधि के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये, बल्कि उन्हें हमारे शैक्षिक तंत्र का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिये, क्योंकि वे ऐसे जीवन कौशल विकसित करते हैं जो अकेले अकादमिक शिक्षा से संभव नहीं हैं। अभिनव बिंद्रा जैसे चैंपियन इस बात पर ज़ोर देते हैं कि खेल समुत्थानशीलता, टीम वर्क और दबाव को संभालने के लिये अमूल्य शिक्षाएँ प्रदान करते हैं, जो व्यक्तिगत और राष्ट्रीय विकास के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। पैरा-एथलीट कुमारी ज्योति जैसी युवा उपलब्धि हासिल करने वालों की कहानियाँ दर्शाती हैं कि खेल एक शक्तिशाली साधन हैं, जो विभिन्न क्षमताओं और सामाजिक पृष्ठभूमियों से आने वाले बच्चों को उत्कृष्टता प्राप्त करने का अवसर प्रदान करते हैं। खेलों को हमारे शैक्षिक और सामाजिक ताने-बाने में शामिल करके, हम एक मज़बूत, अधिक एकजुट और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी भारत का निर्माण कर सकते हैं।

भारत के राष्ट्रीय विकास में खेल क्या भूमिका निभा सकते हैं?

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य और उत्पादकता में वृद्धि: खेल शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा देते हैं, जिससे मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी जीवनशैली संबंधी बीमारियों में कमी आती है, जिनके कारण भारत को सालाना 6 ट्रिलियन रुपए का नुकसान होता है
    • खेल तनाव, अवसाद और चिंता को कम करते हैं तथा तेज़ी से शहरीकृत एवं डिजिटल होते समाज में मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।
    • फिट इंडिया मूवमेंट (2019 ) फिटनेस गतिविधियों में बड़े पैमाने पर भागीदारी को प्रोत्साहित करने वाली सरकारी पहल का एक उदाहरण है।
      • बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य न केवल स्वास्थ्य देखभाल लागत को कम करता है बल्कि उत्पादकता को भी बढ़ाता है, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलती है।
  • खेल उद्योग के माध्यम से आर्थिक विकास: खेल उद्योग, जिसमें उपकरण, परिधान और मीडिया अधिकार शामिल हैं, सकल घरेलू उत्पाद में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। 
    • भारतीय खेल सामान का बाजार वर्ष 2020-21 में 3.9 बिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2027 तक 6.6 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
    • इंडियन प्रीमियर लीग जैसे मेगा इवेंट विदेशी निवेश आकर्षित करते हैं और पर्यटन को बढ़ावा देते हैं, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने आईपीएल 2023 से 5,120 करोड़ रुपए का अधिशेष दर्ज किया है
  • राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देना: खेल जाति, धर्म और क्षेत्रीय विभाजनों को पीछे छोड़ते हुए एकता तथा सामूहिकता को बढ़ावा देने वाली शक्ति के रूप में कार्य करते हैं।
    • क्रिकेट विश्व कप और ओलंपिक जीत जैसी घटनाएँ सामूहिक गौरव तथा देशभक्ति की भावना उत्पन्न करती हैं। 
    • उदाहरण के लिये, टोक्यो ओलंपिक (2021) में नीरज चोपड़ा का स्वर्ण पदक और भारत की टी20 विश्व कप 2023 जीत ने पूरे देश को एकजुट किया तथा वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिभा को उजागर किया।
  • लैंगिक समानता को मज़बूत करना: खेल रूढ़िवादिता को चुनौती देकर और सफलता के लिये एक मंच प्रदान करके महिलाओं को सशक्त बनाते हैं। 
    • पीवी सिंधु, मनु भाकर और निखत ज़रीन जैसी महिला एथलीटों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है।
