कल्याणकारी योजनाओं में आधार की भूमिका
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में कल्याणकारी योजनाओं में आधार की भूमिका पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
लोकतांत्रिक व्यवस्था को किसी भी देश की संचालन व्यवस्थाओं में से श्रेयस्कर माना जाता है। इस श्रेयस्कर व्यवस्था की विभिन्न विशेषताओं में से एक प्रमुख विशेषता कल्याणकारी राज्य की उपस्थिति है। कल्याणकारी राज्य, शासन की वह संकल्पना है जिसमें राज्य नागरिकों की सामाजिक-आर्थिक उन्नति में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है। कल्याणकारी राज्य अवसरों की समानता, संसाधनों का न्यायोचित वितरण तथा लोगों तक मूलभूत आवश्यकताओं की पहुँच सुनिश्चित करने के सिद्धांत पर कार्य करता है।
स्वतंत्रता के बाद भारत ने जनता की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति तथा शासन संचालन हेतु कल्याणकारी राज्य की संकल्पना को अपनाया। इस संकल्पना के तहत कल्याणकारी योजनाओं को जनता तक सुगमतापूर्वक पहुँचाने के लिये आधार कार्ड के विचार को मूर्त रूप दिया गया। नीति नियंताओं का ऐसा मानना था कि आधार कार्ड की व्यवस्था नीतियों के क्रियान्वयन में आने वाली बाधाओं को दूर कर, सुपात्रों का चयन कर योजनाओं का लाभ सही व्यक्तियों तक पहुँचाने में सफल रहेगी, परंतु हाल ही में कुछ शोधकर्त्ताओं द्वारा झारखंड में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में हुई अनियमितताओं को उजागर करने से आधार जैसी व्यवस्था की प्रमाणिकता पर प्रश्नचिह्न लगता नज़र आ रहा है। इस आलेख में आधार की आवश्यकता, क्रियान्वयन में उत्पन्न चुनौतियाँ, इसके परिणाम तथा समाधान के उपाय तलाशने का प्रयास किया जाएगा।
शोधकर्त्ताओं का आकलन
- वित्तीय वर्ष 2017-18 में वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के दौरान भारतीय पहचान प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा यह बताया गया कि योजनाओं के क्रियान्वयन में आधार कार्ड की व्यवस्था के उपरांत सरकारी सब्सिडी में 90,000 करोड़ रुपए की बचत की गई।
- परंतु इस रिपोर्ट के 2 वर्ष बाद विभिन्न शोधकर्त्ताओं द्वारा प्रकाशित एक शोधपत्र में आधार के उपयोग के बावजूद झारखंड में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में हुई अनियमितताओं के संबंध में चौंकाने वाले आँकड़े प्रस्तुत किये गए हैं।
- शोधकर्त्ताओं के अनुसार, झारखंड में व्यापक स्तर पर किये गए सर्वे से पता चला कि अधिकांश लोगों के राशन कार्ड अभी आधार कार्ड के साथ लिंक नहीं किये गए हैं। इससे फर्ज़ी राशन कार्ड धारक इस योजना का लाभ उठा रहे हैं और लगभग 10% वैध राशनकार्ड धारक इस प्रणाली का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली
- इस प्रणाली की शुरुआत वर्ष 1947 में हुई और यह देश में गरीबों के लिये सब्सिडाइज्ड दरों पर खाद्य तथा अखाद्य पदार्थों के वितरण का कार्य करता है।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) कम कीमत पर अनाज के वितरण और आपातकालीन स्थितियों में प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिये लाई गई एक प्रणाली है।
- इसे भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया है और केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से प्रबंधित किया जाता है।
- ‘फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया’ पीडीएस के लिये खरीद और रखरखाव का कार्य करता है जबकि राज्य सरकारों को राशन एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं का वितरण सुनिश्चित करना होता है।
- तकनीकी समस्याओं के कारण पात्र लोगों की भी पहचान सुनिश्चित नहीं हो पा रही है।
- शोध के अनुसार, आधार कार्ड की व्यवस्था के उपरांत लोगों पर वित्तीय भार बढ़ा है।
- वस्तु एवं सेवा कर लागू होने के बाद राज्यों के पास राजस्व संग्रहण का अभाव हो गया जिससे राज्य योजनाओं के क्रियान्वयन में आने वाली बाधाओं को दूर नहीं कर पा रहे हैं।
- आधार कार्ड और राशन कार्ड के आँकड़ों में एकरूपता न होने के कारण लाभार्थियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
- शैक्षिक स्तर में कमी होने के कारण राशन वितरण केंद्रों में तैनात कर्मियों द्वारा लाभार्थियों को भ्रमित किया जाता है।
आधार क्या है?
