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  • 25 Mar, 2020
  • 16 min read
शासन व्यवस्था

भारत में लॉकडाउन

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में भारत में जारी लॉकडाउन व उससे उपजी परिस्थितियों पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ 

इस समय विश्व के लगभग सभी देशों में कोरोना वायरस अपने पैर पसार रहा है। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच विश्व के लगभग सभी देशों ने संपूर्ण लॉकडाउन या आंशिक लॉकडाउन की स्थिति को अपना लिया है। चीन, इटली, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, और ईरान के बाद भारत ने भी इस बढ़ते खतरे को रोकने के लिये अग्रिम 21 दिनों के लिये संपूर्ण लॉकडाउन के विकल्प को अपना लिया है। वस्तुतः पिछले कुछ दिनों से लॉकडाउन शब्द चर्चा के केंद्र में है। इसके साथ ही लोग यह भी जानने का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर लॉकडाउन है क्या? क्या लॉकडाउन में सभी सेवाएँ बंद हो जाएँगी? क्या देश का स्वास्थ्य तंत्र इतना कमज़ोर है कि लॉकडाउन ही अंतिम विकल्प बचा है? लॉकडाउन एवं कर्फ्यू में क्या अंतर है? लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर दंड का क्या प्रावधान है? क्या लॉकडाउन आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर देगा?

इस आलेख में लॉकडाउन से संबंधित सभी प्रश्नों का उत्तर जानने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही लॉकडाउन की स्थिति में आवश्यक सेवाओं से संबंधित आपूर्ति श्रृंखला को बहाल रखने के लिये सरकार के द्वारा किये जा रहे प्रयासों का भी विश्लेषण करेंगे।

पृष्ठभूमि

लॉकडाउन के बारे में जानने से पूर्व हमें इसके कारण के बारे में जानना चाहिये। लॉकडाउन का कारण कोरोना वायरस है…..जी नहीं, यह आधा सच है। पूरा सच यह है कि लॉकडाउन का कारण कोरोना वायरस का तीव्रता से प्रसार है। कोरोना वायरस की विभिन्न अवस्थाएँ इसे और अधिक हानिकारक बना रही हैं। इसकी विभिन्न अवस्थाएँ निम्नलिखित हैं-

  • प्रथम अवस्था- यह किसी भी वायरस की प्रारंभिक अवस्था है, जिसमें कोई व्यक्ति तब संक्रमित होता है जब वह वायरस के उद्गम स्थल पर पहुँचता है और उसके बाद वह व्यक्ति उस वायरस का वाहक बन जाता है।
  • द्वीतीय अवस्था- इसे सामान्य रूप से लोकल ट्रांसमिशन के नाम से भी जानते हैं। इसमें वायरस के उद्गम स्थल से संक्रमित होने वाला व्यक्ति जब अपने परिवार या परिजनों के संपर्क में आता है तो वायरस का ट्रांसमिशन उन लोगों तक भी हो जाता है।
  • तृतीय अवस्था- इस अवस्था को सामुदायिक ट्रांसमिशन के नाम से जानते हैं। यह एक खतरनाक अवस्था है क्योंकि, इसमें संक्रमण लोकल स्तर पर संक्रमित हुए किसी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में श्रृंखलाबद्ध रूप में तेजी से फैलता है। संक्रमण के प्रसार की दृष्टि से यह अवस्था अत्यधिक हानिकारक होती है। इस समय भारत तृतीय अवस्था के प्रवेश द्वार पर खड़ा है।   
  • चतुर्थ अवस्था- यह संक्रमण की अंतिम अवस्था होती है। इसमें संक्रमण से प्रभावित व्यक्तियों की बड़े पैमाने पर मृत्यु हो जाती है। चीन, इटली, संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान तृतीय अवस्था को पार कर चतुर्थ अवस्था में पहुँच गए हैं। 

क्या है लॉकडाउन?        

  • लॉकडाउन एक प्रशासनिक आदेश होता है। लॉकडाउन को एपिडमिक डीज़ीज एक्ट, 1897 के तहत लागू किया जाता है। ये अधिनियम पूरे भारत पर लागू होता है। 
  • इस अधिनियम का इस्तेमाल किसी विकराल समस्या के दौरान होता है।  जब केंद्र या राज्य सरकार को ये विश्वास हो जाए कि कोई गंभीर बीमारी देश या राज्य में आ चुकी है और सभी नागरिकों तक पहुँच रही है तो केंद्र व राज्य सरकार सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक स्तर पर एक-दूसरे से दूरी बनाना) को क्रियान्वित करने के लिये इस अधिनियम को लागू कर सकते हैं। 
  • इसे किसी आपदा के समय शासकीय रूप से लागू किया जाता है।  इसमें लोगों से घर में रहने का आह्वान और अनुरोध किया जाता है। इसमें ज़रूरी सेवाओं के अलावा सारी सेवाएँ बंद कर दी जाती हैं।  कार्यालय, दुकानें, फ़ैक्टरियाँ और परिवहन सुविधा सब बंद कर दी जाती है। जहाँ संभव हो वहाँ कर्मचारियों को घर से काम करने के लिये कहा जाता है।
  • लॉकडाउन के दौरान आवश्यक सेवाएँ निर्बाध रूप से चलती रहती हैं। अपने दिशा-निर्देश में सरकार ने शासकीय आदेशों का पालन करना अनिवार्य बताया है।