    • महिला क्रिकेटरों को उनके पुरुष समकक्षों के समान मैच फीस का भुगतान किया जाता है, जो लैंगिक वेतन समानता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
    • खेलो इंडिया महिला लीग जैसे कार्यक्रम महिला भागीदारी को बढ़ावा दे रहे हैं और लैंगिक अंतर को पाट रहे हैं।
  • कूटनीतिक और सॉफ्ट पावर प्रक्षेपण: खेल संबंधी उपलब्धियाँ भारत की वैश्विक छवि को बढ़ाती हैं तथा सॉफ्ट पावर को मज़बूत बनाती हैं। 
    • उदाहरण के लिये, भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट शृंखला के दौरान, भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्रियों की उपस्थिति ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने में खेलों की भूमिका को प्रदर्शित किया, जबकि शतरंज ओलंपियाड (2022) की भारत की मेज़बानी ने संगठनात्मक उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया और सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा दिया। 
    • ईरान के अंडर-19 क्रिकेट कोच ने बीसीसीआई से वर्ष 2023 में चाबहार में देश का पहला स्टेडियम बनाने का अनुरोध किया है।
    • संयुक्त अरब अमीरात में आईपीएल 2020 और हाल ही में सऊदी अरब में आयोजित आईपीएल नीलामी वैश्विक खेल कूटनीति में भारत के बढ़ते प्रभाव को उजागर करती है।
  • बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा देना: खेल बुनियादी ढाँचे में निवेश से व्यापक आर्थिक लाभ मिलता है, विशेष रूप से शहरी और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में। 
    • मणिपुर में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय और खेलो इंडिया के अंतर्गत राज्य स्तरीय स्टेडियम परियोजनाओं से रोज़गार सृजन हुआ है तथा क्षेत्रीय विकास में सुधार हुआ है। 
    • उदाहरण के लिये, ओडिशा को देश भर में 'खेल हब' के रूप में स्थापित करने के लिये, राज्य सरकार ने खेल और युवा सेवाओं के लिये 1315 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
  • नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना: खेल प्रौद्योगिकी में प्रगति को बढ़ावा देते हैं, जिसमें पहनने योग्य डिवाइस, एआई-आधारित प्रशिक्षण और प्रसारण समाधान शामिल हैं।
    • क्रिकबज़ और ईएसपीएन क्रिकइन्फो जैसी कंपनियाँ खेल समाचार और संस्कृति में बदलाव ला रही हैं। इनके नवाचार भारत की तेज़ी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाते हैं और रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न करते हैं।
  • पर्यावरणीय स्थिरता और जागरूकता: खेल आयोजनों को स्थिरता से जोड़ा जा रहा है, जिससे पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा मिलता है। 
    • वर्ष 2023 में, टाटा ने बीसीसीआई के साथ साझेदारी की है, जिसके तहत आईपीएल प्लेऑफ और फाइनल के दौरान फेंकी गई प्रत्येक डॉट बॉल के लिये 500 पेड़ लगाए जाएंगे।
    • बंगलूरू स्थित एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के पूर्वी हिस्से में 400 किलोवाट क्षमता की सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित की गई है।
    • खेलों की पहुँच का लाभ उठाकर भारत पर्यावरण शिक्षा को आगे बढ़ा सकता है और SDG-13 (जलवायु कार्रवाई) जैसे वैश्विक स्थिरता लक्ष्यों के साथ तालमेल बैठा सकता है।
  • अपराध और असामाजिक व्यवहार में कमी: खेल युवाओं की ऊर्जा को रचनात्मक गतिविधियों में लगाते हैं, जिससे अपराध या नशीली दवाओं के दुरुपयोग में लिप्त होने की संभावना कम हो जाती है।
    • जम्मू और कश्मीर में हाल ही में आयोजित राष्ट्रीय स्कूल खेलों जैसे कार्यक्रमों ने जोखिमग्रस्त युवाओं के लिये एक सकारात्मक विकल्प प्रस्तुत किया है, जिससे पत्थरबाज़ी की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।