- आधार भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा निर्धारित सत्यापन प्रक्रिया को पूरा करने के उपरांत भारत के सभी निवासियों को जारी की जाने वाली 12 अंकों की एक विशेष पहचान संख्या है।
- किसी भी आयु का कोई भी व्यक्ति जो भारत का निवासी है, बिना किसी लिंग भेद के आधार संख्या प्राप्ति हेतु स्वेच्छा से नामांकन करवा सकता है।
- इसमें बायोमेट्रिक पहचान शामिल होती है, अर्थात इसमें व्यक्ति का नाम, पता, आयु, जन्मतिथि, उसके फिंगर-प्रिंट और आँखों की स्कैनिंग तक शामिल होती है।
- डुप्लीकेट और फर्जी पहचान समाप्त करने के लिये यह काफी मज़बूत और अद्वितीय व्यवस्था है।
- इसका विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं ओर सेवाओं के प्रभावी वितरण, पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने हेतु एक बुनियादी पहचान के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
पृष्ठभूमि
- वर्ष 2000 में कारगिल समीक्षा समिति की रिपोर्ट के बाद गठित मंत्रियों के उच्च अधिकार प्राप्त समूह ने एक बहुउद्देशीय राष्ट्रीय पहचान पत्र की सिफारिश की।
- सरकार ने अपने राष्ट्रीय सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम में घोषणा की कि सरकारी सब्सिडी के तीव्र लक्ष्यीकरण के लिये एक विस्तृत रोडमैप का अनावरण किया जाएगा।
- मार्च 2006 में सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों के लिये एक विशिष्ट पहचान पत्र से संबंधित योजना का अनावरण किया।
- 22 जनवरी 2009 को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण को अधिसूचित किया गया। जून 2009 में इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि को इसका पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- 29 सितंबर, 2010 को प्रथम 12 अंकों वाली आधार संख्या जारी की गई।
विश्व के कुछ अन्य देशों में पहचान संबंधी व्यवस्था
- थाईलैंड में नेशनल आईडी नंबर की सहायता से वहाँ की सरकार ने देशव्यापी स्वास्थ्य कवरेज़ उपलब्ध कराकर इन सेवाओं के वितरण में उल्लेखनीय सुधार किया है।
- पेरू में यूनिवर्सल पॉपुलेशन और रजिस्ट्रेशन योजना के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं में ज़रूरतमंदों तक राहत और सहायता पहुँचाने के काम में तेज़ी आई है।
- हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में बायोमेट्रिक व्यवस्था के बाद महिलाओं तक प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण के काम में मदद मिली है और इससे वे अपनी इच्छानुसार खर्च करने की स्थिति में आई हैं।
- भारत के एक अन्य पड़ोसी देश चीन में आधार की तरह की नेशनल आईडी जारी करने का काम वहाँ का सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय करता है।
- नेपाल और श्रीलंका में भी राष्ट्रीय पहचान-पत्र जारी किये जाते हैं। बांग्लादेश में वहाँ का चुनाव आयोग इस प्रकार के पहचान-पत्र जारी करता है।
- म्याँमार का श्रम मंत्रालय नेशनल रजिस्ट्रेशन कार्ड जारी करता है और भूटान में वहाँ का गृह मंत्रालय सिटीज़नशिप आईडी कार्ड जारी करता है।
आधार की आवश्यकता
- भारत सरकार बड़ी संख्या में समाजिक कल्याणकारी योजनाओं का वित्त पोषण करती है जो कि समाज के गरीब और सबसे कमज़ोर वर्गों की ओर केंद्रित होती है।
- आधार की व्यवस्था सरकार को उसके कल्याण तंत्र को कारगर बनाने तथा पारदर्शिता और सुशासन सुनिश्चित करने के लिये एक अनूठा अवसर प्रदान करते हैं।
कल्याणकारी योजनाओं में आधार से लाभ