अनिवार्य शासकीय दिशा-निर्देश

  • केंद्र सरकार के सभी कार्यालय बंद रहेंगे या जिन विभागों में संभव हो वहाँ कर्मचारी घर से कार्य कर सकते हैं। आपातकालीन सेवाओं से संबंधित विभाग जैसे- सैन्य कार्यालय, केंद्रीय पुलिस बल से संबंधित कार्यालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, आपदा प्रबंधन, विद्युत उत्पादन एवं ट्रांसमिशन से संबंधित विभाग, पोस्ट ऑफिस, राष्ट्रीय सूचना से संबंधित केंद्र  अपवादस्वरूप खुले रहेंगे।   
  • विभिन्न राज्यों से संबंधित सभी कार्यालय बंद रहेंगे या जिन विभागों में संभव हो वहाँ कर्मचारी घर से कार्य कर सकते हैं। आपातकालीन सेवाओं से संबंधित विभाग जैसे- पुलिस विभाग, होमगार्ड कार्यालय, सिविल डिफेन्स, अग्निशमन विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग, विद्युत विभाग, जल एवं सफाई से संबंधित विभाग, जेल विभाग खुले रहेंगे। इसके साथ ही ज़िला प्रशासन से संबंधित विभाग और कोषागार विभाग पूर्व की भांति कार्य करते रहेंगे।
  • स्थानीय निकायों में साफ़-सफाई से संबंधित विभाग के अतिरिक्त सभी विभाग बंद रहेंगे या घर से कार्य करेंगे।
  • स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित सभी विभाग पूर्व की भांति खुले रहेंगे। सभी मेडिकल स्टोर, क्लीनिक, टेस्टिंग लैब इत्यादि खुली रहेंगी।
  • राज्य सरकारों को यह निर्देश दिया गया ही कि उपर्युक्त आपातकालीन सेवाओं से संबंधित कर्मचारियों को अनावश्यक न रोका जाए।
  • सभी सरकारी व निज़ी वाणिज्यिक संगठन बंद रहेंगे। अपवादस्वरूप राशन केंद्र या दुकानें, जनरल स्टोर, सब्जियों व दुग्ध उत्पादों से संबंधित दुकानें, जानवरों के चारे से संबंधित दुकानें खुली रहेंगी।
  • बैंक, ए.टी.एम, प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया से संबंधित कार्यालय खुले रहेंगे।
  • सभी प्रकार की परिवहन सेवाएँ बंद रहेंगी। अपवादस्वरूप, आवश्यक वस्तुओं की डिलीवरी करने वाली तथा पुलिस व आपातकालीन सेवाओं से संबंधित वाहन चलते रहेंगे।
  • सभी शिक्षण संस्थान, प्रशिक्षण संस्थान, कोचिंग संस्थान, शोध संस्थान बंद रहेंगे।
  • सभी धार्मिक स्थल पूर्णतयः बंद रहेंगे। किसी भी प्रकार के धार्मिक आयोजनों की अनुमति नहीं होगी।
  • सभी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, खेल और मनोरंजन से संबंधित सरकारी व निज़ी आयोजन बंद रहेंगे। 
  • यदि किसी के घर में मृत्यु हो जाती है, तो किसी स्थिति में 20 से अधिक लोग एकत्र नहीं हो सकते हैं। 
  • वे सभी लोग जो 15 फरवरी के बाद किसी देश की यात्रा कर भारत आए हैं, उन्हें होम आईसोलेशन या क्वारंटाइन रहना होगा। 

लॉकडाउन की आवश्यकता क्यों पड़ी? 

  • स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना वायरस का प्रसार मानव से मानव में हो रहा है। प्रसार की इस श्रृंखला को तोड़ने के लिये मानवीय गतिविधियों को रोकना अति आवश्यक है। परिणामस्वरूप आंशिक लॉकडाउन का विकल्प अपनाया गया। परंतु आंशिक लॉकडाउन के बावज़ूद बड़ी संख्या में लोग घर से बहार निकल रहे थे, जिससे श्रृंखला को तोड़ने का उद्देश्य प्रभावित हो रहा था।        
  • वायरस की विभीषिका को देखते हुए मानवीय गतिविधियों पर पूर्णता प्रतिबंध लगाने के लिये पूर्ण लॉकडाउन का विकल्प अपनाना पड़ा।