    • इस प्रकार खेल पुनर्वास और शांति स्थापना के साधन के रूप में कार्य करते हैं। पूर्व में नशे के आदी रहे पंकज महाजन अब समुदायों के उत्थान के लिये समर्पित एनजीओ स्लम सॉकर के तहत दस फुटबॉल कोचों की टीम का नेतृत्व करते हैं।
  • स्वदेशी खेलों और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना: कबड्डी, खो-खो और मल्लखंब जैसे पारंपरिक खेल भारत की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करते हैं तथा आधुनिक खेल ढाँचे में समावेशिता लाते हैं। 
    • प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) ने कबड्डी में रुचि को पुनर्जीवित किया है और इस लीग का मूल्य प्रति फ्रैंचाइज़ 100 करोड़ रुपए है। यह स्वदेशी खेल न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक दर्शकों के सामने प्रस्तुत करता है, बल्कि सांस्कृतिक पर्यटन को भी बढ़ावा देता है।
  • उद्यमशील पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहित करना: खेल उद्योग परिधान, फिटनेस उपकरण और खेल-तकनीक स्टार्टअप जैसे क्षेत्रों में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करता है।
    • कल्ट.फिट और प्लेयो जैसी कंपनियाँ बाज़ार में अग्रणी बनकर उभरी हैं। ऐसे उद्यम भारत के तेज़ी से बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम में योगदान देते हैं और रोज़गार के अवसर उत्पन्न करते हैं।
  • रूढ़िवादिता और हाशिए पर पड़े लोगों को तोड़ना: खेल सामाजिक रूढ़िवादिता को चुनौती देते हैं तथा आदिवासियों, दलितों और दिव्यांग जैसे हाशिये पर पड़े लोगों के लिये समावेश को बढ़ावा देते हैं। 
    • पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता नवदीप सिंह जैसे एथलीटों ने भारत में दिव्यांगों के प्रति धारणा को पुनः परिभाषित किया है। 
    • मसौदा राष्ट्रीय खेल नीति 2024 जैसी नीतियाँ समावेशिता, पैरा-खेलों और वंचित समुदायों के लिये बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण पर ज़ोर देती हैं।

भारत में खेल संस्कृति के विकास में बाधा उत्पन्न करने वाले प्रमुख मुद्दे क्या हैं? 

  • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे और सुविधाएँ: गुणवत्तापूर्ण खेल बुनियादी ढाँचे की कमी, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, ज़मीनी स्तर की प्रतिभाओं के विकास में बाधा उत्पन्न करती है। 
    • कई महत्त्वाकांक्षी एथलीटों को खराब रखरखाव वाली सुविधाओं, सीमित उपकरणों और दूर-दराज़ के प्रशिक्षण केंद्रों जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
    • मानव संसाधन विकास संबंधी स्थायी समिति ने पाया कि वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 के दौरान खेलो इंडिया योजना पर वास्तविक व्यय क्रमशः 324 करोड़ रुपए तथा 318 करोड़ रुपए था। 
      • हालाँकि अनुमानित आवंटन क्रमशः 520 करोड़ रुपए और 500 करोड़ रुपए था, जो धन के उपयोग में अकुशलता को उजागर करता है। 
  • खेलों की अपेक्षा शिक्षा पर अधिक ज़ोर: भारत में शैक्षणिक उपलब्धियों पर सांस्कृतिक ध्यान अक्सर खेलों को दरकिनार कर देता है तथा इसे कॅरियर विकल्प के बजाय एक पाठ्येतर गतिविधि के रूप में देखा जाता है। 
    • माता-पिता और स्कूल शारीरिक शिक्षा की तुलना में शैक्षणिक सफलता को प्राथमिकता देते हैं, जिससे प्रतिस्पर्द्धी खेलों में भागीदारी सीमित हो जाती है। 
    • युवा मामले और खेल मंत्रालय की वर्ष 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 20% से भी कम भारतीय स्कूलों में ऐसी खेल सुविधाएँ हैं जो न्यूनतम आवश्यक मानकों को पूरा करती हैं।
