15वाँ प्रवासी भारतीय सम्मेलन
संदर्भ
21 से 23 जनवरी तक वाराणसी में 15वें प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन किया गया। यूं तो हर वर्ष प्रवासी भारतीय दिवस 9 जनवरी को आयोजित किया जाता है, लेकिन इस बार प्रयागराज में चल रहे कुंभ के मद्देनज़र इसे वाराणसी में आयोजित किया गया। कुंभ की शुरुआत 15 जनवरी को हुई और प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन नियत तिथि के बाद वाराणसी में करने के पीछे उद्देश्य यह था कि विदेशों में रहने वाले भारतीय भी कुंभ का नजारा देख सकें।
15वाँ प्रवासी भारतीय दिवस
वाराणसी में तीन दिनों तक चले 15वें प्रवासी भारतीय दिवस के पूर्ण सत्र की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। समापन सत्र को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संबोधित किया और प्रवासी भारतीयों को पुरस्कार वितरित किये। मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविन्द जगन्नाथ 15वें प्रवासी भारतीय दिवस में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस बार प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन की थीम नए भारत के निर्माण में प्रवासी भारतीयों की भूमिका (Role of Indian Diaspora in Building New India) रखी गई थी।
प्रवासी भारतीय तीर्थ दर्शन योजना
- 15वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में 200 NRIs के साथ ‘प्रवासी भारतीय तीर्थ दर्शन’ कार्यक्रम की शुरुआत की।
- इस योजना के तहत केंद्र सरकार 45 से 65 आयु वर्ग के प्रवासी भारतीयों को भारत के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों का भ्रमण कराएगी।
- तीर्थ दर्शन यात्रा 25 दिनों की होगी और इस दौरान श्रद्धालुओं के आने-जाने से लेकर ठहरने एवं खान-पान सहित सभी खर्च सरकार उठाएगी।
- हर साल 40 प्रवासी श्रद्धालुओं को भ्रमण कराया जाएगा, जिसे आने वाले समय में बढ़ाया जा सकता है।
- तीर्थ दर्शन यात्रा के लिये IRCTC से सहयोग सबंधी एक समझौता किया जाएगा।
- प्रधानमंत्री ने प्रवासी मेहमानों से अपने आसपास के स्थानीय पांच लोगों को इस योजना से जोड़ने की अपील की।
- इससे यह योजना भारत के बारे में दुनिया के लोगों को और अधिक जानकारी उपलब्ध कराने के साथ पयर्टन विकास का ज़रिया भी बन सकेगी।
9 जनवरी को क्यों मनाया जाता है प्रवासी भारतीय दिवस?
9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत 2003 में हुई थी। इस तिथि के साथ खास बात यह जुड़ी है कि 1915 में इसी तारीख को महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटे थे। महात्मा गांधी को भारत का सबसे बड़ा प्रवासी माना जाता है। इसके पीछे एक छोटी सी कहानी है...18वीं शताब्दी में गुजराती व्यापारियों ने केन्या, युगांडा, ज़िम्बाब्वे, ज़ाम्बिया, दक्षिण अफ्रीका में अपने कदम रखे। इन्हीं में से एक व्यापारी दादा अब्दुल्ला सेठ के कानूनी प्रतिनिधि के रूप में महात्मा गांधी मई, 1893 में दक्षिण अफ्रीका के नटाल प्रांत में पहुँचे। वहाँ रंगभेद नीति के साथ उनका संघर्ष और प्रवासी भारतीय समुदाय के सम्मान की उनकी लड़ाई सर्वविदित है। अहिंसा और सत्याग्रह जैसे विरोध के बिलकुल नए और अनजान तरीकों से वह अपने मिशन में कामयाब हुए। 9 जनवरी, 1915 को महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौटे। उनके 22 वर्ष के संघर्षमय प्रवास से प्रेरणा लेकर इस दिवस को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रवासी भारतीय दिवस मनाने का उद्देश्य
- प्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति सोच, भावना की अभिव्यक्ति, देशवासियों के साथ सकारात्मक बातचीत के लिये एक मंच उपलब्ध कराना।
- विश्व के सभी देशों में प्रवासी भारतीयों का नेटवर्क बनाना।
- युवा पीढ़ी को प्रवासियों से जोड़ना।
- विदेशों में रह रहे भारतीय श्रमजीवियों की कठिनाइयाँ जानना तथा उन्हें दूर करने की कोशिश करना।
- भारत के प्रति प्रवासियों को आकर्षित करना।
- निवेश के अवसरों को बढ़ाना।
भारत के विकास में सहभागी प्रवासी भारतीय
देश के विकास में प्रवासी भारतीय बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। पिछले वर्ष उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में 70 अरब डॉलर का योगदान दिया। दुनिया के 48 देशों में करीब दो करोड़ भारतीय प्रवासी के रूप में रह रहे हैं। इनमें से 11 देशों में प्रत्येक में 5 लाख से ज़्यादा प्रवासी भारतीय हैं, जो वहाँ की औसत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं और वहाँ की आर्थिक व राजनीतिक दशा व दिशा को तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहाँ उनकी आर्थिक, शैक्षणिक व व्यावसायिक दक्षता का आधार काफी मज़बूत है।
