सामाजिक न्याय
भारत में ‘मैनुअल स्कैवेंजिंग’
यह एडिटोरियल 27/08/2022 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Murder in the sewer: On deaths during manual cleaning of sewage” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में ‘मैनुअल स्कैवेंजिंग’ (Manual Scavenging) की समस्या और संबंधित चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।
भारत में साफ-सफाई का कार्य अंतर्निहित रूप से पदानुक्रम और बहिष्करण की एक प्रणाली से जुड़ा हुआ है, जिसे हम जाति प्रथा के रूप में देखते हैं। बी.आर.अंबेडकर ने बलपूर्वक कहा था कि जाति प्रथा न केवल श्रम विभाजन की ओर ले जाती है बल्कि श्रमिकों का विभाजन भी करती है।
सभी प्रकार के सफाई कार्यों को ‘तुच्छ' या नीच कार्य माना जाता है और इसलिये यह कार्य सामाजिक पदानुक्रम के सबसे निचले पायदान के लोगों को सौंपा जाता है। सफाई कर्मचारी के रूप में मुख्यतः दलित व्यक्तियों को नियोजित किया जाता है, जहाँ वे हाथ से मैला ढोने वाले या ‘मैनुअल स्कैवेंजर्स’ (Manual Scavengers), नालों की सफाई करने वाले, कचरा उठाने वाले और सड़कों की सफाई करने वाले के रूप में कार्य करते हैं।
सरकार के हाल के आँकड़ों के अनुसार, भारत में 97 प्रतिशत मैनुअल स्कैवेंजर्स दलित वर्ग के हैं।
हालाँकि मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा पर ‘मैनुअल स्कैवेंजर्स के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013’ के तहत प्रतिबंध आरोपित है, लेकिन फिर भी यह अमानवीय प्रक्रिया जारी है।
भारत में मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा का कारण:
- अकुशल सीवेज प्रबंधन प्रणाली: भारत में अधिकांश नगर निकायों के पास सीवेज प्रणाली की सफाई के लिये नवीनतम मशीनें उपलब्ध नहीं हैं और इसलिये सीवेज श्रमिकों द्वारा मैनहोल के माध्यम से भूमिगत सीवरेज लाइनों में प्रवेश कर सफाई करने की आवश्यकता होती है।
- इसके साथ ही अकुशल सफाई श्रमिकों को काम पर रखना अपेक्षाकृत सस्ता है और ठेकेदारों द्वारा उन्हें दैनिक मज़दूरी पर अवैध रूप से नियुक्त किया जाता है
- नीतियों का अप्रभावी क्रियान्वयन: सरकारी कार्यक्रमों के तहत पुनर्वास के वित्तीय पहलू पर प्रमुख रूप से बल दिया जाता है और ये जाति-आधारित उत्पीड़न तथा संबंधित सामाजिक स्थितियों को संबोधित करने में विफल रहे हैं जो सदियों से इस प्रथा को बनाए रखने के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- साथ ही ऐसी कोई उपयुक्त रणनीति नहीं अपनाई गई है जो मैनुअल स्कैवेंजर्स को मनोवैज्ञानिक रूप से मुक्त कर सके। यह स्थिति मैनुअल स्कैवेंजिंग से संलग्न लोगों को इस प्रथा में और धँसने को विवश करती है।
- सामाजिक गतिशीलता की कमी: बुनियादी सुविधाओं, शिक्षा और रोज़गार तथा अवसरों की कमी के कारण मैनुअल स्कैवेंजर्स यह कार्य करने को विवश होते हैं और समाज भी उन्हें अन्य सामुदायिक गतिविधियों के लिये स्वीकार नहीं करता है।
- कोई उन्हें नौकरी की पेशकश नहीं करता है और मकान मालिक उन्हें किराये पर घर नहीं देते। यह परिदृश्य उन्हें भेद्य बनाता है और उन्हें सामाजिक स्तर में ऊपर बढ़ने से अवरुद्ध करता है।
मैनुअल स्कैवेंजिंग के प्रभाव:
- सामाजिक भेदभाव: अधिकांश मैनुअल स्कैवेंजर्स को उनके काम की प्रकृति के कारण समुदाय द्वारा हीन दृष्टि से देखा जाता है।
- उनके साथ अछूत जैसा व्यवहार किया जाता है और उन्हें अपनी यथास्थिति स्वीकार करने के लिये मजबूर किया जाता है।
- यह समस्या बहुत गहरी है क्योंकि उनके बच्चों के साथ भी भेदभाव किया जाता है और उन्हें उनके माता-पिता के समान इसी कार्य से संलग्न होने के लिये मजबूर किया जाता है।
- जाति आधारित असमानताएँ: इनकी जाति को अभी भी निम्न वर्ग माना जाता है और उन्हें बेहतर व्यवसाय से बहिर्वेशित रखा जाता है।
- मैला ढोने के कार्य को उनके प्राकृतिक पेशे के रूप में देखा जाता है।
- इसके साथ ही बेहतर आजीविका की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करने वाले हाशिए पर स्थित जातियों के लोग अवसर के अभाव में अंततः इसी कार्य से संलग्न होने के लिये विवश होते हैं।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ: मैला ढोने और साफ-सफाई के कार्यों में संलग्न लोग कार्बन डाइऑक्साइड, अमोनिया और मीथेन जैसी गैसों के संपर्क में आते हैं। इन गैसों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से उनमें गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न होती है और उनकी मृत्यु भी हो सकती है।