  • खराब प्रशासन और नौकरशाही की अकुशलता: भारत में खेल महासंघों की कार्यप्रणाली लालफीताशाही, कुप्रबंधन और व्यावसायिकता की कमी से ग्रस्त है। 
    • खेल निकायों में प्रमुख पदों पर अक्सर कम विशेषज्ञता वाले राजनेता काबिज़ होते हैं, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया और खिलाड़ियों का कल्याण प्रभावित होता है। 
    • प्रशासनिक समस्याओं के कारण, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने 2022 में भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के सभी भुगतान निलंबित कर दिये, जो इन प्रणालीगत अक्षमताओं को स्पष्ट रूप से उजागर करता है।
  • खेल भागीदारी में लैंगिक असमानता: महिला एथलीटों को अपर्याप्त प्रशिक्षण सुविधाओं, वेतन में अंतर और सामाजिक कलंक जैसी प्रणालीगत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 
    • नीरज चोपड़ा और पी.वी. सिंधु जैसी हालिया सफलताओं के बावजूद खेलों में लैंगिक समानता हासिल करना अभी भी बहुत दूर की बात है। 
    • यूनेस्को की रिपोर्ट (2024) के अनुसार, 49% किशोर लड़कियाँ खेल छोड़ देती हैं और 21% महिला एथलीटों ने यौन उत्पीड़न का अनुभव किया है।
      • चूँकि भारत की जनसंख्या में महिलाओं की हिस्सेदारी 48.5% है (भारत में महिला और पुरुष 2022), इसलिये यदि आधी आबादी को भागीदारी से बाहर रखा जाए तो देश खेलों में महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त करने की आशा नहीं कर सकता।
  • संरचित प्रतिभा पहचान प्रणाली का अभाव: भारत में ज़मीनी स्तर पर प्रतिभा की पहचान और पोषण के लिये सुव्यवस्थित प्रणाली का अभाव है। 
    • कई प्रतिभाशाली एथलीट, विशेषकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में, स्काउटिंग तंत्र के अभाव के कारण अनदेखे रह जाते हैं। 
    • तुलसीदास बलराम, भारतीय फुटबॉल के स्वर्णिम युग के दौरान भारत के महानतम फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक थे, जिनकी खोज केवल इसलिये हुई क्योंकि एक स्थानीय कोच ने उन्हें दूर-दराज़ के इलाके में नंगे पाँव खेलते हुए देखा था। 
      • उनकी कहानी इस बात पर प्रकाश डालती है कि संभावित एथलीटों की पहचान करने के लिये संरचित प्रणालियों के अभाव में प्रतिभा को कैसे नज़रअंदाज़ किया जा सकता है।
  • अन्य खेलों पर क्रिकेट का प्रभुत्व: भारत में क्रिकेट पर अत्यधिक ध्यान दिये जाने के कारण अन्य खेलों की उपेक्षा हुई है। 
    • यह असमानता प्रायोजन, मीडिया कवरेज और प्रशंसक सहभागिता में स्पष्ट रूप से दिखती है, जिसके परिणामस्वरूप गैर-क्रिकेट खेलों के लिये एक असमान वातावरण उत्पन्न होता है।
    • उदाहरण के लिये, वर्ष 2021 में, भारत में खेल राजस्व पर राष्ट्रीय व्यय का 88% हिस्सा क्रिकेट के लिये था, जिससे हॉकी, बैडमिंटन या एथलेटिक्स जैसे अन्य खेलों के लिये न्यूनतम संसाधन बचे।
  • खेल नीति के प्रति अल्पकालिक दृष्टिकोण: सतत् विकास के बजाय अल्पकालिक उपलब्धियों पर भारत का ध्यान केंद्रित होने से सशक्त खेल संस्कृति के निर्माण में बाधा उत्पन्न हुई है।
    • ओलंपिक पदक जैसी व्यक्तिगत उपलब्धियों का जश्न प्रायः ज़मीनी स्तर पर निरंतर विकास के लिये आवश्यक निवेश की उपेक्षा कर देता है।
    • एथलीटों को तैयार करने के लिये एक व्यापक, दीर्घकालिक रणनीति का अभाव पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के खराब प्रदर्शन में परिलक्षित होता है।

भारत में खेल संस्कृति को बढ़ाने के लिये क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं? 

