भारत-ब्राज़ील संबंध
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में ब्राज़ील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के भारत दौरे और भारत-ब्राज़ील संबंध के विभिन्न आयामों पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
नवीन विश्व की विशेष सामरिक संरचना, उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता के पश्चात् भारत और ब्राज़ील की महत्वाकांक्षाओं एवं राष्ट्रीय हितों की समानता की पृष्ठभूमि में दोनों देशों के संबंधों का लगभग 5 दशक पुराना इतिहास स्वयं में कई आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक व सामाजिक परतों को समेटे हुए है। यही वजह है कि दोनों देशों के संबंध समय के साथ नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। इसी दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में 71वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर ब्राज़ील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें समारोह में शामिल होने का आमंत्रण बीते वर्ष नवंबर माह में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान दिया था। जेयर बोल्सोनारो की भारत यात्रा के दौरान विभिन्न व्यापार समझौतों और जैव ईंधन तथा प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की जाएगी। इस यात्रा से दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों को भी नई दिशा प्राप्त होगी।
कौन हैं जेयर बोल्सोनारो?
- जेयर मेसियस बोल्सोनारो का जन्म 21 मार्च, 1955 को ब्राज़ील के कैंपिनास शहर में हुआ था। सैनिक स्कूल से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् वे ब्राज़ील की सेना में भर्ती हुआ और लंबे अरसे तक सेना में अपनी सेवाएँ दी।
- वर्ष 1988 में सेना छोड़ने के पश्चात् वर्ष 1989 में रियो डी जेनेरियो नगर परिषद का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। दो वर्ष बाद उन्होंने ब्राज़ील के फेडरल चैंबर ऑफ डेप्युटी (Chamber of Deputies) में रियो डी जेनेरियो का प्रतिनिधित्व करने वाली एक सीट जीती जिसमें वे आगामी सात वर्षों तक लगातार चुनाव जीते।
- बीते कई वर्षों में जेयर बोल्सोनारो ब्राज़ील की राजनीति में हाशिये पर रहे, किंतु भ्रष्टाचार में संलित होने के कारण देश के मुख्य धारा के राजनीतिक वर्ग की छवि धूमिल होने से वे अचानक ब्राज़ील की राजनीति में काफी लोकप्रिय हो गए।
- अपने चुनावी अभियान के दौरान बोल्सेनारो को अपने कट्टरपंथी विचारों के लिये ब्राज़ील में कड़े विरोध का सामना करना पड़ा है। उन्होंने नस्ल, लिंग और यौन अभिविन्यास जैसे विषयों पर कई विवादास्पद टिप्पणियाँ की हैं। इसके अलावा वे अपने राजनीतिक कार्यकाल की शुरुआत से ही सैन्य तानाशाही युग की वकालत करते रहे हैं।
- जलवायु परिवर्तन को लेकर भी जेयर बोल्सोनारो की नीतियाँ काफी हद तक विवादित रही हैं। अपने चुनावी अभियान के दौरान उन्होंने जलवायु परिवर्तन को लेकर हो रही विभिन्न भविष्यवाणियों को गलत करार देते हुए व्यवसायियों को जंगलों के वाणिज्यिक प्रयोग की अनुमति देने का समर्थन किया था।
क्यों महत्त्वपूर्ण है ब्राज़ील?
