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एडिटोरियल

  • 29 Nov, 2018
  • 12 min read
आंतरिक सुरक्षा

ग्राउंड हैंडलिंग गतिविधियों पर नज़र

संदर्भ:


संसद में प्रस्तुत की गई एक रिपोर्ट के आँकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन वर्षों में नागरिक उड्डयन ब्यूरो को सुरक्षा के लिहाज़ से संवेनशील 27 घटनाओं की सूचना मिली। अतः स्पष्ट है कि देश के हवाई अड्डों पर सुरक्षात्मक गतिविधियों में सेंध यानी निगरानी व्यवस्था की कमी के चलते घटनाएँ निरंतर बढ़ रही हैं। चाहे 9/11 की घटना के तार हों, काठमांडू से इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण, अमृतसर में लैंडिंग के दौरान हुई घटना अथवा प्रमुख हवाई अड्डों पर मुद्रा और सोने की तस्करी के मामले, इन सभी मामलों ने विमानन सुरक्षा पर सवाल खड़े किये हैं। उल्लेखनीय है कि भारत सहित दुनिया भर में विमानन सुरक्षा पर असर डालने वाली प्रमुख गतिविधियों में से ग्राउंड हैंडलिंग (GH) को एक कारण माना गया है। अब प्रश्न यह है कि ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएँ क्या हैं और इसे सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिकोण से एक प्रमुख बिंदु क्यों माना जा रहा है।


ग्राउंड हैंडलिंग (GH) क्या है ?

  • एक विमान के जमीन पर रहने की अवधि के दौरान विभिन्न प्रकार की सेवाओं की आवश्यकता होती है और इन सेवाओं की आपूर्ति ग्राउंड स्टाफ द्वारा कराई जाती है। इसे ही ग्राउंड हैंडलिंग कहा जाता है।
  • एयरपोर्ट की सफाई, कार्गो, बैगेज हैंडलिंग, माल का स्टॉक आदि सभी कार्य ग्राउंड स्टाफ द्वारा किये जाते हैं। ग्राउंड स्टाफ द्वारा एयरपोर्ट पर अलग-अलग तरह की सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती है। अतः कुशल और अकुशल दोनों प्रकार के श्रमिक एयरपोर्ट पर कार्यरत रहते हैं।
  • कुछ एयरलाइंस इन सेवाओं को ग्राउंड हैंडलिंग सेवा प्रदाता कंपनी से प्राप्त करती हैं जबकि अन्य अपने स्वयं के उपकरण का उपयोग करना पसंद करते हैं क्योंकि एयरलाइंस बेहतर बदलाव के लिये ग्राउंड हैंडलिंग गतिविधियों को बहुत जल्दी और सस्ते तरीके से कार्यान्वित करना चाहते हैं।
  • एक आँकड़े के अनुसार, GH की गुणवत्ता हेतु उपकरणों के लिये प्रत्येक हवाई अड्डे पर 6-7 मिलियन डॉलर का निवेश की आवश्यकता है।
  • गुणवत्ता, दक्षता और यात्री सुविधा के विचार से GH की मांग बढ़ती जा रही है।

ग्राउंड हैंडलिंग से सुरक्षा को खतरा क्यों?