  • ज़मीनी स्तर पर बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देना: सरकार को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से विशेष रूप से ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में खेल बुनियादी ढाँचे के विकास को प्राथमिकता देनी चाहिये। 
    • प्रत्येक ब्लॉक में बहु-विषयक सुविधाओं से सुसज्जित मिनी खेल परिसर जैसी पहल से सभी के लिये पहुँच सुनिश्चित हो सकती है।
    • खेलो इंडिया जैसी योजनाओं के अंतर्गत आवंटित धनराशि का समय पर उपयोग करने पर ज़ोर दिया जाना चाहिये। 
    • निधि के उपयोग की निगरानी और अकुशलता को रोकने के लिये नियमित लेखा परीक्षा और पारदर्शी तंत्र स्थापित किये जाने चाहिये।
  • खेलों को एक व्यवहार्य कॅरियर विकल्प के रूप में बढ़ावा देना: खेलों को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिये, जिसमें शिक्षा और शारीरिक शिक्षा के समान महत्त्व दिया जाना चाहिये तथा अनिवार्य बुनियादी ढाँचे की व्यवस्था होनी चाहिये। 
    • युवाओं को प्रेरित करने के लिये विविध खेलों में एथलीटों की उपलब्धियों को प्रदर्शित करते हुए राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान शुरू करने चाहिये। 
    • सेवानिवृत्त एथलीटों के लिये छात्रवृत्ति, कॅरियर परामर्श और कौशल-आधारित प्रशिक्षण की पेशकश से खेल एक आकर्षक कॅरियर विकल्प बन जाएगा। 
    • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के एथलीट तैयार करने वाले स्कूलों तथा कॉलेजों को खेल-समर्थक वातावरण बनाने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।
    • बिहार के युवा वैभव सूर्यवंशी, सिर्फ 13 साल के, 1.10 करोड़ रुपए की कीमत वाले आईपीएल अनुबंध हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए हैं, जो लाखों लोगों को प्रेरित कर सकता है। 
  • खेल महासंघों में प्रशासन को सुदृढ़ बनाना: खेल प्रशासकों के लिये व्यावसायिक योग्यता को अनिवार्य बनाने तथा अनुचित राजनीतिक हस्तक्षेप को समाप्त करने के लिये सुधार लागू करने चाहिये। 
    • संघों में शासन की देखरेख और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये स्वतंत्र नियामक निकायों की स्थापना करनी चहिये।
    • खेल निकायों के नियमित निष्पादन ऑडिट और व्हिसलब्लोअर तंत्र से पारदर्शिता में सुधार हो सकता है। 
    • अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के निर्देशानुसार, अंतर्राष्ट्रीय प्रशासन मानदंडों का पालन करना, सुधार प्रयासों की आधारशिला होनी चाहिये।
  • खेलों में लैंगिक असमानता को दूर करना: प्रशिक्षण के लिये सुरक्षित और अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करने के लिये महिलाओं के लिये विशेष खेल अकादमियाँ स्थापित की जाएंगी।
    • महिला-केंद्रित खेल कार्यक्रमों के लिये वित्तपोषण में वृद्धि करें तथा महिला एथलीटों के लिये वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने चाहिये। 
    • उत्पीड़न और भेदभाव के विरुद्ध कठोर नीतियाँ लागू करनी चाहिये, साथ ही शिकायत निवारण तंत्र को त्वरित गति से लागू करना चाहिये। 
    • रूढ़िवादिता को चुनौती देने के लिये अभियान को बढ़ावा देना तथा सभी स्तरों पर भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये सफल महिला एथलीटों को रोल मॉडल के रूप में प्रदर्शित करना चाहिये।
  • संरचित प्रतिभा पहचान प्रणाली का कार्यान्वयन: देश भर में प्रतिभा खोज पहल शुरू करना, स्कूल स्तर की प्रतियोगिताओं और वंचित क्षेत्रों में स्थानीय टूर्नामेंटों का लाभ उठाना चाहिये।
    • विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में छिपी प्रतिभाओं की पहचान करने के लिये गैर-सरकारी संगठनों तथा स्थानीय निकायों के साथ साझेदारी स्थापित करनी चाहिये।