- ब्राज़ील में तेल उत्पादन काफी तेज़ी से हो रहा है और आँकड़ों के मुताबिक जल्द ही ब्राज़ील दुनिया के शीर्ष-5 तेल उत्पादक देशों में शामिल होगा। ज्ञात हो कि ब्राज़ील भारत को कच्चे तेल का सबसे अधिक निर्यात करता है।
- भारत और ब्राज़ील विभिन्न द्विपक्षीय मंचों जैसे- ब्रिक्स (BRICS), G-20, G4, IBSA और इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) आदि तथा बड़े बहुपक्षीय निकायों जैसे- UN, WTO, UNESCO और WIPO आदि साझा करते हैं।
- ‘पृथ्वी के फेफड़े’ कहे जाने वाले अमेज़न वर्षा वन ब्राज़ील के लगभग 40 प्रतिशत हिस्से में फैले हुए हैं। इस लिहाज़ से ब्राज़ील के पास वन संपदा का एक विशाल भंडार मौजूद है। अमेज़न वर्ष वन जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण हैं, जिसके कारण ब्राज़ील भी इस संदर्भ में काफी महत्त्वपूर्ण है।
- ब्राज़ील के अमेज़न वर्षा वन पृथ्वी के बड़े पारिस्थितिक नियामक हैं क्योंकि ये प्रत्येक वर्ष 2 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं और पृथ्वी पर उपलब्ध कुल ऑक्सीजन में से 20 प्रतिशत ऑक्सीजन छोड़ते हैं।
- हालाँकि कई रिपोर्ट्स में सामने आया है कि ब्राज़ील सरकार की प्रो-एग्रीबिज़नेस नीतियों (Pro-Agrobusiness Policies) के कारण वहाँ वनों की कटाई काफी अधिक बढ़ गई है।
भारत ब्राज़ील संबंध
- वाणिज्यिक संबंध: संपूर्ण लैटिन अमेरिका और कैरिबियन क्षेत्र में ब्राज़ील, भारत के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारों में से एक है। भारत-ब्राजील द्विपक्षीय व्यापार में पिछले दो दशकों में काफी वृद्धि हुई है। हालाँकि कीमतों में वैश्विक गिरावट और ब्राज़ील में आई आर्थिक मंदी ने ब्राज़ील के समग्र व्यापार को प्रभावित किया है। इसका प्रतिकूल प्रभाव दोनों देशों के व्यापार पर भी देखने को मिला था जब यह वर्ष 2015 और 2016 में क्रमशः 7.9 बिलियन डॉलर और 5.64 बिलियन डॉलर तक आ गया था। किंतु इन आँकड़ों में वर्ष 2018-19 में कुछ सुधार देखने को मिला और दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार 8.2 बिलियन डॉलर पहुँच गया, जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले 7 प्रतिशत अधिक था।
- निवेश संबंध: आँकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018-19 में भारतीय कंपनियों ने ब्राज़ील में लगभग 6 बिलियन डॉलर का निवेश किया। हालाँकि इस दौरान ब्राज़ील से भारत में किया गया निवेश काफी कम रहा, किंतु आने वाले समय में इसके बढ़ने की उम्मीद है। भारतीय निवेशकों ने मुख्यतः ब्राज़ील के IT, फार्मास्युटिकल, ऊर्जा, कृषि-व्यवसाय, खनन और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में निवेश किया है। जबकि ब्राज़ील के निवेशकों ने मुख्यतः भारत के ऑटोमोबाइल, IT, खनन, ऊर्जा और जैव ईंधन क्षेत्रों में निवेश किया।
- रक्षा संबंध: भारत और ब्राजील ने रक्षा सहयोग के लिये वर्ष 2003 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया जिसकी पुष्टि वर्ष 2006 में ब्राज़ील द्वारा की गई। यह समझौता रक्षा संबंधी मामलों विशेष रूप से अनुसंधान और विकास, सैन्य प्रशिक्षण और सैन्य अभ्यास आदि में सहयोग का आह्वान करता है। 24 दिसंबर, 2007 को ब्रासीलिया स्थित भारत के दूतावास में डिफेंस विंग की स्थापना की गई। इसके पश्चात् 14 अप्रैल, 2009 को ब्राज़ील ने भी नई दिल्ली स्थित अपने दूतावास में डिफेंस विंग की स्थापना की। इसके अलावा दोनों देशों के मध्य संयुक्त रक्षा समिति (JDC) की बैठकें भी समय-समय पर आयोजित की जाती हैं। विदित हो कि अब तक कुल 6 संयुक्त रक्षा समिति (JDC) की बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं।