इसी के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने डॉ. लक्ष्मीमल सिंघवी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी, जिसने 18 अगस्त, 2000 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। प्रवासी भारतीयों पर बनी इस रिपोर्ट पर अमल करते हुए सरकार ने प्रवासी भारतीय दिवस मनाना शुरू किया। यह दिवस मनाने का उद्देश्य प्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति सोच, उनकी भावनाओं की अभिव्यक्ति के साथ ही उनकी देशवासियों के साथ सकारात्मक बातचीत के लिये एक मंच उपलब्ध कराना है। साथ ही विश्व के 110 देशों में प्रवासी भारतीयों का एक नेटवर्क बनाना भी इसका ध्येय है।
सरकार द्वारा प्रवासी भारतीयों के लिये चलाए जा रहे कार्यक्रम/योजनाएँ
प्रवासी भारतीयों की समस्याओं का समाधान करने के लिये 2004 में भारत सरकार ने प्रवासी भारतीय मामलों का पृथक मंत्रालय बनाया। आज यह मंत्रालय एक ऐसा केंद्रबिंदु बन चुका है, जहाँ प्रवासी भारतीयों से जड़े सभी मुद्दों पर जानकारी, भागीदारी और सरलीकरण के लिये प्रयास किये जाते हैं। इस मंत्रालय के चार कार्यकारी सेवा विभाग हैं: 1. प्रवासी सेवाएँ, 2. वित्तीय सेवाएँ, 3. प्रवास सेवाएँ और प्रबंधन सेवाएँ।
मंत्रालय के प्रमुख कार्य
- भारत के विकास से लाभ उठाने के लिये प्रवासी भारतीयों हेतु सम्मिलित कार्य विवरण बनाना।
- प्रवासी भारतीयों के लिये संगठन की भावना का विकास करना और इसे स्थापित करने के लिये कार्य योजना बनाना।
- संगठन में भागीदारी के लिये प्रवासी भारतीयों के संगठनों और देश में कार्यरत संगठनों की उचित भूमिका तय करना।
- वर्षभर और विश्वभर में चलने वाले विकास प्रयासों मे प्रवासी भारतीयों द्वारा सक्रिय भागीदारी के लिये कार्य योजना बनाना।
- भारत और इसके प्रवासी नागरिकों के बीच राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर चलने वाले विचार-विमर्श को और बढ़ाना।
- आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में की जाने वाली नई शुरुआतों में प्रवासी भारतीयों की भागीदारी बढ़ाना।
- राज्यों में प्रवासी भारतीयों और भविष्य में प्रवासी होने वाले लोगों के लिये क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का विकास करना।
चार प्रमुख सिद्धांत
प्रवासी भारतीयों के बीच मूलभूत और परस्पर लाभदायक संबंधों को मज़बूत करने की नीति के तहत कार्य करने वाले प्रवासी भारतीय मामलों का मंत्रालय निम्नलिखित चार सिद्धांतों पर काम करता है:
- प्रवासी भारतीय समुदायों की आशाओं-आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये विशिष्ट रूप से निर्मित समाधान प्रस्तुत करना।
- प्रवासी भारतीयों के साथ संबंधों के लिये योजनाओं में विशिष्टता लाना।
- ज्ञान और संसाधनों के क्षेत्र में प्रवासी समुदाय की क्षमताओं का उपयोग करना।
- राज्यों में प्रवासियों से संबंधित सभी कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना
प्रवासी भारतीयों के लिये चलाई जा रही प्रमुख योजनाएँ
- भारत को जानें कार्यक्रम
- भारत का अध्ययन कार्यक्रम
- प्रवासी बच्चों के लिये छात्रवृत्ति कार्यक्रम
- प्रवासी भारतीय पतियों द्वारा परित्यक्त/तलाकशुदा भारतीय महिलाओं के लिये कानूनी/वित्तीय सहयोग योजना
- मूल जड़ों की खोज
- महात्मा गांधी प्रवासी सुरक्षा योजना
- प्रवासी भारतीय बीमा योजना
अब तक हुए प्रवासी भारतीय दिवस आयोजन
- 2003 पहला प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
- 2004 दूसरा प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
- 2005 तीसरा प्रवासी भारतीय दिवस, मुंबई
- 2006 चौथा प्रवासी भारतीय दिवस, हैदराबाद
- 2007 पाँचवां प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
- 2008 छठा प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
- 2009 सातवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, चेन्नई
- 2010 आठवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
- 2011 नौवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
- 2012 दसवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, जयपुर
- 2013 ग्यारहवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, कोच्चि (केरल)
- 2014 बारहवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
- 2015 तेरहवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, गांधीनगर
- 2016 आयोजन नहीं हुआ
- 2017 चौदहवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, बंगलुरु
- 2018 क्षेत्रीय प्रवासी भारतीय दिवस, सिंगापुर
वर्तमान में भारतीय प्रवासियों की विविधता पहले से कहीं अधिक है। भारतीय मूल के लाखों लोग विश्व के लगभग प्रत्येक देश में विविध कार्यों में संलग्न हैं। इन सबके मद्देनज़र भारत सरकार यह मानती और प्रयास करती है कि प्रवासी प्रशिक्षित, सुरक्षित हों और विश्वास के साथ प्रवास करें। भारत की विकास यात्रा में प्रवासी भारतीय हमारे साथ हैं। प्रवासी भारतीय दिवस जैसे आयोजन प्रवासी भारतीयों की पहचान साझा इतिहास और संस्कृति के साथ एक परिवार के सदस्य के रूप में करते हैं। शिक्षित और आत्मनिर्भर प्रवासी भारतीय समुदाय राष्ट्र निर्माण में प्रमुख भूमिका निभा सकता है और समुदाय के जुड़ाव से बहुपक्षवाद को मदद मिल सकती है।