- वे सीवर में भी विभिन्न संक्रमणों के संपर्क में आते हैं जहाँ कई रोगाणु मौजूद होते हैं।
- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK) के डेटाबेस के अनुसार, वर्ष 2013 से 2017 के बीच सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 608 मैनुअल स्कैवेंजर्स मौत के शिकार हुए।
मैनुअल स्कैवेंजिंग की समस्या से निपटने के लिये उठाए गए कदम:
- मैनुअल स्कैवेंजर्स के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास (संशोधन) अधिनियम, 2020
- मैनुअल स्कैवेंजर्स के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013
- अस्वच्छ शौचालयों का निर्माण और रखरखाव अधिनियम 2013
- अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989
- सफाई मित्र सुरक्षा चुनौती
- स्वच्छता अभियान ऐप
भारत द्वारा मैनुअल स्कैवेंजिंग पर अंकुश लगाने के माध्यम:
- उपयुक्त पहचान: मैनुअल स्कैवेंजिंग मानव अधिकारों का उल्लंघन तो है ही, मानवता के लिये कलंक भी है। इसलिये राज्य सरकारों को प्रभावी नीति कार्यान्वयन सुनिश्चित करने हेतु प्राथमिकता के आधार पर ज़हरीले मल-कीचड़ की सफाई से संलग्न श्रमिकों की पहचान करनी चाहिये।
- हितधारकों की सक्रिय भागीदारी: इस समस्या से निपटने के लिये इससे संलग्न सभी प्रमुख हितधारकों को साथ लाना आवश्यक होगा।
- इनमें ज़िला प्रशासनिक अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, गैर सरकारी संगठन और नगर निकाय सहित अन्य संबंधित कार्यकारी शामिल हैं।
- सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों के आसपास के समुदाय को कार्यक्रम में शामिल करना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।
- अधिकारियों और समुदाय से प्राप्त फीडबैक से पहल के साथ आगे बढ़ने के सर्वोत्तम तरीके पर एक सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
- जन जागरूकता: स्थानीय लोगों के साथ एक कार्यशाला आयोजित करने से अधिकारियों को मैला ढोने और शौचालयों के इस्तेमाल से संबंधित कानूनी निहितार्थों के बारे में जागरूकता के प्रसार में मदद मिलेगी, साथ ही वे इस प्रथा के कारणों को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।
- जागरूकता अभियानों को न केवल मैला ढोने के खतरों को संबोधित करना चाहिये, बल्कि प्रभावित समुदाय को आय अर्जित करने के वैकल्पिक उपाय भी सुझाने चाहिये।
- स्थानीय लोगों को भी ऐसे समाधान सुझाने की अनुमति दी जा सकती है जिससे वे सहज हों।
- मैनुअल स्कैवेंजर्स के लिये मुआवजा और उनका पुनर्वास: अधिक रोज़गार अवसरों का सृजन सबसे महत्त्वपूर्ण पुनर्वास प्रक्रियाओं में से एक होगा।
- सृजित नौकरियों का उद्देश्य स्थानीय लोगों को समान अवसर प्रदान करना होगा। सृजित नौकरियाँ मैनुअल स्कैवेंजर्स को समुदाय में आत्मसात् करने के साधन के रूप में भी कार्य करेंगी।
- वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश ने सरकार के लिये यह अनिवार्य बनाया कि वह उन सभी लोगों की पहचान करे जो वर्ष 1993 से अब तक सीवेज सफाई के दौरान मारे गए और उनमें से प्रत्येक परिवार को 10 लाख रुपए मुआवजा दे।
- उपयुक्त मानव अपशिष्ट प्रबंधन में निवेश: ठोस एवं तरल अपशिष्ट पृथक्करण समस्याओं को हल करना तथा साथ ही नगर निकाय स्तर पर जैव खाद का निर्माण करना ऐसे कुछ उपाय हैं जो मानवता के लाभ के लिये अपशिष्टों का उपयोग कर सकते हैं।
- अपशिष्ट को दायित्व के बजाय संपत्ति के रूप में देखने से मैनुअल स्कैवेंजिंग को भविष्य में कम किया जा सकेगा और यह स्वच्छ भारत एवं स्वस्थ भारत में योगदान कर सकेगा।
- रोबोटिक स्कैवेंजिंग: रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ऐसी मशीनें तैयार की जा सकती हैं जो ऐसे मैनुअल श्रम में इंसानों की जगह ले सकें।
- बैंडीकूट (Bandicoot ) एक ऐसी ही रोबोटिक मशीन है जिसे किसी भी प्रकार के सीवर मैनहोल की सफाई के लिये बनाया गया है
- सामाजिक एकता की ओर: मैला ढोने का कार्य अत्यंत कम आय प्रदान करता है जो एक बच्चे को शिक्षित करने के लिये भी पर्याप्त नहीं है। इस परिदृश्य में बच्चा पढ़ाई बीच में ही छोड़ देता है और अपने माता-पिता के साथ उसी कार्य में संलग्न होने के लिये विवश होता है।
- ऐसी योजनाओं का कार्यान्वयन किया जाना चाहिये जो इन बच्चों को अपनी पढ़ाई पूरी करने में मदद करे। यह मैनुअल स्कैवेंजिंग से संबद्ध धारणाओं और मिथकों के त्याग में एक प्रभावी रणनीति साबित होगी।
अभ्यास प्रश्न: हालाँकि भारत में मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा पर प्रतिबंध आरोपित है, लेकिन यह अमानवीय अभ्यास अब भी जारी है। समालोचनात्मक विश्लेषण करें।