- सांस्कृतिक संबंध: ब्राज़ील में भारत की संस्कृति, धर्म, कला और दर्शन को लेकर काफी रुचि है। ब्राज़ील पहुँचने वाला पहला शास्त्रीय भारतीय कला रूप भरतनाट्यम था; जिसके पश्चात् ओडिसी, कथक और कुचिपुड़ी ब्राज़ील पहुँचे। पूरे ब्राजील में योग सिखाने वाले कई संगठन हैं। रामकृष्ण मिशन, इस्कॉन, भक्ति वेदांत फाउंडेशन जैसे आध्यात्मिक संगठन भी ब्राज़ील में मौजूद हैं। इसके अलावा ब्राज़ील के 12 प्रमुख शहरों में वर्ष 2015 में पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस आयोजित किया गया था।
भारत-ब्राज़ील संबंध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ब्राज़ील और भारत के मध्य संप्रभु राष्ट्रों के रूप में वार्त्ता द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शुरू हुई थी, जब दोनों देश (ब्राज़ील और भारत) विशाल राष्ट्र-राज्यों के रूप में विश्व के सामने आए। जनसंख्या के मामले में ब्राज़ील और भारत विश्व में क्रमशः पाँचवें और दूसरे स्थान पर हैं जबकि क्षेत्रफल के मामले में दोनों देश विश्व में क्रमशः पाँचवें और सातवें स्थान पर हैं। ब्राज़ील के साथ भारत के राजनयिक संबंध वर्ष 1948 में स्थापित हुए जब भारत ने 3 मई, 1948 को रियो डी जेनेरियो में दूतावास की स्थापना की। अगस्त 1971 में इस दूतावास को ब्रासीलिया में स्थानांतरित कर दिया गया। शीतयुद्ध के दौरान दोनों देशों के मध्य संबंधों का ताना-बाना टूटता दिखाई दिया। दरअसल गोवा की आज़ादी और उसे भारत में शामिल किये जाने को लेकर ब्राज़ील के रुख ने दोनों देशों के संबंधों को काफी प्रभावित किया था। ब्राज़ील गोवा में पुर्तगाल की मौजूदगी को सही मानता था और उसने गोवा को आज़ाद कराने को लेकर भारत द्वारा की गई सैन्य कार्यवाही को भी अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताया था।
दोनों देशों के बीच कई हैं समानताएँ
- लगभग 15,000 मील की दूरी और ऐतिहासिक विविधता के कारण दोनों देशों की संस्कृति काफी अलग-अलग हैं, किंतु इसके बावजूद भी दोनों देशों के मध्य कई समानताएँ हैं। मसलन भारत और ब्राज़ील दोनों ही देशों में एक जीवंत लोकतंत्र, स्वतंत्र न्यायपालिक और महत्त्वपूर्ण गैर-सरकारी संगठन (NGO) हैं।
- दोनों ही देश विकासशील देश हैं। हालाँकि क्षेत्रफल की दृष्टि से ब्राज़ील का आकार भारत से ढाई गुना अधिक है, किंतु अर्थव्यवस्था के मामले में दोनों देश एक ही समान हैं। दोनों ही देशों में धर्म, भाषा और सांस्कृतिक विविधता मौजूद है।
हालिया दौरे का महत्त्व
- राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो का यह दौरा दोनों देशों के लिये सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह दोनों देशों के संबंधों को नई ऊर्जा प्रदान करने और केंद्रित रूप से आगे बढ़ने में मदद करेगा। बोल्सोनारो की इस यात्रा से दोनों देशों के बहुआयामी संबंधों के और अधिक विस्तार होने की उम्मीद है।
- उल्लेखनीय है कि जेयर बोल्सोनारो के साथ आठ मंत्री, चार सांसद, ब्राज़ील की संसद में ब्राज़ील-भारत मैत्री समूह के अध्यक्ष और एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हैं।
प्रश्न : ब्राज़ील के राष्ट्रपति के हालिया दौरे के आलोक में भारत-ब्राज़ील संबंधों पर चर्चा कीजिये।