- लक्षित वितरण द्वारा लीकेज को रोकना: ऐसे कल्याण कार्यक्रमों जिनमें सेवा वितरण से पूर्व लाभार्थियों की पुष्टि करना आवश्यक है, को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की प्रमाणीकरण सेवा का लाभ मिलेगा। इसके परिणामस्वरूप लीकेज को रोकना और सेवाओं का वितरण लक्षित लाभार्थियों तक ही किया जाना सुनिश्चित होगा। उदाहरणस्वरूप सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों की सब्सिडाइज्ड योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लाभार्थियों की कार्यस्थल पर उपस्थिति आदि इसमें शामिल हैं।
- दक्षता और प्रभावकारिता में सुधार: आधार द्वारा सेवा वितरण प्रणाली के बारे में पारदर्शी और सटीक जानकारी उपलब्ध कराने के परिणामस्वरूप सरकार संवितरण प्रणाली में सुधार कर सकती हैं और दुर्लभ विकास कोष को अधिक प्रभावी ढंग से व्यवस्थित कर सकती है, साथ ही कुशलतापूर्वक सेवा वितरण नेटवर्क में शामिल मानव संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकती है।
- पोर्टेबिलिटी: आधार एक सार्वभौमिक संख्या है, संस्था एवं सेवाएँ लाभार्थी की पहचान के लिये देश में कहीं से भी सेंट्रल यूनिक आइडेंटिफिकेशन डेटा बेस से संपर्क कर सकती हैं।
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण: लाभार्थियों के आधार से लिंक बैंक अकाउंट में प्रत्यक्ष रूप से सब्सिडी पहुँचायी जा रही है जिससे योजनाओं का लाभ पात्र लोगों को प्राप्त हो रहा है।
चुनौतियाँ
- व्यापक पैमाने पर आधार के आँकड़ों तथा अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों की पात्रता संबंधी आँकड़ों में अंतर है।
- तकनीकी समस्याओं के कारण आधार कल्याणकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में प्रभावकारी नहीं हो पाया।
- लोगों में तकनीकी के प्रयोग के प्रति जागरूकता की कमी है, जिससे वे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
- व्यक्तिगत जानकारी चोरी हो जाने के डर से लोग आधार कार्ड बनवाने के लिये पंजीकरण नहीं करा रहे हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कल्याणकारी योजनाओं में आधार कार्ड की अनिवार्यता संबंधी सरकार के निर्देश को खारिज़ करने के बाद लोगों ने जानबूझकर आधार का उपयोग करना बंद कर दिया।
संभावित समाधान
- सर्वप्रथम आधार को लेकर लोगों में फैली भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिये।
- निर्मित हो चुके आधार कार्ड के त्रुटिपूर्ण आँकड़ों में सावधानीपूर्वक संशोधन करना चाहिये।
- कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में आधार को अनिवार्य करने से पूर्व प्रत्येक व्यक्ति का त्रुटिरहित आधार कार्ड बनाना चाहिये।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली को तकनीकी रूप से दक्ष बनाना होगा।
- डिजिटल भारत अभियान को प्रोत्साहन देकर लोगों को तकनीकी रूप से सहज बनाने की दिशा में कार्य करना होगा।
आगे की राह
भारत में आधार को लॉन्च हुए एक दशक से भी अधिक समय हो चुका है। आधार ने भारत में सरकार एवं लोगों के बीच विभिन्न सेवाओं के अंतरण जैसी उपयोगी भूमिका निभाई है। इससे सरकारी बजट में कुशलता आई है, साथ ही लक्षित व्यक्ति तक सेवाओं की पहुँच को सुनिश्चित किया जा सका है। ध्यातव्य है कि आधार में किसी व्यक्ति विशेष से संबंधित अति निजी एवं गोपनीय सूचनाएँ होती हैं यदि इनका प्रकटीकरण किया जाता है अथवा दुरुपयोग किया जाता है तो इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उपर्युक्त विचार के संदर्भ में भारत में आधार को लेकर वाद-विवाद होता रहा है तथा आधार को अधिक सुरक्षित बनाने के लिये भी समय-समय पर प्रयास किये जाते रहे हैं। आधार द्वारा कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावकारिता में वृद्धि की जा सकती है, बशर्ते इसके मार्ग में आने वाली चुनौतियों को सही तरीके से संबोधित कर दिया जाए।
प्रश्न: कल्याणकारी योजनाओं के निष्पादन में आधार की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।