    • संभावित एथलीटों का एक डेटाबेस बनाएँ, जो उन्नत कोचिंग और सुविधाओं से सुसज्जित विशेष प्रशिक्षण अकादमियों से जुड़ा हो।
  • खेल विषयों में फोकस को संतुलित करना: प्रायोजन अवसरों में विविधता लाना और गैर-क्रिकेट खेलों में निवेश करने वाली कंपनियों के लिये कर प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिये।
    • विविध खेलों के लिये मीडिया कवरेज बढ़ाएँ, विशेषकर ओलंपिक और एशियाई खेलों, जैसे- अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों के दौरान। 
    • क्रिकेट से परे खेलों में उपलब्धियों को उजागर करने के लिये एक केंद्रीय खेल प्रसारण मंच की शुरुआत करनी चाहिये। 
    • सरकार को प्रशंसक आधार बनाने और कॉर्पोरेट निवेश आकर्षित करने के लिये हॉकी, कबड्डी और एथलेटिक्स जैसे खेलों के लिये राज्य स्तरीय लीग को भी प्रोत्साहित करना चाहिये।
  • प्रौद्योगिकी और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग: प्रशिक्षण और स्काउटिंग में सुधार के लिये एआई-आधारित प्रदर्शन विश्लेषण जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाना चाहिये। 
    • उभरते हुए एथलीटों के पंजीकरण के लिये ऑनलाइन पोर्टल स्थापित करें, जिसमें ई-कोचिंग, प्रशिक्षण वीडियो और फिटनेस टिप्स जैसे संसाधनों तक पहुँच हो। 
  • शहरी और ग्रामीण विकास नीतियों में खेलों को एकीकृत करना: शहरी नियोजन नीतियों में खेल अवसंरचना को शामिल करना, यह सुनिश्चित करना कि खेल गतिविधियों के लिये खुले स्थान संरक्षित रहने चाहिये। 
    • ग्रामीण क्षेत्रों में खेल विकास को मनरेगा जैसी रोज़गार सृजन योजनाओं से जोड़ना चाहिये, जहाँ खेल सुविधाओं के निर्माण को रोज़गार गतिविधि के रूप में शामिल किया जा सकता है। 
    • निजी क्षेत्र की भागीदारी को आकर्षित करने के लिये वंचित क्षेत्रों में खेल अकादमियाँ स्थापित करने के लिये सब्सिडी की पेशकश करनी चाहिये।
  • समग्र खेल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना: खिलाड़ियों को चोट प्रबंधन और प्रदर्शन संवर्द्धन के लिये विश्व स्तरीय सुविधाएँ प्रदान करने हेतु खेल विज्ञान और चिकित्सा केंद्र स्थापित करने चाहिये।
    • भारत को किफायती, उच्च गुणवत्ता वाले खेल उपकरणों का केंद्र बनाने के लिये खेल उपकरण निर्माण में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना चाहिये।
  • खेल पर्यटन विकास: राज्यों को स्टेडियम, खेल संग्रहालय और प्रशिक्षण सुविधाएँ बनाकर विश्व स्तरीय खेल पर्यटन केंद्र विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी बनें।
    • आर्थिक विकास लाने और युवाओं को प्रेरित करने के लिये अविकसित क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों की मेज़बानी करने की आवश्यकता है। 
    • हिमालय या तटीय क्षेत्रों जैसे क्षेत्रों में एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के साथ ही रोजगार के अवसर प्रदान करने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। 
    • भारत की खेल क्षमता को वैश्विक मान्यता दिलाने के लिये खेल पर्यटन को ‘अतुल्य भारत’ जैसी पहलों से जोड़े जाने की आवश्यकता है।
  • युवा एवं ज़मीनी स्तर पर प्रतिभा विनिमय कार्यक्रम: प्रतिभा विनिमय कार्यक्रमों (विशेष रूप से विशिष्ट एवं ओलंपिक खेलों के लिये) के लिये अंतर्राष्ट्रीय खेल महासंघों के साथ सहयोग किया जाना चाहिये।
    • युवा एथलीटों को प्रसिद्ध प्रशिक्षकों के अधीन विदेश में प्रशिक्षण तथा उन्नत कौशल प्राप्त करने में सक्षम बनाना चाहिये।
    • इसी प्रकार, भारतीय प्रशिक्षकों और एथलीटों को घरेलू स्तर पर प्रशिक्षित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाना चाहिये। 
    • सरकार-से-सरकार (G-2-G) साझेदारी द्वारा प्रतिभाशाली एथलीटों को वैश्विक प्रशिक्षण शिविरों और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिये छात्रवृत्ति की सुविधा मिल सकती है।
