भारत को मिला चाबहार बंदरगाह का परिचालन अधिकार
संदर्भ
ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह पर कामकाज का नियंत्रण भारत को मिल गया है। चाबहार में 24 दिसंबर को ईरान-भारत और अफगानिस्तान के बीच हुई अधिकारी स्तर की त्रिपक्षीय बैठक में जल्द ही त्रिपक्षीय ट्रांजिट समझौते को भी लागू करने पर सहमति बनी। तीनों देश इसके लिये ट्रांजिट, सड़क, सीमा-शुल्क आदि मुद्दों पर तालमेल कर प्रोटोकॉल को अंतिम रूप देने पर सहमत हुए।
क्या है चाबहार डील?
भारत की ओर से ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह को विकसित करने की रणनीति 2003 में बनाई गई थी, लेकिन ईरान के उत्साह में कमी और बाद में उस पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध लगने की वजह से बात आगे नहीं बढ़ सकी थी। इसके बाद मई 2015 में भारत के भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और ईरान के ट्रांसपोर्ट एंड अर्बन डेवेलपमेंट मिनिस्टर डॉ. अब्बास अहमद अखुंडी ने चाबहार परियोजना के विकास को लेकर हस्ताक्षर किये थे। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान इसे अंतिम रूप दिया गया था। इस डील के तहत जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और कांडला पोर्ट ट्रस्ट के जॉइंट वेंचर इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड और अर्या बंदर कंपनी ऑफ ईरान के साथ प्रथम चरण में 2 टर्मिनल्स और 5 मल्टी कार्गो बर्थ चाबहार पोर्ट प्रॉजेक्ट के तहत विकसित किये जाने हैं।
चाबहार बंदरगाह पर Follow-up समिति की पहली बैठक
- अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मिलने के 6 हफ्ते बाद भारत को सामरिक रूप से बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाने वाले ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह पर परिचालनात्मक काम शुरू करने की अनुमति मिल गई।
- इस बंदरगाह शहर में ईरान, भारत और अफगानिस्तान के अधिकारी follow-up समिति की पहली बैठक के लिये इकठ्ठा हुए थे।
- यह बैठक त्रिपक्षीय चाबहार समझौते को संचालित करने के लिये बुलाई गई थी। Follow-up समिति की बैठक में चाबहार के रूट को आसान बनाने; लॉजिस्टिक लागत में कमी लाने और चाबहार समझौते के सुचारु संचालन हेतु मार्ग प्रशस्त करने के उपाय तय करने के लिये एक अध्ययन किये जाने पर भी सहमति बनी। इसके अलावा, एक महत्त्वपूर्ण निर्णय व्यापार और पारगमन गलियारों के लिये मार्गों को अंतिम रूप देने को लेकर लिया गया।
- पारगमन, सड़कों, सीमा-शुल्क और वाणिज्य दूत (Consular) मामलों में तारतम्यता लाने के लिये जल्दी ही प्रोटोकॉल को अंतिम रूप दिया जाएगा। साथ ही TIR कन्वेंशन प्रावधानों के तहत चाबहार में कार्गो आवागमन की अनुमति दी जाएगी।
Follow-up समिति की अगली बैठक का आयोजन भारत में होगा। - इस बंदरगाह को बढ़ावा देने के लिये फरवरी 2019 में एक इवेंट आयोजित की जाएगी।
इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड को मिला अधिकार
- भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड के कार्यालय ने ‘शाहिद बहिश्ती’ बंदरगाह पर काम करना शुरू किया।
- इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड को यह बंदरगाह फिलहाल 18 महीने के लिये लीज़ पर दिया गया है, जिसे बाद में 10 वर्षों के लिये आगे बढ़ा दिया जाएगा।
- इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और विदेशी बंदरगाहों के विकास के लिये दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट का एक संयुक्त उद्यम है।
- इस साल फरवरी में ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी की भारत यात्रा के दौरान चाबहार के शहीद बहिश्ती बंदरगाह के प्रथम चरण के लीज़ अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए थे।
भारत के लिये क्यों महत्त्वपूर्ण है चाबहार?
- भारत यह मानता है कि बंदरगाहों,सड़कों और रेल कनेक्टिविटी के विकास से इन तीनों देशों में रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे और इन देशों में समृद्धि आएगी।
- आर्थिक वृद्धि और विकास से व्यापार का पुनर्गठन होगा। इस समझौते के लागू होने से तीनों देशों के बीच व्यापार की लागत में ठोस कमी आने से निजी क्षेत्रों को व्यापार करने का मौका मिलेगा।
- चाबहार के संचालन से भारत पाकिस्तान को बाईपास कर सकेगा। भारत अफगानिस्तान में जहाज़ों द्वारा माल की आपूर्ति बढ़ा सकेगा।
- क्षेत्रीय आर्थिक संपर्क केंद्र के रूप में चाबहार के महत्त्व के मद्देनजर भारत ने अफगानिस्तान को 1.10 लाख टन गेहूं से भरा पहला जहाज इसी बंदरगाह के रास्ते भेजा था।
- चाबहार पोर्ट का एक महत्त्व यह भी है कि यह पाकिस्तान में चीन द्वारा चलाए जा रहे ग्वादर पोर्ट से केवल 100 किलोमीटर दूर है।
- चीन अपने 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे कार्यक्रम के तहत ही इस पोर्ट को विकसित कर रहा है और इसके ज़रिये एशिया में नए व्यापार और परिवहन मार्ग खोलना चाहता है।
- ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने पिछले वर्ष दिसंबर में रणनीतिक महत्त्व के चाबहार बंदरगाह पर नवनिर्मित विस्तार क्षेत्र का उद्घाटन किया था। इस विस्तार से बंदरगाह की क्षमता तीन गुना बढ़ जाएगी।
पाकिस्तान हो जाएगा दरकिनार
ईरान के दक्षिण-पूर्वी भाग में सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार रणनीतिक रूप से भारत के लिये काफी अहम है। इसके ज़रिये भारत को ईरान, अफगानिस्तान सहित पूरे मध्य एशिया, रूस और यूरोप से भी कारोबार करने का एक नया रास्ता मिल गया है। अरब सागर में स्थित इस बंदरगाह के जरिए भारत-ईरान-अफगानिस्तान के बीच नए रणनीतिक ट्रांजिट रूट की भी शुरुआत हो रही है, जिससे तीनों देशों के बीच व्यापार मज़बूत होगा।
इसके अलावा, चाबहार बंदरगाह भारत के लिये अफगानिस्तान तक पहुँच का सुगम ज़रिया बनेगा। अभी तक सबसे सुगम रास्ता पाकिस्तान होकर गुजरता है, लेकिन पाकिस्तान को इसे लेकर आपत्ति रही है और अफगानिस्तान तक भारत की पहुँच को बाधित करने का वह हरसंभव प्रयास करता रहा है। लेकिन इस बंदरगाह के ज़रिये अब भारत के लिये अफगानिस्तान तक पहुँच बनाना आसान हो गया है। भारत अब पाकिस्तान गए बिना ही अफगानिस्तान से जुड़ सकेगा। यह भारत को पश्चिमी एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता उपलब्ध कराएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा।
अमेरिका का कहना है कि उसने चाबहार बंदरगाह के विकास के लिये यह छूट इसलिये दी है, क्योंकि अफगानिस्तान के विकास और वहाँ मानवीय राहत पहुँचाने के लिये ऐसा करना ज़रूरी था। भारत के आग्रह पर अमेरिका ने इस बंदरगाह को ईरान पर लगे प्रतिबंधों से मुक्त कर रखा है।