  • सर्वविदित है कि हवाई अड्डे अपनी गुणवत्तापूर्ण सुविधाओं के लिये जाने जाते हैं और सभी एयरलाइंस का मुख्य ध्येय भी यात्री सुविधा ही है। ऐसे में विभिन्न सुविधाओं को यात्रियों तक पहुँचाने के लिये ग्राउंड स्टाफ की मांग बढ़ जाती है।
  • चूँकि, ग्राउंड स्टाफ द्वारा सभी प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं अतः इस क्षेत्र में कुशल और अकुशल दोनों श्रमिकों के लिये रोज़गार का सृजन हुआ है।
  • किंतु रोज़गार सृजन के बावज़ूद इस क्षेत्र के स्टाफ की विभिन्न असंदिग्ध गतिविधियों में संलिप्तता ने सवाल खड़े कर दिये हैं।
  • दरअसल, काम की अधिकता को देखते हुए इस क्षेत्र में ठेकेदारी व्यवस्था को बढ़ावा मिला है जिससे कार्य वितरण के आपरदर्शी तंत्र का भी विकास हुआ है और यह अपारदर्शी वातावरण इन श्रमिकों में असंतुष्टि का भाव उत्पन्न करता है।
  • अकुशल और अस्थायी एजेंसियों का उपयोग अनुचित श्रम प्रथाओं का कारण बनता है, जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारी नियुक्तियों के कारोबार को बढ़ावा मिलता है तथा ऐसी एजेंसियाँ अपने लाभ के लिये सुरक्षा को ताक पर रखकर नियुक्तियाँ करती हैं।
  • इसके अतिरिक्त कार्य की प्राप्ति के वाबजूद असंतुष्टि और मनचाहे श्रमिकों को काम दिलाने की लालसा ने एयरलाइंस से संबंधित तमाम प्रकार की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
  • उल्लेखनीय है कि देश-विदेश की विभिन्न एयरलाइंस से संबंधित अनेक दुर्घटनाओं में इनके शामिल होने की पुष्टि भी की गई है।

विभिन्न सांगठनिक उपाय

  • अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO), अंतर्राष्ट्रीय हवाई यातायात संघ (IATA) और एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल (ACI) जैसे वैश्विक विमानन निकाय ग्राउंड हैंडलिंग संबंधी मॉडल दिशा-निर्देशों पर काम कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह उन गतिविधियों का एक जटिल वेब है, जिन्हें मज़बूत सुरक्षा और पर्यवेक्षण की आवश्यकता है।
  • इसके साथ ही राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति 2016 में कहा गया है कि 'प्रत्येक हवाई अड्डे पर तीन ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसियाँ ​​होंगी इसमें एयर इंडिया या इसकी सहायक/संयुक्त उद्यम में से एक शामिल होगी (जब तक यह सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई न हो)।
  • प्रतिवर्ष 1.5 मिलियन से अधिक यात्रियों की क्षमता वाले प्रमुख हवाई अड्डों में से एक या अधिक एयरपोर्ट ऑपरेटर का चयन किया जाएगा।
  • उचित मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करने के लिये ये सभी ऑपरेटर एयरपोर्ट इकोनॉमिक रेगुलेशन अथॉरिटी (AERA) के अंतर्गत आएंगे।
  • हालाँकि, राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति 2016 में सभी घरेलू अनुसूचित एयरलाइंस को सभी हवाई अड्डों पर स्वयं-संचालन करने की भी अनुमति दी गई है, बशर्ते वे अनुबंध श्रम का उपयोग न करें, जो वर्तमान में एक आम अभ्यास है।

नागर विमानन नीति 2016


प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जून 2016 को नागर विमानन नीति को अपनी स्वीकृति प्रदान की है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली बार नागर विमानन मंत्रालय द्वारा एक संपूर्ण नागर विमानन नीति लाई गई है।

नागर विमानन नीति के मुख्य अंश निम्नलिखित हैं:-

  • भारत को वर्ष 2022 तक 9वें से तीसरा सबसे बड़ा नागर विमानन बाजार बनाना।
  • घरेलू टिकटिंग को वर्ष 2015 में 8 करोड़ रुपए से बढ़ाकर वर्ष 2022 तक 30 करोड़ रुपए करना।
  • वाणिज्यिक उड़ानों के लिये हवाई अड्डों का संख्या वर्ष 2019 तक 127 करना जो वर्ष 2016 में 77 थीं।
  • मालवाहकों द्वारा ढोएँ जाने वाले सामान की मात्रा को वर्ष 2027 तक 4 गुना बढ़ाकर 10 मिलियन टन करना।
  • आम आदमी तक विमान सेवाओं को सुलभ बनाना तथा हवाई अड्डों पर क्षेत्रीय संपर्क योजना के अंतर्गत एक घंटे के सफर के लिये अधिकतम किराया 2500 रुपए।
  • अंतर्राष्ट्रीय विमान सेवा शुरू करने के लिये 5 साल घरेलू विमान सेवा परिचालन के शर्त की समाप्ति।
  • लचीले और मुक्त ‘ओपन स्काई’ और ‘कोड शेयर’ समझौते।
  • रखरखाव और मरम्मत संचालन (MRO) को प्रोत्साहन देकर दक्षिण एशिया में प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करना।
  • वर्ष 2025 तक कौशलयुक्त 3.3 लाख कुशल कार्मिकों की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • ग्रीन फील्ड हवाई अड्डों और हेलिकॉप्टर अड्डों का विकास।
  • नियमों में ढ़ील, आसान प्रक्रिया और ई-गर्वनेंस द्वारा व्यापार सुगमता को बढ़ाना।
  • नागर विमानन क्षेत्र में ’मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहन देना।