लॉकडाउन का आपूर्ति श्रृंखला पर प्रभाव

  • लॉकडाउन के दौरान कुछ निहित स्वार्थी तत्वों ने आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित करते हुए आवश्यक वस्तुओं की ज़माखोरी की ताकि उन वस्तुओं की कीमत में वृद्धि हो सके।  
  • ऐसा ही स्वास्थय संबंधी सामग्री (यथा- मास्क, सैनेटाइज़र) की ज़माखोरी कर उसे ऊँची कीमत पर बेंचा गया।  
  • लॉकडाउन के परिणामस्वरूप लोगों ने आवश्यकता से अधिक खाद्य सामाग्री की खरीदारी की जिससे अन्य लोगों के समक्ष खाद्य पदार्थों का संकट उत्पन्न हुआ।

आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में सरकार के प्रयास 

  • लॉकडाउन के दौरान यदि कोई व्यापारी या व्यवसायी ज़माखोरी करने का प्रयास करता है तो उस पर आवश्यक वस्तु अधिनियम,1955 के तहत कठोर कार्यवाही का प्रावधान किया गया है।   
  • उत्तर प्रदेश सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों को 2 माह का राशन उपलब्ध करने का आदेश दिया है, साथ ही मज़दूर वर्ग को प्रतिमाह 1000 रूपए की आर्थिक सहायता देने का निर्देश दिया है।
  • उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुओं को घर तक पहुँचाने के लिये पुलिस विभाग की PRV-112 वाहनों की तैनाती की है।
  • दिल्ली सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों को अग्रिम 6 माह का राशन उपलब्ध करने का आदेश दिया है, साथ ही मजदूर वर्ग को प्रतिमाह 5000 रूपए की आर्थिक सहायता देने का निर्देश दिया है।
  • इसके अतिरिक्त अन्य राज्य भी आपूर्ति श्रृंखला को बहाल करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं।         

लॉकडाउन के उल्लंघन में दंड का प्रावधान 

  • लॉकडाउन में दंड का प्रावधान होना ज़रूरी नहीं है। एक तरह से लॉकडाउन को, बिना सज़ा के प्रावधान वाला कर्फ़्यू कहा जा सकता है। 
  • अगर लोग इसमें बाहर निकलते हैं तो पुलिस सिर्फ़ उन्हें समझाकर वापस भेज सकती है। उन्हें जेल या जुर्माना नहीं हो सकता। 
  •  हालाँकि, सरकार लॉकडाउन में भी सख़्ती कर सकती है। जैसे- उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान कोई बाहर आता है तो उस पर छह महीने की सज़ा या जुर्माना लगाया जा सकता है। 

लॉकडाउन और कर्फ्यू में अंतर  

  • लॉकडाउन एक प्रशासनिक आदेश होता है। लॉकडाउन को एपिडमिक डिज़ीज़ एक्ट, 1897 के तहत लागू किया जाता है। ये अधिनियम पूरे भारत पर लागू होता है। तो वहीँ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत कर्फ़्यू लगाया जाता है।  इस धारा को लागू करने के लिए ज़िला मजिस्ट्रेट एक विज्ञप्ति ज़ारी करता है। जिस स्थान पर यह धारा लगाई जाती है, वहाँ चार या उससे ज़्यादा लोग एकत्र नहीं हो सकते हैं।   
  • कानूनी पहलुओं पर जाएँ तो कर्फ़्यू एक स्थापित प्रक्रिया रही है और प्रशासन के पास इसे लागू करने का अनुभव भी रहा है। लेकिन, लॉकडाउन एक नया प्रयोग है इसलिये व्यावहारिकता में इसे लागू करते समय कुछ नई समस्याएँ सामने आ सकती हैं। 
  • सामान्यतः लॉकडाउन में किसी भी प्रकार के दंड की व्यवस्था नहीं है, परंतु यदि कोई कर्फ्यू के दौरान धारा-144 का उल्लंघन करता है तो धारा-188 के तहत उसे चार महीने की क़ैद या जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है। 
  • लॉकडाउन का प्रयोग संभवतः देश में पहली बार हुआ है जबकि आवश्यकतानुसार कर्फ्यू का प्रयोग समय-समय पर होता रहा है। 
  • लॉकडाउन का प्रयोग स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान किया जाता है जबकि कर्फ्यू का प्रयोग उस स्थिति में किया जाता है जब प्रशासन को कंहीं कानून-व्यवस्था के बिगड़ने की आशंका होती है।  

निष्कर्ष

नि:संदेह यह संकट का समय है। इस संकटकालीन घड़ी में लोगों से धैर्य रखने व अपनी गतिविधियों को सीमित रखने की अपेक्षा की जाती है। लोगों से यह भी अपेक्षा है कि वह अनावश्यक रूप से खाद्य सामग्री का संचय न करें। सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इस संकट की घड़ी में सोशल डिस्टेंसिंग के सिद्धांत को बनाए रखने में अपना अमूल्य योगदान दें।   

प्रश्न- लॉकडाउन से आप क्या समझते हैं? इस संदर्भ में सरकार द्वारा ज़ारी किये गए दिशा-निर्देशों का उल्लेख करते हुए, सोशल डिस्टेंसिंग के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये।


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