  • खेलों को स्वास्थ्य नीतियों से जोड़ना: खेल को मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बढ़ावा देने को सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में शामिल करना ताकि जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को कम करने में इसकी भूमिका पर बल दिया जा सके। 
    • सभी आयु समूहों में शारीरिक गतिविधि को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम डिज़ाइन करने के लिये युवा मामले और खेल मंत्रालय तथा स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच सहयोग स्थापित किये जाने की आवश्यकता है।
    • प्रतिस्पर्द्धी और मनोरंजक खेलों में भागीदारी के लिये प्रोत्साहन के साथ स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिये नियमित रूप से सामुदायिक स्तर पर फिटनेस एवं खेल शिविर आयोजित किये जाने चाहिये।
  • खेल इन्क्यूबेटर और स्टार्टअप का निर्माण: सरकार समर्थित इन्क्यूबेटरों के माध्यम से खेल-केंद्रित स्टार्टअप की स्थापना का समर्थन किया जाना चाहिये। 
    • ये स्टार्टअप भारतीय एथलीटों के लिये किफायती प्रशिक्षण उपकरण, खेल विश्लेषण और फिटनेस प्रौद्योगिकी जैसे नवाचारों पर काम कर सकते हैं। 
  • कार्यस्थल में खेल: कार्यस्थल में खेलों को शामिल करना मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 
    • नियमित शारीरिक गतिविधियाँ, टीम खेल आयोजन तथा फिटनेस चुनौतियाँ आयोजित करके, नियोक्ता तनाव को कम कर सकते हैं, मनोबल बढ़ा सकते हैं और कर्मचारियों के बीच सहयोग बढ़ा सकते हैं। 
    • भागीदारी के लिये प्रोत्साहन प्रदान करना तथा शारीरिक गतिविधि के लिये समर्पित स्थान उपलब्ध कराना, कार्य-जीवन संतुलन और समग्र कल्याण को बढ़ावा दे सकता है।

निष्कर्ष: 

भारत की शिक्षा प्रणाली और राष्ट्रीय विकास ढाँचे में खेलों को शामिल करना समग्र विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है। खेल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ा सकते हैं, एकता को बढ़ावा दे सकते हैं, लैंगिक समानता को बढ़ावा दे सकते हैं तथा सामाजिक समावेश के लिये एक उपागम के रूप में काम कर सकते हैं। रणनीतिक सुधारों, ज़मीनी स्तर पर प्रतिभा विकास एवं समावेशी नीतियों के साथ, भारत के पास एक स्वस्थ, अधिक अनुकूल और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी समाज बनाने के लिये खेलों की परिवर्तनकारी क्षमता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने में खेलों की भूमिका पर चर्चा कीजिये। खेलों को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा की गई पहलों और इसकी पूरी क्षमता को साकार करने के लिये जिन चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है, उन पर प्रकाश डालिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न 1. वर्ष 2000 में प्रारंभ किये गए लॉरियस विश्व खेल पुरस्कार (लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्र्स अवार्ड) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. अमरीकी गोल्फ खिलाड़ी टाइगर वुड्स इस पुरस्कार का सर्वप्रथम विजेता थे।
  2. अब तक यह पुरस्कार अधिकतर 'फॉर्मूला वन' के खिलाड़ियों को मिला है।
  3. अन्य खिलाड़ियों की तुलना में रॉजर फेडरर को यह पुरस्कार सर्वाधिक बार मिला है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a). केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न 2. आइ. सी. सी. वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021) 

  1. अंतिम दौर में पहुँचने वाली टीमों का निर्धारण, उनके द्वारा जीते गए मैचों की संख्या के आधार पर किया गया।
  2. न्यूज़ीलैंड का स्थान इंग्लैंड से ऊपर था, क्योंकि उसने इंग्लैंड की तुलना में अधिक मैच जीते।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)