नीति के अंतर्गत शामिल क्षेत्र :


क्षेत्रीय संपर्क, सुरक्षा, हवाई परिवहन संचालन, रूट प्रसार दिशा-निर्देश, द्विपक्षीय यातायात अधिकार, कोड शेयरिंग समझौते, राजकोषीय समर्थन,राज्य सरकार, निजी क्षेत्र द्वारा या पीपीपी मोड में विकसित हवाई अड्डे, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, वायु नौवहन सेवाएँ, विमानन सुरक्षा, आव्रजन और सीमा शुल्क, हेलीकॉप्टर, चार्टर्स, रखरखाव, मरम्मत और पूरी जाँच और परिवर्तन, भू प्रबंधन,एयर कार्गो, वैमानिकी ‘मेक इन इंडिया’, विमानन शिक्षा और कौशल विकास, सतत विमानन, विविध, आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम, 1968


आगे की राह

  • अनुबंध श्रम सुरक्षा के लिये एक खतरा है क्योंकि प्रत्येक कार्यकर्त्ता के एवज़ में नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) को सुरक्षा को मंजूरी देनी होगी। अतः इसका प्रसार इस क्षेत्र में बड़े सूझ-बूझ के साथ ही करना चाहिये।
  • उल्लेखनीय है कि हवाई अड्डे आतंरिक चुनौतियों से जूझ रहे है और इनकी वज़ह से एजेंसियों से ​​संबंधित कई प्रकार के जोखिम भी बढ़ रहे हैं। अतः एजेसियों के कार्यभार को कम करने पर बल देना चाहिये।
  • ग्राउंड हैंडलिंग के लिये गैर-भरोसेमंद अनुबंध श्रमिकों को भर्ती करने का यह मुद्दा एयरलाइंस और मंत्रालय के बीच हमेशा से टकराव का प्रमुख कारण रहा है।
  • उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2017 में MOCA की एक अधिसूचना ने एयरलाइंस को ग्राउंड हैंडलिंग सेवाओं में गैर-प्रमाणित श्रम ठेकेदारों के साथ बाँटने के लिये आठ महीने का अग्रणी समय दिया था। हालाँकि, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की नवीनतम अधिसूचना के अनुसार, समय-सीमा 30 जून, 2019 तक बढ़ा दी गई है। पॉलिसी के कार्यान्वयन में देरी से दैनिक आधार पर सुरक्षा से समझौता किया जा रहा है। अतः आवश्यकता है कि सही नीतियों का उचित समय पर कार्यान्वयन किया जाए।
  • ग्राउंड हैंडलिंग गतिविधियों में संलग्न एयरपोर्ट ऑपरेटर, एयरक्राफ्ट ऑपरेटर को लाइसेंसिंग और प्रमाणीकरण तथा आवंटित ज़िम्मेदारी और उत्तरदायित्व के साथ एक उचित सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली जैसे - कानूनी ढाँचे की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये।
  • साथ ही सुरक्षित और कुशल प्रथाओं को सुनिश्चित कर हवाई अड्डे पर श्रम प्रथाओं को भी पारदर्शी बनाया जाना चाहिये।

स्रोत : द हिंदू (बिज़नेस लाइन )


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